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गुरुवार, 7 जनवरी 2016

शब्द



   नवंबर 19, 1863 को दो सुप्रसिद्ध लोगों ने पेन्सिल्वेनिया के गेट्सिबर्ग में स्थित राष्ट्रीय सैनिक कब्रिस्तान के समर्पण समारोह में भाषण दिया। प्रधान वक्ता थे एड्वर्ड एवरेट जो सांसद, राज्यपाल और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष रह चुके थे। वे अपने समय के सबसे अच्छे वक्ता माने जाते थे और उन्होंने अपने औपचारिक संबोधन के लिए 2 घण्टे का समय लिया। उनके बाद राष्ट्रपति एब्राहम लिंकन संबोधन के लिए खड़े हुए और उनका भाषण 2 मिनिट ही का था।

   लिंकन का वह भाषण, जो गेट्सिबर्ग भाषण के नाम से विख्यात है, आज भी व्यापक रीति से जाना जाता है और उद्धत किया जाता है, जबकि एवरेट का भाषण लगभग भुला दिया गया है। इसका कारण केवल लिंकन की वाकपटुता एवं संक्षिप्त रहना ही नहीं है। उस दिन के उन के शब्दों ने गृह युद्ध से आहत राष्ट्र के हृदय को छू लिया, और लोगों में आते दिनों के लिए आशा की एक किरण जागृत करी।

   अर्थपूर्ण होने के लिए शब्दों को अधिक होने की आवश्यकता नहीं है। उदाहरण के लिए, परमेश्वर के वचन बाइबल में हम प्रभु यीशु द्वारा चेलों को सिखाई गई प्रार्थना को ही लें (मत्ती 6:9-13); यह प्रार्थना प्रभु य़ीशु की सबसे संक्षिप्त किंतु सबसे यादगार शिक्षाओं में से एक है। इस प्रार्थना के शब्दों से लोगों को सहायता और सामर्थ मिलती है क्योंकि यह हमें स्मरण दिलाती है कि परमेश्वर हमारा पिता है जिसकी सामर्थ जैसे स्वर्ग में वैसे ही पृथ्वी पर भी कार्यकारी है। वह हमें प्रतिदिन भोजन, क्षमा और साहस प्रदान करता है, और सारा आदर तथा महिमा सदैव उसी के हैं।

   हमारे भूत, वर्तमान और भविष्य में ऐसा कुछ नहीं है जो सहायता और सामर्थ देने वाले प्रभु यीशु की इन संक्षिप्त शब्दों की प्रार्थना में सम्मिलित ना हों। - डेविड मैक्कैसलैंड


विनम्र शब्द सुनने वालों आराम, तसल्ली और हौंसला देते हैं। - ब्लेज़ पास्कल

क्योंकि जो महान और उत्तम और सदैव स्थिर रहता, और जिसका नाम पवित्र है, वह यों कहता है, मैं ऊंचे पर और पवित्र स्थान में निवास करता हूं, और उसके संग भी रहता हूं, जो खेदित और नम्र हैं, कि, नम्र लोगों के हृदय और खेदित लोगों के मन को हषिर्त करूं। - यशायाह 57:15

बाइबल पाठ: मत्ती 6:5-15
Matthew 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 
Matthew 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। 
Matthew 6:7 प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाईं बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी। 
Matthew 6:8 सो तुम उन की नाईं न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यक्ता है। 
Matthew 6:9 सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो; “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। 
Matthew 6:10 तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो। 
Matthew 6:11 हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे। 
Matthew 6:12 और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर। 
Matthew 6:13 और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं।” आमीन। 
Matthew 6:14 इसलिये यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा। 
Matthew 6:15 और यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 18-19
  • मत्ती 6:1-18


बुधवार, 6 जनवरी 2016

दर्शक, पाठक, श्रोता


   शरद ऋतु की एक रात, संगीतज्ञ योहान सेबस्टियन बॉक अपनी एक नई रचना चर्च में प्रस्तुत करने जा रहे थे। वे चर्च इस आशा के साथ पहुँचे कि चर्च श्रोताओं से भरा हुआ होगा; लेकिन वहाँ उन्हें मालुम पड़ा कि चर्च खाली था, कोई भी उस कार्यक्रम के लिए नहीं आया था। बिना किसी हिचकिचाहट के बॉक ने अपने साथी संगीतवादकों से कहा कि जैसा निर्धारित था वे वैसे ही संगीत प्रस्तुत करेंगे। सब ने अपने अपने स्थान लिए और बॉक संचालक के मंच पर आए, और शीघ्र ही चर्च शानदार संगीत से भर गया।

