ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 20 नवंबर 2019

शांति


      हमारे घर के पीछे के आँगन में चेरी का एक पुराना पेड़ है, जिसके हाल बिगड़ने लगे थे और लग रहा था कि वह अब मरने लगा है। इसलिए मैंने पेड़ों की देखभाल करने वाले एक विशेषज्ञ को उसे देखने के लिए बुलाया। उस विशेषज्ञ ने उस पेड़ की जांच करके कहा कि वह बहुत “थका” हुआ है और उसे तुरंत देखभाल की आवश्यकता है। मेरी पत्नि ने यह सुनकर वहाँ से जाते हुए पेड़ से बुदबुदा कर कहा, “शांति रखो;” उसके लिए वह एक कठिन सप्ताह रहा था।

      हम सभी के साथ ऐसा होता है, हम कठिन समयों से होकर निकलते हैं, चिंताओं से भरे हुए समय – वे किसी भी बात के कारण, चाहे हमारे पथभ्रष्ट होते हुए समाज, या हमारी वैवाहिक स्थिति, या बच्चों को लेकर हमारी चिंताएं, या हमारे कार्य और व्यवसाय, हमारी आर्थिक स्थिति, हमारा स्वास्थ्य या हमारी सुख-समृद्धि, आदि द्वारा हो सकते हैं। परन्तु हम मसीही विश्वासियों से प्रभु यीशु मसीह ने वायदा किया है कि परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों, हम शांति में रह सकते हैं। प्रभु ने अपने वचन बाइबल में अपने शिष्यों से कहा, “मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे” (यूहन्ना 14:27)।

      प्रभु यीशु के दिन सदा ही परेशानी और अव्यवस्था से भरे होते थे। उसके शत्रु उसे तंग करते रहते थे और उसके परिवार तथा मित्र जन उसे ठीक से समझते नहीं थे। अकसर उसके पास सिर रखने के लिए भी स्थान नहीं होता था। परन्तु फिर भी उसके व्यवहार और आचरण में कभी कोई तनाव अथवा अशांति नहीं होती थी। उसमें एक भीतरी शान्ति थी, एक ठहराव था। उसने जिस शांति को हमें देने का वायदा किया है, वह यही शांति है – बीते, वर्तमान, या आने वाले समय की चिंता से स्वतंत्रता; वही शांति जो उसने अपने जीवन से दिखाई।

      किसी भी परिस्थिति में, वह चाहे कितनी भी भयावह या फिर साधारण हो, हम प्रार्थना में प्रभु के पास आ सकते हैं। वहाँ उसकी उपस्थिति में हम उसे अपनी चिंताएं और भय बता सकते हैं। प्रेरित पौलुस हमें आश्वस्त करता है कि “तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी” (फिलिप्पियों 4:7)। चाहे हम कठिन समय से होकर निकले हों अथवा निकल रहे हों, प्रभु की शांति सदा हमारे साथ बनी रहती है। - डेविड रोपर

समस्याओं के मध्य में भी, प्रभु यीशु में होकर हमें शांति मिल सकती है।

यहोवा परमेश्वर मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है; मैं किस से डरूं? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ ठहरा है, मैं किस का भय खाऊं? – भजन 27:1

बाइबल पाठ: यूहन्ना 14:15-27
John 14:15 यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।
John 14:16 और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे।
John 14:17 अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।
John 14:18 मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं।
John 14:19 और थोड़ी देर रह गई है कि फिर संसार मुझे न देखेगा, परन्तु तुम मुझे देखोगे, इसलिये कि मैं जीवित हूं, तुम भी जीवित रहोगे।
John 14:20 उस दिन तुम जानोगे, कि मैं अपने पिता में हूं, और तुम मुझ में, और मैं तुम में।
John 14:21 जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा।
John 14:22 उस यहूदा ने जो इस्करियोती न था, उस से कहा, हे प्रभु, क्या हुआ कि तू अपने आप को हम पर प्रगट किया चाहता है, और संसार पर नहीं।
John 14:23 यीशु ने उसको उत्तर दिया, यदि कोई मुझ से प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएंगे, और उसके साथ वास करेंगे।
John 14:24 जो मुझ से प्रेम नहीं रखता, वह मेरे वचन नहीं मानता, और जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं वरन पिता का है, जिसने मुझे भेजा।
John 14:25 ये बातें मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कहीं।
John 14:26 परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।
John 14:27 मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे।

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 14-15
  • याकूब 2


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें