ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 21 अप्रैल 2013

पराजय से आगे


   अपने मसीही विश्वास में कमज़ोर पड़कर यदि हम से कोई ऐसा कार्य हो जाए जिससे हमारे परिवार और मित्र जनों में परमेश्वर का नाम और राज्य निन्दित हो, तो इस परिस्थिति का सामना हमें कैसे करना चाहिए?

   परमेश्वर के वचन बाइबल में राजा दाऊद का एक ऐसा ही उदाहरण है जिससे हम इस विषय पर शिक्षा ले सकते हैं। दाऊद अपने एक वफादार सैनिक ऊरिय्याह की पत्नि बतशेबा के साथ व्यभिचार में पड़ा, जिससे बतशेबा गर्भवती हुई। अपने पाप को छिपाने के लिए दाऊद ने ऊरिय्याह को छल से युद्ध भूमि में मरवा दिया। उसकी इस बात के लिए परमेश्वर ने अपने नबी नातान द्वारा दाऊद के पास अपनी नाराज़गी का सन्देश भेजा और कहा कि दाऊद को अपने इस पाप का प्रतिफल भोगना पड़ेगा। उस पाप के दर्दनाक परिणामों से तो दाऊद बच तो नहीं सका, लेकिन उसने परमेश्वर से अपने संबंध को टूटने भी नहीं दिया और वह लौट कर फिर परमेश्वर की संगति में आ सका, परमेश्वर के लिए फिर से उपयोगी हो सका। दाऊद के समान ही हम भी ऐसा कर सकते हैं।

   बाइबल के 2 शमूएल 12:13-23 में दिया गया राजा दाऊद के पुनःस्थापन का नमूना आज हमारे लिए भी परमेश्वर की संगति में लौट आने का मार्ग दिखाता है। पाप से मिली पराजय से आगे बढ़कर फिर से परमेश्वर की संगति और आशीषों में लौटने के लिए सबसे पहला कार्य है खुलकर अपने दोष का अंगीकार कर लेना (पद 13) और उसके लिए परमेश्वर से क्षमा माँगना तथा परमेश्वर से प्रार्थना करना कि हमारे पापों के दुषप्रभावों से अन्य संबंधित लोग बचे रहें (पद 16)। फिर यह पहचानना कि उन पापों के प्रतिफलों से बच पाना सदा ही संभव नहीं होता, और उन दुषपरिणामों को धैर्य पूर्वक सहन करना, उनके लिए परमेश्वर से प्रार्थना करते रहना। हम उन दुषपरिणामों के लिए दुखी हो सकते हैं, शोक कर सकते हैं लेकिन परमेश्वर पर अपना भरोसा सदा बनाए रहें। उन दुषपरिणामों को अपने ऊपर इतना हावी भी ना होने दें कि हम परमेश्वर से कट जाएं; सदा परमेश्वर से प्रार्थना का भाव बनाए रखें और यह परमेश्वर से संबंध को जोड़े रहेगा, शांति के मार्ग को खुला रखेगा (पद 20-23)।

   शैतान ना केवल हमें पाप में गिराने और फंसाने से प्रसन्न होता है वरन हमें आत्मिक तौर से निषक्रीय करने और पछतावे में निढाल होकर बैठे रहने तथा व्यर्थ हाथ मलते रहने से भी उसे आनन्द मिलता है। परमेश्वर हमें दुख और पछतावे में बैठे देख कर आनन्दित नहीं होता; वह आनन्दित होता है उस पछतावे और दुख में उससे पाप की क्षमा माँग कर हमारे आगे बढ़ने और उसकी भलाई तथा प्रेम पर विश्वास रख कर फिर से उसके लिए कार्यकारी होने से। उसका प्रेम हमारे लिए कभी कम नहीं होता, उसके मार्ग सदा अपने बच्चों के लिए खुले रहते हैं और वह उनके लौट आने की सदा प्रतीक्षा करता है तथा लौटने वालों का स्वागत आनन्द और आदर से करता है (लूका 15:11-24)।

   यदि हमने अपनी मसीही जीवन की गवाही बिगाड़ ली है तो उसके लिए पश्चातापी और दीन होना आवश्यक है; लेकिन इसका यह तात्पर्य नहीं कि हम बिलकुल चुपचाप होकर, संसार और लोगों से छुप कर बैठ जाएं। ऐसा करने से उस पाप के दुषपरिणाम हम पर और भी हावी होंगे। पाप के लिए क्षमा याचना के साथ परमेश्वर का हाथ फिर से थाम कर आगे बढ़ें; यही पराजय से आगे बढ़ने की कुंजी है। - रैंडी किलगोर


परमेश्वर हमारे पापों को क्षमा करके सदा ही हमें अपनी संगति तथा कार्य में फिर से स्थापित रखना चाहता है।

