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बुधवार, 11 जुलाई 2012

कार्य करने वाले

   घर बदल कर एक नए स्थान पर आने के कुछ समय बाद मैंने अपनी बहन सू और उसके पति टेड को भोजन के लिए घर आमंत्रित किया। वे हमारे घर पहुंचे ही थे और घर के दरवाज़े पर हम उनका स्वागत ही कर रहे थे कि एक अजीब सी आवाज़ ने हमारा ध्यान रसोईघर की ओर खींचा। वहां का दृश्य देखकर मैं स्तब्ध खड़ी रह गई। बरतन धोने की हमारी पुरानी मशीन में पानी ले जाने वाला पाइप मशीन से निकल गया था और उससे निकलने वाली पानी की तेज़ धार पाइप को इधर-उधर हिलाती हुई सब जगह पानी बिखरा रही थी।

   सू तुरंत कार्य करने में जुट गई। अपने पर्स को वहीं छोड़कर, मुझ से पहले वह रसोई में पहुंच गई, पानी के नल को बन्द किया और पानी पोंछने का सामान मांगने लगी। मेहमानों के घर आने के पहले पन्द्रह मिनिट हमने उनके साथ फर्श पर घुटनों के बल घर की सफाई करने में बिताए।

   सू तुरंत कार्य करने वालों में से है, और संसार ऐसे लोगों के कारण एक बेहतर स्थान है। ये वे लोग हैं जो सदा हाथ बंटाने के लिए तत्पर रहते हैं, किसी आवश्यक्ता में शामिल होने से नहीं घबराते और आवश्यक्ता हो तो नेतृत्व भी संभाल लेते हैं।

   संसार के कामों में आगे बढ़कर कार्यकारी लोगों में से बहुत से लोग परमेश्वर के कार्यों में भी कार्यकारी हैं। ये वे हैं जो प्रभु यीशु मसीह के अनुयायी हैं और जिन्होंने प्रभु यीशु के चेले याकूब की चुनौती: "परन्‍तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं" (याकूब १:२२) को स्वीकार कर लिया है।

   क्या जो परमेश्वर आप से चाहता है, आज आप उसे पूरा कर रहे हैं? परमेश्वर का वचन बाइबल के अध्ययन के समय जो आप सीखते हैं उसे अपने जीवन में लागू कीजिए: पहले परमेश्वर से सीखीए फिर उसे कार्यान्वित कीजिए। जब आप परमेश्वर की आज्ञाकारिता में बढ़ेंगे तो परमेश्वर की आशीषें भी आप के जीवन में बढ़ेंगी (पद २५)। - सिंडी हैस कैस्पर


परमेश्वर के वचन बाइबल की कीमत उसे जानने में नहीं, उसे मानने में है।

परन्‍तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। - याकूब १:२२

बाइबल पाठ: याकूब १:१९-२७
Jas 1:19  हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।
Jas 1:20  क्‍योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है।
Jas 1:21  इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर करके, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
Jas 1:22  परन्‍तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।
Jas 1:23  क्‍योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है।
Jas 1:24  इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्‍त भूल जाता है कि मैं कैसा था।
Jas 1:25  पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है।
Jas 1:26   यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है।
Jas 1:27  हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों ओर विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन १-३ 
  • प्रेरितों १७:१-१५

मंगलवार, 10 जुलाई 2012

शामिल

   फिल्म निर्माता केन बर्न्स और उनके साथियों ने दूसरे विश्व-युद्ध पर अपनी प्रसिद्ध डॉक्यूमेन्ट्री फिल्म बनाते समय युद्ध-स्थल पर विद्यमान संवाददाताओं और सेना के लोगों द्वारा ली गईं हज़ारों घंटों की सैनिक कार्यवाही की फिल्में देखीं। युद्ध की हृदय-विदारक और वीभत्स घटनाओं में इतने घंटों तक शामिल रहने के बाद युद्ध की वे घटनाएं उनके स्वपनों में उन्हें अक्सर दिखाई देती थीं, विशेषतः पेलिलियु के भयानक युद्ध की। बर्न्स ने एक संवाददाता से एक साक्षातकार में कहा, "आप एक बयान से परे भूतकाल को देखते हैं, वहां से आने वाली आवाज़ें सुनते हैं, उन से जुड़ने लगते हैं और ऐसे जुड़ने के द्वारा आप अपने आप को एक भावनाओं के भंवर में डाल देते हैं।"

