व्यावसायिक गोल्फ खिलाड़ी बायर्न नेल्सन के लिए १९४५ विलक्षण वर्ष था। जिन ३० प्रतियोगिताओं में उसने भाग लिया, उनमें से १८ उसने जीतीं, जिनमें से ११ में वह लगातार विजयी रहा। यदि वह चाहता तो अपने इस व्यवसायिक खेलने को आगे बढ़ा कर और ऊँचाईयों पर ले कर जा सकता था और अपने समय का सर्वश्रेष्ठ गोल्फ खिलाड़ी बन सकता था। किंतु यह उसका लक्ष्य नहीं था। उसका लक्ष्य था गोल्फ द्वारा इतना पैसा कमा लेना कि वह एक पशु-पालन और कृषि फार्म खरीद सके जहां वह अपनी शेष आयु वह कार्य करने में व्यतीत करे जो उसकी पहली पसन्द है। नेल्सन ने ३४ वर्ष की आयु में ही गोल्फ से अवकाश ले लिया और कृषि तथा पशु-पालन करने वाला बन गया। उसके लक्ष्य भिन्न थे।
संसार इस प्रकार की विचारधारा को मूर्खता मान सकता है क्योंकि वह उस हृदय को नहीं समझता जो संसार से संसार की धन-दौलत और प्रसिद्धि अर्जित करने की बजाए मन की सच्ची शांति और संतुष्टि की लालसा रखता है। यह विशेषकर तब और भी अधिक लागू होता है जब कोई यह निर्णय उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के लिए जीने के लिए करता है। किंतु संसार की समझ में जो मूर्खता है वह ही हमारे लिए अपने प्रभु से संबंधित और संसार के लक्ष्यों से भिन्न लक्ष्यों को संसार ही के समक्ष रखने के लिए एक उत्तम अवसर बन जाता है। इसी संदर्भ में प्रेरित पौलुस ने लिखा, "परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे" (१ कुरिन्थियों १:२७)।
परमेश्वर के राज्य के मूल्यों के अनुसार जीवन व्यतीत करना हमें संसार की नज़रों में मूर्ख ठहरा सकता है, लेकिन यही निर्णय संसार के सामने परमेश्वर को महिमा देने का माध्यम भी बन जाता है, जिसका प्रतिफल परमेश्वर से मिलने वाली ऐसी मूल्यवान, अद्भुत और चिरस्थायी अशीष है जो संसार ना कभी दे सकता है और ना कभी जिसकी कलपना भी कर सकता है। - बिल क्राउडर
जीवन के आदर्श मूल्य व्यर्थ हैं यदि वे परमेश्वर के मूल्यों के अनुरूप नहीं।
परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे। - १ कुरिन्थियों १:२७
बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १:१८-३१
1Co 1:18 क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है।
1Co 1:19 क्योंकि लिखा है, कि मैं ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा, और समझदारों की समझ को तुच्छ कर दूंगा।
1Co 1:20 कहां रहा ज्ञानवान? कहां रहा शास्त्री? कहां इस संसार का विवादी? क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया?
1Co 1:21 क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रकार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे।
1Co 1:22 यहूदी तो चिन्ह चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं।
1Co 1:23 परन्तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है।
1Co 1:24 परन्तु जो बुलाए हुए हैं क्या यहूदी, क्या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ, और परमेश्वर का ज्ञान है।
1Co 1:25 क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।
1Co 1:26 हे भाइयों, अपने बुलाए जाने को तो सोचो, कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान, और न बहुत सामर्थी, और न बहुत कुलीन बुलाए गए।
1Co 1:27 परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करें।
1Co 1:28 और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्छों को, वरन जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया, कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए।
1Co 1:29 ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के साम्हने घमण्ड न करने पाए।
1Co 1:30 परन्तु उसी की ओर से तुम मसीह यीशु में हो, जो परमेश्वर की ओर से हमारे लिये ज्ञान ठहरा अर्थात धर्म, और पवित्रता, और छुटकारा।
1Co 1:31 ताकि जैसा लिखा है, वैसा ही हो, कि जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे।
एक साल में बाइबल:
- नीतिवचन १३-१५
- २ कुरिन्थियों ५
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