जब मैं बच्चा था, तब मैंने सही व्यवहार परिणामों द्वारा सीखा; जब मैं अच्छा व्यवहार करता था तो व्यसक मुझे पुरुसकार देते थे, यदि बुरा व्यवहार करता था तो डांट या दण्ड मिलता था। क्योंकि मुझे अपने व्यवहार का परिणाम तुरंत ही मिल जाता था इसलिए मुझे भले-बुरे व्यवहार्फ़ में अन्तर सिखाने में यह उपयोगी हुआ। लेकिन मेरे व्यसक होने के बाद जीवन कुछ जटिल हो गया है, और अब मेरे व्यवहार के परिणाम अकसर तुरंत ही नहीं आ जाते हैं। क्योंकि मेरे बुरे व्यवहार के बुरे परिणाम तुरंत मेरे समक्ष नहीं आते इसलिए मुझे यह भी लगने लगा कि मेरे व्यवहार से परमेश्वर को कोई सरोकार नहीं है, और मुझे अपना व्यवहार निरधारित करने की खुली छूट है।
कुछ ऐसा ही इस्त्राएली लोगों के साथ भी हुआ। जब उन्होंने परमेश्वर की अनाअज्ञाकारिता करी और इसके दुष्परिणाम तुरंत उन पर नहीं आए तो वे लापरवाह हो गए: "...इस्राएल और यहूदा के घरानों का अधर्म अत्यन्त ही अधिक है, यहां तक कि देश हत्या से और नगर अन्याय से भर गया है; क्योंकि वे कहते हें कि यहोवा ने पृथ्वी को त्याग दिया और यहोवा कुछ नहीं देखता" (यहेजकेल ९:९)। किंतु उनका ऐसा सोचना गलत था। अन्ततः उनके अधर्म से उक्ता गया और क्रोधित हुआ: "इसलिये तू उन से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, मेरे किसी वचन के पूरा होने में फिर विलम्ब न होगा, वरन जो वचन मैं कहूं, सो वह निश्चय पूरा होगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है" (यहेजकेल १२:२८)।
जब परमेश्वर अपने अनुशासन में देरी करता है तो इसका तात्पर्य यह नहीं है कि वह हमारे बुरे व्यवहार और अधर्म को नज़रान्दाज़ कर रहा है या उससे अनवगत और बेपरवाह है। उसका विलंब उसके प्रेम व्यवहार का अंश है, वह विलंब से कोप करने वाला और करुणामय परमेश्वर है। उसके इस विलंब को बहुतेरे पाप और अधर्म करने के लिए अनुमति मान लेते हैं, किंतु वास्तव में यह विलंब पश्चाताप का अवसर है "क्या तू उस की कृपा, और सहनशीलता, और धीरजरूपी धन को तुच्छ जानता है और क्या यह नहीं समझता, कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है" (रोमियों २:४), इससे पहले कि उसके क्रोध की जलजलाहट उनपर टूट पड़े, क्योंकि उसका न्याय खरा और अवश्यंभावी है "वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा" (रोमियों २:६)। - जूली ऐकरमैन लिंक
अपनी गलती मान कर पश्चाताप कर लेना ही सुधार का एकमात्र उपाय है।
बाइबल पाठ: रोमियों २:१-८
Rom 2:1 सो हे दोष लगानेवाले, तू कोई क्यों न हो; तू निरुत्तर है! क्योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है, उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिये कि तू जो दोष लगाता है, आप ही वही काम करता है।
Rom 2:2 और हम जानते हैं, कि ऐसे ऐसे काम करने वालों पर परमेश्वर की ओर से ठीक ठीक दण्ड की आज्ञा होती है।
Rom 2:3 और हे मनुष्य, तू जो ऐसे ऐसे काम करने वालों पर दोष लगाता है, और आप वे ही काम करता है; क्या यह समझता है, कि तू परमेश्वर की दण्ड की आज्ञा से बच जाएगा?
Rom 2:4 क्या तू उस की कृपा, और सहनशीलता, और धीरजरूपी धन को तुच्छ जानता है और कया यह नहीं समझता, कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है?
Rom 2:5 पर अपनी कठोरता और हठीले मन के अनुसार उसके क्रोध के दिन के लिये, जिस में परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रगट होगा, अपने निमित्त क्रोध कमा रहा है।
Rom 2:6 वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा।
Rom 2:7 जो सुकर्म में स्थिर रहकर महिमा, और आदर, और अमरता की खोज में है, उन्हें अनन्त जीवन देगा।
Rom 2:8 पर जो विवादी हैं, और सत्य को नहीं मानते, वरन अधर्म को मानते हैं, उन पर क्रोध और कोप पड़ेगा।
एक साल में बाइबल:
Rom 2:1 सो हे दोष लगानेवाले, तू कोई क्यों न हो; तू निरुत्तर है! क्योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है, उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिये कि तू जो दोष लगाता है, आप ही वही काम करता है।
Rom 2:2 और हम जानते हैं, कि ऐसे ऐसे काम करने वालों पर परमेश्वर की ओर से ठीक ठीक दण्ड की आज्ञा होती है।
Rom 2:3 और हे मनुष्य, तू जो ऐसे ऐसे काम करने वालों पर दोष लगाता है, और आप वे ही काम करता है; क्या यह समझता है, कि तू परमेश्वर की दण्ड की आज्ञा से बच जाएगा?
Rom 2:4 क्या तू उस की कृपा, और सहनशीलता, और धीरजरूपी धन को तुच्छ जानता है और कया यह नहीं समझता, कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है?
Rom 2:5 पर अपनी कठोरता और हठीले मन के अनुसार उसके क्रोध के दिन के लिये, जिस में परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रगट होगा, अपने निमित्त क्रोध कमा रहा है।
Rom 2:6 वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा।
Rom 2:7 जो सुकर्म में स्थिर रहकर महिमा, और आदर, और अमरता की खोज में है, उन्हें अनन्त जीवन देगा।
Rom 2:8 पर जो विवादी हैं, और सत्य को नहीं मानते, वरन अधर्म को मानते हैं, उन पर क्रोध और कोप पड़ेगा।
एक साल में बाइबल:
- निर्गमन १४-१५
- मत्ती १७
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