लोगों को विभिन्न प्रकार की वस्तुएं एकत्रित करने के शौक होते हैं - सिक्के, डाकटिकट, बेसबॉल कार्ड इत्यादि। यह एकत्रित करने की रुचि एक अच्छा शौक हो सकती है, किंतु गंभीरता की बात यह है कि जब हम इस पृथ्वी से कूच करेंगे तो हमारे ये सभी संग्रह यहीं रह जाएंगे, अन्य किसी की संपत्ति हो जाएंगे। ऐसे संग्रह का क्या महत्व और क्या मूल्य जिसकी कीमत केवल पृथ्वी पर ही हो परन्तु स्वर्ग में जिसकी कोई कीमत ना हो?
प्रभु यीशु ने ऐसे संचय के विषय में अपने चेलों से कहा: "अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं" (मत्ती ६:१९, २०)।
अनन्त धन का मूल्य ही असल मूल्य है क्योंकि वह कभी बदलता या घटता नहीं है; ना वह चुराया जा सकता है और ना ही नष्ट हो सकता है। यह स्वर्गीय धन जमा करने वाले के नाम पर ही सदा के लिए रखा रहता है। विचारने की बात यह है कि उस अवश्यंभावी आते स्वर्गीय समय और स्थान के लिए हम केवल अभी पृथ्वी के अपने वर्तमान जीवन में ही उस धन का संचय कर सकते हैं। यह संचय कैसे किया जाता है? हमारे परमेश्वर की आज्ञाकारिता में किए गए सेवा कार्यों द्वारा; प्रभु यीशु के द्वारा पापों की क्षमा के सुसमाचार को दूसरों तक पहुंचाने के द्वारा; दुखी और बोझ से दबे लोगों को प्रभु यीशु में मिलने वाले आराम और शांति तक लाने के द्वारा; दूसरों पर प्रभु यीशु के समान दया और प्रेम के व्यवहार के द्वारा; प्रभु यीशु द्वारा सिखाए तथा बताए जीवन को संसार के सामने जी कर दिखाने के द्वारा।
मरकुस रचित सुसमाचार में एक वृतांत है जिसमें एक धनी जवान ने प्रभु यीशु के पास आकर अनन्त जीवन का मार्ग जानना चाहा। प्रभु ने उससे कहा कि जो कुछ तेरे पास है उसे बेच कर कंगालों में बांट दे और मेरे पीछे हो ले। यह सुनकर वह धनी जवान अपना मुंह लटकाए दुखी होकर लौट गया (मरकुस १०:१७-२३)। उस धनी जवान की प्रतिक्रीया ने दिखा दिया कि उसके जीवन में वास्तविक महत्व किस चीज़ का था - धन-संपत्ति का या स्वर्गीय जीवन का।
पार्थिव वस्तुओं और नाशमान धन-संपत्ति पर मन लगाना और उनको अर्जित करने के प्रयास में लगे रहना बहुत सहज तथा सामान्य है। परन्तु जब आप प्रभु यीशु को अपना जीवन स्वेच्छा से समर्पित करके उसका अनुसरण करने का निर्णय ले लेते हैं तो वह अनन्त कालीन धन-संपत्ति को स्वर्ग में अर्जित करने के आनन्द से आपको परिचित कराता है। स्वर्ग में अर्जन के उस आनन्द के समान संसार का कोई आनन्द नहीं और स्वर्गीय धन के समान संसार के किसी धन का कोई मूल्य नहीं।
आज ही से स्वर्ग में अर्जन आरंभ कर दीजिए - केवल यही अनन्त काल तक काम आएगा। - जो स्टोवैल
पार्थिव को ढीले और स्वर्गीय को दृढ़ता से थामे रहें।
अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। - मत्ती ६:१९, २०
बाइबल पाठ: मत्ती ६:१९-३४
Mat 6:19 अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं।
Mat 6:20 परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं।
Mat 6:21 क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।
Mat 6:22 शरीर का दिया आंख है: इसलिये यदि तेरी आंख निर्मल हो, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला होगा।
Mat 6:23 परन्तु यदि तेरी आंख बुरी हो, तो तेरा सारा शरीर भी अन्धि्यारा होगा; इस कारण वह उजियाला जो तुझ में है यदि अन्धकार हो तो वह अन्धकार कैसा बड़ा होगा।
Mat 6:24 कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा; तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते।
Mat 6:25 इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएंगे और क्या पीएंगे और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं?
Mat 6:26 आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते?
Mat 6:27 तुम में कौन है, जो चिन्ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
Mat 6:28 और वस्त्र के लिये क्यों चिन्ता करते हो; जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
Mat 6:29 तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्त्र पहिने हुए न था।
Mat 6:30 इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहिनाएगा?
Mat 6:31 इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे?
Mat 6:32 क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिए।
Mat 6:33 इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं तुम्हें मिल जाएंगी।
Mat 6:34 सो कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल ३३-३४
- १ पतरस ५
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