ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 2 मई 2018

चमक



   एक छोटी लड़की को कौतूहल था कि संत कैसे होते हैं? एक दिन उसकी माँ उसे एक बड़े चर्च-भवन में ले गई, जिसकी खिड़कियों और दीवारों पर रंगीन काँच से बाइबल की कहानियों और लोगों के दृश्य बने हुए थे। बाहर से चमक रही धूप उन रंगीन काँच से बने दृश्यों में से होकर अन्दर आ रही थी। इस सुन्दर दृश्य को देखकर वह लड़की ऊँची आवाज़ में बोल उठी, “अब मुझे पता चल गया कि संत कैसे होते हैं; वे अपने में से रौशनी को चमकने देने वाले होते हैं!”

   हम में से कुछ विचार रख सकते हैं कि संत वे होते हैं जो सिद्ध जीवन जीते हैं, और प्रभु यीशु के समान आश्चर्यकर्म करते हैं। परन्तु जब परमेश्वर के वचन बाइबल का कोई अनुवाद ‘संत’ शब्द का प्रयोग करता है, तब वह एक ऐसे व्यक्ति के विषय कह रहा होता है जो प्रभु यीशु में लाए गए विश्वास के द्वारा परमेश्वर का जन बना गया है। दूसरे शब्दों में, संत भी हम मसीही विश्वासियों के समान ही लोग होते हैं, जिन्हें परमेश्वर की सेवा करने की उच्च बुलाहट प्राप्त होती है, और जो भी वे करते हैं उसके द्वारा परमेश्वर के साथ अपने संबंधों को प्रतिबिंबित करते हैं। इसीलिए प्रेरित पौलुस ने अपने पाठकों के लिए प्रार्थना करी कि उनकी आँखें ज्योतिर्मय हो जाएँ जिससे वे जाने कि पवित्र लोगों में उनकी मीरास की महिमा का धन कैसा है (इफिसियों 1:18)।

   सो अब जब हम दर्पण देखते हैं, तो क्या दिखाई देता है? वहाँ हमें न तो रंगीन काँच में से चमकती हुई रौशनी दिखती है और न ही हमारे सिर के चारों ओर रौशनी की कोई गोलाकार आकृति। परन्तु यदि हम परमेश्वर द्वारा हमें दी गई बुलाहट और दायित्व को पूरा कर रहे हैं, तो हम उन लोगों के समान दिखाई देंगे, जो स्वतः ही अपने जीवनों से परमेश्वर के प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, दयालुता, कोमलता, और आत्म-संयम के सदगुणों की रौशनी को अपने जीवनों में से चमकने देते हैं। - कीला ओकोआ


संत वे होते हैं जिनमें से होकर परमेश्वर की ज्योति सँसार पर चमकती है।

और तुम्हारे मन की आंखें ज्योतिर्मय हों कि तुम जान लो कि उसके बुलाने से कैसी आशा होती है, और पवित्र लोगों में उस की मीरास की महिमा का धन कैसा है। - इफिसियों 1:18

बाइबल पाठ: मत्ती 5:13-16
Matthew 5:13 तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्‍वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए।
Matthew 5:14 तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता।
Matthew 5:15 और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है।
Matthew 5:16 उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 12-13
  • लूका 22:1-20



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें