प्रायः देखा जाता है कि लोगों में परोपकार, भलाई और उदारता की अभिव्यक्ति जो दिसंबर महीने में दिखाई देती है वह कुछ ही समय में धूमिल पड़ने लगती है और लोग कहने लगते हैं कि, "काश हम क्रिसमस का उत्साह साल भरे बनाए रख सकते।" ऐसा क्यों होता है कि भलाई, परोपकार, उदारता, दया आदि भावनाएं केवल त्यौहारों के साथ ही जुड़ी दिखाई देती हैं मानों इन्हें किसी दिन विशेष के साथ जोड़ कर रखा गया हो? क्या इन त्यौहारों और पर्वों के साथ जुड़ी इस छिछली दया भावना के अतिरिक्त कोई ऐसा गहरा बहने वाला दया का सोता है जो अविराल साल-ब-साल बहता रहता हो, लोगों को तृप्त करता रहता हो?
परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका रचित सुसमाचार के पहले दो अध्यायों में परमेश्वर के पवित्र आत्मा का सात बार वर्णन आया है। पवित्र आत्मा को पाँच लोगों के जीवन में कार्य करते दिखाया गया है - यूहन्ना बप्तिसमा देने वाला (1:15), मरियम (1:35), इलीशिबा (1:41), ज़कर्याह (1:67) और शमौन (2:25-27)। इस खण्ड में, जिसे हम आम तौर से "क्रिसमस की कहानी" के नाम से जानते हैं, हम ऐसा नहीं पाते कि इन लोगों को अचानक ही कुछ ध्यान आया हो या उन्होंने अपने अन्दर कुछ विचित्र होता हुआ अनुभव किया हो। इसके स्थान पर हम पाते हैं कि वे बहुत साधारण और सामान्य लोग थे जो अपनी दिनचर्या का निर्वाह कर रहे थे और उनके ऐसा करते हुए ही पवित्र आत्मा ने शमौन का मार्गदर्शन किया, ज़कर्याह और इलीशिबा पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हुए और पवित्र आत्मा की सामर्थ से मरियम की कोख में प्रभु यीशु का आगमन हुआ। इन सब ने पवित्र आत्मा के कार्य को अपने अन्दर अनुभव किया, उसकी सामर्थ को पहचाना।
क्या आज हमारे अन्दर यह अनुभूति है कि उपरोक्त लोगों के समान ही हम भी अपने जीवन में पवित्र आत्मा के कार्य को पहचानें और संसार की अन्य सब आवाज़ों से अलग उसकी आवाज़ पर ध्यान लगाएं? क्या हम पवित्र आत्मा द्वारा उकसाए और प्रोत्साहित किए जाने के प्रति सचेत और उसकी आज्ञा मानने को तत्पर तथा तैयार रहते हैं? क्या हमने पवित्र आत्मा को यह आदर दिया है कि वह अपनी गर्माहट से हमारे हृदय भर दे और फिर उसे हमारे हाथों से दूसरों के जीवनों में प्रवाहित हो लेने दे?
आज हम मसीही विश्वासियों के साथ पवित्र आत्मा की उपस्थिति और उसके द्वारा प्रभु यीशु की सामर्थ हमारे जीवनों में बनी रहती है, जिसे वह हमारे अन्दर से साल-ब-साल बहते रहने वाले तृप्ति के सोते के रूप में संसार में प्रवाहित करना चाहता है, किसी दिन अथवा त्यौहार विशेष पर ही नहीं, कुछ खास लोगों ही के लिए नहीं, वरन सदा-सर्वदा संसार के प्रत्येक जन के लिए, "क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए" (यूहन्ना 3:16)। - डेविड मैक्कैसलैण्ड
प्रभु यीशु में विश्वास हमारी आत्मा को पाप के दाग़ से शुद्ध और हमारी देह को पवित्र आत्मा का मन्दिर बना देता है।
...यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए। जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र शास्त्र में आया है उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी। उसने यह वचन उस आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करने वाले पाने पर थे...। - यूहन्ना 7:37-39
बाइबल पाठ: लूका 1:31-41
Luke 1:31 और देख, तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना।
Luke 1:32 वह महान होगा; और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसको देगा।
Luke 1:33 और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्त न होगा।
Luke 1:34 मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, यह क्योंकर होगा? मैं तो पुरूष को जानती ही नहीं।
Luke 1:35 स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया; कि पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी इसलिये वह पवित्र जो उत्पन्न होने वाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा।
Luke 1:36 और देख, और तेरी कुटुम्बिनी इलीशिबा के भी बुढ़ापे में पुत्र होने वाला है, यह उसका, जो बांझ कहलाती थी छठवां महीना है।
Luke 1:37 क्योंकि जो वचन परमेश्वर की ओर से होता है वह प्रभावरिहत नहीं होता।
Luke 1:38 मरियम ने कहा, देख, मैं प्रभु की दासी हूं, मुझे तेरे वचन के अनुसार हो: तब स्वर्गदूत उसके पास से चला गया।
Luke 1:39 उन दिनों में मरियम उठ कर शीघ्र ही पहाड़ी देश में यहूदा के एक नगर को गई।
Luke 1:40 और जकरयाह के घर में जा कर इलीशिबा को नमस्कार किया।
Luke 1:41 ज्योंही इलीशिबा ने मरियम का नमस्कार सुना, त्योंही बच्चा उसके पेट में उछला, और इलीशिबा पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गई।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था 14-16
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