   दूसरों के संघर्षों में शामिल होना एक कीमत मांगता है, चाहे वे संघर्ष कला के क्षेत्र में हों या आत्मिक जीवन में। प्रसिद्ध प्रचारक और बाइबल टीकाकार ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ने कहा कि जब हम दूसरे लोगों के जीवन में परमेश्वर की रुचि के साथ जानते और बूझते हुए जुड़ते हैं तब हम इस आत्मिक संघर्ष में शामिल हो जाते हैं; तब हमें ज्ञात होता है कि इन संघर्षों के मध्य में रह कर भी शांति और संयम बनाए रखने की अद्भुत सामर्थ भी साथ ही हमें दे दी गई है।

   प्रेरित पौलुस ने प्रभु यीशु में उद्धार और पापों की क्षमा के सुसमाचार के प्रचार में भी इस बात को अनुभव किया। परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस कुरिन्थुस की मण्डली को लिखी अपनी पत्री में लिखता है: "और और बातों को छोड़कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्‍ता प्रतिदिन मुझे दबाती है। किस की निर्बलता से मैं निर्बल नहीं होता? किस के ठोकर खाने से मेरा जी नहीं दुखता?" (२ कुरिन्थियों ११:२८-२९)। पौलुस ने अपने संघर्षों के दौरान जाना कि परमेश्वर की यह सामर्थ उसके लिए बहुत है क्योंकि वह सामर्थ पौलुस की निर्बलता में ही सिद्ध होती है (२ कुरिन्थियों १२:९)।

   प्रभु यीशु ने संसार के पापों से निवारण में सम्मिलित होने के लिए सबसे बड़ी कीमत चुकाई - अपने प्राणों का बलिदान दिया। आज जब हम उसके इस बलिदान और प्रेम की गाथा दूसरों के साथ बांटते हैं, तो उसके साथ संसार के लोगों के पापों के निवारण में शामिल होने के लिए वह आवश्यक सामर्थ भी हमें देता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


जब हम परमेश्वर की बुलाहट में शामिल होते हैं तो परमेश्वर से उसके लिए आवश्यक सामर्थ भी हमें मिलती है।

और और बातों को छोड़कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्‍ता प्रतिदिन मुझे दबाती है। - २ कुरिन्थियों ११:२८

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ११:२२-३३
2Co 11:22  क्‍या वे ही इब्रानी हैं? मैं भी हूं: क्‍या वे ही इब्राहीम के वंश के हैं? मैं भी हूं: क्‍या वे ही मसीह के सेवक हैं?
2Co 11:23  (मैं पागल की नाई कहता हूं) मैं उन से बढ़कर हूं! अधिक परिश्रम करने में; बार बार कैद होने में; कोड़े खाने में; बार बार मृत्यु के जोखिमों में।
2Co 11:24  पांच बार मैं ने यहूदियों के हाथ से उन्‍तालीस उन्‍तालीस कोड़े खाए।
2Co 11:25   तीन बार मैं ने बेंतें खाईं; एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा।
2Co 11:26  मैं बार बार यात्राओं में; नदियों के जोखिमों में; डाकुओं के जोखिमों में; अपने जाति वालों से जोखिमों में; अन्यजातियों से जोखिमों में; नगरों में के जाखिमों में; जंगल के जोखिमों में; समुद्र के जाखिमों में; झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में;
2Co 11:27  परिश्रम और कष्‍ट में; बार बार जागते रहने में; भूख-प्यास में; बार बार उपवास करने में; जाड़े में; उघाड़े रहने में।
2Co 11:28  और और बातों को छोड़ कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्‍ता प्रतिदिन मुझे दबाती है।
2Co 11:29   किस की निर्बलता से मैं निर्बल नहीं होता किस के ठोकर खाने से मेरा जी नहीं दुखता
2Co 11:30   यदि घमण्ड करना अवश्य है, तो मैं अपनी निर्बलता की बातों पर करूंगा।
2Co 11:31   प्रभु यीशु का परमेश्वर और पिता जो सदा धन्य है, जानता है, कि मैं झूठ नहीं बोलता।
2Co 11:32 दमिश्‍क में अरितास राजा की ओर से जो हाकिम था, उस ने मेरे पकड़ने को दमिशकियों के नगर पर पहरा बैठा रखा था।
2Co 11:33  और मैं टोकरे में खिड़की से होकर भीत पर से उतारा गया, और उसके हाथ से बच निकला।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ४१-४२ 
  • प्रेरितों १६:२२-४०

सोमवार, 9 जुलाई 2012

कथनी और करनी

   एक समय था कि अमेरिका के पश्चिमी तट का एक नगर प्रभु यीशु के सुसमाचार के लिए बहुत प्रबल विरोध का स्थान था। वहां के रेस्टुरन्टों में लगे पोस्टर जादू-टोने और प्रेत-पिशाचों के वशीकरण की सभाओं के आयोजन का खुला प्रचार करते थे, जहां जाकर कोई भी अपने शत्रुओं पर तन्त्र-मन्त्र द्वारा कोई दुषप्रभाव डलवा सकता था, या डालना सीख सकता था।

   चर्चों के लिए वहां बहुत कठिनाई का समय था; नगर निगम से उन्हें इमारत बनाने के अनुमति पत्र पाना भी बहुत कठिन हो गया था। चर्च के अगुवे चर्च की और अपनी दुर्दशा पर हाय हाय करते रहते थे। ऐसे में कुछ पास्टरों ने एकत्रित होकर एक साथ प्रार्थना करना आरंभ कर दिया, फिर उन्होंने प्रभु यीशु के प्रेम को व्यावाहरिक रुप में अपने नगर-निवासियों तक पहुंचाने का निर्णय लिया। वे बे-घरों की सहायता, एड्स के रोगीयों की देख-भाल, और खतरे में पड़े किशोरों की सहायता करने में लग गए। नियमित और योजनाबद्ध रीति से वे दुखी जनों की सहायता में लग गए, और उन तक प्रभु यीशु के प्रेम को पहुंचाने लगे। थोड़े समय में ही नगर की संस्थाएं उन्हें सहायता के लिए बुलाने लगीं। और फिर चर्चों में लोगों का आगमन बढ़ने लगा क्योंकि अब सुसमाचार उनके लिए कोरी बातें नहीं रह गया था, वे सुसमाचार को व्यावाहरिक रूप में देख रहे थे। नगर का माहौल बदलने लगा, प्रभु यीशु का नाम आदर पाने लगा, लोग मसीही विश्वास में रुचि लेने लगे।

   यह इस बात को प्रमाणित करता है कि कथनी से अधिक प्रभावकारी करनी होती है; कुछ कहने से पहले करना आरंभ कर दीजिए, प्रचार करने से पहले उसे जी कर दिखाना आरंभ कर दीजिए। जब तक हम मसीह के प्रेम को व्यावाहरिक रूप में दिखाने वाले नहीं बनेंगे, तब तक कोई उस प्रेम के बारे में हम से सुनने में रुचि नहीं लेगा। यही मत्ती ५:१६ में प्रभु यीशु द्वारा दी गई शिक्षा का अर्थ है - लोग जब हमारे जीवन में उजियाले को चमकता देखेंगे तो हमारी ज्योति के स्त्रोत के बारे में भी रुचि लेंगे। तब सुसमाचार के कठोर विरोधी भी इस बात से प्रसन्न होंगे कि आप उन के पड़ौसी हैं, या उन के नगर में या कार्यस्थल में रहते हैं और उन की सहायतार्थ उपलब्ध रहते हैं। आपकी करनी ही आप की कथनी को उन के कानों और मनों तक पहुंचा पाने के लिए मार्ग खोलने पाएगी। - जो स्टोवैल


जब आप सुसमाचार कहें तो उसे कार्यान्वित कर के भी दिखाएं।

उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देख कर तुम्हारे पिता की, जो स्‍वर्ग में हैं, बड़ाई करें। - मत्ती ५:१६

बाइबल पाठ: मत्ती ५:१०-१६
Mat 5:11   धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हरो विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें।
Mat 5:12  आनन्‍दित और मगन होना क्‍योंकि तुम्हारे लिये स्‍वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्‍होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।
Mat 5:13  तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्‍तु यदि नमक का स्‍वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्‍तु से नमकीन किया जाएगा फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए।
Mat 5:14  तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता।
Mat 5:15 और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्‍तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है।
Mat 5:16 उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देख कर तुम्हारे पिता की, जो स्‍वर्ग में हैं, बड़ाई करें।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ३८-४० 
  • प्रेरितों १६:१-२१

रविवार, 8 जुलाई 2012

झूठी भविष्यवाणीयां

   इस समाचार के साथ कि २२ जुलाई २००९ को सूर्य ग्रहण होगा, एक आतंकित कर देने वाली भविष्यवाणी भी सुनाई देने लगी। कुछ लोगों ने यह भ्रम फैला दिया कि ग्रहण के समय पृथ्वी के गुरुत्वाकर्ष्ण पर प्रभाव पड़ेगा जिसके कारण एक बड़ा भूकम्प होगा और जापान पर विनाशकारी सुनामी आएगी। शीघ्र ही अमेरिका के भूगर्भीय अनुसन्धान केंद्र ने इस भविष्यवाणी को गलत घोषित किया और सूचना दी कि "अभी तक कहीं भी कोई भी वैज्ञानिक कभी भी किसी भूकम्प की भविष्यवाणी नहीं कर सका है; ना ही उनके पास ऐसी भविष्यवाणी करने के कोई साधन हैं और ना ही निकट भविश्य में ऐसा कोई साधन उपलब्ध होने की संभावना है।"

   प्रभु यीशु मसीह के पुनःआगमन के समय और तिथि के बारे में भी समय समय पर कई झूठी भविश्यवाणीयां होती रहीं हैं; बावजूद इसके कि स्वयं प्रभु यीशु ने ज़ोर देकर कहा था कि "उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्‍वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्‍तु केवल पिता" (मत्ती २४:३६)। प्रभु यीशु मसीह ने अपने चेलों को बताया कि उसके दूसरे आगमन के समय के बारे में चिंतित रहने की बजाए उन्हें सतर्क रहना है (पद ४२) और प्रतीक्षा करनी है (पद ४६) और परमेश्वर द्वारा दिए गए कार्य को पूरा करते रहना है।

   प्रेरित पतरस ने भी अपनी पत्री में इसी के बारे में लिखते समय मसीही विश्वासियों को अपनी गवाही के बनाए रखने के विषय में सचेत रहने का आग्रह किया : "परन्‍तु प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्‍द से जाता रहेगा, और तत्‍व बहुत ही तप्‍त होकर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाऐंगे। तो जब कि ये सब वस्‍तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चालचलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए" (२ पतरस ३:१०-११)।

   प्रभु यीशु चाहते हैं कि सभी मसीही विश्वासी अपनी अपनी ज़िम्मेवारियों के पूरा करने और परमेश्वर के लिए कार्य करने में लगे रहें, "और उस धन्य आशा की अर्थात अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें" (तीतुस २:१३)। जो सजग होकर बाट जोहेगा वह अपनी गवाही और चरित्र को ठीक रखेगा, अपने कार्य को पूरा रखेगा जिससे प्रभु जब भी आए उसे तैयार पाए।

   हो सकता है कि यह आज ही हो; क्या आप आज ही मसीह के दूसरे आगमन और उसे अपने जीवन का हिसाब देने के लिए तैयार हैं?- सी. पी. हिया


मसीह के दूसरे आगमन की बाट जोहने लगिए, आप मसीह की महिमा के लिए जीवन व्यतीत करने लगेंगे।

जब वह जैतून पहाड़ पर बैठा था, तो चेलों ने अलग उसके पास आकर कहा, हम से कह कि ये बातें कब होंगी और तेरे आने का, और जगत के अन्‍त का क्‍या चिन्‍ह होगा? - मत्ती २४:३

