ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 6 जून 2013

परीक्षाएं


  एक दोपहर मित्र गोष्ठी के साथ भोजन करते हुए बात-चीत के दौरान एक मित्र ने कहा कि मिशिगन झील में, जो समुद्र से काफी दूर एक स्वच्छ पानी की झील है, एक बार बुल-शार्क मछली द्वारा हमला होने की खबर आ चुकी है। हमारे लिए यह इतना असंभव विचार था कि हम ने इस बात को ठठ्ठों में उड़ा दिया। फिर मैंने इस पर खोज करने का सोचा और इन्टरनैट पर इसके बारे में ढूँढ़ने लगा। वहाँ मुझे मिला कि 1955 में एक ऐसा दावा किया गया था, लेकिन इस दावे की कभी पुष्टि नहीं होने पाई। शार्क! मिशिगन झील में! यदि यह सत्य भी है तो भी एक बहुत दुर्लभ और असामान्य घटना है।

   कितना अच्छा होता यदि हमारे लिए कठिनाईयों और परीक्षाओं का सामना करना भी मिशिगन झील के शार्क हमले के समान ही होता - अति दुर्लभ और असामान्य! लेकिन ऐसा है नहीं। सभी को कठिनाईयों और परीक्षाओं का सामना सामान्यता करना ही होता है; बस जब हमें सामना करना पड़ता है तो हम यही सोचते हैं कि काश ऐसा नहीं होता। इसी लिए प्रेरित पतरस ने पहली शताब्दी के मसीही विश्वासीयों को, जो अपने मसीही विश्वास के कारण घोर अत्यचार और अति विषम परिस्थितियों से होकर निकल रहे थे, लिखी अपनी पत्री में लिखा, "हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्‍नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचंभा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है" (1 पतरस 4:12)।

   मसीही विश्वासीयों के लिए इस प्रकार की परीक्षाएं कोई अनहोनी या अस्वाभाविक बात नहीं है, वरन उनकी विश्वास यात्रा का एक अनिवर्य भाग है - आखिर शैतान अपने चंगुल से बच निकलने वालों को शांति से कैसे रहने देगा? वह तो अपनी सारी शक्ति और सभी सहायकों द्वारा उनके जीवन को यथासंभव कठिन बनाने का भरसक प्रयास करेगा ही। लेकिन इस दुख रूपी अग्नि में ताए जाकर ही हमारा मसीही विश्वास खरे कुन्दन सा स्वच्छ और बहूमूल्य होकर निकलता है। इस ताए जाने से ही हमारे मसीही विश्वास के जीवन से संबंधित सभी व्यर्थ बातें भी भस्म हो जाती हैं तथा अपने किसी स्वार्थ में होकर या झूठे या दिखावे के विश्वास में मसीह यीशु का अनुकरण करने वालों की छाँटाई भी इससे हो जाती है। शैतान जो युक्तियाँ अपने अनुयायीयों द्वारा मसीही विश्वासियों को सताने के लिए प्रयोग करता है, परमेश्वर उन्हीं के द्वारा उसके ही अनुयायियों की वास्तविकता और उनकी दुष्ट मानसिकता को संसार पर प्रगट कर देता है तथा अपनी मण्डली को भेड़ की खाल में छिपे भेड़ियों से शुद्ध करने के लिए प्रयोग कर लेता है।

   परमेश्वर का प्रेम अपनी सन्तान के प्रति कभी कम नहीं होता, वह उन्हें कभी नहीं छोड़ता, कभी नहीं त्यागता। हर कठिनाई, अत्याचार, विषम परिस्थिति में वह उनके साथ बना रहता है, उन्हें सामर्थ देता है, सहने की शक्ति और परिस्थिति के उपयुक्त शांति देता है, और उनकी इस गवाही को शैतान के प्रयोजनों को विफल करने, अपने अनुयायियों को बड़े प्रतिफल देने तथा उन्हें अपनी महिमा का कारण होने वाला बना लेता है। परीक्षाओं से विचलित ना हों, परीक्षाओं में अपनी मसीही गवाही बनाए रखें - यह आपके लिए अद्भुत प्रतिफलों को प्राप्त करने और परमेश्वर को अपने जीवन से महिमा देने का एक सामर्थी माध्यम हैं। - बिल क्राउडर


अपने प्रेम की रौशनी से परमेश्वर हमारे जीवन की काली घटाओं पर एक सुन्दर, चमकीला और आकर्षक मेघधनुष बना देता है।

हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्‍नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचंभा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है। - 1 पतरस 4:12

बाइबल पाठ: 1 पतरस 4:12-19
1 Peter 4:12 हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्‍नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है।
1 Peter 4:13 पर जैसे जैसे मसीह के दुखों में सहभागी होते हो, आनन्द करो, जिस से उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्‍दित और मगन हो।
1 Peter 4:14 फिर यदि मसीह के नाम के लिये तुम्हारी निन्‍दा की जाती है, तो धन्य हो; क्योंकि महिमा का आत्मा, जो परमेश्वर का आत्मा है, तुम पर छाया करता है।
1 Peter 4:15 तुम में से कोई व्यक्ति हत्यारा या चोर, या कुकर्मी होने, या पराए काम में हाथ डालने के कारण दुख न पाए।
1 Peter 4:16 पर यदि मसीही होने के कारण दुख पाए, तो लज्ज़ित न हो, पर इस बात के लिये परमेश्वर की महिमा करे।
1 Peter 4:17 क्योंकि वह समय आ पहुंचा है, कि पहिले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए, और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उन का क्या अन्‍त होगा जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते?
1 Peter 4:18 और यदि धर्मी व्यक्ति ही कठिनता से उद्धार पाएगा, तो भक्तिहीन और पापी का क्या ठिकाना?
1 Peter 4:19 इसलिये जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए, अपने अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 25-27 
  • यूहन्ना 16


1 टिप्पणी:

  1. बहुत बढ़िया उपयोगी प्रस्तुति ....
    जिंदगी में परीक्षा कभी खत्म नहीं होती

    जवाब देंहटाएं