ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

भरपेट


   एक मित्र ने, जो सिंगापुर में रहता है, एक पुराने चीनी अभिवादन के बारे में बताया। यह पूछने की बजाए कि "आप कैसे हैं?" लोग पूछते "क्या आपने भरपेट भोजन किया?" संभवतः यह अभिवादन उस समय आरंभ हुआ था जब लोगों के पास भोजन की कमी थी और बहुत से लोगों को यह पता नहीं होता था कि उन्हें अगला भोजन कब मिलेगा। जब भी भोजन उपलब्ध होता तब भरपेट भोजन कर लेने में ही बुद्धिमानी होती थी।

   प्रभु यीशु के 5000 से अधिक लोगों को दो मछली और पाँच रोटी से भरपेट भोजन कराने के पश्चात (यूहन्ना 6:1-13), वह भीड़ प्रभु यीशु के पीछे पीछे आई, क्योंकि उन्हें और भोजन मिलने की आशा थी (पद 24-26)। तब उस भीड़ से प्रभु यीशु ने कहा कि वे शारीरिक नहीं वरन आत्मिक भोजन के लिए मेहनत करें, उसकी लालसा रखें, जो उन्हें प्रभु यीशु से ही मिल सकता था: "नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है। ... यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा" (यूहन्ना 6:27; 35)।

   प्रभु यीशु के अनुयायी होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी सहायाता करें जिनके पास शारीरिक भोजन नहीं है लेकिन उससे भी बढ़कर उन्हें उस आत्मिक भोजन के बारे में बताएं जो उन्हें भीतरी शान्ति, पाप क्षमा और अनन्त जीवन प्रदान कर सकता है, अर्थात प्रभु यीशु मसीह।

   जीवन की रोटी, प्रभु यीशु मसीह आज हमें निमंत्रण दे रहा है कि हम उसके पास आएं और अपनी आत्मा की हर भूख को उससे तृप्त करें, उससे भरपेट खाएं। - डेविड मैक्कैसलैंड


आत्मा की प्रत्येक भूख को केवल प्रभु यीशु ही तृप्त कर सकता है।

जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूंगा, वह मेरा मांस(शरीर) है। - यूहन्ना 6:51

बाइबल पाठ: यूहन्ना 6:24-35
John 6:24 सो जब भीड़ ने देखा, कि यहां न यीशु है, और न उसके चेले, तो वे भी छोटी छोटी नावों पर चढ़ के यीशु को ढूंढ़ते हुए कफरनहूम को पहुंचे। 
John 6:25 और झील के पार उस से मिलकर कहा, हे रब्बी, तू यहां कब आया? 
John 6:26 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच सच कहता हूं, तुम मुझे इसलिये नहीं ढूंढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे, परन्तु इसलिये कि तुम रोटियां खाकर तृप्‍त हुए। 
John 6:27 नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है। 
John 6:28 उन्होंने उस से कहा, परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें? 
John 6:29 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया; परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उसने भेजा है, विश्वास करो। 
John 6:30 तब उन्होंने उस से कहा, फिर तू कौन का चिन्ह दिखाता है कि हम उसे देखकर तेरी प्रतीति करें, तू कौन सा काम दिखाता है? 
John 6:31 हमारे बाप दादों ने जंगल में मन्ना खाया; जैसा लिखा है; कि उसने उन्हें खाने के लिये स्वर्ग से रोटी दी। 
John 6:32 यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं कि मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी, परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है। 
John 6:33 क्योंकि परमेश्वर की रोटी वही है, जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है। 
John 6:34 तब उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, यह रोटी हमें सर्वदा दिया कर। 
John 6:35 यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 37-39


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें