livescience.com वेबसाईट पर मैंने मानव आँख के बारे में कुछ अद्भुत बातें पढ़ीं: "यदि आप एक ऊँचे पहाड़ की चोटी पर खड़े हैं जिससे पृथ्वी का सामान्य से अधिक भाग देखा जा सकता है, तो आप को सैंकड़ों मील दूर की चमकीली रौशनी का भी आभास हो सकता है। अंधेरी रात में, तीस मील (48 किलोमीटर) दूर स्थित जलती हुई मोमबत्ती की लौ भी आप देख सकते हैं। किसी दूरबीन या रात में देखने वाले चश्मे की आवश्यकता नहीं है - मानव आँख इतनी विलक्षण रीति से बनाई गई है कि स्पष्ट वातावरण में लंबी दूरी पर स्थित चीज़ें भी देखी जा सकती हैं।
ये तथ्य हमारे अद्भुत सृष्टिकर्ता की रचनात्मक सामर्थ के अद्भुत गवाह हैं, जिसने ना केवल मानव आँख वरन हमारी सृष्टि की प्रत्येक ची़ज़ बड़ी बारीकी से बनाई है। और सृष्टि की किसी भी अन्य वस्तु से हटकर, उस परमेश्वर ने हमें अपने स्वरूप में बनाया है (उत्पत्ति 1:26-27)। "उसके स्वरूप" में होने का अर्थ केवल देख पाने तक ही सीमित नहीं है; इसका तात्पर्य है परमेश्वर की समानता में होना जिससे हम उसके साथ सम्पर्क तथा संगति रखने की क्षमता प्राप्त करते हैं।
हम दाऊद की अभीव्यक्ति "मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं" (भजन 139:14) के साथ अपनी सहमति घोषित कर सकते हैं। परमेश्वर पिता द्वारा ना केवल हमें सृष्टि को देखने के लिए आँखें दी गईं हैं, वरन हमें ऐसा रचा गया है कि प्रभु यीशु मसीह में लाए गए विश्वास द्वारा एक दिन हम परमेश्वर को भी द्खेंगे, उसकी समानता में सिद्ध हो जाएंगे और उसके साथ अनन्तकाल तक संगति में रहेंगे। - बिल क्राउडर
परमेश्वर की संपूर्ण सृष्टि उसके सृष्टिकर्ता होने की गवाही देती है।
फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की। - उत्पत्ति 1:26-27
बाइबल पाठ: भजन 139:1-16
Psalms 139:1 हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।
Psalms 139:2 तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है।
Psalms 139:3 मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है।
Psalms 139:4 हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो।
Psalms 139:5 तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है।
Psalms 139:6 यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है।
Psalms 139:7 मैं तेरे आत्मा से भाग कर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं?
Psalms 139:8 यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है!
Psalms 139:9 यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं,
Psalms 139:10 तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा।
Psalms 139:11 यदि मैं कहूं कि अन्धकार में तो मैं छिप जाऊंगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अन्धेरा हो जाएगा,
Psalms 139:12 तौभी अन्धकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अन्धियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं।
Psalms 139:13 मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा।
Psalms 139:14 मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।
Psalms 139:15 जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हडि्डयां तुझ से छिपी न थीं।
Psalms 139:16 तेरी आंखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहिले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति 43-45
- मत्ती 12:24-50
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति हरिवंश राय 'बच्चन' और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
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