   इस घटना को जानने के बाद मैंने कुछ आत्मविष्लेषण किया - क्या मैं लिखती यदि परमेश्वर अकेला ही मेरा पाठक होता? यदि ऐसा होता तो क्या में मेरी रचना में कोई फर्क होता?

   नए लेखकों को अकसर सलाह दी जाती है कि वे अपने विचार केंद्रित करने के लिए किसी एक व्यक्ति को ध्यान में रख कर लिखें। मैं अपने इन सन्देशों को लिखते समय यही करती हूँ, मैं अपने पाठकों को ध्यान में रखती हूँ, कि वे अपने आत्मिक जीवन में आगे बढ़ने के लिए क्या पढ़ना चाहेंगे?

   लेकिन आत्मिक सन्देशों के लेखक भजनकार दाऊद, परमेश्वर के वचन बाइबल में जिसके लिखे भजनों के संकलन की ओर हम बारंबार तसल्ली और प्रोत्साहन के लिए मुड़ते हैं, किन पाठकों को ध्यान में रखकर लिखता था? उसकी सभी रचनाएं केवल एक ही दर्शक, एक ही पाठक, एक ही श्रोता को ध्यान में रखकर, केवल उसी के लिए रची गई थीं - परमेश्वर!

   आज के बाइबल पाठ में उल्लेखित हमारे "कार्य", चाहे वे कलात्मक कृतियाँ हों अथवा सेवा के कार्य हों, हम यह ना भूलें कि वे सभी केवल हमारे और परमेश्वर के बीच ही हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई अन्य उन्हें जानता, देखता, पढ़ता, सुनता है या नहीं। बस यही ध्यान रहे कि परमेश्वर ही हमारा दर्शक, पाठक, श्रोता है; सब उसी के लिए है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


एक ही दर्शक है, उसी की सेवा के लिए करें।

उसने उन से कहा; तुम तो मनुष्यों के साम्हने अपने आप को धर्मी ठहराते हो: परन्तु परमेश्वर तुम्हारे मन को जानता है, क्योंकि जो वस्तु मनुष्यों की दृष्टि में महान है, वह परमेश्वर के निकट घृणित है। - लूका 16:15

बाइबल पाठ: मत्ती 6:1-7
Matthew 6:1 सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे। 
Matthew 6:2 इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके। 
Matthew 6:3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए। 
Matthew 6:4 ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matthew 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 
Matthew 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। 
Matthew 6:7 प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाईं बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 16-17
  • मत्ती 5:27-48


मंगलवार, 5 जनवरी 2016

रिश्ता


   मेरी पत्नि मारलीन और मैं 35 वर्ष से अधिक समय से विवाहित हैं। विवाह से पहले जब हमारी बात-चीत और मित्रता चल रही थी तो उसने अपने बारे में एक बात मुझे बताई, जिसे मैं आज तक नहीं भूला हूँ। मारलीन ने बताया कि जब वह 6 माह की थी तो उसे गोद लिया गया था। जब मैंने उससे पूछा कि क्या उसे अपने वास्तविक माता-पिता के बारे में जानने की उत्सुकता कभी हुई, तो उसने उत्तर दिया, "मेरे माता-पिता ने मुझे चुना; उस दिन उनके सामने कई और बच्चे थे, परन्तु उन्होंने मुझे चुना, मुझे अपना नाम दिया, मेरी परवरिश करी। अब वही मेरे वास्तविक माता-पिता हैं।"

   अपने दत्तक अभिभावकों के प्रति जो एक सशक्त लगाव और कृतज्ञता का भाव मारलीन का है, वही हम मसीही विश्वासियों का अपने परमेश्वर पिता के प्रति भी होना चाहिए। मसीह यीशु के अनुयायी होने के कारण हम उस पर लाए गए विश्वास द्वारा परमेश्वर से नया जन्म पाकर परमेश्वर के परिवार का भाग हो गए हैं। प्रेरित पौलुस ने लिखा, "जैसा उसने हमें जगत की उत्‍पति से पहिले उस में चुन लिया, कि हम उसके निकट प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों। और अपनी इच्छा की सुमति के अनुसार हमें अपने लिये पहिले से ठहराया, कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों" (इफिसीयों 1:4-5)।

   पौलुस द्वारा बताए गए इस आदान-प्रदान के बारे में विचार करें। हमें परमेश्वर ने चुना, गोद लिया और अपने पुत्र और पुत्री बनाया। इस गोद लिए जाने के कारण परमेश्वर से हमारा एक बिलकुल नया रिश्ता बन गया है; अब वह हमारा प्रेमी पिता है!

   परमेश्वर से हमारा यह विशेष रिश्ता हमें अपने प्रेमी पिता की आराधना और उपासना सच्चे दिल से निकले धन्यवाद और कृतज्ञता के साथ करते रहने, और उसकी आज्ञाकारिता में बने रहने को उभारता रहे और हम यह करते रहें। - बिल क्राउडर 


परमेश्वर हम में से प्रत्येक से ऐसा प्रेम करता है मानो हम एकलौते ही हैं। - ऑगस्टीन

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: इफिसीयों 1:3-12
Ephesians 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो, कि उसने हमें मसीह में स्‍वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आशीष दी है। 
Ephesians 1:4 जैसा उसने हमें जगत की उत्‍पति से पहिले उस में चुन लिया, कि हम उसके निकट प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों। 
Ephesians 1:5 और अपनी इच्छा की सुमति के अनुसार हमें अपने लिये पहिले से ठहराया, कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों, 
Ephesians 1:6 कि उसके उस अनुग्रह की महिमा की स्‍तुति हो, जिसे उसने हमें उस प्यारे में सेंत मेंत दिया। 
Ephesians 1:7 हम को उस में उसके लोहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात अपराधों की क्षमा, उसके उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला है। 
Ephesians 1:8 जिसे उसने सारे ज्ञान और समझ सहित हम पर बहुतायत से किया। 
Ephesians 1:9 कि उसने अपनी इच्छा का भेद उस सुमति के अनुसार हमें बताया जिसे उसने अपने आप में ठान लिया था। 
Ephesians 1:10 कि समयों के पूरे होने का ऐसा प्रबन्‍ध हो कि जो कुछ स्वर्ग में है, और जो कुछ पृथ्वी पर है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे। 
Ephesians 1:11 उसी में जिस में हम भी उसी की मनसा से जो अपनी इच्छा के मत के अनुसार सब कुछ करता है, पहिले से ठहराए जा कर मीरास बने। 
Ephesians 1:12 कि हम जिन्हों ने पहिले से मसीह पर आशा रखी थी, उस की महिमा की स्‍तुति के कारण हों।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 13-15
  • मत्ती 5:1-26


सोमवार, 4 जनवरी 2016

यात्रा


   आज ही के दिन, 80 वर्ष से कुछ अधिक समय पूर्व एक 9 वर्षीय बालक, क्लेयर ने प्रभु यीशु से प्रार्थना करी कि वे उसके जीवन के उद्धारकर्ता हों। उस बालक की माँ ने अपने परिवार की स्मृति पुस्तक में उस दिन लिखा: "आज क्लेयर ने आरंभ किया है।"

   क्लेयर, जो मेरे पिता हैं, अपने प्रभु यीशु मसीह के पीछे चल पड़ने का निर्णय लेने वाले उस दिन को अपनी यात्रा के आरंभ का दिन कहते हैं। आत्मिक बढ़ोतरी एक बार होने वाली घटना नहीं वरन जीवन पर्यन्त चलती रहने वाली प्रक्रिया है। तो एक नया मसीही विश्वासी अपने विश्वास में दृढ़ और आत्मिक जीवन में बढ़ोतरी कैसे करता है? ऐसा करने के संबंध में कुछ बातें हैं जो मैंने अपने पिता के जीवन से सीखीं हैं, वर्षों से जिन्हें मैंने उन्हें करते हुए देखा है। ये बाते हैं:
  • प्रतिदिन परमेश्वर के वचन बाइबल को पढ़ने से, और साथ ही दैनिक प्रार्थना समय को जीवन का अभिन्न अंग बनाने से हम परमेश्वर और उसकी योजनाओं को अधिकाई से जानते समझते रहते हैं (1 इतिहास 16:11; 1 थिस्सुलुनिकीयों 5:17)
  • बाइबल अध्ययन और प्रार्थना में बिताए समय द्वारा हम ना केवल परमेश्वर की निकटता में बढ़ते हैं वरन प्रलोभनों पर भी जयवन्त होते हैं (भजन 119:11; मत्ती 26:41; इफिसीयों 6:11; 2 तिमुथियुस 3:16-17; 1 पतरस 2:2)
  • प्रभु यीशु पर विश्वास लाने, उसे अपना जीवन को समर्पित करने, और प्रभु की आज्ञाकारिता में चलने का निर्णय लेने के समय से ही पवित्र आत्मा हम में आत्मा के फल विकसित करना आरंभ कर देता है (गलतियों 5:22-23)
  • परमेश्वर के प्रति हमारा प्रेम उसके वचन के प्रति हमारे प्रेम और उस वचन की आज्ञाकारिता से प्रगट होता है (यूहन्ना 14:21, 23)

   हमारी आत्मिक जीवन यात्रा एक प्रक्रिया है। यह हमारा कैसा अद्भुत सौभाग्य है कि हम परमेश्वर के साथ सम्बंध में आ जाते हैं जिसमें "हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ..." (2 पतरस 3:18)। - सिंडी हैस कैस्पर


उद्धार पाना क्षण भर की घटना है; मसीही जीवन सारी उम्र का परिश्रम है।

सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। - 2 कुरिन्थियों 5:17

बाइबल पाठ: 2 पतरस 1:5-11
2 Peter 1:5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्‍न कर के, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ। 
2 Peter 1:6 और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति। 
2 Peter 1:7 और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ। 
2 Peter 1:8 क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी। 
2 Peter 1:9 और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्‍धा है, और धुन्‍धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुल कर शुद्ध होने को भूल बैठा है। 
2 Peter 1:10 इस कारण हे भाइयों, अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भांति यत्‍न करते जाओ, क्योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे। 
2 Peter 1:11 वरन इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।

एक साल में बाइबल: 

  • उत्पत्ति 27-28
  • मत्ती 8:18-34


रविवार, 3 जनवरी 2016

सहायक


   नए साल के आरंभ के समय हम में से अनेक लोग अपने आप से कुछ वायदे करते हैं, कुछ कर लेने के निर्णय करते हैं, जैसे कि: मैं अधिक बचत करूँगा; मैं नियमित व्यायाम करूँगा; मैं इंटरनैट पर कम समय व्यतीत करूँगा, आदि। हम वर्ष का आरंभ तो अच्छे इरादों के साथ करते हैं, लेकिन थोड़े समय बाद ही हमारी पुरानी आदतें हमें हमारी पुरानी बातों को दोहराने के लिए लुभाने लगती हैं। फिर हम कहीं-कहीं, कभी-कभी चूकने लगते हैं, कुछ और समय पश्चात यह चूकना बारंबार होने लगता है, निर्णय निभाने में चूक हो जाने की पुनःआवृति बढ़ने लगती है और अन्ततः चूक ही होती रह जाती है और वही स्थिति हो जाती है मानो कोई निर्णय कभी था ही नहीं।

   स्वयं-सुधार के अपने लक्ष्य चुनने और निर्णय लेने की बजाए, बेहतर तरीका यह होगा कि हम अपने आप से पूछें कि प्रभु परमेश्वर हम से क्या चाहता है? परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वकता, मीका के द्वारा अपनी प्रजा इस्त्राएल से कहा: "हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले?" (मीका 6:8)। परमेश्वर द्वारा कही गई बात के सभी निर्देश हमारे शरीर के सुधार की बजाए हमारी आत्मा के सुधार से संबंधित हैं।

   धन्यवाद की बात यह है कि ऐसा कर पाने के लिए हमें अपनी किसी सामर्थ पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है; परमेश्वर का पवित्र आत्मा प्रत्येक मसीही विश्वासी के साथ रहता है कि उसकी आत्मिक उन्नत्ति में उसका सहायक रहे। इस संबंध में, इफिसीयों के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में, पौलुस प्रेरित कहता है: "कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्‍व में सामर्थ पाकर बलवन्‍त होते जाओ" (इफिसियों 3:16)।

   इसलिए इस नव वर्ष के आरंभ में हमारे प्रभु यीशु मसीह की समानता में और भी अधिक ढलते जाने का निर्णय लें, और परमेश्वर की पवित्र आत्मा की सहायता, मार्गदर्शन और आज्ञाकारिता में होकर ऐसा हो पाने के प्रयासरत रहें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


संसाधन के रूप में जिसके पास पवित्र आत्मा है, वह विजेता हो गया है।

परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा। - यूहन्ना 16:13

बाइबल पाठ: मीका 6:3-8
Micah 6:3 हे मेरी प्रजा, मैं ने तेरा क्या किया, और क्या कर के मैं ने तुझे उकता दिया है? 
Micah 6:4 मेरे विरुद्ध साक्षी दे! मैं तो तुझे मिस्र देश से निकाल ले आया, और दासत्व के घर में से तुझे छुड़ा लाया; और तेरी अगुवाई करने को मूसा, हारून और मरियम को भेज दिया। 
Micah 6:5 हे मेरी प्रजा, स्मरण कर, कि मोआब के राजा बालाक ने तेरे विरुद्ध कौन सी युक्ति की? और बोर के पुत्र बिलाम ने उसको क्या सम्मत्ति दी? और शित्तिम से गिल्गाल तक की बातों का स्मरण कर, जिस से तू यहोवा के धर्म के काम समझ सके। 
Micah 6:6 मैं क्या ले कर यहोवा के सम्मुख आऊं, और ऊपर रहने वाले परमेश्वर के साम्हने झुकूं? क्या मैं होमबलि के लिये एक एक वर्ष के बछड़े ले कर उसके सम्मुख आऊं? 
Micah 6:7 क्या यहोवा हजारों मेढ़ों से, वा तेल की लाखों नदियों से प्रसन्न होगा? क्या मैं अपने अपराध के प्रायश्चित्त में अपने पहिलौठे को वा अपने पाप के बदले में अपने जन्माए हुए किसी को दूं? 
Micah 6:8 हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले?

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 7-9
  • मत्ती 3


शनिवार, 2 जनवरी 2016

पोषण


   हाल ही में जब मैं ज़ुकाम से अत्याधिक ग्रसित था, तो मेरी भूख भी जाती रही। मैं सारा दिन कुछ विशेष मात्रा में भोजन किए बिना, केवल पानी पीकर ही रह लेता था। लेकिन मुझे अपनी भूख को वापस लाना अनिवार्य था क्योंकि मेरे शरीर को पोषण की आवश्यकता थी जो पानी से नहीं मिल सकता था और जिस पोषण के बिना मैं दुर्बल होने को था।

   जब इस्त्राएल के लोग बाबुल की बन्धुआई से लौट कर आए तो उनकी आत्मिक भूख-प्यास बहुत हलकी हो चुकी थी। वे परमेश्वर और उसके मार्गों से दूर जा चुके थे। उन लोगों के आत्मिक स्वास्थ्य को बहाल करने के लिए नहेम्याह ने परमेश्वर के वचन के पढ़े और सिखाए जाने का आयोजन किया जिसमें एज़्रा परमेश्वर के वचन का शिक्षक था।

   एज़्रा ने, सुबह से लेकर दोपहर तक मूसा की व्यवस्था को पढ़कर सुनाया और लोगों तक परमेश्वर के वचन की सच्चाईयों को पहुँचाया (नहेम्याह 8:3) और लोग ध्यान देकर सुनते थे। इससे परमेश्वर के वचन के लिए उनकी आत्मिक भूख जागृत हुई और परिवारों के अगुवों, याजकों (पुरोहितों) तथा लेवियों (मन्दिर के सेवादारों) ने एज़्रा से आग्रह किया कि उनको व्यवस्था और अधिक विस्तार से सिखाई-समझाई जाए (पद 13)।

   हम जब भी अपने आप को परमेश्वर से दूर और आत्मिक रीति से कमज़ोर अनुभव करें, हम अपने आत्मिक पोषण के लिए परमेश्वर के वचन रूपी निर्मल आत्मिक दूध को पाने के लिए उसके पास जा सकते हैं (1 पतरस 2:2)। परमेश्वर से माँगें कि वह आपके अन्दर उसके साथ संबंध बनाने और उन्हें प्रगाढ़ करने के लिए इच्छा जागृत करे या पुनःजागृत करे, और फिर अपने मन, मस्तिष्क तथा आत्मा को उसके वचन से भरना, उससे आत्मिक पोषण लेना आरंभ कर दें। - पोह फैंग चिया


परमेश्वर के वचन को खाते रहने से हम परमेश्वर में सामर्थी और स्वस्थ बने रहते हैं।

नये जन्मे हुए बच्‍चों की नाईं निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिये बढ़ते जाओ। - 1 पतरस 2:2 

बाइबल पाठ: नहेम्याह 8:1-12
Nehemiah 8:1 जब सातवां महीना निकट आया, उस समय सब इस्राएली अपने अपने नगर में थे। तब उन सब लोगों ने एक मन हो कर, जलफाटक के साम्हने के चौक में इकट्ठे हो कर, एज्रा शास्त्री से कहा, कि मूसा की जो व्यवस्था यहोवा ने इस्राएल को दी थी, उसकी पुस्तक ले आ। 
Nehemiah 8:2 तब एज्रा याजक सातवें महीने के पहिले दिन को क्या स्त्री, क्या पुरुष, जितने सुनकर समझ सकते थे, उन सभों के साम्हने व्यवस्था को ले आया। 
Nehemiah 8:3 और वह उसकी बातें भोर से दोपहर तक उस चौक के साम्हने जो जलफाटक के साम्हने था, क्या स्त्री, क्या पुरुष और सब समझने वालों को पढ़कर सुनाता रहा; और लोग व्यवस्था की पुस्तक पर कान लगाए रहे। 
Nehemiah 8:4 एज्रा शास्त्री, काठ के एक मचान पर जो इसी काम के लिये बना था, खड़ा हो गया; और उसकी दाहिनी अलंग मत्तित्याह, शेमा, अनायाह, ऊरिय्याह, हिल्किय्याह और मासेयाह; और बाई अलंग, पदायाह, मीशाएल, मल्किय्याह, हाशूम, हश्बद्दाना, जकर्याह और मशुल्लाम खड़े हुए। 
Nehemiah 8:5 तब एज्रा ने जो सब लोगों से ऊंचे पर था, सभों के देखते उस पुस्तक को खोल दिया; और जब उसने उसको खोला, तब सब लोग उठ खड़े हुए। 
Nehemiah 8:6 तब एज्रा ने महान परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा; और सब लोगों ने अपने अपने हाथ उठा कर आमेन, आमेन, कहा; और सिर झुका कर अपना अपना माथा भूमि पर टेक कर यहोवा को दण्डवत किया। 
Nehemiah 8:7 और येशू, बानी, शेरेब्याह, यामीन, अक्कूब, शब्बतै, होदिय्याह, मासेयाह, कलीता, अजर्याह, योजाबाद, हानान और पलायाह नाम लेवीय, लोगों को व्यवस्था समझाते गए, और लोग अपने अपने स्थान पर खड़े रहे। 
Nehemiah 8:8 और उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक से पढ़कर अर्थ समझा दिया; और लोगों ने पाठ को समझ लिया। 
Nehemiah 8:9 तब नहेमायाह जो अधिपति था, और एज्रा जो याजक और शास्त्री था, और जो लेवीय लोगों को समझा रहे थे, उन्होंने सब लोगों से कहा, आज का दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के लिये पवित्र है; इसलिये विलाप न करो और न रोओ। क्योंकि सब लोग व्यवस्था के वचन सुनकर रोते रहे। 
Nehemiah 8:10 फिर उसने उन से कहा, कि जा कर चिकना चिकना भोजन करो और मीठा मीठा रस पियो, और जिनके लिये कुछ तैयार नहीं हुआ उनके पास बैना भेजो; क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिये पवित्र है; और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है। 
Nehemiah 8:11 यों लेवियों ने सब लोगों को यह कहकर चुप करा दिया, कि चुप रहो क्योंकि आज का दिन पवित्र है; और उदास मत रहो। 
Nehemiah 8:12 तब सब लोग खाने, पीने, बैना भेजने और बड़ा आनन्द मनाने को चले गए, क्योंकि जो वचन उन को समझाए गए थे, उन्हें वे समझ गए थे।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 4-6
  • मत्ती 2


शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

धन्यवाद


सभी पाठकों को नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

   अमेरिका के अनेक कैलण्डरों के अनुसार, जनवरी का महीना राष्ट्रीय धन्यवादी महीना होता है। लेकिन यह बात सरलता से संसार के सभी स्थानों के लिए स्थानांतरित करी जा सकती है, इसलिए इसे वैश्विक धन्यवादी महिना भी कह सकते हैं। धन्यवाद और कृतज्ञता के इस उत्सव का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए आईए देखें कि परमेश्वर का वचन बाइबल परमेश्वर को धन्यवाद देने के विषय में क्या कहती है।

   इस विषय को देखना आरंभ करने का एक संभव स्थान है भजन 136, जिसका आरंभ और अन्त दोनों ही "धन्यवाद करो" के साथ होता है (पद 1, 26)। इस भजन में बारंबार हमें परमेश्वर का धन्यवाद करने का एकमात्र और सर्वोपरि कारण स्मरण करवाया गया है - "क्योंकि उसकी करुणा सदा की है"। हम यह पूरा महीना भजन 136 से परमेश्वर के प्रति धन्यवादी और कृतज्ञ होना सीखने में बिता सकते हैं।

   इस भजन में भजनकार हमें परमेश्वर के महान आश्चर्यजनक कार्यों को याद करवाता है (पद 4); हमें परमेश्वर की सृजन शक्ति के बारे में जो उसकी बुद्धिमता का प्रमाण है बताता है (पद 5)। वह परमेश्वर के लोगों को बन्धुआई से छुड़ाए जाकर उनके दासत्व से निकाले जाने को दोहराता है (पद 10-22)। जब इस भजन में दी गई सृष्टि और छुटकारे की बातों पर विचार करते हैं तो इस महीने के हर दिन में धन्यवाद देने के लिए हम कोई ना कोई विषय तो पा ही सकते हैं।

   नए वर्ष का आरंभ परमेश्वर के प्रति धन्यवादी और कृतज्ञ होने पर ध्यान केंद्रित करने से बेहतर और क्या हो सकता है? आईए भजनकार के साथ कहें, "यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है, और उसकी करूणा सदा की है" (भजन 136:1)। - डेव ब्रैनन


जब जो कुछ अच्छा है पर विचार करें तो अच्छाई के रचियता परमेश्वर पिता का धन्यवाद भी करें।

स्वर्ग के परमेश्वर का धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है। - भजन 136:26

बाइबल पाठ: भजन 136:1-16
Psalms 136:1 यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है, और उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:2 जो ईश्वरों का परमेश्वर है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:3 जो प्रभुओं का प्रभु है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:4 उसको छोड़कर कोई बड़े बड़े अशचर्यकर्म नहीं करता, उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:5 उसने अपनी बुद्धि से आकाश बनाया, उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:6 उसने पृथ्वी को जल के ऊपर फैलाया है, उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:7 उसने बड़ी बड़ी ज्योतियों बनाईं, उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:8 दिन पर प्रभुता करने के लिये सूर्य को बनाया, उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:9 और रात पर प्रभुता करने के लिये चन्द्रमा और तारागण को बनाया, उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:10 उसने मिस्त्रियों के पहिलौठों को मारा, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:11 और उनके बीच से इस्राएलियों को निकाला, उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:12 बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से निकाल लाया, उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:13 उसने लाल समुद्र को खण्ड खण्ड कर दिया, उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:14 और इस्राएल को उसके बीच से पार कर दिया, उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:15 और फिरौन को सेना समेत लाल समुद्र में डाल दिया, उसकी करूणा सदा की है। 
Psalms 136:16 वह अपनी प्रजा को जंगल में ले चला, उसकी करूणा सदा की है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 1-3
  • मत्ती 1