ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 27 मई 2017

छाप


   जुलाई 1860 में विश्व का सबसे पहला नर्सिंग विद्यालय लंडन के सेंट थॉमस हॉस्पिटल में खोला गया। आज वह विद्यालय किंग्स कॉलेज का एक भाग है और वहाँ नर्सिंग पढ़ने आई छात्राओं को "नाईटिंगेल्स" कहा जाता है। नर्सिंग ही के समान, उस विद्यालय को भी फ्लोरेंस नाईटिंगेल्स ने, जिसने क्रीमियाई युध्द के दौरान नर्सिंग पध्द्ति में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया था, स्थापित किया था। जब भावी नर्सें अपना प्रशिक्षण पूरा कर लेती हैं तो वे सेवा की शपथ लेती हैं जिसे "नाईटिंगेल शपथ" कहा जाता है। यह सब नर्सिंग पर फ्लोरेंस नाईटिंगेल द्वारा छोड़ी गई छाप को दिखाता है।

   फ्लोरेंस नाईटिंगेल के समान ही अनेकों लोगों ने हमारे संसार में प्रभावी छाप छोड़ी है। परन्तु जितनी प्रभावी छाप प्रभु यीशु ने छोड़ी है, उतनी किसी ने कभी भी, कहीं भी नहीं छोड़ी है। प्रभु यीशु के जन्म, जीवन, क्रूस पर दिया गया बलिदान और मृतकों में से पुनरुत्थान की गाथा पिछले 2000 वर्षों से सारे संसार में लोगों के जीवनों को परिवर्तित करती आ रही है।

   सारे संसार में प्रभु यीशु के नाम से उनके अनुयायी जाने जाते रहे हैं, आरंभिक मसीही विश्वासियों की मण्डलियों में भी: "और जब उन से मिला तो उसे अन्‍ताकिया में लाया, और ऐसा हुआ कि वे एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते और बहुत लोगों को उपदेश देते रहे, और चेले सब से पहिले अन्‍ताकिया ही में मसीही कहलाए" (प्रेरितों 11:26)।

   जो प्रभु यीशु मसीह के नाम को उपनाते हैं, फिर वे उसके नाम से ही पहचाने जाते हैं क्योंकि उनके जीवन उसके प्रेम और अनुग्रह के द्वारा बदल दिए जाते हैं। हम मसीही विश्वासी, यीशु मसीह के नाम को अपनाने के द्वारा संसार के समक्ष यह घोषणा करते हैं कि प्रभु यीशु ने हमारे जीवनों में अनन्तकाल का परिवर्तन किया है, हम पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है; और अब हमारी यह लालसा है कि यही छाप औरों के जीवन में भी दिखाई दे। - बिल क्राउडर


मसीह यीशु के अनुयायी - मसीही - उसके नाम की छाप द्वारा जाने जाते हैं।

और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा। - 2 कुरिन्थियों 5:15

बाइबल पाठ: प्रेरितों 11:19-26
Acts 11:19 सो जो लोग उस क्‍लेश के मारे जो स्‍तिफनुस के कारण पड़ा था, तित्तर बित्तर हो गए थे, वे फिरते फिरते फीनीके और कुप्रुस और अन्‍ताकिया में पहुंचे; परन्तु यहूदियों को छोड़ किसी और को वचन न सुनाते थे। 
Acts 11:20 परन्तु उन में से कितने कुप्रुसी और कुरेनी थे, जो अन्‍ताकिया में आकर युनानियों को भी प्रभु यीशु का सुसमचार की बातें सुनाने लगे। 
Acts 11:21 और प्रभु का हाथ उन पर था, और बहुत लोग विश्वास कर के प्रभु की ओर फिरे। 
Acts 11:22 तब उन की चर्चा यरूशलेम की कलीसिया के सुनने में आई, और उन्होंने बरनबास को अन्‍ताकिया भेजा। 
Acts 11:23 वह वहां पहुंचकर, और परमेश्वर के अनुग्रह को देखकर आनन्‍दित हुआ; और सब को उपदेश दिया कि तन मन लगाकर प्रभु से लिपटे रहो। 
Acts 11:24 क्योंकि वह एक भला मनुष्य था; और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण था: और और बहुत से लोग प्रभु में आ मिले। 
Acts 11:25 तब वह शाऊल को ढूंढने के लिये तरसुस को चला गया। 
Acts 11:26 और जब उन से मिला तो उसे अन्‍ताकिया में लाया, और ऐसा हुआ कि वे एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते और बहुत लोगों को उपदेश देते रहे, और चेले सब से पहिले अन्‍ताकिया ही में मसीही कहलाए।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 1-3
  • यूहन्ना 10:1-23


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें