नवंबर 19, 1863 को दो सुप्रसिद्ध लोगों ने पेन्सिल्वेनिया के गेट्सिबर्ग में स्थित राष्ट्रीय सैनिक कब्रिस्तान के समर्पण समारोह में भाषण दिया। प्रधान वक्ता थे एड्वर्ड एवरेट जो सांसद, राज्यपाल और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष रह चुके थे। वे अपने समय के सबसे अच्छे वक्ता माने जाते थे और उन्होंने अपने औपचारिक संबोधन के लिए 2 घण्टे का समय लिया। उनके बाद राष्ट्रपति एब्राहम लिंकन संबोधन के लिए खड़े हुए और उनका भाषण 2 मिनिट ही का था।
लिंकन का वह भाषण, जो गेट्सिबर्ग भाषण के नाम से विख्यात है, आज भी व्यापक रीति से जाना जाता है और उद्धत किया जाता है, जबकि एवरेट का भाषण लगभग भुला दिया गया है। इसका कारण केवल लिंकन की वाकपटुता एवं संक्षिप्त रहना ही नहीं है। उस दिन के उन के शब्दों ने गृह युद्ध से आहत राष्ट्र के हृदय को छू लिया, और लोगों में आते दिनों के लिए आशा की एक किरण जागृत करी।
अर्थपूर्ण होने के लिए शब्दों को अधिक होने की आवश्यकता नहीं है। उदाहरण के लिए, परमेश्वर के वचन बाइबल में हम प्रभु यीशु द्वारा चेलों को सिखाई गई प्रार्थना को ही लें (मत्ती 6:9-13); यह प्रार्थना प्रभु य़ीशु की सबसे संक्षिप्त किंतु सबसे यादगार शिक्षाओं में से एक है। इस प्रार्थना के शब्दों से लोगों को सहायता और सामर्थ मिलती है क्योंकि यह हमें स्मरण दिलाती है कि परमेश्वर हमारा पिता है जिसकी सामर्थ जैसे स्वर्ग में वैसे ही पृथ्वी पर भी कार्यकारी है। वह हमें प्रतिदिन भोजन, क्षमा और साहस प्रदान करता है, और सारा आदर तथा महिमा सदैव उसी के हैं।
हमारे भूत, वर्तमान और भविष्य में ऐसा कुछ नहीं है जो सहायता और सामर्थ देने वाले प्रभु यीशु की इन संक्षिप्त शब्दों की प्रार्थना में सम्मिलित ना हों। - डेविड मैक्कैसलैंड
विनम्र शब्द सुनने वालों आराम, तसल्ली और हौंसला देते हैं। - ब्लेज़ पास्कल
क्योंकि जो महान और उत्तम और सदैव स्थिर रहता, और जिसका नाम पवित्र है, वह यों कहता है, मैं ऊंचे पर और पवित्र स्थान में निवास करता हूं, और उसके संग भी रहता हूं, जो खेदित और नम्र हैं, कि, नम्र लोगों के हृदय और खेदित लोगों के मन को हषिर्त करूं। - यशायाह 57:15
बाइबल पाठ: मत्ती 6:5-15
Matthew 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
Matthew 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matthew 6:7 प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाईं बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी।
Matthew 6:8 सो तुम उन की नाईं न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यक्ता है।
Matthew 6:9 सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो; “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए।
Matthew 6:10 तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।
Matthew 6:11 हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे।
Matthew 6:12 और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।
Matthew 6:13 और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं।” आमीन।
Matthew 6:14 इसलिये यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।
Matthew 6:15 और यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति 18-19
- मत्ती 6:1-18
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