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सोमवार, 28 अगस्त 2017

नायक


   हाल ही में प्रकाशित हुई एक पुस्तक अमेरिका के इतिहास के एक छोटे भाग में लाए गए कल्पना के कार्य के बारे में बताती है। इस पुस्तक में पुराने पश्चिमी अमेरिका में बन्दूकों और गोलियों के सहारे जीवन जीने वाले नायकों, व्याट एर्प और डॉक हॉलिडे को वास्तविक जीवन में नाकारा और नासमझ बताया गया है। नैशनल पब्लिक रेडियो को दिए गए एक साक्षात्कार में पुस्तक के लेखक ने वास्तविक एर्प के बारे में कहा, "उसने अपने सारे जीवन भर कुछ भी उल्लेखनीय, कभी भी नहीं किया।" लेकिन अनेकों उपन्यासों और हॉलिवुड की कई फिल्मों में उसे एक नायक के समान प्रस्तुत किया गया है। परन्तु विश्वासयोग्य एतिहासिक वृतांत बताते हैं कि वह नायक कदापि नहीं था।

   इसकी तुलना में, परमेश्वर के वचन बाइबल में ऐसे अनेकों लोगों का वर्णन है जिनके जीवन में कमियाँ और त्रुटियाँ थीं, परन्तु फिर भी वे परमेश्वर की सहायता और मार्ग्दर्शन से वास्तविक नायक बन गए। उनका विश्वास जीवते सच्चे प्रभु परमेश्वर पर था, जो कमज़ोर और त्रुटियुक्त लोगों को लेता है और अपने अद्भुत उद्देश्यों के लिए उन्हें सामर्थी तथा अनुसरणीय नायक बना देता है।

   बाइबल के एक महान नायक मूसा को ही लीजिए। जब हम मूसा के बारे में सोचते हैं तो अकसर हम यह ध्यान नहीं कर पाते हैं कि वह एक हत्यारा था और परमेश्वर द्वारा दी जा रही ज़िम्मेदारी को स्वीकार करने का कतई इच्छुक नहीं था। उसने इस्त्राएलियों के व्यवहार से खिसिया कर परमेश्वर को ताना भी मारा था, "...तू अपने दास से यह बुरा व्यवहार क्यों करता है? और क्या कारण है कि मैं ने तेरी दृष्टि में अनुग्रह नहीं पाया, कि तू ने इन सब लोगों का भार मुझ पर डाला है? क्या ये सब लोग मेरे ही कोख में पड़े थे? क्या मैं ही ने उन को उत्पन्न किया, जो तू मुझ से कहता है, कि जैसे पिता दूध पीते बालक को अपनी गोद में उठाए उठाए फिरता है, वैसे ही मैं इन लोगों को अपनी गोद में उठा कर उस देश में ले जाऊं, जिसके देने की शपथ तू ने उनके पूर्वजों से खाई है?" (गिनती 11:11-12)। साधारण मनुष्यों की सी प्रवृत्ति मूसा में विद्यमान तो थी; परन्तु नए नियम में इब्रानियों नामक पुस्तक हमें उसके विषय स्मरण दिलाती है, "मूसा तो उसके सारे घर में सेवक के समान विश्वास योग्य रहा, कि जिन बातों का वर्णन होने वाला था, उन की गवाही दे" (इब्रानियों 3:5)।

   जो नायक होते हैं, वे अपने जीवनों द्वारा उस सच्चे तथा वास्तव में अनुसरणीय नायक प्रभु यीशु की ओर लोगों को प्रेरित करते हैं जो कभी किसी को निराश नहीं करता है। - टिम गस्टाफसन


किसी ऐसे को ढूँढ़ रहे हैं जो आपको कभी निराश न करे; तो प्रभु यीशु को देखें।

हे भाइयो, अपने बुलाए जाने को तो सोचो, कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान, और न बहुत सामर्थी, और न बहुत कुलीन बुलाए गए। परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे। और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्‍छों को, वरन जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया, कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए। - 1 कुरिन्थियों 1:26-28

बाइबल पाठ: इब्रानियों 3:1-6
Hebrews 3:1 सो हे पवित्र भाइयों तुम जो स्‍वर्गीय बुलाहट में भागी हो, उस प्रेरित और महायाजक यीशु पर जिसे हम अंगीकार करते हैं ध्यान करो। 
Hebrews 3:2 जो अपने नियुक्त करने वाले के लिये विश्वास योग्य था, जैसा मूसा भी उसके सारे घर में था। 
Hebrews 3:3 क्योंकि वह मूसा से इतना बढ़ कर महिमा के योग्य समझा गया है, जितना कि घर का बनाने वाला घर से बढ़ कर आदर रखता है। 
Hebrews 3:4 क्योंकि हर एक घर का कोई न कोई बनाने वाला होता है, पर जिसने सब कुछ बनाया वह परमेश्वर है। 
Hebrews 3:5 मूसा तो उसके सारे घर में सेवक के समान विश्वास योग्य रहा, कि जिन बातों का वर्णन होने वाला था, उन की गवाही दे। 
Hebrews 3: पर मसीह पुत्र के समान उसके घर का अधिकारी है, और उसका घर हम हैं, यदि हम साहस पर, और अपनी आशा के घमण्‍ड पर अन्‍त तक दृढ़ता से स्थिर रहें।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 123-125
  • 1 कुरिन्थियों 10:1-18


रविवार, 27 अगस्त 2017

नित्यक्रम


   ब्रिटिश संग्रहालय में प्रदर्शित एक गेंद-घड़ी को देखकर मुझे नित्यक्रम के हानिकारक परिणामों को समझने में सहायता मिली। वहाँ एक तिर्छी रखी हुई स्टील की थाली में बने खांचों में स्टील से बनी एक छोटी गेंद लुडकती हुई एक छोर से दूसरे छोर तक जाती और दूसरे छोर पर पहुँचकर एक लीवर को दबा देती। इससे वह स्टील की थाली विपरीत दिशा में झुक जाती, घड़ी की सूईंयाँ आगे बढ़ जाती, और गेंद वापस पहले छोअ की ओर लुढ़क कर इसी प्रक्रिया को फिर से कर देती। प्रति वर्ष वह स्टील की गेंद इस प्रकार आगे-पीछे लुड़कने के कारण 2,500 मील का सफर तय करती थी परन्तु पहुँचती कहीं नहीं थी।

   यदि हम अपने जीवनों और कार्यों में कोई उद्देश्य नहीं देख पाते हैं तो हमारे लिए अपनी दिनचर्या में फंसे हुए होना अनुभव करना सरल है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस की लालसा थी कि वह मसीह यीशु के सुसमाचार को व्यापक रीति से फैलाए: "इसलिये मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूं, परन्तु बेठिकाने नहीं, मैं भी इसी रीति से मुक्कों से लड़ता हूं, परन्तु उस के समान नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है" (1 कुरिन्थियों 9:26)। कुछ भी नित्यक्रम बनने से उबा देने वाला बन सकता है, वह चाहे यात्रा, प्रचार, शिक्षा, विशेषकर कैद में होना, इत्यादि कुछ भी हो। परन्तु पौलुस का विश्वास था कि वह हर परिस्थिति में अपने प्रभु परमेश्वर की सेवा कर सकता है।

   जब हम उसमें कोई उद्देश्य नहीं देखने पाते हैं तो नित्यक्रम हानिकारक बन जाता है। परन्तु पौलुस का दर्शन उसकी सीमित कर देने वाली परिस्थितियों से भी परे था, क्योंकि वह मसीही विश्वास की दौड़ में था और जब तक कि दौड़ पूरी न हो वह रुकना नहीं जानता था। पौलुस ने प्रभु यीशु को अपने जीवन की हर बात, हर परिस्थिति में सम्मिलित कर लेने के द्वारा जीवन के नित्यक्रम में उद्देश्य और अर्थ पाया। पौलुस के समान आज हम भी प्रभु यीशु के साथ अपने जीवनों को सार्थक और उद्देश्यपूर्ण बना सकते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रभु यीशु हमारे नित्यक्रम को उसके लिए उपयोगी सेवकाई बना सकते हैं।

यह मतलब नहीं, कि मैं पा चुका हूं, या सिद्ध हो चुका हूं: पर उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ा चला जाता हूं, जिस के लिये मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था। हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ। निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है। - फिलिप्पियों 3:12-14

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 9:19-27
1 Corinthians 9:19 क्योंकि सब से स्‍वतंत्र होने पर भी मैं ने अपने आप को सब का दास बना दिया है; कि अधिक लोगों को खींच लाऊं। 
1 Corinthians 9:20 मैं यहूदियों के लिये यहूदी बना कि यहूदियों को खींच लाऊं, जो लोग व्यवस्था के आधीन हैं उन के लिये मैं व्यवस्था के आधीन न होने पर भी व्यवस्था के आधीन बना, कि उन्हें जो व्यवस्था के आधीन हैं, खींच लाऊं। 
1 Corinthians 9:21 व्यवस्थाहीनों के लिये मैं (जो परमेश्वर की व्यवस्था से हीन नहीं, परन्तु मसीह की व्यवस्था के आधीन हूं) व्यवस्थाहीन सा बना, कि व्यवस्थाहीनों को खींच लाऊं। 
1 Corinthians 9:22 मैं निर्बलों के लिये निर्बल सा बना, कि निर्बलों को खींच लाऊं, मैं सब मनुष्यों के लिये सब कुछ बना हूं, कि किसी न किसी रीति से कई एक का उद्धार कराऊं। 
1 Corinthians 9:23 और मैं सब कुछ सुसमाचार के लिये करता हूं, कि औरों के साथ उसका भागी हो जाऊं। 
1 Corinthians 9:24 क्या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो। 
1 Corinthians 9:25 और हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझाने वाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं, जो मुरझाने का नहीं। 
1 Corinthians 9:26 इसलिये मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूं, परन्तु बेठिकाने नहीं, मैं भी इसी रीति से मुक्कों से लड़ता हूं, परन्तु उस के समान नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है। 
1 Corinthians 9:27 परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं; ऐसा न हो कि औरों को प्रचार कर के, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 120-122
  • 1 कुरिन्थियों 9


शनिवार, 26 अगस्त 2017

शब्द


   नेल्सन मैन्डेला, जिन्होंने दक्षिणी अफ्रीका की रंग-भेद करने वाली शासन व्यवस्था का विरोध किया था, और जिन्हें अपने इस विरोध के कारण लगभग 3 दशक तक कैद में रहना पड़ा था, शब्दों की सामर्थ्य को जानते थे। आज उनके शब्द उध्दत किए जाते हैं, परन्तु जब वे कैद में थे तो शासन के प्रतिघात के भय के कारण उनके शब्द उध्दत नहीं किए जाते थे। अपने मुक्त किए जाने के एक दशक के बाद उन्होंने कहा: "शब्दों को हलके में प्रयोग करना मेरा व्यवहार नहीं है। यदि कैद के 27 वर्षों ने हमारे साथ कुछ किया है तो वह यह कि अकेलेपन की खामोशी से हम शब्दों की बहुमूल्यता को समझें, और यह जानें कि लोगों के जीने और मरने पर वास्तव में शब्दों का कैसा प्रभाव पड़ता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड में नीतिवचन नामक पुस्तक के अधिकांश नीतिवचनों के लेखक राजा सुलेमान ने शब्दों की सामर्थ्य के बारे में लिखा, "जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं" (नीतिवचन 18:21)। शब्दों में सकारात्मक या नकरात्मक परिणाम देने की सामर्थ्य होती है (पद 20)। उनसे मिलने वाले प्रोत्साहन, उनकी ईमानदारी में जीवन देने की सामर्थ्य है, या फिर झूठ और कानाफूसी द्वारा कुचलने और घात करने की सामर्थ्य है। हम कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि हम सकारात्मक परिणाम लाने वाले भले शब्द ही प्रयोग करेंगे? एकमात्र तरीका है कि अपने मन की यत्न के साथ बुराई से रक्षा करें: "सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है" (नीतिवचन 4:23)।

   केवल प्रभु यीशु मसीह ही है जो हमारे जीवन में बुराई के उदगम स्थल हमारे हृदयों को परिवर्तित कर सकता है, जिससे हमारे शब्द वास्तव में भले हों; परिस्थिति के अनुसार ईमानदार, शांत, उचित और उपयोगी हों। - मार्विन विलियम्स


हमारे शब्दों में निर्माण करने या ढा देने की सामर्थ्य है।

फिर उस[यीशु] ने कहा; जो मनुष्य में से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। क्योंकि भीतर से अर्थात मनुष्य के मन से, बुरी बुरी चिन्‍ता, व्यभिचार। चोरी, हत्या, पर स्त्रीगमन, लोभ, दुष्‍टता, छल, लुचपन, कुदृष्‍टि, निन्‍दा, अभिमान, और मूर्खता निकलती हैं। ये सब बुरी बातें भीतर ही से निकलती हैं और मनुष्य को अशुद्ध करती हैं। - मरकुस 7:20-23

बाइबल पाठ: नीतिवचन 18:1-8, 20-21
Proverbs 18:1 जो औरों से अलग हो जाता है, वह अपनी ही इच्छा पूरी करने के लिये ऐसा करता है, 
Proverbs 18:2 और सब प्रकार की खरी बुद्धि से बैर करता है। मूर्ख का मन समझ की बातों में नहीं लगता, वह केवल अपने मन की बात प्रगट करना चाहता है। 
Proverbs 18:3 जहां दुष्ट आता, वहां अपमान भी आता है; और निन्दित काम के साथ नामधराई होती है। 
Proverbs 18:4 मनुष्य के मुंह के वचन गहिरा जल, वा उमण्डने वाली नदी वा बुद्धि के सोते हैं। 
Proverbs 18:5 दुष्ट का पक्ष करना, और धर्मी का हक मारना, अच्छा नहीं है। 
Proverbs 18:6 बात बढ़ाने से मूर्ख मुकद्दमा खड़ा करता है, और अपने को मार खाने के योग्य दिखाता है। 
Proverbs 18:7 मूर्ख का विनाश उस की बातों से होता है, और उसके वचन उस के प्राण के लिये फन्दे होते हैं। 
Proverbs 18:8 कानाफूसी करने वाले के वचन स्वादिष्ट भोजन के समान लगते हैं; वे पेट में पच जाते हैं। 
Proverbs 18:20 मनुष्य का पेट मुंह की बातों के फल से भरता है; और बोलने से जो कुछ प्राप्त होता है उस से वह तृप्त होता है। 
Proverbs 18:21 जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 119:89-176
  • 1 कुरिन्थियों 8


शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

उद्देश्य


   जब कोई दुःख या कलेष किसी पर आता है तो मसीही विश्वासी बहुधा परमेश्वर के वचन बाइबल का एक पद कहते हैं: "और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं" (रोमियों 8:28)। परन्तु विपरीत परिस्थितियों में इस पद की व्यावाहरिकता पर विश्वास कर पाना कठिन होता है। एक बार मैं एक ऐसे पुरुष के साथ, उसे सांत्वना देने के लिए बैठा हुआ था, जिसने एक के बाद एक, अपना तीसरा पुत्र भी खो दिया था। मैं चुपचाप सुन रहा था जब वह विलाप कर रहा था कि "कैसे यह त्रासदी मेरे लिए कुछ भला कर सकती है?" मेरे पास उसके लिए कोई उत्तर नहीं था। मैं बस चुपचाप बैठा उसके दुःख में दुःखी हो रहा था। कई महीनों बाद उस व्यक्ति ने मुझे बताया कि वह धन्यवादी है, क्योंकि उसके दुःख ने उसे परमेश्वर की निकटता में बढ़ाया था।

   चाहे रोमियों 8:28 व्यावाहरिक रीति से समझने में कितना भी कठिन क्यों न लगे, उसकी सच्चाई की अनगिनित गवाहियाँ उपलब्ध हैं। मसीही स्तुतिगीतों की प्रसिद्ध लेखिका फैनी क्रॉसबी का जीवन इसका उत्तम उदाहरण है। संसार उसके द्वारा लिखे गए स्तुत्ति गीतों का लाभार्थी है। लेकिन जो अनगिनित लोगों के लिए भला रहा है, वह एक व्यक्तिगत त्रासदी में होकर उपलब्ध हुआ; क्योंकि फैनी 5 वर्ष की आयु में अन्धी हो गई थी। केवल 8 वर्ष की आयु से उसने कविताएं और प्रभु परमेश्वर के स्तुतिगीत लिखना आरंभ कर दिया। उसकी लगन और परमेश्वर के प्रति प्रेम तथा समर्पण के कारण संसार को "Blessed Assurance", "Safe In The Arms of Jesus", "Pass Me Not O Gentle Saviour" जैसे उत्कृष्ठ और लोकप्रीय गीत मिले। परमेश्वर ने उसकी कठिनाई को हमारी और उसकी भलाई तथा अपनी महिमा के लिए प्रयोग किया।

