मसीही सेवकाई में पवित्र आत्मा की उपस्थिति एवं प्रमाण (नवंबर 9 से 11 तक के लेखों का सारांश)
मसीही विश्वास में आते ही, व्यक्ति में परमेश्वर
पवित्र आत्मा आकर निवास करने लगता है, फिर उसके जीवन में कुछ
कार्य होते
हैं, और परिवर्तन आते हैं, जिनके द्वारा वह मसीही सेवकाई के लिए तैयार किया जाता
है, उपयोगी बनाया जाता है।
यूहन्ना 16 अध्याय में प्रभु यीशु ने शिष्यों के सामने कुछ
बातें रखीं, जिनका विद्यमान होना उनकी सेवकाई में परमेश्वर
पवित्र आत्मा के होने को दिखाएगा, यह प्रमाणित करेगा कि उनकी
सेवकाई परमेश्वर की ओर से तथा उसकी सामर्थ्य से है। साथ ही परमेश्वर पवित्र आत्मा
की कार्य-विधि के गुण भी प्रभु ने अपने शिष्यों को बताए। प्रभु द्वारा कही गई ये
बातें, आज के सामान्यतः पवित्र आत्मा के नाम से किए जाने
वाले आडंबर, विचित्र व्यवहार, हाव-भाव,
शोर-शराबे, और शारीरिक एवं सांसारिक बातों के
लाभों की प्राप्ति की शिक्षाओं और व्यवहार से बिलकुल भिन्न हैं। पवित्र आत्मा के
नाम से अपनी ही धारणाओं की गलत शिक्षाओं को बताने और फैलाने वाले इन भ्रामक प्रचारकों की बातों का
आरंभ ही परमेश्वर पवित्र आत्मा को मनुष्य के अधीनता या वश में ले लेने के द्वारा
होता है। सामान्यतः उनका कहना होता है कि प्रभु यीशु पर विश्वास लाने के बाद, पवित्र आत्मा को प्राप्त
करने के लिए अलग से प्रयास करना पड़ता है, तब ही जाकर पवित्र
आत्मा मिलता है; और फिर पवित्र आत्मा की सामर्थ्य प्राप्त
करने के लिए एक अन्य कार्य “पवित्र आत्मा का बपतिस्मा”
पाने की आवश्यकता होती है। फिर वो लोगों अपनी बनाई हुई उन विधियों
को सिखाते हैं जिनसे उनके अनुसार पवित्र आत्मा को प्राप्त किया जाता है।
“पवित्र आत्मा का बपतिस्मा” के बारे में हम इन सारांश के बाद के आने वाले में देखेंगे; किन्तु मुख्य बात यह है कि ये गलत शिक्षाएं देने वाले परमेश्वर पवित्र आत्मा को मनुष्य के हाथों की कठपुतली बनाकर, जिसे मनुष्य अपने प्रयासों और कार्यों के द्वारा नियंत्रित और उपयोग करे प्रस्तुत करते हैं। जबकि वास्तविकता में उनकी ये सभी बातें बाइबल की शिक्षाओं के बाहर की हैं, बाइबल में ऐसी बातों की कोई शिक्षा अथवा पुष्टि नहीं है। ध्यान देने योग्य बात है कि यूहन्ना अध्याय 14-16 में, चार बार लिखा गया है कि परमेश्वर पवित्र आत्मा केवल प्रभु परमेश्वर की ओर से तथा उसके द्वारा ही, और प्रभु के शिष्यों को ही प्रदान किया जाता है (14:16-17, 26; 15:26; 16:7)। पवित्र आत्मा को प्राप्त करने से संबंधित बाइबल की शिक्षाओं और उनके बारे में बनाई गई गलत धारणाओं के विश्लेषण से संबंधित एक विस्तृत शृंखला को आप www.samparkyeshu.blogspot.com ब्लॉग साईट पर, 20 अप्रैल 2020 से आरंभ हुई लेखों की शृंखला के पहले लेख के इस लिंक से पढ़ सकते हैं: पवित्र आत्मा पाने से संबंधित बातें - परिचय
यूहन्ना 15:26 में प्रभु यीशु ने यह भी कहा कि
परमेश्वर पवित्र आत्मा मसीह यीशु ही की गवाही देगा; अर्थात प्रभु
यीशु के शिष्य की सेवकाई में परमेश्वर पवित्र आत्मा की उपस्थिति, उस शिष्य के जीवन में प्रभु यीशु मसीह की गवाही विद्यमान होने से प्रमाणित
होगी, न कि बाइबल से बाहर की बातों के करने और दिखाने के द्वारा!