बाइबल पाठ: मत्ती २४:३५-४४
Mat 24:35  आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्‍तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।
Mat 24:36  उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्‍वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्‍तु केवल पिता।
Mat 24:37   जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।
Mat 24:38  क्‍योंकि जैसे जल-प्रलय से पहिले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी।
Mat 24:39   और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।
Mat 24:40   उस समय दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा।
Mat 24:41  दो स्‍त्रियां चक्की पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी।
Mat 24:42  इसलिये जागते रहो, क्‍योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा।
Mat 24:43  परन्‍तु यह जान लो कि यदि घर का स्‍वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता, और अपने घर में सेंध लगने न देता।
Mat 24:44  इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्‍योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ३६-३७ 
  • प्रेरितों १५:२२-४१

शनिवार, 7 जुलाई 2012

सचेत

   जब भी मैं मनुष्यों द्वारा किए जाने वाले पापों और दुराचारों पर विचार करती हूँ तो मेरे लिए बहुत कठिन होता है किसी ऐसे पाप या दुराचार का नाम लेना जिसमें कहीं ना कहीं, किसी ना किसी रूप में लोभ या लालच या लालसा उनके किए जाने के कारण नहीं हों। संसार का पहला पाप भी लालसा के कारण ही था। शैतान ने हमारी आदि माता हव्वा को बहकाया और उसके मन में परमेश्वर के समान हो जाने की लालसा जगाई और उससे परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता करवा दी (उत्पत्ति ३:५)। 

   परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल में अपने लोगों के जीवनों को सुचारू रूप से चलाने और निर्देषित करने के लिए दस आज्ञाएं दी हैं। ये आज्ञाएं परमेश्वर, समाज और परिवार के प्रति प्रत्येक व्यक्ति के दायित्वों को बताती हैं। हव्वा की लालसा या लालच ने प्रथम आज्ञा, जो परमेश्वर के एकमात्र होने और उसी पर विश्वास करने की है, तथा दसवीं आज्ञा, जो लालच करने से मना करती है, दोनो का उल्लंघन करवाया। कभी कभी मैं सोचती हूँ कि परमेश्वर ने दसवीं आज्ञा को, पहली आज्ञा के रूप में क्यों नहीं रखा? क्योंकि लालच से मनाही आज्ञाओं की सूची के अन्त में आती है, क्या इस कारण हमें उसे सबसे कम महत्वपुर्ण समझना चाहिए?

   जब हम लालच नहीं करने या अनुचित लालसा नहीं रखने या अपनी लालसाओं को पूरा करने के लिए अनुचित मार्ग नहीं अपनाने की ठान लेते हैं तो अपने जीवन में परमेश्वर की आज्ञाओं के उल्लंघन की संभावनाओं को भी समाप्त कर देते हैं। इसके विपरीत हमारी अनुचित लालसाएं या उनकी पूर्ति के अनुचित उपाय हम से इन द्स आज्ञाओं में से प्रत्येक का उल्लंघन करवा सकती है। जो हमारा नहीं है, उसे पाने का लालच या लालसा हमें झूठ बुलवाती है, चोरी करवाती है, व्यभिचार करवाती है, हत्या करवाती है और माता-पिता का अनादर करवाती है। क्योंकि हमें लगता है कि केवल ६ दिन के काम के द्वारा वह सब नहीं पा सकते जिसकी हमें लालसा है, इसलिए हम सप्ताह के सातवें दिन भी, जो परमेश्वर का विश्रामदिन है, काम करते हैं और परमेश्वर से दूर हो जाते हैं, अपने शरीर और मन को थका लेते हैं, अपने परिवारों और प्रीय जनों को नज़रंदाज़ कर देते हैं। क्योंकि हम कुछ पाने की बहुत तीव्र इच्छा रखते हैं इसलिए उसे प्राप्त करने के लिए हम परमेश्वर के नाम का भी दुरुपयोग करने या उसे व्यर्थ में लेने से नहीं कतराते। क्योंकि हम परमेश्वर और परमेश्वर द्वारा होने वाली हमारी आवश्यक्ताओं की पूर्ति के स्थान पर अपनी लालसाओं की पूर्ति को अधिक महत्व देते हैं इसलिए हम धन-संपत्ति और उन मनुष्यों को अपने जीवन में परमेश्वर से अधिक महत्व देने लग जाते हैं जो हमें हमारी लालसाएं पूरी कर के दे सकते हैं।

   जब हम पाप की लालसा को अपने मन-मस्तिष्क में ही रोक लेते हैं और उसे वहीं समाप्त कर देते हैं तो हम स्वयं भी पाप करने से बच जाते हैं और दूसरों को भी अपनी लालसाओं का शिकार बनाने और परेशानियों में डालने से बच जाते हैं तथा पाप के गंभीर दुष्परिणामों से बच जाते हैं।

   लालसाओं से सचेत रहिए। - जूली ऐकैरमैन लिंक


संतुष्टि यह पहचानने में है कि परमेश्वर ने जो कुछ मेरे लिए आवश्यक है वह पहले ही से मुझे उपलब्ध करवा रखा है।

तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना। - निर्गमन २०:१७

बाइबल पाठ: - निर्गमन २०:१-१७
Exo 20:1  तब परमेश्वर ने ये सब वचन कहे,
Exo 20:2  कि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है।
Exo 20:3  तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना।
Exo 20:4  तू अपने लिये कोई मूर्ती खोदकर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है।
Exo 20:5  तू उनको दण्डवत्‌ न करना, और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं,
Exo 20:6  और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं, उन हजारों पर करूणा किया करता हूं।
Exo 20:7  तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना, क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ ले वह उसको निर्दोष न ठहराएगा।
Exo 20:8  तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना।
Exo 20:9  छ: दिन तो तू परिश्रम करके अपना सब काम काज करना;
Exo 20:10  परन्तु सातवां दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है। उस में न तो तू किसी भांति का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर हो।
Exo 20:11  क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्राम किया; इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया।।
Exo 20:12  तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिस से जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तू बहुत दिन तक रहने पाए।
Exo 20:13  तू खून न करना।
Exo 20:14  तू व्यभिचार न करना।
Exo 20:15  तू चोरी न करना।
Exo 20:16  तू किसी के विरूद्ध झूठी साक्षी न देना।
Exo 20:17  तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ३४-३५ 
  • प्रेरितों १५:१-२१

शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

कुछ बेहतर

   परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों की पत्री का ११वां अध्याय विश्वास और विश्वास के योद्धाओं के अध्याय के नाम से जाना जाता है। इस अध्याय के आरंभ में उन दिग्गजों का वर्णन है जिन्होंने परमेश्वर पर विश्वास के द्वारा बड़े बड़े कार्य किये और अन्त्स की ओर कुछ ऐसे दिग्गजों के नाम की सूची है जिन्होंने परमेश्वर पर अपने विश्वास के कारण बहुत क्लेषों का सामना किया। पहले भाग की सूची का आरंभ होता है आदम के दुसरे पुत्र हाबिल के नाम से, लेकिन उसकी कहानी इस भाग में दीये गए अन्य नामों से बिलकुल भिन्न है। पहले भाग में हनोक है, जो मृत्यु को देखे बिना स्वर्ग ले जाया गया। नूह हैं जिसने मानवजाति के जलप्रलय से बचाव के लिए कार्य किया। इब्राहिम है जिससे परमेश्वर के लोगों की जाति इस्त्राएल आरंभ हुई। इसहाक है जो एक प्रतिभावान प्राचीन था। युसुफ है जो मिस्त्र का प्रधानमंत्री बना। मूसा है जिसने संसार के इतिहास के सबसे बड़े दासत्व से छुटकारे और पलायन का नेतृत्व किया।

   स्पष्ट है कि इन विश्वास के दिग्गजों को अपने विश्वास का प्रतिफल मिला। विश्वास द्वारा उन्होंने वह किया जो परमेश्वर ने उन्हें कहा था, और परमेश्वर ने अपनी आशीषों को उन पर बरसाया। इन लोगों ने परमेश्वर की कही बातों को अपनी आखों से पूरी होते देखा।

   लेकिन हाबिल? उसे भी तो परमेश्वर पर विश्वास था और "विश्वास ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया; और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई..." (इब्रानियों ११:४), लेकिन प्रतिफल में उसे क्या मिला? उसी के भाई ने उसका कत्ल कर दिया - यह तो उन लोगों के वर्णन के समान है जो इब्रानियों ११ के अन्त की सूची में हैं। आरंभ के भाग के लोगों के अनुभव के विपरीत, अन्त के निकट के भाग में दी गई सूची के लोगों ने पाया कि परमेश्वर पर विश्वास द्वारा तुरंत ही आशीषें और सुख-समृद्धि नहीं मिल जाती। इन लोगों ने परमेश्वर पर अपने विश्वास के कारण ठट्ठों में उड़ाए जाने, कैद में डाले जाने, कोड़े खाने, आरे से चीरे जाने आदि यातनाओं का सामना किया।

   आप कह सकते हैं, "जी बहुत धन्यवाद, लेकिन मुझे यह स्वीकार नहीं; मैं तो इब्राहिम के समान नायक बनना पसन्द करूंगा ना कि कंगाली, क्लेष और दुख भोगते हुए जीवन बिताऊं।" लेकिन परमेश्वर की योजनाओं में इस बात का कोई निश्चय नहीं है कि विश्वासी और भक्त जन को उसकी भक्ति और विश्वासयोग्यता का प्रतिफल भी तुरंत ही मिल जाएगा। इसी अध्याय में, इन्हीं लोगों के संदर्भ में लिखा है कि उन्हें कुछ बेहतर की प्रतीक्षा करनी पड़ी।

   आज भी हम मसीही विश्वासियों को अपने विश्वास और परमेश्वर की आज्ञाकारिता के लिए हो सकता है कि कुछ ना मिले या उम्मीद से कम मिले, लेकिन परमेश्वर के अटल वचन में हम प्रतिज्ञा पाते हैं कि आते अनन्त में, उस महिमा के समय में, हमारे लिए ऐसी प्रतिज्ञाएं और प्रतिफल रखे हैं जो कि ना केवल बेहतर हैं, वरन हमारी कलपना और आशा से कहीं अधिक बढ़कर हैं: "परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं" (१ कुरिन्थियों २:९)।

   उस बेहतर के आने तक हम विश्वास के साथ आगे बढ़ते रहें, परमेश्वर के लिए उपयोगी बने रहें। - डेव ब्रैनन


जो आज मसीह यीशु के लिए किया जाता है, उसका प्रतिफल अनन्त काल तक रहेगा।

...और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्‍छी गवाही दी गई, तोभी उन्‍हें प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तु न मिली। - इब्रानियों ११:३९

बाइबल पाठ: - इब्रानियों ११:४-७; ३२-४०
Heb 11:4  विश्वास ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्‍योंकि परमेश्वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी, और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
Heb 11:5  विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला, क्‍योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उस ने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
Heb 11:6  और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्‍योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है, और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है।
Heb 11:7  विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थीं, चितौनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया, और उसके द्वारा उस ने संसार को दोषी ठहराया; और उस धर्म का वारिस हुआ, जो विश्वास से होता है।
Heb 11:32  अब और क्‍या कहूँ क्‍योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं।
Heb 11:33  इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तुएं प्राप्‍त की, सिंहों के मुंह बन्‍द किए।
Heb 11:34  आग की ज्‍वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया।
Heb 11:35  स्‍त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए और छुटकारा न चाहा, इसलिये कि उत्तम पुनरूत्थान के भागी हों।
Heb 11:36  कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने, और कोड़े खाने, वरन बान्‍धे जाने और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए।
Heb 11:37  पत्थरवाह किए गए, आरे से चीरे गए, उन की परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्‍लेश में और दुख भोगते हुए भेड़ों और बकिरयों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे।
Heb 11:38   और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे।
Heb 11:39  संसार उन के योग्य न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्‍छी गवाही दी गई, तोभी उन्‍हें प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तु न मिली।
Heb 11:40  क्‍योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहिले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचे।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ३२-३३ 
  • प्रेरितों १४

गुरुवार, 5 जुलाई 2012

अवकाश

   मेरे एक मित्र ने उसके चर्च के अगुवों द्वारा लिए गए अवकाश के बारे में बताया। २ दिनों के लिए चर्च के अगुवे एक एकांत स्थान पर प्रार्थना तथा आराधना करने और भविष्य में चर्च के कार्यों के लिए के लिए योजना बनाने के लिए एकत्रित हुए। मेरे मित्र का अनुभव था कि यह अवकाश का समय बहुत लाभकारी रहा और इससे सबको एक ताज़गी और स्फूर्ति मिली, जिससे चर्च के कार्यों को योजनाबद्ध तरीके से करने मे बहुत सहायता मिलेगी।

   मुझे यह बहुत रोचक लगा - कार्य करने के लिए कार्य से अवकाश लेना। किंतु यह एक सही सिद्धांत है। कई बार पीछे हट कर पुनः संगठित होना प्रभावपूर्ण रीति से कार्यकारी होने के लिए आवश्यक हो जाता है। यह परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों में और भी अधिक महत्व रखता है।

   स्वयं प्रभु यीशु ने इस सिद्धांत का अनुसरण किया। गलील के सागर के इलाके में एक व्यस्त दिन के अन्त में वे अवकाश के समय लिए एकांत में चले गए: "वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था" (मत्ती १४:२३)। समय निकाल कर एकांत में परमेश्वर के साथ प्रार्थना में समय बिताना प्रभु यीशु के जीवन का एक महत्वपुर्ण भाग था: "और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठ कर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा" (मरकुस १:३५); "और उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई" (लूका ६:१२)।

   इस अति व्यस्त और एक दुसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे संसार में, इस होड़ में शामिल हो कर अपने आप को थका लेना कोई कठिन बात नहीं है, यह अनायास ही हो जाता है। मसीही विश्वासियों को परमेश्वर के लिए प्रभावी होने के लिए परमेश्वर की उपस्थिति में भी आना आवश्यक है। जब तक हम संसार की भाग-दौड़ से अवकाश लेकर परमेश्वर की उपस्थिति में शांत हो कर नहीं बैठेंगे, परमेश्वर से सामर्थ और मार्गदर्शन नहीं पा सकेंगे।

   अवकाश ले कर परमेश्वर की उपस्थिति में आने के द्वारा ही सामर्थी हो कर आगे बढ़ने की कुंजी है। अवकाश लेकर प्रभु की उपस्थिति में आइए और सामर्थ पाकर आगे बढ़िए। - बिल क्राउडर


पिता परमेश्वर के साथ एकांत का स्थान ही वह एकमात्र स्थान है जहां से आगे बढ़ने की सामर्थ मिलती है।

वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था। - मत्ती १४:२३

बाइबल पाठ: - मत्ती १४:१३-२३
Mat 14:13  जब यीशु ने यह सुना, तो नाव पर चढ़ कर वहां से किसी सुनसान जगह एकान्‍त में चला गया; और लोग यह सुनकर नगर नगर से पैदल उसके पीछे हो लिए।
Mat 14:14  उस ने निकल कर बड़ी भीड़ देखी और उन पर तरस खाया, और उस ने उन के बीमारों को चंगा किया।
Mat 14:15  जब सांझ हुई, तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा यह तो सुनसान जगह है और देर हो रही है, लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्‍तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें।
Mat 14:16  यीशु ने उन से कहा उन का जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्‍हें खाने को दो।
Mat 14:17  उन्‍होंने उस से कहा यहां हमारे पास पांच रोटी और दो मछिलयों को छोड़ और कुछ नहीं है।
Mat 14:18   उस ने कहा, उन को यहां मेरे पास ले आओ।
Mat 14:19  तब उस ने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पांच रोटियों और दो मछिलयों को लिया, और स्‍वर्ग की ओर देख कर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को।
Mat 14:20  और सब खाकर तृप्‍त हो गए, और उन्‍होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकिरयां उठाई।
Mat 14:21  और खाने वाले स्‍त्रियों और बालकों को छोड़ कर पांच हजार पुरूषों के अटकल थे।
Mat 14:22  और उस ने तुरन्‍त अपने चेलों को बरबस नाव पर चढ़ाया, कि वे उस से पहिले पार चले जाएं, जब तक कि वह लोगों को विदा करे।
Mat 14:23  वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ३०-३१ 
  • प्रेरितों १३:२६-५२