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बुधवार, 31 अक्टूबर 2018

योजना



      मेरी एक मित्र अपने कार्य से सेवा-निवृत्ति पाने वाली थी, और मैंने उससे पूछा कि जीवन के अगले चरण के लिए उसकी क्या योजना है? उसने कहा कि वह सुनिश्चित करना चाहती है कि उसके पास जीवन यापन के लिए पर्याप्त पैसा रहे। इस वार्तालाप के अगले दिन, मैं अपने आर्थिक सलाहकार के साथ बात कर रहा था, और उसने मुझे सलाह दी कि मैं कैसे सुनिश्चित कर सकता हूँ कि मेरे पास पैसे की कमी न होने पाए। इसमें कोई संदेह नहीं कि हम सभी चाहते हैं कि हमारे पास हमारे शेष जीवन भर के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध रहें।

      किन्तु कोई भी आर्थक योजना पृथ्वी पर इस प्रकार की सुरक्षा की संपूर्ण गारंटी नहीं दे सकती है। परन्तु एक योजना है जो न केवल पृथ्वी पर, वरन इस जीवन के बाद भी अनन्त काल तक के लिए हमें सुरक्षा प्रदान कर सकती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में इसका विवरण दिया गया है। प्रभु यीशु का शिष्य, प्रेरित पतरस इसके विषय लिखते हुए कहता है, “हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद दो, जिसने यीशु मसीह के हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिये नया जन्म दिया। अर्थात एक अविनाशी और निर्मल, और अजर मीरास के लिये” (1 पतरस 1:3-4)।

      जब हम प्रभु यीशु मसीह में विशवास लाते हैं और उससे अपने पापों की क्षमा माँगकर अपना जीवन उसे समर्पित कर देते हैं, तब हम अपने उस विश्वास के द्वारा परमेश्वर की संतान और उसके घराने के हो जाते हैं, और परमेश्वर की अनन्त, अक्षय मीरास के वारिस बन जाते हैं। विश्वास से मिली इस आशीष के कारण, हम अनन्त काल तक जीवित रहेंगे और हमें कभी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में कमी नहीं होगी।

      यदि हम ऐसा कर सकते हैं, तो सेवा-निवृत्ति के लिए योजनाएं बनाना अच्छा है। परन्तु सबसे अधिक महत्वपूर्ण है ऐसे अक्षय संसाधनों और मीरास का वारिस होना, जिसकी सुरक्षा सदा बनी रहेगी, उपलब्ध रहेगी। और ऐसी योजना का लाभार्थी होना केवल प्रभु यीशु मसीह में लाए गए विश्वास के द्वारा ही संभव है। - डेव ब्रैनन


स्वर्ग की प्रतिज्ञा हमारी अनन्त आशा है।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: 1 पतरस 1:3-9
1 Peter 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद दो, जिसने यीशु मसीह के हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिये नया जन्म दिया।
1 Peter 1:4 अर्थात एक अविनाशी और निर्मल, और अजर मीरास के लिये।
1 Peter 1:5 जो तुम्हारे लिये स्वर्ग में रखी है, जिन की रक्षा परमेश्वर की सामर्थ से, विश्वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आने वाले समय में प्रगट होने वाली है, की जाती है।
1 Peter 1:6 और इस कारण तुम मगन होते हो, यद्यपि अवश्य है कि अब कुछ दिन तक नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण उदास हो।
1 Peter 1:7 और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे।
1 Peter 1:8 उस से तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास कर के ऐसे आनन्‍दित और मगन होते हो, जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है।
1 Peter 1:9 और अपने विश्वास का प्रतिफल अर्थात आत्माओं का उद्धार प्राप्त करते हो।


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 22-23
  • तीतुस 1



मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

सुनना



      मुझे लग रहा था मानों मैं पानी के अन्दर हूँ, ज़ुकाम और एलर्जी के कारण मेरे कान बन्द थे और आवाजें बहुत दबी हुई आ रहीं थीं, मुझे साफ़ सुनाई नहीं दे रहा था; मैं स्पष्ट सुन पाने के लिए संघर्ष कर रहा था। मेरी उस स्थिति ने मुझे एहसास करवाया कि मैं सुन पाने की अपनी क्षमता को कितना हलके में लेता हूँ।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में शमूएल भविष्यद्वक्ता के जीवन का भी वर्णन है। बचपन में उसकी परवरिश परमेश्वर के मंदिर में महापुरोहित ऐली के परिवार के साथ हुई थी। उसके बचपन की घटना है, जब रात्रि में सोते समय परमेश्वर ने तीन बार उसे उसका नाम लेकर बुलाया। छोटे शमूएल को अपना नाम पुकारे जाने पर अचरज हुआ, विशेषकर जब वह तीनों बार उठकर ऐली के पास गया और ऐली ने कहा कि उसने शमूएल को नहीं बुलाया। लेकिन तीसरी बार ऐली समझ गया कि परमेश्वर शमूएल से बातें कर रहा है। उन दिनों परमेश्वर का वचन दुर्लभ था और लोग परमेश्वर की वाणी को सुनने के आदी नहीं थे। परन्तु ऐली ने शमूएल को निर्देश दिए कि फिर से परमेश्वर की वाणी सुनने पर वह क्या करे।

      परमेश्वर आज हम से उन दिनों से कहीं अधिक स्पष्टता से बातें करता है, अपने वचन बाइबल के द्वारा। इब्रानियों की पत्री में लिखा है, “पूर्व युग में परमेश्वर ने बाप दादों से थोड़ा थोड़ा कर के और भांति भांति से भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें कर के। इन दिनों के अन्‍त में हम से पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उसने सारी वस्‍तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्‍टि रची है” (इब्रानियों 1:1-2)। प्रेरितों 2 में हम पिन्तेकुस्त के दिन पवित्र आत्मा के आगमन के विषय पढ़ते हैं, जो हमें मसीह यीशु की शिक्षाओं को समझाता है “परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा” (यूहन्ना 16:13)। परन्तु हमें परमेश्वर की वाणी को सुनकर आज्ञाकारिता में उसका प्रत्युत्तर देना सीखने की आवश्यकता है।

      जैसे ज़ुकाम के समय में मैं आवाजों को स्पष्ट नहीं सुन पा रहा था, और मुझे प्रयास करके समझना पड़ रहा था कि क्या कहा जा रहा है, वैसे ही हमें भी परमेश्वर की वाणी को स्पष्ट समझने के लिए प्रयास करना सीखना होगा। परमेश्वर के वचन बाइबल तथा अन्य परिपक्व मसीही विश्वासियों की सहायता के द्वारा हम ऐसा कर सकते हैं; परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमें सिखाता है। परमेश्वर, अपनी सन्तान, हम मसीही विश्वासियों से बातें करना चाहता है; वह हमें अनन्त जीवन की बातें सिखाना चाहता है। - एमी बाउचर पाई


परमेश्वर अपनी संतानों से बात करता है, परन्तु हमें उसकी वाणी को पहचानना होगा।

मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूं, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं। - यूहन्ना 10:27

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 3:10
1 Samuel 3:1 और वह बालक शमूएल एली के साम्हने यहोवा की सेवा टहल करता था। और उन दिनों में यहोवा का वचन दुर्लभ था; और दर्शन कम मिलता था।
1 Samuel 3:2 और उस समय ऐसा हुआ कि (एली की आंखे तो धुंघली होने लगी थीं और उसे न सूझ पड़ता था) जब वह अपने स्थान में लेटा हुआ था,
1 Samuel 3:3 और परमेश्वर का दीपक अब तक बुझा नहीं था, और शमूएल यहोवा के मन्दिर में जहाँ परमेश्वर का सन्दूक था लेटा था;
1 Samuel 3:4 तब यहोवा ने शमूएल को पुकारा; और उसने कहा, क्या आज्ञा!
1 Samuel 3:5 तब उसने एली के पास दौड़कर कहा, क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है। वह बोला, मैं ने नहीं पुकारा; फिर जा लेट रह। तो वह जा कर लेट गया।
1 Samuel 3:6 तब यहोवा ने फिर पुकार के कहा, हे शमूएल! शमूएल उठ कर एली के पास गया, और कहा, क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है। उसने कहा, हे मेरे बेटे, मैं ने नहीं पुकारा; फिर जा लेट रह।
1 Samuel 3:7 उस समय तक तो शमूएल यहोवा को नहीं पहचानता था, और न तो यहोवा का वचन ही उस पर प्रगट हुआ था।
1 Samuel 3:8 फिर तीसरी बार यहोवा ने शमूएल को पुकारा। और वह उठके एली के पास गया, और कहा, क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है। तब एली ने समझ लिया कि इस बालक को यहोवा ने पुकारा है।
1 Samuel 3:9 इसलिये एली ने शमूएल से कहा, जा लेट रहे; और यदि वह तुझे फिर पुकारे, तो तू कहना, कि हे यहोवा, कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है तब शमूएल अपने स्थान पर जा कर लेट गया।
1 Samuel 3:10 तब यहोवा आ खड़ा हुआ, और पहिले के समान पुकारा, शमूएल! शमूएल! शमूएल ने कहा, कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है।


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 20-21
  • 2 तिमुथियुस 4



सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

प्रार्थना



      हमारे शहर के एक व्यक्ति, एलेन ननिंगा के देहांत होने पर छापी गई उनकी निधन-सूचना में उन्हें “सर्वप्रथम, मसीह का एक समर्पित गवाह” कहा गया। उनके पारिवारिक जीवन और जीविका-कार्य के वर्णन के उपरान्त, उस लेख में उनके लगभग एक दशक तक बिगड़ते चले आ रहे स्वास्थ्य के बारे में बताया गया, और लेख के अन्त में लिखा हुआ था, “उनके बारम्बार अस्पताल में भर्ती होते रहने और वहाँ जो गवाही उन्होंने रखी, उसके कारण उन्हें ‘प्रार्थना करते रहने वाला मरीज़’ उपनाम मिला।” अन्य मरीजों के लिए की गई उनकी सेवा, और अपने कष्टों के बावजूद, अपने चारों ओर विद्यमान अन्य लोगों के दुखों में उनके लिए प्रार्थनाएं करने के कारण वे अस्पताल में इस उपनाम से जाने जाते थे।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि यहूदा इस्करियोती द्वारा धोखा देकर पकड़वाए जाने के कुछ ही घंटे पहले प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों के लिए प्रार्थना की, और उस प्रार्थना में कहा, “मैं आगे को जगत में न रहूंगा, परन्तु ये जगत में रहेंगे, और मैं तेरे पास आता हूं; हे पवित्र पिता, अपने उस नाम से जो तू ने मुझे दिया है, उन की रक्षा कर, कि वे हमारे समान एक हों” (यूहन्ना 17:11)। यह जानते हुए भी कि उनके साथ कुछ ही समय में क्या होने जा रहा है, प्रभु ने अपनी नहीं, अपने शिष्यों और मित्रों तथा अन्य लोगों की चिंता की।

      अपनी बीमारी और परेशानी में हम औरों की प्रार्थनाओं के लालायित रहते हैं। वे प्रार्थनाएं हमें प्रोत्साहित करती हैं, हमारी सहायता करती हैं। परन्तु अपने प्रभु परमेश्वर के समान, हम भी अपने चारों ओर के लोगों की आवश्यकताओं के लिए प्रार्थना करें। - डेविड मैक्कैस्लैंड


हमारी परेशानियां हमारी प्रार्थनाओं में औरों के लिए प्रेम और सहानुभूति भर सकती हैं।

निरन्‍तर प्रार्थना मे लगे रहो। - 1 थिस्सलुनीकियों 5:17

बाइबल पाठ: यूहन्ना 17:6-19
John 17:6 मैं ने तेरा नाम उन मनुष्यों पर प्रगट किया जिन्हें तू ने जगत में से मुझे दिया: वे तेरे थे और तू ने उन्हें मुझे दिया और उन्होंने तेरे वचन को मान लिया है।
John 17:7 अब वे जान गए हैं, कि जो कुछ तू ने मुझे दिया है, सब तेरी ओर से है।
John 17:8 क्योंकि जो बातें तू ने मुझे पहुंचा दीं, मैं ने उन्हें उन को पहुंचा दिया और उन्होंने उन को ग्रहण किया: और सच सच जान लिया है, कि मैं तेरी ओर से निकला हूं, और प्रतीति कर ली है कि तू ही ने मुझे भेजा।
John 17:9 मैं उन के लिये बिनती करता हूं, संसार के लिये बिनती नहीं करता हूं परन्तु उन्‍हीं के लिये जिन्हें तू ने मुझे दिया है, क्योंकि वे तेरे हैं।
John 17:10 और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा है; और जो तेरा है वह मेरा है; और इन से मेरी महिमा प्रगट हुई है।
John 17:11 मैं आगे को जगत में न रहूंगा, परन्तु ये जगत में रहेंगे, और मैं तेरे पास आता हूं; हे पवित्र पिता, अपने उस नाम से जो तू ने मुझे दिया है, उन की रक्षा कर, कि वे हमारे समान एक हों।
John 17:12 जब मैं उन के साथ था, तो मैं ने तेरे उस नाम से, जो तू ने मुझे दिया है, उन की रक्षा की, मैं ने उन की चौकसी की और विनाश के पुत्र को छोड़ उन में से काई नाश न हुआ, इसलिये कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो।
John 17:13 परन्तु अब मैं तेरे पास आता हूं, और ये बातें जगत में कहता हूं, कि वे मेरा आनन्द अपने में पूरा पाएं।
John 17:14 मैं ने तेरा वचन उन्हें पहुंचा दिया है, और संसार ने उन से बैर किया, क्योंकि जैसा मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।
John 17:15 मैं यह बिनती नहीं करता, कि तू उन्हें जगत से उठा ले, परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्‍ट से बचाए रख।
John 17:16 जैसे मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।
John 17:17 सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है।
John 17:18 जैसे तू ने जगत में मुझे भेजा, वैसे ही मैं ने भी उन्हें जगत में भेजा।
John 17:19 और उन के लिये मैं अपने आप को पवित्र करता हूं ताकि वे भी सत्य के द्वारा पवित्र किए जाएं।


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 18-19
  • 2 तिमुथियुस 3



रविवार, 28 अक्टूबर 2018

गिनती



      मेरा बेटा एक से दस तक गिनती करना सीख रहा है। जो भी उसके सामने होता है, वह सब को गिनने लगता है, अपने खिलौनों से लेकर पेड़ों तक। वह उन्हें भी गिनता रहता है मैं जिन्हें नज़रंदाज़ कर देती हूँ, जैसे के स्कूल के मार्ग में उगने वाले जंगली फूलों को, या मेरे पैर की उँगलियों को!

      मेरा बेटा मुझे भी गिनना सिखा रहा है। बहुधा मैं उन कार्यों में जिन्हें मैं पूरा नहीं करने पाई हूँ, या उन वस्तुओं में जो मेरे पास नहीं हैं, इतनी लीन हो जाती हूँ कि जो कुछ मुझे मिल चुका है, वे भली वस्तुएँ जो मेरे पास हैं उनका ध्यान करना भूल जाती हूँ। इस वर्ष मुझे जो नए मित्र मिले हैं, मेरी जिन प्रार्थनाओं का उत्तर मुझे मिल गया है, मेरे जीवन में आए आनन्द के समय, मित्रों के साथ बिताए आनन्द और हंसी-खुशी के पल, आदि बातों की गिनती करना मुझे कम ही याद रहता है।

      परमेश्वर जो मुझे दिन-प्रति-दिन देता रहता है, उस सब की गिनती कर पाने के लिए हाथों की दस ऊंगलियां पर्याप्त नहीं हैं। जैसे परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार कहता है, “हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्म और कल्पनाएं तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! मैं तो चाहता हूं की खोल कर उनकी चर्चा करूं, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती” (भजन 40:5)। परमेश्वर से मिली, और मिलती रहने वाली भलाई, उद्धार, अनन्त-जीवन, आदि आशीषों की कोई क्या गिनती कर सकता है, और कैसे?

      हम हमारे प्रति परमेश्वर के बहुमूल्य विचारों के लिए उसकी आराधना करें, दाऊद के साथ मिलकर कहें, “और मेरे लिये तो हे ईश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है। यदि मैं उन को गिनता तो वे बालू के किनकों से भी अधिक ठहरते। जब मैं जाग उठता हूं, तब भी तेरे संग रहता हूं” (भजन 139:17-18)।

      हम गिनती करना सीखें! – केला ओकोआ


परमेश्वर की अनगिनित आशीषों और भलाईयों के लिए उसके धन्यवादी और कृतज्ञ हों।

क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानि की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा। - यिर्मयाह 29:11

बाइबल पाठ: भजन 139:14-18
Psalms 139:14 मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।
Psalms 139:15 जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हडि्डयां तुझ से छिपी न थीं।
Psalms 139:16 तेरी आंखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहिले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।
Psalms 139:17 और मेरे लिये तो हे ईश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है।
Psalms 139:18 यदि मैं उन को गिनता तो वे बालू के किनकों से भी अधिक ठहरते। जब मैं जाग उठता हूं, तब भी तेरे संग रहता हूं।


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 15-17
  • 2 तिमुथियुस 2



शनिवार, 27 अक्टूबर 2018

विचार



      परमेश्वर के वचन बाइबल में गिनती 33 एक ऐसा अध्याय है जिस पर हम बिना मनन किए आगे बढ़ जाते होंगे। यह अध्याय इस्राएल के मिस्र से निकलकर मोआब के मैदान तक आने की यात्रा के पड़ावों की लंबी सूची है। परन्तु अवश्य ही यह महतवपूर्ण होगा, क्योंकि गिनती की पुस्तक का यही एकमात्र खण्ड है जिसके पहले यह लिखा हुआ आया है कि “जब से इस्त्राएली मूसा और हारून की अगुवाई से दल बान्धकर मिस्र देश से निकले, तब से उनके ये पड़ाव हुए। मूसा ने यहोवा से आज्ञा पाकर उनके कूच उनके पड़ावों के अनुसार लिख दिए; और वे ये हैं” (गिनती 33: 1-2)।

      इस प्रकार यात्रा के पड़ावों का लेखा रखने का क्या महत्व हो सकता है? क्या यह संभव है कि यह सूची इस्राएलियों को एक ऐसा ख़ाका प्रदान करती, जिसके सहारे वे अपनी चालीस वर्ष की यात्रा के अनुभवों की स्मृतियों को ताज़ा कर सकते थे, उन्हें अपनी संतानों के समक्ष दोहरा सकते थे।

      मैं कल्पना कर सकता हूँ कि इस्राएल के किसी परिवार का कोई वृद्ध अपने परिवार के साथ अलाव के चारों ओर बैठा हुआ है, और बच्चों को उस चालीस वर्ष की यात्रा के अनुभवों के संसमरणों को बता रहा है; वह कह रहा होगा, “मैं रपीदीम को कभी नहीं भूल सकता हूँ! हम प्यास से बेहाल थे, चारों ओर सैकड़ों मीलों तक केवल रेत और सूखी झाड़ियों के अतिरिक्त और कुछ नहीं था। फिर परमेश्वर ने मूसा को निर्देश दिया कि वह अपनी लाठी ले और वहाँ की एक चट्टान पर, जो कठोर पत्थर के अतिरिक्त और कुछ नहीं थी, मारे! हम सोचने लगे, यह कितना व्यर्थ कार्य है; उस चट्टान को मारने से भला क्या होगा? परन्तु हम सब आश्चर्यचकित रह गए जब मूसा के चट्टान पर मारते ही उसमें से पानी की नदी फूट निकली जो हम लाखों इस्राएलियों की प्यास बुझाने और अन्य आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त थी। मैं उस दिन को कभी नहीं भूलूंगा।” (देखिए भजन 114:8; निर्गमन 17:1-7; गिनती 20:1-13)।

      क्यों न हम अपने जीवनों के साथ भी ऐसा ही करके देखें? अपने जीवनों को उनके विभिन्न पड़ावों, परिस्थितियों और आयु के अनुसार स्मरण कर के देखें, और विचार करें कि परमेश्वर हमें कैसे लिए चलता आया है, हमारे प्रति विश्वासयोग्य रहा है, हमारी आवश्यकताओं को पूरा करता है, अपने प्रेम में हमें सँभाले रहा है। - डेविड रोपर


परमेश्वर की विश्वासयोग्यता प्रति पीढ़ी बनी रहती है।

और उन्हें अपने पवित्र विश्राम दिन का ज्ञान दिया, और अपने दास मूसा के द्वारा आज्ञाएं और विधियां और व्यवस्था दीं। और उनकी भूख मिटाने को आकाश से उन्हें भोजन दिया और उनकी प्यास बुझाने को चट्टान में से उनके लिये पानी निकाला, और उन्हें आज्ञा दी कि जिस देश को तुम्हें देने की मैं ने शपथ खाई है उसके अधिकारी होने को तुम उस में जाओ। - नहेम्याह 9:14-15

बाइबल पाठ: निर्गमन 17:1-7
Exodus 17:1 फिर इस्राएलियों की सारी मण्डली सीन नाम जंगल से निकल चली, और यहोवा के आज्ञानुसार कूच कर के रपीदीम में अपने डेरे खड़े किए; और वहां उन लोगों को पीने का पानी न मिला।
Exodus 17:2 इसलिये वे मूसा से वादविवाद कर के कहने लगे, कि हमें पीने का पानी दे। मूसा ने उन से कहा, तुम मुझ से क्यों वादविवाद करते हो? और यहोवा की परीक्षा क्यों करते हो?
Exodus 17:3 फिर वहां लोगों को पानी की प्यास लगी तब वे यह कहकर मूसा पर बुड़बुड़ाने लगे, कि तू हमें लड़के बालों और पशुओं समेत प्यासों मार डालने के लिये मिस्र से क्यों ले आया है?
Exodus 17:4 तब मूसा ने यहोवा की दोहाई दी, और कहा, इन लोगों से मैं क्या करूं? ये सब मुझे पत्थरवाह करने को तैयार हैं।
Exodus 17:5 यहोवा ने मूसा से कहा, इस्राएल के वृद्ध लोगों में से कुछ को अपने साथ ले ले; और जिस लाठी से तू ने नील नदी पर मारा था, उसे अपने हाथ में ले कर लोगों के आगे बढ़ चल।
Exodus 17:6 देख मैं तेरे आगे चलकर होरेब पहाड़ की एक चट्टान पर खड़ा रहूंगा; और तू उस चट्टान पर मारना, तब उस में से पानी निकलेगा जिससे ये लोग पीएं। तब मूसा ने इस्राएल के वृद्ध लोगों के देखते वैसा ही किया।
Exodus 17:7 और मूसा ने उस स्थान का नाम मस्सा और मरीबा रखा, क्योंकि इस्राएलियों ने वहां वादविवाद किया था, और यहोवा की परीक्षा यह कहकर की, कि क्या यहोवा हमारे बीच है वा नहीं?


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 12-14
  • 2 तिमुथियुस 1



शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2018

सेवकाई



      कुछ समय पहले मैं एक महिला दर्जी की दुकान में कुछ कपड़ों की मरम्मत करवाने गया। उसकी दुकान में प्रवेश करने के बाद दीवारों पर जो कुछ मैंने देखा उससे मैं बहुत प्रोत्साहित हुआ। एक स्थान पर दीवार पर एक चित्र टंगा था जिसमें मरियम मगदलीनी दुखी होकर रो रही थी और प्रभु यीशु उसपर अपने आप को प्रगट करने ही वाला था; उस चित्र के पास ही में लिखा हुआ था, “हम आपके कपड़ों की मरम्मत कर सकते हैं, परन्तु आपके ह्रदयों की मरम्मत तो केवल प्रभु परमेश्वर ही कर सकता है।” एक अन्य स्थान पर लिखा हुआ था, “क्या आपको प्रार्थनाओं की आवश्यकता है? हम आपके साथ प्रार्थनाएं करेंगे।”

      उस दरजिन ने मुझे बताया कि वह इस छोटे से व्यवसाय को पिछले पन्द्रह वर्षों से चला रही है, और परमेश्वर ने जिस प्रकार से उन लिखे गए संदेशों के द्वारा लोगों के जीवनों में कार्य किया है वह चकित कर देने वाला है। उसने यह भी बताया कि कुछ समय पहले एक व्यक्ति ने वहीं, उस दुकान में ही प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार किया था। परमेश्वर के कार्यों को देख और जान पाने का अनुभव अद्भुत होता है। मैंने उससे कहा कि मैं भी एक मसीही विश्वासी हूँ, और अपने कार्यस्थल से प्रभु यीशु की इस सेवकाई के लिए उसकी प्रशंसा की, उसे प्रोत्साहित किया।

      हम सभी अपने कार्यस्थलों में इतने साहसिक नहीं होने पाते हैं, परन्तु हम जहाँ भी हों, वहीं पर लोगों के प्रति प्रेम, धैर्य, और कृपालु होने के अनेकों अवसर तथा रचनात्मक एवँ व्यावहारिक तरीके ढूँढ़ सकते हैं। उस दुकान से निकलने के बाद से ही मैं यह सोच रहा हूँ कि अपने कार्यस्थल पर रहते हुए भी प्रभु की सेवकाई करने के कितने अनगिनित तरीके हो सकते हैं। - डेनिस फिशर


परमेश्वर हमारे हृदयों में अपने प्रेम को इसलिए प्रवाहित करता है, 
जिससे वह प्रेम औरों के जीवनों में भी प्रवाहित हो सके।

क्योंकि तुम तो पहले अन्धकार थे परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो, सो ज्योति की सन्तान के समान चलो। - इफिसियों 5:8