मैं वही हूं जो अपने नाम के निमित्त तेरे अपराधों को मिटा देता हूं और तेरे पापों को स्मरण न करूंगा। - (यशायाह 43:25)

बाइबल पाठ: 2 शमूएल 12:1-23
2 Samuel 12:1 तब यहोवा ने दाऊद के पास नातान को भेजा, और वह उसके पास जा कर कहने लगा, एक नगर में दो मनुष्य रहते थे, जिन में से एक धनी और एक निर्धन था।
2 Samuel 12:2 धनी के पास तो बहुत सी भेड़-बकरियां और गाय बैल थे;
2 Samuel 12:3 परन्तु निर्धन के पास भेड़ की एक छोटी बच्ची को छोड़ और कुछ भी न था, और उसको उसने मोल ले कर जिलाया था। और वह उसके यहां उसके बाल-बच्चों के साथ ही बढ़ी थी; वह उसके टुकड़े में से खाती, और उसके कटोरे में से पीती, और उसकी गोद मे सोती थी, और वह उसकी बेटी के समान थी।
2 Samuel 12:4 और धनी के पास एक बटोही आया, और उसने उस बटोही के लिये, जो उसके पास आया था, भोजन बनवाने को अपनी भेड़-बकरियों वा गाय बैलों में से कुछ न लिया, परन्तु उस निर्धन मनुष्य की भेड़ की बच्ची ले कर उस जन के लिये, जो उसके पास आया था, भोजन बनवाया।
2 Samuel 12:5 तब दाऊद का कोप उस मनुष्य पर बहुत भड़का; और उसने नातान से कहा, यहोवा के जीवन की शपथ, जिस मनुष्य ने ऐसा काम किया वह प्राण दण्ड के योग्य है;
2 Samuel 12:6 और उसको वह भेड़ की बच्ची का चौगुणा भर देना होगा, क्योंकि उसने ऐसा काम किया, और कुछ दया नहीं की।
2 Samuel 12:7 तब नातान ने दाऊद से कहा, तू ही वह मनुष्य है। इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि मैं ने तेरा अभिषेक करा के तुझे इस्राएल का राजा ठहराया, और मैं ने तुझे शाऊल के हाथ से बचाया;
2 Samuel 12:8 फिर मैं ने तेरे स्वामी का भवन तुझे दिया, और तेरे स्वामी की पत्नियां तेरे भोग के लिये दीं; और मैं ने इस्राएल और यहूदा का घराना तुझे दिया था; और यदि यह थोड़ा था, तो मैं तुझे और भी बहुत कुछ देने वाला था।
2 Samuel 12:9 तू ने यहोवा की आज्ञा तुच्छ जान कर क्यों वह काम किया, जो उसकी दृष्टि में बुरा है? हित्ती ऊरिय्याह को तू ने तलवार से घात किया, और उसकी पत्नी को अपनी कर लिया है, और ऊरिय्याह को अम्मोनियों की तलवार से मरवा डाला है।
2 Samuel 12:10 इसलिये अब तलवार तेरे घर से कभी दूर न होगी, क्योंकि तू ने मुझे तुच्छ जानकर हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी को अपनी पत्नी कर लिया है।
2 Samuel 12:11 यहोवा यों कहता है, कि सुन, मैं तेरे घर में से विपत्ति उठा कर तुझ पर डालूंगा; और तेरी पत्नियों को तेरे साम्हने ले कर दूसरे को दूंगा, और वह दिन दुपहरी में तेरी पत्नियों से कुकर्म करेगा।
2 Samuel 12:12 तू ने तो वह काम छिपाकर किया; पर मैं यह काम सब इस्राएलियों के साम्हने दिन दुपहरी कराऊंगा।
2 Samuel 12:13 तब दाऊद ने नातान से कहा, मैं ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। नातान ने दाऊद से कहा, यहोवा ने तेरे पाप को दूर किया है; तू न मरेगा।
2 Samuel 12:14 तौभी तू ने जो इस काम के द्वारा यहोवा के शत्रुओं को तिरस्कार करने का बड़ा अवसर दिया है, इस कारण तेरा जो बेटा उत्पन्न हुआ है वह अवश्य ही मरेगा।
2 Samuel 12:15 तब नातान अपने घर चला गया। और जो बच्चा ऊरिय्याह की पत्नी से दाऊद के द्वारा उत्पन्न था, वह यहोवा का मारा बहुत रोगी हो गया।
2 Samuel 12:16 और दाऊद उस लड़के के लिये परमेश्वर से बिनती करने लगा; और उपवास किया, और भीतर जा कर रात भर भूमि पर पड़ा रहा।
2 Samuel 12:17 तब उसके घराने के पुरनिये उठ कर उसे भूमि पर से उठाने के लिये उसके पास गए; परन्तु उसने न चाहा, और उनके संग रोटी न खाई।
2 Samuel 12:18 सातवें दिन बच्चा मर गया, और दाऊद के कर्मचारी उसको बच्चे के मरने का समाचार देने से डरे; उन्होंने तो कहा था, कि जब तक बच्चा जीवित रहा, तब तक उसने हमारे समझाने पर मन न लगाया; यदि हम उसको बच्चे के मर जाने का हाल सुनाएं तो वह बहुत ही अधिक दु:खी होगा।
2 Samuel 12:19 अपने कर्मचारियों को आपस में फुसफुसाते देखकर दाऊद ने जान लिया कि बच्चा मर गया; तो दाऊद ने अपने कर्मचारियों से पूछा, क्या बच्चा मर गया? उन्होंने कहा, हां, मर गया है।
2 Samuel 12:20 तब दाऊद भूमि पर से उठा, और नहाकर तेल लगाया, और वस्त्र बदला; तब यहोवा के भवन में जा कर दण्डवत्‌ की; फिर अपने भवन में आया; और उसकी आज्ञा पर रोटी उसको परोसी गई, और उसने भोजन किया।
2 Samuel 12:21 तब उसके कर्मचारियों ने उस से पूछा, तू ने यह क्या काम किया है? जब तक बच्चा जीवित रहा, तब तक तू उपवास करता हुआ रोता रहा; परन्तु ज्योंही बच्चा मर गया, त्योंही तू उठ कर भोजन करने लगा।
2 Samuel 12:22 उसने उत्तर दिया, कि जब तक बच्चा जीवित रहा तब तक तो मैं यह सोच कर उपवास करता और रोता रहा, कि क्या जाने यहोवा मुझ पर ऐसा अनुग्रह करे कि बच्चा जीवित रहे।
2 Samuel 12:23 परन्तु अब वह मर गया, फिर मैं उपवास क्यों करूं? क्या मैं उसे लौटा ला सकता हूं? मैं तो उसके पास जाऊंगा, परन्तु वह मेरे पास लौट न आएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 12-13 
  • लूका 16


शनिवार, 20 अप्रैल 2013

परमेश्वर की इच्छा


   एक युवक अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा था और समझ नहीं पा रहा था कि आता वर्ष उसके लिए कैसा होगा, अन्ततः अपनी निराशाओं और कुंठाओं में होकर वह इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि परमेश्वर की इच्छा क्या है यह कोई नहीं जानता। क्या वह सही था? क्या भविष्य के बारे में अनिश्चित होने का तात्पर्य है परमेश्वर की इच्छा जान पाना संभव नहीं है?

   परमेश्वर की इच्छा जानने का तात्पर्य अधिकांश लोगों के लिए यह जान पाने तक ही सीमित होता है कि "भविष्य में हम किस स्थिति में होंगे?" यद्यपि परमेश्वर की इच्छा के संबंध में इस बात का अवश्य ही एक महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन परमेश्वर की इच्छा से संबंधित केवल यही सब कुछ नहीं है। परमेश्वर की इच्छा से संबंधित एक और तथा उतना ही महत्वपूर्ण भाग है परमेश्वर की प्रगट इच्छा का प्रतिदिन पालन करते रहना।

   परमेश्वर ने हमारे प्रतिदिन के जीवन के बारे में कई बातें हम पर प्रगट करी हैं; उसके प्रति हमारे दायित्वों के बारे में हम सब काफी कुछ जानते हैं; उदाहरणस्वरूप, परमेश्वर की इच्छा है कि हम मसीही विश्वासी:

- अपने देश के अच्छे और ईमानदार नागरिक बनें, और हमारा यह भला चरित्र मसीह विरोधियों के लिए एक चुनौती हो। (1 पतरस 2:15)

- हर बात में, चाहे वह कैसी भी क्यों ना हो, हम परमेश्वर का धन्यवाद करें। (1 थिस्सलुनीकियों 5:18)

- सदा पवित्रता में बने रहें और हर प्रकार के लुचपन तथा व्यभिचार से बचे रहें। (1 थिस्सलुनीकियों 4:13)

- सदा परमेश्वर के पवित्र आत्मा की आधीनता में रहें और चलें। (इफिसीयों 5:18)

- परमेश्वर की स्तुति आराधना करते रहें। (इफिसीयों 5:19)

- मेलजोल के साथ एक दूसरे के आधीन रहें। (इफिसीयों 5:21)

 जैसे जैसे हम परमेश्वर की इन तथा अन्य ऐसी विदित इच्छाओं के प्रति समर्पित एवं आज्ञाकारी होते जाएंगे, वैसे वैसे हम रोमियों 12:2 में दिए निर्देष: "और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो" के अनुसार अन्य बातों के लिए परमेश्वर की इच्छा को अपने अनुभवों से मालुम करते रहने वाले भी होते जाएंगे। जो जो परमेश्वर हम पर प्रगट करता जाता है यदि हम उस पर फिर आगे भी बने रहते हैं, और उस पर चलते रहते हैं तो परमेश्वर फिर और बातें भी हम पर प्रगट करता जाता है। जो परमेश्वर की विदित इच्छानुसार उसकी सहमति और स्वीकृति में बना रहता है, वह परमेश्वर से आते समय के लिए मार्गदर्शन भी पाता रहता है।

   यदि भविष्य के लिए परमेश्वर की इच्छा जाननी है तो वर्तमान में उसकी प्रगट इच्छा की आज्ञाकारिता में रहना भी अनिवार्य है। - डेव ब्रैनन


यदि हम प्रतिदिन परमेश्वर से प्रेम करें और उसके आज्ञाकारी रहें तो वह स्वतः ही भविष्य की परतें भी हम पर खोलता चला जाएगा।

और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। (रोमियों 12:2)

बाइबल पाठ: इफिसीयों 5:15-21
Ephesians 5:15 इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो।
Ephesians 5:16 और अवसर को बहुमोल समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं।
Ephesians 5:17 इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो, कि प्रभु की इच्छा क्या है?
Ephesians 5:18 और दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ।
Ephesians 5:19 और आपस में भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्तन करते रहो।
Ephesians 5:20 और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्वर पिता का धन्यवाद करते रहो।
Ephesians 5:21 और मसीह के भय से एक दूसरे के आधीन रहो।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 9-11 
  • लूका 15:11-32


शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

दीवार


   नवंबर 9, 2010 बर्लिन की दीवार के गिराए जाने की 21वीं वर्षगाँठ थी। उसी दिन 1989 में पूर्वी जर्मनी के टेलिविज़न पर हुई एक घोषणा द्वारा लोगों को बताया गया कि अब वे बिना रोक-टोक पश्चिमी जर्मनी में जा सकते हैं और उसके अगले दिन पूर्वी जर्मनी के बुल्डोज़र बर्लिन की दीवार को गिराने लग गए जो पिछले 28 वर्ष से पूर्वी तथा पश्चिमी जर्मनी को विभाजित किए हुई थी।

   प्रभु यीशु मसीह ने भी यहूदी एवं गैरयहूदियों को परस्पर विभाजित करने वाली दीवार को गिरा दिया (इफिसियों 2:14)। लेकिन इससे भी अधिक अभेद्य एक और दिवार थी - मनुष्यों के पाप की दीवार जो मनुष्यों को परमेश्वर कि संगति से दूर रखती थी, उसे भी प्रभु यीशु मसीह के क्रूस पर बलिदान और मृतकों में से पुनरुत्थान ने गिरा दिया और सभी मनुष्यों के लिए परमेश्वर के साथ संगति करने का मार्ग खोल दिया (इफिसियों 2:16)। इन दीवारों के गिराए जाने से अब हर मसीही विश्वासी परमेश्वर के घराने के सदस्य हो जाता है और सभी विश्वासी एक साथ मिल कर परमेश्वर के पवित्र आत्मा का मन्दिर और परमेश्वर का निवास स्थान बन गए हैं (इफिसियों 2:19-21)।

   लेकिन दुख की बात है कि प्रभु यीशु द्वारा सभी दीवारें गिराए जाने और सब प्रकार का मेल-मिलाप करवा देने के बाद भी मसीही विश्वासी अपने बीच में कई दीवारें खड़ी कर लेते हैं और अपने अपने दायरों में सिमट कर रहना चाहते हैं। लेकिन परमेश्वर का वचन सिखाता है कि "सो मैं जो प्रभु में बन्‍धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो। अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो। और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्‍न करो" (इफिसियों 4:1-3)।

   बजाए परस्पर दीवारें खड़ी करने के, विभाजित करने वाली दीवारों को गिराने के प्रयास करें और संसार को व्यावाहरिक रूप में दिखा दें कि हम एक ही परिवार के सदस्य, एक ही देह के अंग हैं। - सी. पी. हिया


मसीही विश्वासियों में एकता मसीह के साथ एक होने से संभव है।

क्योंकि वही हमारा मेल है, जिसने दोनों को एक कर लिया: और अलग करने वाली दीवार को जो बीच में थी, ढा दिया। - इफिसियों 2:14

बाइबल पाठ: इफिसियों 2:11-22; इफिसियों 4:1-3
Ephesians 2:11 इस कारण स्मरण करो, कि तुम जो शारीरिक रीति से अन्यजाति हो, (और जो लोग शरीर में हाथ के किए हुए खतने से खतना वाले कहलाते हैं, वे तुम को खतना रहित कहते हैं)।
Ephesians 2:12 तुम लोग उस समय मसीह से अलग और इस्‍त्राएल की प्रजा के पद से अलग किए हुए, और प्रतिज्ञा की वाचाओं के भागी न थे, और आशाहीन और जगत में ईश्वर रहित थे।
Ephesians 2:13 पर अब तो मसीह यीशु में तुम जो पहिले दूर थे, मसीह के लोहू के द्वारा निकट हो गए हो।
Ephesians 2:14 क्योंकि वही हमारा मेल है, जिसने दोनों को एक कर लिया: और अलग करने वाली दीवार को जो बीच में थी, ढा दिया।
Ephesians 2:15 और अपने शरीर में बैर अर्थात वह व्यवस्था जिस की आज्ञाएं विधियों की रीति पर थीं, मिटा दिया, कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्पन्न कर के मेल करा दे।
Ephesians 2:16 और क्रूस पर बैर को नाश कर के इस के द्वारा दानों को एक देह बना कर परमेश्वर से मिलाए।
Ephesians 2:17 और उसने आकर तुम्हें जो दूर थे, और उन्हें जो निकट थे, दानों को मेल-मिलाप का सुसमाचार सुनाया।
Ephesians 2:18 क्योंकि उस ही के द्वारा हम दोनों की एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है।
Ephesians 2:19 इसलिये तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे, परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्‍वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए।
Ephesians 2:20 और प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नेव पर जिसके कोने का पत्थर मसीह यीशु आप ही है, बनाए गए हो।
Ephesians 2:21 जिस में सारी रचना एक साथ मिलकर प्रभु में एक पवित्र मन्दिर बनती जाती है।
Ephesians 2:22 जिस में तुम भी आत्मा के द्वारा परमेश्वर का निवास स्थान होने के लिये एक साथ बनाए जाते हो।
Ephesians 4:1 सो मैं जो प्रभु में बन्‍धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो।
Ephesians 4:2 अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो।
Ephesians 4:3 और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्‍न करो।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 6-8 
  • लूका 15:1-10

गुरुवार, 18 अप्रैल 2013

भलाई का उद्देश्य


   बचपन में हम सण्डे स्कूल में एक गाना गाया करते थे, जो कुछ इस प्रकार था: "परमेश्वर मेरे प्रति भला है! परमेश्वर मेरे प्रति भला है! वह मेरा हाथ थामता है और मुझे सहारा देता है। परमेश्वर मेरे प्रति भला है!

   मैं इस बात का पूरी रीति से विश्वास करता हूँ कि परमेश्वर मेरे प्रति भला है, और ना केवल मेरे प्रति वरन सभी मनुष्यों के प्रति वह भला है और उनके लिए भले कार्य करने में वह आनन्दित होता है। वह वास्तव में हमारे हाथ थामे रहता है, विशेषकर कठिन समयों में और जीवन की समस्याओं का सामना करने में वह हमें सहारा देता है। लेकिन क्या आपने कभी अपने आप से यह पूछा कि परमेश्वर भला क्यों है? अवश्य ही ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि हम उसकी भलाई के योग्य हैं और ना ही इसलिए उसे अपने किसी प्रयोजन के लिए हमारा साथ और प्रेम चाहिए। कौन मनुष्य परमेश्वर को कुछ दे सकता है, या किसी मनुष्य के पास ऐसा क्या है जो परमेश्वर के पास नहीं; जो कुछ हम हैं और जो भी हमारे पास है वह अन्ततः उसी का प्रदान किया हुआ ही तो है!

   भजनकार ने अपनी एक प्रार्थना में कहा: "परमेश्वर हम पर अनुग्रह करे और हम को आशीष दे; वह हम पर अपने मुख का प्रकाश चमकाए जिस से तेरी गति पृथ्वी पर, और तेरा किया हुआ उद्धार सारी जातियों में जाना जाए" (भजन 67:1-2)। परमेश्वर से मिलने वाली हमारी प्रतिदिन की आशीषें इस बात का प्रमाण हैं कि वह भला परमेश्वर है जो अपने लोगों की चिन्ता करता है। लेकिन संसार के लोग इस बात को कैसे जानेंगे यदि हम उन भलाईयों के लिए परमेश्वर की सार्वजनिक रूप में स्तुति और बड़ाई नहीं करेंगे? परमेश्वर के भले कार्यों के वर्णन से ही लोग उसके बारे में तथा उसकी वास्तविकता और उसके गुणों के बारे में जानने पाएंगे। इसीलिए भजनकार ने आगे लिखा: "हे परमेश्वर, देश देश के लोग तेरा धन्यवाद करें; देश देश के सब लोग तेरा धन्यवाद करें" (भजन 67:3)।

   इसलिए अगली बार जब हम परमेश्वर की भलाई के पात्र होने का अनुभव करें तो साथ ही उसे सार्वजनिक रूप में धन्यवाद करना ना भूलें। उसकी भलाईयों का उपभोग बिना उसे उन भलाईयों के योग्य धन्यवाद दिए या आभार प्रकट किए हुए करते रहना, परमेश्वर का अनादर है और हमारे जीवनों में उसकी भलाई के उद्देश्य को नकारता है। - जो स्टोवैल


परमेश्वर भला है - सुनिश्चित करें कि आप के आस-पास के लोग आपके जीवन से इस बात को अवश्य जानें।

परमेश्वर हम पर अनुग्रह करे और हम को आशीष दे; वह हम पर अपने मुख का प्रकाश चमकाए - भजन 67:1

बाइबल पाठ: भजन 67
Psalms 67:1 परमेश्वर हम पर अनुग्रह करे और हम को आशीष दे; वह हम पर अपने मुख का प्रकाश चमकाए
Psalms 67:2 जिस से तेरी गति पृथ्वी पर, और तेरा किया हुआ उद्धार सारी जातियों में जाना जाए।
Psalms 67:3 हे परमेश्वर, देश देश के लोग तेरा धन्यवाद करें; देश देश के सब लोग तेरा धन्यवाद करें।
Psalms 67:4 राज्य राज्य के लोग आनन्द करें, और जयजयकार करें, क्योंकि तू देश देश के लोंगों का न्याय धर्म से करेगा, और पृथ्वी के राज्य राज्य के लोगों की अगुवाई करेगा।
Psalms 67:5 हे परमेश्वर, देश देश के लोग तेरा धन्यवाद करें; देश देश के सब लोग तेरा धन्यवाद करें।
Psalms 67:6 भूमि ने अपनी उपज दी है, परमेश्वर जो हमारा परमेश्वर है, उसने हमें आशीष दी है।
Psalms 67:7 परमेश्वर हम को आशीष देगा; और पृथ्वी के दूर दूर देशों के सब लोग उसका भय मानेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 3-5 
  • लूका 14:25-35

बुधवार, 17 अप्रैल 2013

धन की चिन्ता


   परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखी प्रभु यीशु की शिक्षाओं में, विषयानुसार, सबसे अधिक शिक्षाएं धन-संपत्ति से संबंधित हैं। जितना प्रभु यीशु ने धन-संपत्ति के बारे में सिखाया उतना किसी अन्य विषय के बारे में नहीं सिखाया। लूका 12 धन के विषय में उनकी शिक्षाओं का एक अच्छा सारांश है। उन्होंने धन की निन्दा नहीं करी लेकिन अपने भविष्य और आवश्यकताओं के लिए धन-संपत्ति पर भरोसा करने के विषय में चेतावनी अवश्य दी क्योंकि धन-संपत्ति जीवन की समस्याओं का हल नहीं कर सकते।

   प्रभु यीशु ने धन-संपत्ति के विषय में बहुत सी बातें कहीं, लेकिन एक प्रश्न पर उन्होंने ध्यान केंद्रित रखा, "धन-संपत्ति का तुम्हारे जीवन में क्या प्रयोजन हैं?" धन-संपत्ति किसी के भी जीवन को नियंत्रित कर सकते हैं और उनका ध्यान परमेश्वर से हटा सकते हैं। इसके विपरीत प्रभु चाहते हैं कि हम स्वर्ग में अपना धन एकत्रित करें क्योंकि वह धन ना केवल इस जीवन में वरन आते जीवन में भी हमारे काम आएगा।

   प्रभु यीशु, धन-संपत्ति अर्जित करते रहने की लालसा में पड़े रहने, इसे ही अपने जीवन का ध्येय बनाने और धन-संपत्ति की अनिश्चित सामर्थ पर भरोसे के नियंत्रण से बचाए रखने को कहते हैं चाहे इसके लिए हमें अपना सब कुछ छोड़ना ही क्यों ना पड़े। हमारा भरोसा नाश्मान धन पर नहीं वरन अविनाशी परमेश्वर पर होना चाहिए क्योंकि हमारे जीवन की आवश्यकताएं पूरी करने में परमेश्वर सक्षम है, और परमेश्वर जो देता है उससे बेहतर संसार की कोई सामर्थ, कोई धन नहीं दे सकता। उदहरणस्वरूप प्रभु ने संसार के सबसे धनी राजा सुलेमान का उदाहरण दिया और कहा कि राजा सुलेमान अपने सारे वैभव में भी मैदानों में उगने वाला एक जंगली फूल, जो आज है और कल जाता रहता है, के समान सुन्दर नहीं हो सका। इसलिए अपने खाने-पीने, रहने, पहनने-ओढ़ने की चिंता मत करो (लूका 12:27-29) वरन परमेश्वर के राज्य और उसकी धर्मिकता की खोज में रहो तो जीवन की सब आवश्यकताएं भी परमेश्वर की ओर से स्वतः ही पूरी कर दी जाएंगी (लूका 12:31)।

   सच है; नाशमान और क्षणिक धन-संपत्ति पर भरोसा रखने की बजाए अविनाशी और अनन्त परमेश्वर पर, जो सारी सृष्टि के देखभाल और संचालन करता है, भरोसा रखना अधिक युक्ति संगत तथा लाभकारी है। - फिलिप यैन्सी


हमारे धन-संपत्ति का सही माप स्वर्ग में जो हमने अर्जित किया है वही है।

हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे। - लूका 12:32 

बाइबल पाठ: लूका 12:22-31
Luke 12:22 फिर उसने अपने चेलों से कहा; इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्‍ता न करो, कि हम क्या खाएंगे; न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे।
Luke 12:23 क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्‍त्र से शरीर बढ़कर है।
Luke 12:24 कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उन के भण्‍डार और न खत्ता होता है; तौभी परमेश्वर उन्हें पालता है; तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है।
Luke 12:25 तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्‍ता करने से अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
Luke 12:26 इसलिये यदि तुम सब से छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्‍ता करते हो?
Luke 12:27 सोसनों के पौधों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्रम करते, न कातते हैं: तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में, उन में से किसी एक के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
Luke 12:28 इसलिये यदि परमेश्वर मैदान की घास को जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा पहिनाता है; तो हे अल्प विश्वासियों, वह तुम्हें क्यों न पहिनाएगा?
Luke 12:29 और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएंगे और क्या पीएंगे, और न सन्‍देह करो।
Luke 12:30 क्योंकि संसार की जातियां इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहती हैं: और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्‍तुओं की आवश्यकता है।
Luke 12:31 परन्तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्‍तुऐं भी तुम्हें मिल जाएंगी।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 1-2 
  • लूका 14:1-24

मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

पीड़ा और प्राप्ति


   एक फुटबॉल टीम के खिलाड़ीयों का मनोबल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षकों ने प्रोत्साहित करने वाला एक वाक्य लिखी हुई टी-शर्ट्स पहन कर रखीं; वह वाक्य था: "तुम्हें प्रतिदिन चुनाव करना होगा -  आज के अनुशासन का कष्ट अथवा बाद में खेद की पीड़ा।" अनुशासन कठोर होता है, और अकसर हम उससे बचने के प्रयास करते हैं। लेकिन जीवन हो या खेल-कूद, कुछ पाने के लिए आज अनुशासन का थोड़ा सा कष्ट कल की बड़ी उपल्बधि का कारण होता है। यदि कष्ट उठाने को तैयार नहीं हैं तो कुछ प्राप्त करना भी असंभव होगा। युद्ध के मैदान में तैयारी और प्रशिक्षण का समय नहीं होता, यह तैयारी तो पहले से ही कर के रखनी होती है और अनुशासित जीवन ही चुनौतियों का सामना करने और उन पर विजयी होने में सक्षम होते हैं। या तो आप जीवन की चुनौतियों के लिए अपने आप को तैयार करे रखते हैं या फिर आपका जीवन "यदि केवल", "अगर", "काश कि मैंने" जैसे शब्दों तथा हार और खेद की पीड़ा से भरा होगा।

   किसी ने खेद की परिभाषा में कहा है कि "यह करे गए पिछले कार्यों और व्यवहार के प्रति सूझबूझपूर्ण एवं भावनात्मक नापसन्दगी है।" पीछे मुड़कर अपने गलत निर्णयों और कार्यों को देखना और उनके कारण मिली हार तथा निराशा के बोझ को उठाए रहना पीड़ादायक ही नहीं शिक्षाप्रद भी होता है। एक मसीही विश्वासी को उसका परमेश्वर पिता कभी नहीं छोड़ता; उस पीड़ा की अग्नि से परमेश्वर अपने विश्वासी जन के अन्दर की व्यर्थ बातों को भस्म करता है और उसे निर्मल करता है। यही स्थिति भजनकार की भी थी। अपने पाप और उसके कारण मिले पीड़ादायक अनुभवों के आधार पर उसने लिखा: "दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करुणा से घिरा रहेगा" (भजन 32:10)। ना केवल भजनकार ने अपनी गलती को पहचाना वरन उस पीड़ा में भी उसने परमेश्वर की उपस्थिति और सहायता को अनुभव किया।

   हर परिस्थिति में परमेश्वर पर भरोसा और समर्पण; उसके सामने अपने पापों का इनकार नहीं वरन अंगीकर और क्षमा याचना एक ऐसा जीवन प्रदान करते हैं जो खेद की पीड़ा से नहीं लेकिन परमेश्वर की आशीष से भरा होता है। यही हमारा प्रतिदिन का चुनाव है मसीही जीवन के अनुशासन का कष्ट या फिर खेद की पीड़ा। - बिल क्राउडर


वर्तमान के चुनाव भविष्य की आशीषें निर्धारित करते हैं।

जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया। - भजन 32:5 

बाइबल पाठ: भजन 32
Psalms 32:1 क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ाँपा गया हो।
Psalms 32:2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
Psalms 32:3 जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गईं।
Psalms 32:4 क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई।
Psalms 32:5 जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
Psalms 32:6 इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी।
Psalms 32:7 तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा।
Psalms 32:8 मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपा दृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा।
Psalms 32:9 तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के।
Psalms 32:10 दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करुणा से घिरा रहेगा।
Psalms 32:11 हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो!

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 30-31 
  • लूका 13:23-35

सोमवार, 15 अप्रैल 2013

अनिश्चितता में निश्चय


   अप्रैल 2010 की घटना है, आईसलैंड में फटने वाले एक ज्वालामुखी से राख के बादल आकाश में छा गए और परिणामस्वरूप यूरोप तथा इंगलैंड के वायु अड्डे 5 दिन तक बन्द रहे। इसके कारण लगभग 100,000 उडानें रद्द हो गईं और लाखों वायु यात्री अपनी यात्रा से वंचित हो गए। बहुत से लोगों के अनेक आवश्यक कार्य अवरुद्ध हो गए, संसार भर में व्यापार में बहुत घाटा हुआ और सब अनिश्चितता से भर गए क्योंकि कोई नहीं जानता था कि घटना क्रम कब सामान्य होगा।

   जब हमारी योजनाएं बिखर जाएं, कोई उपाए सूझ ना पड़े तो उस कुंठा और निराशा का सामना हम कैसे करते हैं? परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह 26:3-4 जीवन के हर तूफान में हमें स्थिर बांधे रखने वाला लंगर है: "जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए हैं, उसकी तू पूर्ण शान्ति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है। यहोवा पर सदा भरोसा रख, क्योंकि प्रभु यहोवा सनातन चट्टान है" (यशायाह 26:3-4)। परमेश्वर की इस अटल प्रतिज्ञा को स्मरण रखना और हर रात सोने से पहले दोहराना हमें सदा ही हिम्मत देता रहेगा और हर परिस्थिति का सामना करने की सामर्थ देगा।

   प्रत्येक मसीही विश्वासी को यह आश्वासन है कि चाहे हम झुंझला देने वाले असुविधा का सामना करें या हृदयविदारक हानि का, चाहे हमारी सभी योजनाएं बिखर जाएं और समस्या हमारी समझ और सामर्थ से परे हो, लेकिन हमारा परमेश्वर पिता सदा हमारे साथ है, उसका प्रेम, शांति और सुरक्षा सदा ही हमारे जीवन में बने रहते है। वह हमारे लिए हर बात से अन्ततः भलाई ही उत्पन्न करता है (रोमियों 8:28) और हमारी सामर्थ से बाहर किसी परीक्षा में हमें नहीं पड़ने देता (1 कुरिन्थियों 10:13)।

   जीवन की हर अनिश्चितता में हर मसीही विश्वासी के साथ परमेश्वर की सदा बनी रहने वाली उपस्थिति हमारी आशीष और सुरक्षा का निश्चय है। - डेविड मैक्कैसलैंड


जब हम अपनी समस्याएं परमेश्वर के हाथों में सौंप देते हैं तो वह अपनी शांति हमारे हृदय में भर देता है।

जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए हैं, उसकी तू पूर्ण शान्ति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है। - यशायाह 26:3

बाइबल पाठ: यशायाह 26:1-9
Isaiah 26:1 उस समय यहूदा देश में यह गीत गाया जाएगा, हमारा एक दृढ़ नगर है; उद्धार का काम देने के लिये वह उसकी शहरपनाह और गढ़ को नियुक्त करता है।
Isaiah 26:2 फाटकों को खोलो कि सच्चाई का पालन करने वाली एक धर्मी जाति प्रवेश करे।
Isaiah 26:3 जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए हैं, उसकी तू पूर्ण शान्ति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है।
Isaiah 26:4 यहोवा पर सदा भरोसा रख, क्योंकि प्रभु यहोवा सनातन चट्टान है।
Isaiah 26:5 वह ऊंचे पद वाले को झुका देता, जो नगर ऊंचे पर बसा है उसको वह नीचे कर देता। वह उसको भूमि पर गिराकर मिट्टी में मिला देता है।
Isaiah 26:6 वह पांवों से, वरन दरिद्रों के पैरों से रौंदा जाएगा।
Isaiah 26:7 धर्मी का मार्ग सच्चाई है; तू जो स्वयं सच्चाई है, तू धर्मी की अगुवाई करता है।
Isaiah 26:8 हे यहोवा, तेरे न्याय के मार्ग में हम लोग तेरी बाट जोहते आए हैं; तेरे नाम के स्मरण की हमारे प्राणों में लालसा बनी रहती है।
Isaiah 26:9 रात के समय मैं जी से तेरी लालसा करता हूं, मेरा सम्पूर्ण मन यत्न के साथ तुझे ढूंढ़ता है। क्योंकि जब तेरे न्याय के काम पृथ्वी पर प्रगट होते हैं, तब जगत के रहने वाले धर्म की सीखते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 27-29 
  • लूका 13:1-22