मैं
लेखन के द्वारा परमेश्वर की सेवा और आराधना करती हूँ; अब यह मेरे लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण
इसलिए हो गया है क्योंकि अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मेरा चलना-फिरना और एक
से दूसरे स्थान को जाना बहुत सीमित हो गया है। इसलिए जब एक जानकार ने मुझ से कहा कि
उसे मेरे लेखों में कुछ भी महत्व का नहीं मिलता है तो मैं बहुत निराश हुई। मुझे
परमेश्वर को अर्पित की गई अपनी इस छोटी आराधना के महत्व पर संदेह होने लगा।
लेकिन
मेरे पति, परिवार-जनों, और मित्रों ने मुझे प्रोत्साहित किया, और उनकी सहायता तथा
परमेश्वर के वचन बाइबल के अध्ययन, और प्रार्थना के द्वारा मैंने प्रभु परमेश्वर से
पुष्टि प्राप्त की, कि केवल मेरा प्रभु परमेश्वर ही है जो मेरी उस आराधना का आँकलन
और महत्व निर्धारित कर सकता है तथा करता है – किसी भी मनुष्य की आंकलन और राय का
उसमें कोई स्थान नहीं है। फिर मैंने सभी उपहारों को देने वाले मेरे प्रभु परमेश्वर
से प्रार्थना की, कि वह मेरी सहायता करता रहे, लिखने के मेरे इस कौशल को और अधिक
विक्सित करने तथा उसके द्वारा मुझे प्रदान किए जा रहे संसाधनों को औरों के साथ
बाँटने में मुझे और उन्नत करे।
बाइबल
में हम प्रभु यीशु द्वारा परमेश्वर के आँकलन के माप-दण्ड का मनुष्यों के माप-दण्ड से
भिन्न होने के संबंध में एक घटना पढ़ते हैं (मरकुस 12:41-44)। प्रभु मंदिर में
लोगों द्वारा दीए जा रहे दान को देख रहे थे। धनी लोग तो मंदिर के खजाने में बहुत
धन डाल रहे थी, परन्तु एक कंगाल विधवा ने अपना सब कुछ – दो दमड़ी – ही डाला। परन्तु
प्रभु यीशु ने कहा कि उस विधवा ने सबसे अधिक दान डाला है, यद्यपि सांसारिक मानकों
के आधार पर उसके द्वारा डाला गया पैसा न के बराबर था।
यद्यपि
उस विधवा की यह घटना दान में डाले गए धन की मात्रा पर केंद्रित है, परन्तु
परमेश्वर को दिया गया कुछ भी उसके प्रति प्रेम, आदर और आराधना का सूचक हो सकता है।
उस विधवा के समान, जब हम परमेश्वर द्वारा हमें दिए गए संसाधनों में से स्वेच्छा से उदार और बलिदान रूपी भाग परमेश्वर
को अर्पित करते हैं, तो हम उस से उसका आदर और आराधना करते हैं। हमारे द्वारा
परमेश्वर को अपने समय, कौशल, और धन का सर्वोत्तम भाग दिया जाना, उसके प्रति हमारी
आराधना का स्वरूप है। - जोशील डिक्सन
परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम के अन्तर्गत
उसे अर्पित की गई बलिदान रूपी भेंटें,
हमारी आराधना की अमूल्य अभिव्यक्ति हैं।
यहोवा के नाम की ऐसी महिमा करो जो उसके
योग्य है; भेंट ले कर उसके आंगनों में आओ! – भजन 96:8
बाइबल पाठ: मरकुस 12:38-44
Mark 12:38 उसने अपने उपदेश में उन से कहा,
शस्त्रियों से चौकस रहो, जो लम्बे वस्त्र
पहिने हुए फिरना।
Mark 12:39 और बाजारों में नमस्कार,
और आराधनालयों में मुख्य मुख्य आसन और जेवनारों में मुख्य मुख्य स्थान
भी चाहते हैं।
Mark 12:40 वे विधवाओं के घरों को खा जाते
हैं, और दिखाने के लिये बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हैं,
ये अधिक दण्ड पाएंगे।
Mark 12:41 और वह मन्दिर के भण्डार के
साम्हने बैठकर देख रहा था, कि लोग मन्दिर के भण्डार में किस
प्रकार पैसे डालते हैं, और बहुत धनवानों ने बहुत कुछ डाला।
Mark 12:42 इतने में एक कंगाल विधवा ने आकर
दो दमडिय़ां, जो एक अधेले के बराबर होती है, डालीं।
Mark 12:43 तब उसने अपने चेलों को पास
बुलाकर उन से कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि मन्दिर के भण्डार में डालने वालों में से इस कंगाल विधवा ने सब से
बढ़कर डाला है।
Mark 12:44 क्योंकि सब ने अपने धन की बढ़ती
में से डाला है, परन्तु इस ने अपनी घटी में से जो कुछ उसका
था, अर्थात अपनी सारी जीविका डाल दी है।
एक साल में बाइबल:
- भजन 140-142
- 1 कुरिन्थियों 14:1-20
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें