इस अनुभव ने मुझे एक बहुमूल्य शिक्षा और बड़ा सन्देश सिखाया - न्याय का दिन आ रहा है! वह दिन कहीं दूर प्रतीत तो हो सकता है, लेकिन वह अचानक ऊपर आ पड़ेगा और उस समय बचाव का कोई मार्ग नहीं रहेगा। जिन बातों पर हम अपनी सुरक्षा के लिये आज भरोसा करते हैं वे ऐन मौके पर मिथ्या सबित हो जाएंगी और हम गंभीर खतरे में पड़ जाएंगे।
जीवन के अन्त और न्याय के लक्षणों को पहिचन कर उनके प्रति जागृत रहने में ही सच्ची बुद्धिमानी है। अपने काम पर निकलने से पहले आज दर्पण में अपने आप को ग़ौर से देखिये और उन चिन्हों को पहिचानने का प्रयास कीजिए। सफेद होते बाल, चेहरे पर आती झुर्रियां, जोड़ों में बढ़ती अकड़ाहट और दुखन, काम करने से सांस का तेज़ हो जाना, कभी कभी चक्कर आ जाना, ये सब उस आने वाले ’तूफान’ के लक्षण हैं जो एक न एक दिन घेर ही लेगा।
इससे पहले कि बहुत देर हो जाए क्यों न मसीह यीशु में अपना शरणस्थान बना लें और सुरक्षित हो जाएं? अपने ’इंजन’ और अपनी ’नाव खेने’ की शक्ति पर भरोसा न रखें, ये न जाने कब धोखा दे जाएं। - एम. आर. डी हॉन
जब तक हम मृत्यु और मृत्यु के पश्चात के लिये तैयार न हों, हम जीने के लिये भी तैयार नहीं हैं।
...मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है। - इब्रानियों ९:२७
बाइबल पाठ: नीतिवचन २९:१-६
जो बार बार डांटे जाने पर भी हठ करता है, वह अचानक नाश हो जाएगा और उसका कोई भी उपाय काम न आएगा।
जब धर्मी लोग शिरोमणि होते हैं, तब प्रजा आनन्दित होती है; परन्तु जब दुष्ट प्रभुता करता है तब प्रजा हाथ मारती है।
जो पुरूष बुद्धि से प्रीति रखता है, अपने पिता को आनन्दित करता है; परन्तु वेश्याओं की संगति करने वाला धन को उड़ा देता है।
राजा न्याय से देश को स्थिर करता है, परन्तु जो बहुत घूस लेता है उसको उलट देता है।
जो पुरूष किसी से चिकनी चुपड़ी बातें करता है, वह उसके पैरों के लिये जाल लगाता है।
बुरे मनुष्य का अपराध फन्दा होता है, परन्तु धर्मी आनन्दित हो कर जयजयकार करता है।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति ४१-४२
- मत्ती १२:१-२३
सुंदर प्रेरणादायी पोस्ट....
जवाब देंहटाएंजीवन की व्यवहारिक रुप से वास्तविक शिक्षा.
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