   जब हम पर कोई त्रासदी आ पड़े, तो यह समझ पाना कठीन होता है कि उससे कोई भलाई कैसे हो सकती है; यह भी संभव है कि उस भलाई को हम इस जीवन में जानने या अनुभव करने न पाएं। परन्तु परमेश्वर के उद्देश्य सदा हमारी भलाई के लिए हैं और वह सदा हमारे साथ बना रहता है। - लॉरेंस दरमानी


हमारी परीक्षाओं में भी परमेश्वर के उद्देश्य हमारी भलाई ही के लिए होते हैं।

चाहे पापी सौ बार पाप करे अपने दिन भी बढ़ाए, तौभी मुझे निश्चय है कि जो परमेश्वर से डरते हैं और उसको अपने सम्मुख जानकर भय से चलते हैं, उनका भला ही होगा; - सभोपदेशक 8:12

बाइबल पाठ: रोमियों 8:28-39
Romans 8:28 और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। 
Romans 8:29 क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। 
Romans 8:30 फिर जिन्हें उसने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
Romans 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है? 
Romans 8:32 जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा? 
Romans 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है। 
Romans 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है। 
Romans 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? 
Romans 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं। 
Romans 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं। 
Romans 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, 
Romans 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 119:1-88
  • 1 कुरिन्थियों 7:20-40


गुरुवार, 24 अगस्त 2017

संघर्ष तथा सांत्वना


   जब मेरी बहन करोल को छाती का कैंसर हुआ, तो हमारा सारा परिवार चिंतित हुआ। उस रोग, और उसके इलाज के लिए होने वाले ऑपरेशन आदि के कारण हम सब को उसके फिर से स्वस्थ हो पाने की चिंता हुई और हम सब उसके लिए प्रार्थना करने में लगे रहे। आते महीनों में करोल अपने इलाज और प्रगति के बारे में, उस रोग का सामना करने की अपनी चुनौतियों के बारे में हमें स्पष्टता से बताती रही। जब यह खबर आई कि ऑपरेशन तथा इलाज सफल रहा है, और वह स्वस्थ होने की राह पर चल पड़ी है, हम सब बहुत हर्षित हुए।

   इस बात को एक वर्ष भी नहीं बीता था कि मेरी दूसरी बहन लिंडा को भी यही रोग पाया गया। तुरंत करोल लिंडा के साथ होकर उसे समझाने लगी कि आगे क्या होगा, और आती चुनौतियों के लिए कैसे अपने आप को तैयार करे। करोल के अनुभव ने उसे तैयार किया था कि वह लिंडा के साथ मिलकर चले, अपने अनुभवों के द्वारा उसे सांत्वना और मार्गदर्शन दे।

   यही बात प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर के वचन बाइबल में कुरिन्थुस के मसीही विश्वासियों को अपनी दूसरी पत्री में लिखी: "हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों" (2 कुरिन्थियों 1:3-4)।

   धन्यवाद हो कि परमेश्वर किसी भी बात को, किसी भी अनुभव को व्यर्थ नहीं जाने देता है। हमारे संघर्ष न केवल हमें अवसर देते हैं कि हम उसकी सांत्वना का अनुभव कर सकें, परन्तु उन संघर्षों के कारण हमें यह अवसर भी प्राप्त होता है कि हम उन्हें भी सांत्वना दे सकें जो उसी प्रकार के संघर्षों का सामना कर रहे हैं। - बिल क्राउडर


परमेश्वर का हमारे साथ होना हमें सांत्वना देता है; 
जिससे कि हम दूसरों के साथ होकर उन्हें सांत्वना दे सकें।

परन्तु प्रभु तू दयालु और अनुग्रहकारी ईश्वर है, तू विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है। - भजन 86:15

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 1:3-11
2 Corinthians 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। 
2 Corinthians 1:4 वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। 
2 Corinthians 1:5 क्योंकि जैसे मसीह के दुख हम को अधिक होते हैं, वैसे ही हमारी शान्‍ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है। 
2 Corinthians 1:6 यदि हम क्‍लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्‍ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति के लिये है; जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्‍लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं। 
2 Corinthians 1:7 और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुखों के वैसे ही शान्‍ति के भी सहभागी हो। 
2 Corinthians 1:8 हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्‍लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे। 
2 Corinthians 1:9 वरन हम ने अपने मन में समझ लिया था, कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है कि हम अपना भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है। 
2 Corinthians 1:10 उसी ने हमें ऐसी बड़ी मृत्यु से बचाया, और बचाएगा; और उस से हमारी यह आशा है, कि वह आगे को भी बचाता रहेगा। 
2 Corinthians 1:11 और तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे, कि जो वरदान बहुतों के द्वारा हमें मिला, उसके कारण बहुत लोग हमारी ओर से धन्यवाद करें।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 116-118
  • 1 कुरिन्थियों 7:1-19


बुधवार, 23 अगस्त 2017

विश्राम


   जब हमारे बच्चे छोटे थे तो मैं उन्हें मेरे दादा-दादी से मिलाने उत्तरी विस्कौन्सिन लेकर गया। उन के रहने के स्थान पर टेलिविज़न का रिसेप्शन अच्छा नहीं था; परन्तु उन के लिए टेलिविज़न का कोई विशेष महत्व भी नहीं था। मैंने देखा कि मेरा बेटा स्कॉट कुछ देर से टी.वी. पर कुछ लगाने का असफल प्रयास कर रहा था। अन्ततः उसने कुण्ठित होकर पूछा, "यदि आपको टी.वी. पर एक ही चैनल मिले और उस पर भी कुछ ऐसा आ रहा हो जिसे आप पसन्द नहीं करते हैं, तो फिर क्या करें?" मैंने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "टी.वी. बन्द कर दो"; यह वह उत्तर तो नहीं था जिसकी उसे उम्मीद थी, परन्तु और कोई विकल्प भी नहीं था। आज के समय में ऐसा नहीं है, टी.वी. बन्द करने की भी आवश्यकता नहीं होगी, और टी.वी. के अतिरिक्त भी हमारे मनोरंजन के लिए अनेकों अन्य उपकरण और साधन हैं जो हम तक सूचनाएं भी पहुँचाते हैं, और हमारा ध्यान भी बाँटते हैं।

   कभी ऐसा भी होता है कि हमें अपने मन-मस्तिष्क को विश्राम देने के लिए इन सब को कुछ समय तक बन्द करके शान्त होकर बैठ जाना चाहिए; सूचना, जानकारी और मनोरंजन के इन साधनों की जीवन में पकड़ से निकलना चाहिए। प्रभु यीशु अक्सर एकांत में जाया करते थे, विशेषकर जब उन्हें प्रार्थना में समय बिताना होता था (मत्ती 14:13)। प्रभु ने अपने शिष्यों को भी प्रोत्साहित किया कि वे भी थोड़े समय के लिए ऐसा ही करें (मरकुस 6:31)। एकांत और चिंतन का ऐसा समय हम सब के लिए लाभदायक होता है; ऐसे समय में हम परमेश्वर के और निकट आ सकते हैं।

   मसीह यीशु के उदाहरण का अनुसरण कीजिए; अकेले होकर एकांत में विश्राम के लिए कुछ समय बिताएं, प्रभु और उसके वचन पर मनन करें। यह मनन तथा विश्राम आपके देह, प्राण, और आत्मा, सब के लिए लाभकारी होगा। - सिंडी हैस कैस्पर


जीवन के शोर की धव्नि को धीमा करना 
परमेश्वर की आवाज़ को ध्यान से सुनने में सहायक होता है।

और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह[यीशु] उठ कर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा। - मरकुस 1:35

बाइबल पाठ: मरकुस 6:30-32, 45-47
Mark 6:30 प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे हो कर, जो कुछ उन्होंने किया, और सिखाया था, सब उसको बता दिया। 
Mark 6:31 उसने उन से कहा; तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो; क्योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था। 
Mark 6:32 इसलिये वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए।

Mark 6:45 तब उसने तुरन्त अपने चेलों को बरबस नाव पर चढाया, कि वे उस से पहिले उस पार बैतसैदा को चले जांए, जब तक कि वह लोगों को विदा करे। 
Mark 6:46 और उन्हें विदा कर के पहाड़ पर प्रार्थना करने को गया। 
Mark 6:47 और जब सांझ हुई, तो नाव झील के बीच में थी, और वह अकेला भूमि पर था।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 113-115
  • 1 कुरिन्थियों 6