वह शिष्य मसीह के समान जीना आरंभ कर देगा, प्रभु का गवाह
होकर कार्य करने लगेगा, प्रभु यीशु की आज्ञाकारिता में किसी
मनुष्य-मत-समुदाय-डिनॉमिनेशन को नहीं वरन परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला जीवन
व्यतीत करेगा (1 कुरिन्थियों 11:1; 1 थिस्सलुनीकियों
4:1-2, 11)। फिर यूहन्ना 16:7-8 में एक
बार फिर प्रभु यीशु ने सिखाया कि पवित्र आत्मा उनके भेजे से ही आएगा, “और वह आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरुत्तर करेगा”। अर्थात जो मसीही सेवकाई परमेश्वर पवित्र आत्मा की सामर्थ्य और अगुवाई
में की जाएगी, उसमें न केवल मसीह यीशु की गवाही प्राथमिकता
पाएगी, वरन साथ ही उस सेवकाई के द्वारा संसार के लोग पाप,
धार्मिकता, और न्याय के विषय दोषी ठहराए
जाएंगे या कायल किए जाएंगे (मूल यूनानी भाषा के जिस शब्द का हिन्दी अनुवाद
“निरुत्तर” किया गया है, उसका वास्तविक अर्थ उलाहना देना, या दोषी ठहराना
होता है; इसीलिए अँग्रेज़ी के अनुवादों में convict शब्द, जो मूल भाषा के अर्थ के अधिक निकट है, प्रयोग किया गया है)। परमेश्वर के वचन के अनुसार इन तीनों बातों के अर्थ
और व्याख्या का सारांश हम कल की कड़ी में देखेंगे।
इसीलिए, यदि आप मसीही विश्वासी हैं, तो बाइबल में दी गई प्रभु यीशु मसीह की शिक्षाओं को जानने, उन्हें समझने, और उनका पालन करने में अपना समय और
ध्यान लगाइए। सभी गलत शिक्षाओं से बच कर रहिए और अपनी मन-मर्जी या पसंद के अनुसार
नहीं, किन्तु प्रभु के वचन की आज्ञाकारिता में जीवन व्यतीत
करें, अपनी मसीही सेवकाई को पूर्ण करें। प्रत्येक मसीही
विश्वासी को व्यक्तिगत रीति से पवित्र आत्मा की सामर्थ्य दिए जाने का उद्देश्य यही
है कि वह शैतान की युक्तियों को समझे, उनके प्रति सचेत रहे,
और परमेश्वर के वचन को सीख समझ कर अपनी मसीही सेवकाई के लिए सक्षम,
तत्पर, और तैयार हो जाए, उस सेवकाई में लग जाए। और मसीही सेवकाई से संबंधित दी गई शिक्षाएं यह जाँचने
और समझने के आधार हैं कि जो सेवकाई की जा रही है वह वास्तव में परमेश्वर के कहे के
अनुसार की जा रही है; न कि मनुष्यों की बनाई धारणाओं के
अनुसार।
यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक
स्वीकार नहीं किया है, तो
अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी उसके पक्ष में
अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके
वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और
सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए
- उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से
प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ
ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस
प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद
करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया,
उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी
उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को
क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और
मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।”
सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा
भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।
एक साल में बाइबल पढ़ें:
- यहेजकेल
16-17
- याकूब 3
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें