जब प्रसिद्ध अमेरीकी लेखक ब्रूस फ़ेलर की जांघ की हड्डी में कैंसर होने का पता चला तो उपचार के समय वह एक वर्ष से भी अधिक तक बिना सहायता के चल नहीं सके; उन्हें चलने के लिए बैसाखियों का सहारा लेना पड़ता था, जिससे चलने की सामन्य गति से बहुत धीमी चाल से चलना पड़ता था। इस से ब्रूस ने धीमी रफतार के जीवन को समझना और सराहना सीखा; ब्रूस ने कहा, "अपने इस अनुभव से जो सबसे महत्वपूर्ण पाठ मैंने सीखा वह था धीमी रफतार से चलना!"
जब परमेश्वर ने इस्त्राएलियों को मिस्त्र की गुलामी से निकालकर अपने साथ चलाना आरंभ किया तो उन्हें अपने साथ चलने के लिए कुछ नियम भी दिए। उनमें से एक नियम ऐसा भी था जो उन्हें धीमा होकर चलने और परमेश्वर तथा संसार को थोड़ा थम कर देखने और जानने के लिए था। परमेश्वर द्वारा उन्हें दी गई दस आज्ञाओं में से चौथी आज्ञा थी हर सातवें दिन विश्राम लेने की, जो मिस्त्र में फिरौन की गुलामी में बिताए गए जीवन के बिलकुल विपरीत थी क्योंकि गुलामी में उन्हें कोई विश्राम नहीं था वरन काम के बोझ को बढ़ा-बढ़ाकर उनपर लादा जाता था।
यह चौथी आज्ञा उन्हें बाध्य करती थी कि परमेश्वर के वे लोग सप्ताह का एक दिन परमेश्वर से संबंधित अनेक आवश्यक बातों को स्मरण करने के लिए पृथक कर लें। उन्हें उस दिन में मनन करना होता था परमेश्वर द्वारा सृष्टि की रचना तथा विश्राम के बारे में (उत्पत्ति 2:2), उनके मिस्त्र की गुलामी से छुड़ाए जाने के बारे में (व्यवस्थाविवरण 5:12-15), परमेश्वर के साथ उनके संबंध के बारे में (व्यवस्थाविवरण 6:4-6) और व्यक्तिगत रीति से तरोताज़ा होने के बारे में (निर्गमन 31:12-18)। उनका यह विश्राम दिन आलसी होकर बिताने के लिए नहीं वरन परमेश्वर की निकटता में बढ़ने, उसकी उपासना करने और उसमें विश्राम करने के लिए था।
आज हमें भी प्रभु धीमा होकर विश्राम लेने तथा शारिरिक, मानसिक और भावनात्मक तरोताज़गी को प्राप्त करने का आहवाहन करता है, परमेश्वर के साथ समय बिताने और उसकी उपासना करने को कहता है। - मार्विन विलियम्स
परमेश्वर के लिए जीना, परमेश्वर में विश्राम लेने के द्वारा ही होता है।
प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे हो कर, जो कुछ उन्होंने किया, और सिखाया था, सब उसको बता दिया। उसने उन से कहा; तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो; क्योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था। - मरकुस 6:30-31
बाइबल पाठ: निर्गमन 20:1-17
Exodus 20:1 तब परमेश्वर ने ये सब वचन कहे,
Exodus 20:2 कि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है।
Exodus 20:3 तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर कर के न मानना।
Exodus 20:4 तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है।
Exodus 20:5 तू उन को दण्डवत न करना, और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं,
Exodus 20:6 और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं, उन हजारों पर करूणा किया करता हूं।
Exodus 20:7 तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ ले वह उसको निर्दोष न ठहराएगा।
Exodus 20:8 तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना।
Exodus 20:9 छ: दिन तो तू परिश्रम कर के अपना सब काम काज करना;
Exodus 20:10 परन्तु सातवां दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है। उस में न तो तू किसी भांति का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर हो।
Exodus 20:11 क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्राम किया; इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया।
Exodus 20:12 तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिस से जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तू बहुत दिन तक रहने पाए।
Exodus 20:13 तू खून न करना।
Exodus 20:14 तू व्यभिचार न करना।
Exodus 20:15 तू चोरी न करना।
Exodus 20:16 तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना।
Exodus 20:17 तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना।
एक साल में बाइबल:
- भजन 135-136
- 1 कुरिन्थियों 12
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