मंगलवार, 22 अगस्त 2017

प्रेम


   दूसरे विश्व-युद्ध में उत्तरी अफ्रीका में अपनी सैनिक टुकड़ी की अगुवाई करते समय मेरे पिताजी की टांग में गोली लगी। उसके पश्चात मेरे पिता फिर कभी शारीरिक रूप से 100% स्वस्थ्य नहीं रहे। इस घटना के अनेकों वर्षों के पश्चात मेरा जन्म हुआ, और अपने बचपन में मुझे कभी ज्ञात ही नहीं हुआ कि पिताजी के साथ ऐसी कोई घटना घटित हुई थी। मुझे तो इसका बाद में किसी अन्य के द्वारा बताए जाने पर पता चला। यद्यपि उनको टांग में दर्द बना रहता था, लेकिन पिताजी ने कभी इस बात की कोई शिकायत नहीं की; और उन्होंने इस कारण से हमारी देखभाल और परवरिश में कभी कोई कमी भी नहीं आने दी। वे भरसक अपने परिवार के पालन-पोषण में लगे रहे।

   मेरे माता-पिता जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु से प्रेम करते थे और उन्होंने हमारी परवरिश में हमें भी प्रभु से प्रेम करना, उस पर विश्वास रखना, और उसकी सेवकाई करना सिखाया। परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, समय सरल हो या कठिन, वे हर बात के लिए प्रभु परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखते थे, परिश्रम करते थे, और हम से निःस्वार्थ प्रेम करते थे। परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन 14:26 में लिखा है, "यहोवा के भय मानने से दृढ़ भरोसा होता है, और उसके पुत्रों को शरणस्थान मिलता है।" मेरे पिताजी ने परिवार के लिए यही किया। उन्हें चाहे किसी भी कठिनाई का सामना क्यों न करना पड़ा हो, उन्होंने हमारे आत्मिक, भावनात्मक और शारीरिक जीवनों के लिए सदा एक सुरक्षित स्थान बना कर रखा।

   जितना प्रेम हम अपने बच्चों से करते हैं, उससे कहीं अधिक प्रेम हमारा परमेश्वर पिता हमसे करता है। उस प्रेम के अन्तर्गत हम अभिभावक, प्रभु परमेश्वर के मार्गदर्शन और सहायता से अपने परिवारों के लिए एक सुरक्षित स्थान बना कर रख सकते हैं। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर पिता का प्रेम असीम है।

यहोवा का भय मानने से जीवन बढ़ता है; और उसका भय मानने वाला ठिकाना पा कर सुखी रहता है; उस पर विपत्ती नहीं पड़ने की। - नीतिवचन 19:23

बाइबल पाठ: भजन 112:1-10
Psalms 112:1 याह की स्तुति करो। क्या ही धन्य है वह पुरूष जो यहोवा का भय मानता है, और उसकी आज्ञाओं से अति प्रसन्न रहता है! 
Psalms 112:2 उसका वंश पृथ्वी पर पराक्रमी होगा; सीधे लोगों की सन्तान आशीष पाएगी। 
Psalms 112:3 उसके घर में धन सम्पत्ति रहती है; और उसका धर्म सदा बना रहेगा। 
Psalms 112:4 सीधे लोगों के लिये अन्धकार के बीच में ज्योति उदय होती है; वह अनुग्रहकारी, दयावन्त और धर्मी होता है। 
Psalms 112:5 जो पुरूष अनुग्रह करता और उधार देता है, उसका कल्याण होता है, वह न्याय में अपने मुकद्दमें को जीतेगा। 
Psalms 112:6 वह तो सदा तक अटल रहेगा; धर्मी का स्मरण सदा तक बना रहेगा। 
Psalms 112:7 वह बुरे समाचार से नहीं डरता; उसका हृदय यहोवा पर भरोसा रखने से स्थिर रहता है। 
Psalms 112:8 उसका हृदय सम्भला हुआ है, इसलिये वह न डरेगा, वरन अपने द्रोहियों पर दृष्टि कर के सन्तुष्ट होगा। 
Psalms 112:9 उसने उदारता से दरिद्रों को दान दिया, उसका धर्म सदा बना रहेगा और उसका सींग महिमा के साथ ऊंचा किया जाएगा। 
Psalms 112:10 दुष्ट उसे देख कर कुढेगा; वह दांत पीस-पीसकर गल जाएगा; दुष्टों की लालसा पूरी न होगी।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 110-112
  • 1 कुरिन्थियों 5