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गुरुवार, 5 जुलाई 2012

अवकाश

   मेरे एक मित्र ने उसके चर्च के अगुवों द्वारा लिए गए अवकाश के बारे में बताया। २ दिनों के लिए चर्च के अगुवे एक एकांत स्थान पर प्रार्थना तथा आराधना करने और भविष्य में चर्च के कार्यों के लिए के लिए योजना बनाने के लिए एकत्रित हुए। मेरे मित्र का अनुभव था कि यह अवकाश का समय बहुत लाभकारी रहा और इससे सबको एक ताज़गी और स्फूर्ति मिली, जिससे चर्च के कार्यों को योजनाबद्ध तरीके से करने मे बहुत सहायता मिलेगी।

   मुझे यह बहुत रोचक लगा - कार्य करने के लिए कार्य से अवकाश लेना। किंतु यह एक सही सिद्धांत है। कई बार पीछे हट कर पुनः संगठित होना प्रभावपूर्ण रीति से कार्यकारी होने के लिए आवश्यक हो जाता है। यह परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों में और भी अधिक महत्व रखता है।

   स्वयं प्रभु यीशु ने इस सिद्धांत का अनुसरण किया। गलील के सागर के इलाके में एक व्यस्त दिन के अन्त में वे अवकाश के समय लिए एकांत में चले गए: "वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था" (मत्ती १४:२३)। समय निकाल कर एकांत में परमेश्वर के साथ प्रार्थना में समय बिताना प्रभु यीशु के जीवन का एक महत्वपुर्ण भाग था: "और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठ कर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा" (मरकुस १:३५); "और उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई" (लूका ६:१२)।

   इस अति व्यस्त और एक दुसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे संसार में, इस होड़ में शामिल हो कर अपने आप को थका लेना कोई कठिन बात नहीं है, यह अनायास ही हो जाता है। मसीही विश्वासियों को परमेश्वर के लिए प्रभावी होने के लिए परमेश्वर की उपस्थिति में भी आना आवश्यक है। जब तक हम संसार की भाग-दौड़ से अवकाश लेकर परमेश्वर की उपस्थिति में शांत हो कर नहीं बैठेंगे, परमेश्वर से सामर्थ और मार्गदर्शन नहीं पा सकेंगे।

   अवकाश ले कर परमेश्वर की उपस्थिति में आने के द्वारा ही सामर्थी हो कर आगे बढ़ने की कुंजी है। अवकाश लेकर प्रभु की उपस्थिति में आइए और सामर्थ पाकर आगे बढ़िए। - बिल क्राउडर


पिता परमेश्वर के साथ एकांत का स्थान ही वह एकमात्र स्थान है जहां से आगे बढ़ने की सामर्थ मिलती है।

वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था। - मत्ती १४:२३

बाइबल पाठ: - मत्ती १४:१३-२३
Mat 14:13  जब यीशु ने यह सुना, तो नाव पर चढ़ कर वहां से किसी सुनसान जगह एकान्‍त में चला गया; और लोग यह सुनकर नगर नगर से पैदल उसके पीछे हो लिए।
Mat 14:14  उस ने निकल कर बड़ी भीड़ देखी और उन पर तरस खाया, और उस ने उन के बीमारों को चंगा किया।
Mat 14:15  जब सांझ हुई, तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा यह तो सुनसान जगह है और देर हो रही है, लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्‍तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें।
Mat 14:16  यीशु ने उन से कहा उन का जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्‍हें खाने को दो।
Mat 14:17  उन्‍होंने उस से कहा यहां हमारे पास पांच रोटी और दो मछिलयों को छोड़ और कुछ नहीं है।
Mat 14:18   उस ने कहा, उन को यहां मेरे पास ले आओ।
Mat 14:19  तब उस ने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पांच रोटियों और दो मछिलयों को लिया, और स्‍वर्ग की ओर देख कर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को।
Mat 14:20  और सब खाकर तृप्‍त हो गए, और उन्‍होंने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकिरयां उठाई।
Mat 14:21  और खाने वाले स्‍त्रियों और बालकों को छोड़ कर पांच हजार पुरूषों के अटकल थे।
Mat 14:22  और उस ने तुरन्‍त अपने चेलों को बरबस नाव पर चढ़ाया, कि वे उस से पहिले पार चले जाएं, जब तक कि वह लोगों को विदा करे।
Mat 14:23  वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ३०-३१ 
  • प्रेरितों १३:२६-५२

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