बाइबल पाठ: मत्ती 5:1-16
Matthew 5:1 वह इस भीड़ को देखकर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए।
Matthew 5:2 और वह अपना मुंह खोल कर उन्हें यह उपदेश देने लगा,
Matthew 5:3 धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
Matthew 5:4 धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएंगे।
Matthew 5:5 धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
Matthew 5:6 धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जाएंगे।
Matthew 5:7 धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी।
Matthew 5:8 धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।
Matthew 5:9 धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।
Matthew 5:10 धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
Matthew 5:11 धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हरो विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें।
Matthew 5:12 आनन्‍दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।
Matthew 5:13 तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्‍वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए।
Matthew 5:14 तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता।
Matthew 5:15 और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है।
Matthew 5:16 उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें।


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 9-11
  • 1 तिमुथियुस 6



गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018

प्रावधान



      बहुत वर्ष पहले मैंने छड़ियों, लाठियों और चलने में सहायक डंडियों के अपने संग्रह पर एक लेख लिखा था, जिसमें यह विचार भी व्यक्त किया था के एक दिन मैं वॉकर के साथ चलने वाला हो जाऊँगा। लीजिए, अब वह दिन आ गया है! मेरी कमर की कुछ तकलीफों और तंत्रिकाओं के ठीक कार्य न कर पाने के कारण अब मुझे एक तीन पहिए वाले वॉकर की सहायता से चलना पड़ता है। अब मैं पहाड़ों पर चढ़ने जाने में असमर्थ हूँ; मैं मछली मारने नहीं जा सकता हूँ, और ऐसे अनेकों कार्य नहीं कर सकता हूँ जिन्हें करना मुझे अच्छा लगता है।

      परन्तु मैं यह सीखने का प्रयास कर रहा हूँ कि मेरी अब जो भी सीमाएं हैं, वे सब परमेश्वर के प्रावधान हैं, और मुझे उसकी सेवकाई इन्हीं प्रावधानों के साथ करनी है, किसी अन्य के साथ नहीं। यह हम सब के लिए सत्य है; हमारी सीमाएं चाहे शारीरिक हों, अथवा मानसिक, या फिर बौद्धिक। पौलुस इस विषय में इतना दृढ़ था कि उसने कहा कि वह अपनी कमज़ोरियों पर घमण्ड करता है क्योंकि उसकी कमज़ोरी में ही परमेश्वर की सामर्थ्य प्रकट होती है (2 कुरिन्थियों 12:9)।

      इस दृष्टिकोण से अपनी सीमाओं को देखने के द्वारा हम अपने कार्यों को दृढता और साहस के साथ कर सकते हैं। बजाए इसके कि हम शिकायत करें, कुड़कुड़ाऐं, अपने लिए दुखी हों, या कार्य को छोड़ दें, यह दृष्टिकोण हमें परमेश्वर द्वारा अपेक्षित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उपलब्ध करवाता है।

      मैं नहीं जानता हूँ कि मेरे और आपके लिए परमेश्वर की क्या योजनाएं हैं, परन्तु हमें उनके विषय चिन्तित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। आज के लिए हमारा कार्य यह है कि हम अपनी परिस्थितियों और सीमाओं को जैसी वे हैं वैसा ही ग्रहण करें, उनमें संतुष्ट रहें, यह विश्वास रखते हुए कि अपने प्रेम और बुद्धिमता में परमेश्वर ने हमारे लिए जो प्रावधान किए हैं, वह इस समय के, तथा हमारे भविष्य के लिए सर्वोत्तम हैं। - डेविड रोपर


संतुष्टि आपको वहीं पनपने में सहायक होती है, जहाँ परमेश्वर ने आपको रोपा है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 12: 5-10
2 Corinthians 12:5 ऐसे मनुष्य पर तो मैं घमण्‍ड करूंगा, परन्तु अपने पर अपनी निर्बलताओं को छोड़, अपने विषय में घमण्‍ड न करूंगा।
2 Corinthians 12:6 क्योंकि यदि मैं घमण्‍ड करना चाहूं भी तो मूर्ख न हूंगा, क्योंकि सच बोलूंगा; तोभी रुक जाता हूं, ऐसा न हो, कि जैसा कोई मुझे देखता है, या मुझ से सुनता है, मुझे उस से बढ़कर समझे।
2 Corinthians 12:7 और इसलिये कि मैं प्रकाशों की बहुतायत से फूल न जाऊं, मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊं।
2 Corinthians 12:8 इस के विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार बिनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए।
2 Corinthians 12:9 और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे।
2 Corinthians 12:10 इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं।


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 6-8
  • 1 तिमुथियुस 5



बुधवार, 24 अक्टूबर 2018

परिवर्तन



      मेरे पुत्र को जब एक रोबोट प्राप्त हुआ, तो उसे उस रोबोट को विभिन्न सरल कार्य करने के लिए प्रोग्राम करने में बड़ा मज़ा आता था। वह उस रोबोट को आगे बढ़ने, रुकने, फिर पीछे लौटने, उसमें रिकॉर्ड की गई आवाजें सुनाने, आदि कार्य करवा सकता था। जैसा मेरा पुत्र उससे करवाता था, रोबोट वैसा ही करता था; उस रोबोट के पास कोई विकल्प नहीं था। वह रोबोट अपने आप न कभी हंस सकता था, न किसी अन्य दिशा में जा सकता था, न कुछ अनियोजित कर सकता था; उसके पास चुनाव करने की कोई क्षमता नहीं थी।

      जब परमेश्वर ने हम मनुष्यों को बनाया, तो हमें रोबोट के समान नहीं बनाया। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया; अर्थात हम सोच सकते हैं, विचार-विमर्श करके निर्णय ले सकते हैं, हम सही और गलत का चुनाव कर सकते हैं। चाहे हमने परमेश्वर के अनाज्ञाकारी होने को अपनी आदत बना लिया हो, हम वापस परमेश्वर के पास लौट आने का निर्णय ले सकते हैं।

      जब प्राचीन इस्राएलियों ने अपने आप को परमेश्वर के साथ परेशानियों में पाया, तो परमेश्वर ने उनसे अपने भविष्यद्वक्ता यहेजकेल के द्वारा बातें कीं। यहेजकेल ने उनसे परमेश्वर की ओर से कहा, “प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हे इस्राएल के घराने, मैं तुम में से हर एक मनुष्य का न्याय उसकी चालचलन के अनुसार ही करूंगा। पश्चात्ताप करो और अपने सब अपराधों को छोड़ो, तभी तुम्हारा अधर्म तुम्हारे ठोकर खाने का कारण न होगा। अपने सब अपराधों को जो तुम ने किए हैं, दूर करो; अपना मन और अपनी आत्मा बदल डालो! हे इस्राएल के घराने, तुम क्यों मरो?” (यहेजकेल 18:30-31)।

      ऐसा परिवर्तन, पवित्र-आत्मा की सहायता से लिए गए केवल एक दृढ़ निर्णय के साथ आरंभ हो सकता है (रोमियों 8:13)। इस निर्णय का अर्थ हो सकता है किसी महत्वपूर्ण अवसर पर “नहीं” कहना, कोई बकवाद न करना, किसी लालच में नहीं पड़ना, किसी के प्रति द्वेष या जलन नहीं रखना, इत्यादि। ऐसे निर्णयों में आप अपना भी कोई निर्णय जोड़ सकते हैं।

      यदि आप प्रभु यीशु मसीह के विश्वासी हैं, तो आप पाप के दास बनकर नहीं रह सकते हैं। आप अपने लिए परिवर्तन का निर्णय ले सकते हैं, और परमेश्वर की सहायता से इस परिवर्तन का आरंभ अभी से हो सकता है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


नए आरंभ के लिए परमेश्वर से नया हृदय माँगें।

मैं तुम को नया मन दूंगा, और तुम्हारे भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूंगा; और तुम्हारी देह में से पत्थर का हृदय निकाल कर तुम को मांस का हृदय दूंगा। - यहेजकेल 36:26

बाइबल पाठ: यहेजकेल 18:25-32
Ezekiel 18:25 तौभी तुम लोग कहते हो, कि प्रभु की गति एकसी नहीं। हे इस्राएल के घराने, देख, क्या मेरी गति एकसी नहीं? क्या तुम्हारी ही गति अनुचित नहीं है?
Ezekiel 18:26 जब धर्मी अपने धर्म से फिर कर, टेढ़े काम करने लगे, तो वह उनके कारण मरेगा, अर्थात वह अपने टेढ़े काम ही के कारण मर जाएगा।
Ezekiel 18:27 फिर जब दुष्ट अपने दुष्ट कामों से फिर कर, न्याय और धर्म के काम करने लगे, तो वह अपना प्राण बचाएगा।
Ezekiel 18:28 वह जो सोच विचार कर अपने सब अपराधों से फिरा, इस कारण न मरेगा, जीवित ही रहेगा।
Ezekiel 18:29 तौभी इस्राएल का घराना कहता है कि प्रभु की गति एकसी नहीं। हे इस्राएल के घराने, क्या मेरी गति एकसी नहीं? क्या तुम्हारी ही गति अनुचित नहीं?
Ezekiel 18:30 प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हे इस्राएल के घराने, मैं तुम में से हर एक मनुष्य का न्याय उसकी चालचलन के अनुसार ही करूंगा। पश्चात्ताप करो और अपने सब अपराधों को छोड़ो, तभी तुम्हारा अधर्म तुम्हारे ठोकर खाने का कारण न होगा।
Ezekiel 18:31 अपने सब अपराधों को जो तुम ने किए हैं, दूर करो; अपना मन और अपनी आत्मा बदल डालो! हे इस्राएल के घराने, तुम क्यों मरो?
Ezekiel 18:32 क्योंकि, प्रभु यहोवा की यह वाणी है, जो मरे, उसके मरने से मैं प्रसन्न नहीं होता, इसलिये पश्चात्ताप करो, तभी तुम जीवित रहोगे।


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 3-5
  • 1 तिमुथियुस 4



मंगलवार, 23 अक्टूबर 2018

संघर्ष



      मैं जब एक मसीही पत्रिका में प्रशिक्षार्थी होकर कार्य कर रहा था, तब मैंने एक ऐसे व्यक्ति के बारे में लिखा जिसने मसीही विश्वास को ग्रहण किया था। इसके बाद उसके जीवन में नाटकीय परिवर्तन आया, और उसने अपनी पुरानी जीवन शैली को त्याग कर अपने नए स्वामी, प्रभु यीशु मसीह का पूर्णतः अनुसरण करना आरंभ कर दिया। पत्रिका के उस अंक के छपकर वितरण में आने के कुछ दिन के पश्चात, एक अज्ञात व्यक्ति ने गुमनाम फोन करके मुझे धमकाया और कहा, “दरमानी सावधान रहना। हम तुम पर दृष्टि रखे हुए हैं! यदि तुम ऐसी कहानियाँ लिखते रहोगे तो इस देश में तुम्हारा जीवन खतरे में है।”

      अपने मसीही विश्वास और लोगों को मसीह यीशु की ओर आकर्षित करने में केवल यही अवसर नहीं था, जब मुझे धमकाया गया हो। एक बार एक व्यक्ति ने, जिसे मैं प्रभु यीशु मसीह के बारे में एक पर्चा देने का प्रयास कर रहा था, मुझसे कहा कि मैं उस पर्चे के साथ वहाँ से चला जाऊँ, नहीं तो...। दोनों ही बार मैं भयभीत हुआ था। परन्तु ये तो केवल मौखिक धमकियां थीं। अनेकों मसीही विश्वासियों के विरुद्ध तो धमकियों को कार्यान्वित भी किया गया है। कुछ स्थानों पर तो मात्र भक्ति का जीवन बिताने भर के कारण मसीही विश्वासियों को लोगों से दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि परमेश्वर ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता से कहा, “...जिस किसी के पास मैं तुझे भेजूं वहां तू जाएगा, और जो कुछ मैं तुझे आजा दूं वही तू कहेगा” (यिर्मयाह 1:7)। प्रभु यीशु ने भी अपने शिष्यों से कहा था, “देखो, मैं तुम्हें भेड़ों के समान भेडिय़ों के बीच में भेजता हूं...” (मत्ती 10:16)। निश्चय ही मसीही सेवकाई में हमें धमकियों, कठिनाइयों, और पीड़ा का अनुभव करना पड़ सकता है, परन्तु परमेश्वर का आश्वासन है कि वह हमारे साथ रहेगा। परमेश्वर ने यिर्मयाह से कहा, “तू उनके मुख को देखकर मत डर, क्योंकि तुझे छुड़ाने के लिये मैं तेरे साथ हूँ, यहोवा की यही वाणी है”(यिर्मयाह 1:8), और प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “...देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं” (मत्ती 28:20)।

      प्रभु यीशु मसीह के लिए जीवन व्यतीत करने में हमें चाहे जैसे भी संघर्ष का सामना करना पड़े, हमारा प्रभु परमेश्वर सदा हमारे साथ बना रहता है।


धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है। - मत्ती 5:10

बाइबल पाठ: यिर्मयाह 1:1-10
Jeremiah 1:1 हिल्किय्याह का पुत्र यिर्मयाह जो बिन्यामीन देश के अनातोत में रहने वाले याजकों में से था, उसी के ये वचन हैं।
Jeremiah 1:2 यहोवा का वचन उसके पास आमोन के पुत्र यहूदा के राजा योशिय्याह के दिनों में उसके राज्य के तेरहवें वर्ष में पहुंचा।
Jeremiah 1:3 इसके बाद योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के दिनों में, और योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के ग्यारहवें वर्ष के अन्त तक भी प्रगट होता रहा जब तक उसी वर्ष के पांचवें महीने में यरूशलेम के निवासी बंधुआई में न चले गए।
Jeremiah 1:4 तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
Jeremiah 1:5 गर्भ में रचने से पहिले ही मैं ने तुझ पर चित्त लगाया, और उत्पन्न होने से पहिले ही मैं ने तुझे अभिषेक किया; मैं ने तुझे जातियों का भविष्यद्वक्ता ठहराया।
Jeremiah 1:6 तब मैं ने कहा, हाय, प्रभु यहोवा! देख, मैं तो बोलना ही नहीं जानता, क्योंकि मैं लड़का ही हूँ।
Jeremiah 1:7 परन्तु यहोवा ने मुझ से कहा, मत कह कि मैं लड़का हूँ; क्योंकि जिस किसी के पास मैं तुझे भेजूं वहां तू जाएगा, और जो कुछ मैं तुझे आजा दूं वही तू कहेगा।
Jeremiah 1:8 तू उनके मुख को देखकर मत डर, क्योंकि तुझे छुड़ाने के लिये मैं तेरे साथ हूँ, यहोवा की यही वाणी है।
Jeremiah 1:9 तब यहोवा ने हाथ बढ़ाकर मेरे मुंह को छुआ; और यहोवा ने मुझ से कहा, देख, मैं ने अपने वचन तेरे मुंह में डाल दिये हैं।
Jeremiah 1:10 सुन, मैं ने आज के दिन तुझे जातियों और राज्यों पर अधिकारी ठहराया है; उन्हें गिराने और ढा देने के लिये, नाश करने और काट डालने के लिये, या उन्हें बनाने और रोपने के लिये।


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 1-2
  • 1 तिमुथियुस 3



सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

संसाधन



      कई वर्ष पहले जब दक्षिणी कैलिफोर्निया की आर्थिक स्थिति में गिरावट आई, तो पास्टर बॉब जॉन्सन को इसमें न केवल कठिनाइयाँ दिखाई दीं, वरन अवसर भी दिखाई दिए। इसलिए उन्होंने अपने शहर के महापौर के साथ मिलने का समय लिया और उनके पास जाकर पूछा, “हमारा चर्च आपकी क्या सहायता कर सकता है?” महापौर चकित रह गए। सामान्यतः लोग उनके पास सहायता लेने के लिए आते थे; परन्तु यहाँ एक पादरी था जो अपने सारे चर्च के साथ उसे सहायता देने की पेशकश कर रहा था!

      उस महापौर और पादरी ने मिलकर अनेकों आवश्यक समस्याओं के समाधान की योजनाएँ बनाईं। केवल उन के ही इलाके में पिछले वर्ष में 20,000 से अधिक वृद्ध लोगों के पास कोई मिलने और उनका हाल-चाल पूछने नहीं गया था। सैकंडों आश्रित बच्चों को पालन-पोषण में सहायता देने के लिए परिवारों के निर्णयों की आवश्यकता थी; और अनेकों बच्चों को उनके स्कूलों के कार्यों में सहायता देने वालों की आवश्यकता थी। इनमें से कुछ आवश्यकताएँ तो ऐसी थीं जिनका समाधान बिना कुछ विशेष धन खर्च किए किया जा सकता था। परन्तु सभी समस्याओं के लिए समय और इच्छा होना आवश्यक था। और उस चर्च ने अपने इन्हीं संसाधनों को लोगों को प्रदान किया।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से कहा था कि भविष्य में एक ऐसा भी दिन आएगा जब वह अपने विश्वासी अनुयायियों से कहेंगे, “हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है” (मत्ती 25:34)। प्रभु ने यह भी कहा कि वे अनुयायी अपने पुरुस्कारों को देखकर चकित होंगे, और तब प्रभु उन्हें कहेगा, “तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया” (पद 40)।

      जब हम परमेश्वर द्वारा हमें उपलब्ध करवाए गए समय, प्रेम, और भौतिक संसाधानों को परमेश्वर के राज्य के कार्यों में उदारता से लगाते हैं, तो उसके राज्य की बढ़ोतरी होती है। - टिम गुस्ताफ्सन


दान देना केवल धनी लोगों के लिए ही नहीं है; हम सभी के लिए है।

दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा। - लूका 6:38

बाइबल पाठ: मत्ती 25:31-40
Matthew 25:31 जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्ग दूत उसके साथ आएंगे तो वह अपनी महिमा के सिहांसन पर विराजमान होगा।
Matthew 25:32 और सब जातियां उसके साम्हने इकट्ठी की जाएंगी; और जैसा चरवाहा भेड़ों को बकिरयों से अलग कर देता है, वैसा ही वह उन्हें एक दूसरे से अलग करेगा।
Matthew 25:33 और वह भेड़ों को अपनी दाहिनी ओर और बकिरयों को बाई और खड़ी करेगा।
Matthew 25:34 तब राजा अपनी दाहिनी ओर वालों से कहेगा, हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है।
Matthew 25:35 क्योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी पिलाया, मैं परदेशी था, तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया।
Matthew 25:36 मैं नंगा था, तुम ने मुझे कपड़े पहिनाए; मैं बीमार था, तुम ने मेरी सुधि ली, मैं बन्‍दीगृह में था, तुम मुझ से मिलने आए।
Matthew 25:37 तब धर्मी उसको उत्तर देंगे कि हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया? या प्यासा देखा, और पिलाया?
Matthew 25:38 हम ने कब तुझे परदेशी देखा और अपने घर में ठहराया या नंगा देखा, और कपड़े पहिनाए?
Matthew 25:39 हम ने कब तुझे बीमार या बन्‍दीगृह में देखा और तुझ से मिलने आए?
Matthew 25:40 तब राजा उन्हें उत्तर देगा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 65-66
  • 1 तिमुथियुस 2



रविवार, 21 अक्टूबर 2018

करुणा



      हाल ही की मेरी एक यात्रा में वायुयान के उतरने के समय कुछ कठिनाई हुई जिसके कारण वायुयान में बैठे लोगों को कई झटके लगे। इसके कारण कई यात्री प्रकट रीति से विचलित थे, परन्तु यान के अन्दर का सारा तनाव दूर हो गया जब दो छोटी लड़कियों ने प्रसन्न होकर ऊँची आवाज़ में कहा, “वाह! मज़ा आ गया! एक बार फिर हो जाए!”

      बच्चे नए रोमाँच और जीवन को खुले मन से एक अचरज के साथ देखने के लिए तैयार रहते हैं। संभवतः प्रभु यीशु के मन में यही बात थी जब उन्होंने कहा कि हमें “मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो कोई परमेश्वर के राज्य को बालक के समान ग्रहण न करे, वह उस में कभी प्रवेश करने न पाएगा” (मरकुस 10:15)।

      जीवन की अपनी चुनौतियां और दुःख होते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में यिर्मयाह नबी से बेहतर कौन यह बात जानता होगा; इसीलिए यिर्मयाह को “विलाप करने वाला नबी” भी कहा गया है। लेकिन यिर्मयाह की समस्याओं के मध्य में परमेश्वर ने उसे एक अद्भुत सत्य के द्वारा प्रोत्साहित किया: “हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है” (विलापगीत 3:22-23)।

      परमेश्वर की नवीन करुणा कभी भी हमारे जीवनों में प्रवेश कर सकती है। उसकी करुणा के कार्य सदा हमारे साथ रहते हैं, और हम उन्हें देख सकेंगे यदि हम बच्चों के समान उनकी अपेक्षा रखकर अपने जीवनों में वह सब के होने की प्रतीक्षा करते हैं जो केवल परमेश्वर ही हमारे लिए कर सकता है। यिर्मयाह जानता था कि परमेश्वर की भलाई केवल हमारी वर्तमान परिस्थितियों के द्वारा ही परिभाषित नहीं होती है, और हमारे प्रति उसकी करुणा जीवन की कठिन परिस्थितियों से कही बढ़कर है।

      आज अपने जीवनों में परमेश्वर की करुणा के नए अनुभवों के खोजी हों। - जेम्स बैंक्स


परमेश्वर की करुणा और सामर्थ्य हमारी हर परिस्थिति से कहीं अधिक बढ़कर है।

क्योंकि तेरी करूणा जीवन से भी उत्तम है मैं तेरी प्रशंसा करूंगा। - भजन 63:3

बाइबल पाठ: विलापगीत 3:21-26
Lamentations 3:21 परन्तु मैं यह स्मरण करता हूँ, इसीलिये मुझे आाशा है:
Lamentations 3:22 हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है।
Lamentations 3:23 प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है।
Lamentations 3:24 मेरे मन ने कहा, यहोवा मेरा भाग है, इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा।
Lamentations 3:25 जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है।
Lamentations 3:26 यहोवा से उद्धार पाने की आशा रख कर चुपचाप रहना भला है।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 62-64
  • 1 तिमुथियुस 1



शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

यात्रा



      मैं 1960 के बलवाई प्रवृत्ति के दशक में बड़ा हुआ था, और धर्म के विमुख हो गया था। मैं जीवन भर चर्च तो जाता रहा, परन्तु प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास में मैं एक भयानक दुर्घटना के पश्चात, 20 की आयु के आरंभिक वर्षों में आया। उसके बाद से मैंने अपना जीवन दूसरों को हमारे प्रति प्रभु यीशु मसीह के प्रेम के बारे में बताने में ही बिताया है; और यह एक विलक्षण यात्रा रही है।

      निःसंदेह, “यात्रा” इस टूटे सँसार में व्यतीत किए जाने वाले जीवन के अनुभवों का वर्णन है। इस जीवन यात्रा में हम पहाड़ों और घाटियों, मैदानों और नदियों, एकांत सड़कों और व्यस्त राजमार्गों – जीवन में उतार-चढ़ाव, आनन्द और दुःख, संघर्ष और हानि, अकेलापन और व्यथा, आदि सभी प्रकार के अनुभवों से होकर हम निकलते हैं। हमें आगे का मार्ग तो दिखाई नहीं देता है, इसलिए जो जैसा होता है, उस सब से होकर निकलना पड़ता है, वह चाहे वैसा हो या न हो जैसा हम उस मार्ग को चाहते हैं कि हो।

      परन्तु प्रभु यीशु मसीह के अनुयायी को यह निश्चय है कि वह अपनी इस जीवन यात्रा में कभी भी अकेला नहीं है, एक पल के लिए भी नहीं! परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बारंबार आश्वस्त करती है कि हमारे प्रभु परमेश्वर की उपस्थिति हमारे साथ सदैव बनी रहती है। ऐसा कोई स्थान नहीं है जहाँ हम पहुँच सकें, किन्तु हमारा प्रभु वहाँ न हो (भजन 139:7-12)। वह हमें कभी नहीं छोड़ता या त्यागता है (व्यवस्थाविवरण 31:6; इब्रानियों 13:5)। प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से पवित्र-आत्मा को भेजने की प्रतिज्ञा के तुरंत बाद उन्हें यह कहकर भी आश्वस्त किया कि, “मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं” (यूहन्ना 14:18)।

      हम मसीही अपनी जीवन यात्रा में आने वाली चुनौतियों और अवसरों का निर्भीक होकर दृढ़ता से सामना कर सकते हैं क्योंकि हमारी संपूर्ण यात्रा में हमारे प्रभु परमेश्वर की उपस्थिति हमारे साथ-साथ बनी रहती है, और वही हमें हमारे अनन्त में भी सुरक्षित पहुंचाता है। - बिल क्राउडर


विश्वास यह कभी नहीं जानता है कि उसे कहाँ ले जाया जा रहा है,
 परन्तु वह अपने ले जाने वाले को जानता है, और उससे प्रेम करता है। - ओस्वॉल्ड चैम्बर्स

तू हियाव बान्ध और दृढ़ हो, उन से न डर और न भयभीत हो; क्योंकि तेरे संग चलने वाला तेरा परमेश्वर यहोवा है; वह तुझ को धोखा न देगा और न छोड़ेगा। - व्यवस्थाविवरण 31:6

बाइबल पाठ: यूहन्ना 14:15-21
John 14:15 यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।
John 14:16 और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे।
John 14:17 अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।
John 14:18 मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं।
John 14:19 और थोड़ी देर रह गई है कि फिर संसार मुझे न देखेगा, परन्तु तुम मुझे देखोगे, इसलिये कि मैं जीवित हूं, तुम भी जीवित रहोगे।
John 14:20 उस दिन तुम जानोगे, कि मैं अपने पिता में हूं, और तुम मुझ में, और मैं तुम में।
John 14:21 जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 59-61
  • 2 थिस्सलुनीकियों 3