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मंगलवार, 10 मार्च 2020

शान्ति और आश्वासन



      मैं दुकान में कुछ खरीदने के लिए गई थी, और मैंने देखा की एक मुझ से अधिक आयु की महिला भी दुकान के उसी भाग में सामान को देखते हुए इधर से उधर चहल-कदमी कर रही थी, मानो वह कुछ ढूँढ़ रही थी। जब वह ढूँढती हुई मेरे पास पहुँची तो हमारी बातचीत होने लगी, और हमारी बातचीत का विषय हमारे क्षेत्र में चल रहे सर्दी और नज़ले का संक्रमण बन गया जिसके कारण उस महिला को खांसी और सिरदर्द हो रहा था। शीघ्र ही उस महिला ने इस संक्रमण के विषय अपने विचारों को कटु शब्दों में व्यक्त करना आरम्भ कर दिया, और मैं असमंजस में पड़ी चुपचाप उसकी बात सुनती रही। थोड़ी देर में वह दुकान से अपना सामान लेकर चली गई, क्रुद्ध और खिसियाई हुई। यद्यपि उस महिला ने अपनी खिसियाहट व्यक्त कर दी थी, परन्तु मैं उसके दुःख को कम करने के लिए कुछ नहीं कर सकी।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में, इस्राएल के दूसरे राजा, दाऊद ने, अपने कुछ भजनों में परमेश्वर के सम्मुख अपना क्रोध और कुण्ठा व्यक्त की। दाऊद जानता था कि परमेश्वर न केवल सुनता है, वरन परमेश्वर दाऊद के दुःख के विषय कुछ कर भी सकता है। दाऊद ने भजन 61 में लिखा, “मूर्छा खाते समय मैं पृथ्वी की छोर से भी तुझे पुकारूंगा, जो चट्टान मेरे लिये ऊंची है, उस पर मुझ को ले चला; क्योंकि तू मेरा शरणस्थान है, और शत्रु से बचने के लिये ऊंचा गढ़ है” (पद 2, 3); परमेश्वर उसका शरणस्थान था – वह दृढ़ चट्टान जिसकी शरण में दाऊद भागकर जाता था।

      हम जब दुखी होते हैं, या किसी ऐसे जन के संपर्क में आते हैं जो दुखी है, तो अनुसरण करने के लिए दाऊद का उदाहरण उपयुक्त है। काश कि, उस दिन उस दुकान में, मैंने उस महिला से परमेश्वर के बारे में कुछ बात की होती। चाहे परमेश्वर हमारे सारे दुःख को कम न भी करे, फिर भी हम उससे मिलने वाली शान्ति में विश्राम कर सकते हैं, और हमें यह आश्वासन है कि वह हमारी सुनता अवश्य है। - लिंडा वॉशिंगटन

दृढ़ चट्टान पर विश्राम करें।

यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ाने वाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का सींग, और मेरा ऊँचा गढ़ है। - भजन 18:2

बाइबल पाठ: भजन 61
Psalms 61:1 हे परमेश्वर, मेरा चिल्लाना सुन, मेरी प्रार्थना की ओर घ्यान दे।
Psalms 61:2 मूर्छा खाते समय मैं पृथ्वी की छोर से भी तुझे पुकारूंगा, जो चट्टान मेरे लिये ऊंची है, उस पर मुझ को ले चल;
Psalms 61:3 क्योंकि तू मेरा शरणस्थान है, और शत्रु से बचने के लिये ऊंचा गढ़ है।
Psalms 61:4 मैं तेरे तम्बू में युगानुयुग बना रहूंगा। मैं तेरे पंखों की ओट में शरण लिये रहुंगा
Psalms 61:5 क्योंकि हे परमेश्वर, तू ने मेरी मन्नतें सुनीं, जो तेरे नाम के डरवैये हैं, उनका सा भाग तू ने मुझे दिया है।
Psalms 61:6 तू राजा की आयु को बहुत बढ़ाएगा; उसके वर्ष पीढ़ी पीढ़ी के बराबर होंगे।
Psalms 61:7 वह परमेश्वर के सम्मुख सदा बना रहेगा; तू अपनी करूणा और सच्चाई को उसकी रक्षा के लिये ठहरा रख।
Psalms 61:8 और मैं सर्वदा तेरे नाम का भजन गा गाकर अपनी मन्नतें हर दिन पूरी किया करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 11-13
  • मरकुस 12:1-27



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