मैं एक वृद्धाश्रम में हॉल में पीछे खड़ा अपने
बेटी के हाई-स्कूल की संगीत मण्डली द्वारा गाए जाने वाले मसीही स्तुतिगीत “It is Well,
It is Well With My Soul” (है खुशहाल, है खुशहाल, मेरी जान) को सुन रहा था और सोच
रहा थी कि मेरी बेटी ने, जो उस संगीत मण्डली की संचालक थी, इस स्तुति गीत को क्यों
चुना? वह जानती थी कि यह गीत उसकी बहन की अंत्येष्टि के समय बजाया गया था, और जब
भी मैं इस गीत को सुनता हूँ तो मेरे लिए अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखना कठिन
हो जाता है।
मेरे इन विचारों को बाधित करते हुए, मेरे निकट
बैठे हुए एक पुरुष ने मुझ से कहा, “मुझे यही सुनने की आवश्यकता थी।” मैंने उन्हें अपना
परिचय दिया और उनसे पूछा, कि उन्हें इस गीत की आवश्यकता क्यों थी? उन्होंने उत्तर
दिया, “अभी पिछले सप्ताह ही एक मोटरसाईकिल
दुर्घटना में मेरे पुत्र का देहांत हुआ है; इस गीत की सांत्वना की मुझे आवश्यकता
थी।”
“ओहो! मैं तो अपने आप पर ही इतना केंद्रित हो
रखा था कि मैंने औरों की आवश्यकता के बारे
में सोचा ही नहीं, किन्तु परमेश्वर उस गीत को वहाँ उपयोगी कर रहा था जहाँ इसकी
आवश्यकता थी।” मैंने उस व्यक्ति, मैक, से जो उस वृद्धाश्रम में कार्य करता था मित्रता
बढ़ाई, और हमने साथ बैठकर कठिन समयों में परमेश्वर की देखभाल के बारे में बातचीत की।
हमारे चारों ओर आवश्यकताओं से भरे लोग हैं,
कभी-कभी उनकी सहायता के लिए हमें अपनी भावनाओं और कार्यक्रम को अलग रखना होता है।
ऐसा करने का एक तरीका है वह स्मरण करना जिसके द्वारा हमारे कठिन समयों और विपरीत
परिस्थितियों में परमेश्वर ने हमें शान्ति और सांत्वना दी है, जिससे कि हम औरों को
भी वही प्रदान कर सकें (2 कुरिन्थियों 1:4)।
अपनी ही बातों और चिंताओं में तल्लीन हो कर अपने साथ या निकट के किसी व्यक्ति की
आवश्यकता को नज़रंदाज़ कर देना बहुत सरल होता है।
हमें ध्यान रखना चाहिए कि हो सकता है कि हमारे
आस-पास के किसी व्यक्ति को किसी बात के लिए प्रार्थना की, सान्तवना के कुछ शब्दों
की, हिम्मत दिलाने वाले आलिंगन की, प्रभु यीशु के नाम में प्रेम और करुणा दिखाए
जाने की, आवश्यकता हो सकती है। लोगों की आवश्यकता के प्रति संवेदनशील बने रहने से
हम मसीही व्यवहार को उनके समक्ष प्रभावी रीति से रख सकते हैं। - डेव ब्रैनन
सांत्वना
प्राप्त करके सांत्वना बाँटना भी आवश्यक है।
मैं, मैं ही तेरा शान्तिदाता हूं; तू कौन है जो मरने वाले
मनुष्य से, और घास के समान मुर्झाने वाले आदमी से डरता है –
यशायाह 51:12
बाइबल पाठ:
2 कुरिन्थियों 1:3-7
2
Corinthians 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर है।
2
Corinthians 1:4 वह हमारे सब क्लेशों में शान्ति देता है; ताकि हम उस शान्ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्लेश
में हों।
2
Corinthians 1:5 क्योंकि जैसे मसीह के दुख हम को अधिक होते हैं,
वैसे ही हमारी शान्ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है।
2
Corinthians 1:6 यदि हम क्लेश पाते हैं, तो
यह तुम्हारी शान्ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति के लिये है; जिस के प्रभाव
से तुम धीरज के साथ उन क्लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम
भी सहते हैं।
2
Corinthians 1:7 और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुखों के वैसे ही
शान्ति के भी सहभागी हो।
एक साल में
बाइबल:
- 1 राजा 14-15
- लूका 22:21-46
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