जब चक्रवादी तूफान कैट्रीना मिसीसिपी प्रांत के समुद्र तट की ओर बढ़ रहा था, तो एक सेवानिवृत हुए पास्टर और उसकी पत्नि से उनकी पुत्री ने बहुत आग्रह किया कि वे अटलांटा आ जाएं जहाँ वह उनकी देखभाल कर सकती थी। परन्तु क्योंकि बैंक बन्द हो गए थे इसलिए वह दंपति अटलांटा की यात्रा के लिए पर्याप्त पैसे का इन्तज़ाम नहीं कर सका और उन्हें अपना घर छोड़ कर एक आश्रय स्थल में जाना पड़ा। तूफान के गुज़र जाने के पश्चात, वे अपने घर गए जिससे कि अपने सामान को संभाल सकें, जहाँ पानी में तैर रही केवल कुछ पारिवारिक फोटो ही उन्हें मिलीं। जब वह पास्टर फोटो फ्रेम में से सुखाने के लिए अपने पिता की फोटो निकाल रहे थे तो उस फ्रेम में से $366 बाहर निकल कर गिरे, जो उन दोनों के लिए अटलांटा जाने का हवाई टिकिट खरिदने के लिए पर्याप्त रकम थी। यह उनके लिए पाठ था कि अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वे प्रभु यीशु पर विश्वास रख सकते थे।
परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस 4:35-41 में दी गई घटना प्रभु यीशु के चेलों के लिए प्रभु में विश्वास बनाए रखने का पाठ था। प्रभु यीशु ने अपने चेलों से गलील की झील के उस पार जाने के लिए कहा और नाव में सो गया। झील पार करते हुए अनायास ही एक तेज़ तूफान ने उन्हें घेर लिया और उफनती हुई लहरों तथा तेज़ हवा को देखकर चेले घबरा गए। उन्होंने प्रभु को सोते से उठाया और कहा, "हे गुरू, क्या तुझे चिन्ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं?" (पद 38); तब प्रभु यीशु ने "उठ कर आन्धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्त रह, थम जा”: और आन्धी थम गई और बड़ा चैन हो गया" (पद 39)।
जीवन में हम सब को अनेक प्रकार के तूफानों - सताव, आर्थिक कठिनाईयाँ, बीमारियाँ, निराशाएँ, एकाकीपन इत्यादि का सामना करना पड़ता है - और प्रभु यीशु सदा उनको रोक कर नहीं रखता है। परन्तु उसने हम से प्रतिज्ञा की है कि वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा, कभी नहीं त्यागेगा (इब्रानियों 13:5)। वह हर तूफान में हमें शान्त रखेगा। - मार्विन विलियम्स
जीवन के तूफानों में हम अपने प्रभु परमेश्वर के चरित्र को देख सकते हैं।
तुम्हारा स्वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। - इब्रानियों 13:5
बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-41
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,।
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं।
Mark 4:37 तब बड़ी आन्धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी।
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं?
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्त रह, थम जा”: और आन्धी थम गई और बड़ा चैन हो गया।
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?
एक साल में बाइबल:
- 1 इतिहास 28-29
- यूहन्ना 9:24-41
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