न्यूयॉर्क के एक विशिष्ट क्लब ने एक व्यक्ति को इसलिए सदस्यता देने से इन्कार कर दिया क्यों कि वह यहूदी था। एक चर्च के पास्टर ने, जो उस क्लब का सदस्य था, चर्च में दिये गए अपने इतवार के सन्देश में इस बात की भर्तस्ना करी और इसे अनैतिक कहा। उसके इस कथन से चर्च में बैठे कई लोगों को धक्का लगा, क्योंकि वे भी उस क्लब के सदस्य थे। लेकिन पास्टर यहीं नहीं रुके, उन्होंने प्रभु भोज के आमंत्रण के समय कहा कि, "यदि किसी जन ने अपने विचारों, शब्दों अथवा कार्यों द्वारा इस यहूदी व्यक्ति को क्लब सदस्यता न दिये जाने का समर्थन किया है तो वह प्रभु भोज में सम्मिलित होने के लिए तब तक आमंत्रित नहीं है जब तक वह इस संबंध में परमेश्वर के साथ अपने आप को ठीक नहीं कर लेता।"
उस पास्टर के पास अपनी इस बात को ऐसे दृढ़ता के साथ रखने और मनवाने के लिए परमेश्वर के वचन बाइबल का समर्थन था, क्योंकि यह परमेश्वर का निर्देश है कि किसी भी जन के लिए प्रभु भोज में भाग लेना तब तक उचित नहीं है जब तक वह परमेश्वर से अपने पापों का अंगीकार कर के उससे उनकी क्षमा नहीं मांग लेता। बाइबल में १ कुरिन्थियों ११ अध्याय में प्रेरित पौलुस ने कुछ ऐसे चर्च सदस्यों का सामना किया जिन्हें अपने स्वार्थी और मण्डली में विभाजन कराने वाली प्रवृति को पाप के रूप में स्वीकार करके, क्षमा मांगने की आवश्यक्ता थी ( पद १८, २१)। उसने उन से आग्रह किया कि प्रभु भोज में सम्मिलित होने से पहले वे रुकें, अपने आप को गंभीरता से जांचें और पापों की क्षमा के साथ ही प्रभु यीशु के बलिदान द्वारा मिली स्वतंत्रता और नए जीवन के इस भोज में भाग लें।
यही सिद्धांत आज भी प्रभु भोज के लिए लागू होता है। यदि ऐसा कुछ भी है जो हमारे और हमारे उद्धारकर्ता प्रभु के बीच आ गया है, तो उसकी पहचान तथा अंगीकार कर के और उसकी क्षमा मांगकर ही प्रभु भोज में सम्मिलित होना चाहिए। तब ही प्रभु भोज की वह रोटी और प्याला, जो प्रभु की तोड़ी गई देह और बहाए गए लहु के प्रतीक हैं, सार्थक होंगे और हम पापों की क्षमा की स्वतंत्रता का आनन्द ले सकेंगे। - डेनिस डी हॉन
मसिही विश्वासी के लिए प्रभु भोज पहले अपने आप को जांचने और फिर नए जीवन की गवाही देने का माध्यम है।
यदि हम अपने आप में जांचते, तो दण्ड न पाते। - १ कुरिन्थियों ११:३१
बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ११:१७-३४
1Co 11:17 परन्तु यह आज्ञा देते हुए, मैं तुम्हें नहीं सराहता, इसलिये कि तुम्हारे इकट्ठे होने से भलाई नहीं, परन्तु हानि होती है।
1Co 11:18 क्योंकि पहिले तो मैं यह सुनता हूं, कि जब तुम कलीसिया में इकट्ठे हाते हो, तो तुम में फूट होती है और मैं कुछ कुछ प्रतीति भी करता हूं।
1Co 11:19 क्योंकि विधर्म भी तुम में अवश्य होंगे, इसलिये कि जो लोग तुम में खरे निकले हैं, वे प्रगट हो जांए।
1Co 11:20 सो तुम जो एक जगह में इकट्ठे होते हो तो यह प्रभु भोज खाने के लिये नहीं।
1Co 11:21 क्योंकि खाने के समय एक दूसरे से पहिले अपना भोज खा लेता है, सो कोई तो भूखा रहता है, और कोई मतवाला हो जाता है।
1Co 11:22 क्या खाने पीने के लिये तुम्हारे घर नहीं? या परमेश्वर की कलीसिया को तुच्छ जानते हो, और जिन के पास नहीं है उन्हें लज्ज़ित करते हो? मैं तुम से क्या कहूं? क्या इस बात में तुम्हारी प्रशंसा करूं? मैं प्रशंसा नहीं करता।
1Co 11:23 क्योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुंची, और मैं ने तुम्हें भी पहुंचा दी कि प्रभु यीशु ने जिस रात पकड़वाया गया रोटी ली।
1Co 11:24 और धन्यवाद कर के उसे तोड़ी, और कहा; कि यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।
1Co 11:25 इसी रीति से उस ने बियारी के पीछे कटोरा भी लिया, और कहा; यह कटोरा मेरे लोहू में नई वाचा है: जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।
1Co 11:26 क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो।
1Co 11:27 इसलिये जो कोई अनुचित रीति से प्रभु की रोटी खाए, या उसके कटोरे में से पीए, वह प्रभु की देह और लोहू का अपराधी ठहरेगा।
1Co 11:28 इसलिये मनुष्य अपने आप को जांच ले और इसी रीति से इस रोटी में से खाए, और इस कटोरे में से पीए।
1Co 11:29 क्योंकि जो खाते-पीते समय प्रभु की देह को न पहिचाने, वह इस खाने और पीने से अपने ऊपर दण्ड लाता है।
1Co 11:30 इसी कारण तुम में से बहुत से निर्बल और रोगी हैं, और बहुत से सो भी गए।
1Co 11:31 यदि हम अपने आप में जांचते, तो दण्ड न पाते।
1Co 11:32 परन्तु प्रभु हमें दण्ड देकर हमारी ताड़ना करता है इसलिये कि हम संसार के साथ दोषी न ठहरें।
1Co 11:33 इसलिये, हे मेरे भाइयों, जब तुम खाने के लिये इकट्ठे होते हो, तो एक दूसरे के लिये ठहरा करो।
1Co 11:34 यदि कोई भूखा हो, तो अपने घर में खा ले जिस से तुम्हारा इकट्ठा होना दण्ड का कारण न हो: और शेष बातों को मैं आकर ठीक कर दूंगा।
एक साल में बाइबल:
- यर्मियाह ४३-४५
- इब्रानियों ५
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें