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मंगलवार, 5 अक्टूबर 2010

मृत्यु के काबिल

१९४० के दशक में कठोर नाट्ज़ी प्रशासन के नियंत्रण द्वारा अपने देश का पतन होते हुए देख सोफी शौल नामक एक जर्मन युवती ठान लिया कि वह देश की दशा सुधारने के लिये कुछ करेगी। वह और उसके भाई और उनके कुछ मित्रों ने मिलकर शांतिपूर्ण ढंग से नाट्ज़ी प्रशासन के सिद्धांतों और योजनाओं का जो वे देश पर थोप रहे थे, विरोध करना आरंभ किया।

सोफी और उसके साथ के लोग बन्दी बना लिये गए और अपने देश में हो रही बुराई के विरुद्ध आवाज़ उठाने के अपराध में उन्हें मृत्यु दण्ड दिया गया। यद्यपि सोफी मरने के लिये उत्सुक्त नहीं थी फिर भी देश की स्थिति को देखते हुए उसने ठान लिया कि कुछ तो करना है, चाहे इसके लिये मरना ही क्यों न पड़े।

सोफी की कहानी हमारे लिये एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती है - क्या हमारे लिये कुछ ऐसा महत्वपूर्ण है जिसके लिये हम मरने को भी तैयार हों?

जिम इलियट, नेट सैंट, पीट फ्लेमिंग, रौजर युडेरिअन, एड मैक्कुल्ली - पांच जवान व्यक्ति, जिन्होंने अपने घरों, परिवारों और प्रीय जनों को छोड़ दक्षिण अमेरिका के जंगलों में सुसमाचार पहुंचाने की ठान ली, उसके लिये जान का जोखिम उठाया और अपने निर्ण्य को निभाते हुए सुसमाचार के लिये बलिदान हो गए। इलियट के एक लेख से ऐसे बलिदान होने का ठान लेने वालों के मन का अन्दाज़ा होता है; उसने लिखा "जो व्यक्ति, उस चीज़ को जिसे वह कभी अपने पास रख नहीं सकता, दे कर बदले में ऐसी चीज़ कमा लेता है जिसे वह कभी खो नहीं सकता, वह कदापि मूर्ख नहीं है।"

पौलुस प्रेरित ने इस भाव को दूसरे शब्दों में बयान किया - "क्‍योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है।" (फिलिप्पियों १:२१)

कुछ बातें हैं जो वास्तव में ज़िन्दगी की कीमत पर भी करने के योग्य हैं, इस जीवन में भी और मरणोपरांत भी, और परमेश्वर की ओर से उनका प्रतिफल अति महान है - "पर तू सब बातों में सावधान रह, दुख उठा, सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपनी सेवा को पूरा कर। भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, वरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं।" ( २ तिमुथियुस ४:५, ८) - बिल क्राउडर


जो इस जीवन में विश्वासयोग्यता के साथ अपना क्रूस उठाकर चलते हैं, वे आते जीवन में प्रभु से जीवन का मुकुट पहनेंगे।

क्‍योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है। - फिलिप्पियों १:२१


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:१९-२६

क्‍योंकि मैं जानता हूं, कि तुम्हारी बिनती के द्वारा, और यीशु मसीह की आत्मा के दान के द्वारा इस का प्रतिफल मेरा उद्धार होगा।
मैं तो यही हादिर्क लालसा और आशा रखता हूं, कि मैं किसी बात में लज्ज़ित न होऊं, पर जैसे मेरे प्रबल साहस के कारण मसीह की बड़ाई मेरी देह के द्वारा सदा होती रही है, वैसा ही अब भी हो, चाहे मैं जीवित रहूं अथवा मर जाऊं।
क्‍योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है।
पर यदि शरीर में जीवित रहना ही मेरे काम के लिये लाभदायक है तो मैं नहीं जानता, कि किस को चुनूं।
क्‍योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूं; जी तो चाहता है कि कूच करके मसीह के पास जा रहूं, क्‍योंकि यह बहुत ही अच्‍छा है।
परन्‍तु शरीर में रहना तुम्हारे कारण और भी आवश्यक है।
और इसलिये कि मुझे इस का भरोसा है सो मैं जानता हूं कि मैं जीवित रहूंगा, वरन तुम सब के साथ रहूंगा जिस से तुम विश्वास में दृढ़ होते जाओ और उस में आनन्‍दित रहो।
और जो घमण्‍ड तुम मेरे विषय में करते हो, वह मेरे फिर तुम्हारे पास आने से मसीह यीशु में अधिक बढ़ जाए।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह २३-२५
  • फिलिप्पियों १

सोमवार, 4 अक्टूबर 2010

प्रभु की सेवा में

जब डेव और जॉय म्युलर को परमेश्वर की बुलाहट सुडान देश में मिशनरी बनकर जाने के लिये हुई, तो उन्हें अपने भविष्य का कुछ पता नहीं था। वे बस इतना जानते थे कि गृहयुद्ध से बरबाद हुए उस देश में वे एक अस्पताल बनाने में सहायता करने के लिये जा रहे हैं। उन्हें क्या पता था कि उनका भविष्य बकरियों में है!

सुडान में जब जॉय वहां कि स्त्रियों के बीच में काम करने लगी तो उसने पाया कि बहुत सी स्त्रियां वहां के विनाशकारी गृहयुद्ध के कारण विधवाएं थीं और उनके पास आमदनी का कोई स्त्रोत नहीं था। तब जॉय को एक उपाय सूझा - यदि वह एक गर्भवति बकरी एक विधवा स्त्री को दे तो उसे अपने पोष्ण के लिये दूध भी मिलेगा और आमदनी का स्त्रोत भी। इस कार्यक्रम को जारी रखने के लिये यह ज़रूरी था कि जिसे बकरी मिले, वह उस बकरी का बच्चा जॉय को लौट देगी, उस बकरी से मिलने वाला बाकी सब कुछ उस स्त्री का ही रहेगा। वह बच्चा कुछ समय बाद ऐसे ही किसी दूसरे ज़रूरतमंद परिवार को इसी शर्त के साथ दे दिया जाता। प्रभु यीशु के नाम में प्रेम से दी गई यह भेंट बहुतेरी सुडानी विधवाओं के जीवन को बदलने, और जॉय के लिये उद्धार के सुसमाचार को उनके पास लाने का माध्यम बनीं।

आज आपके पास ऐसे देने के लिये क्या है? अपने किसी पड़ौसी, मित्र या किसी अजनबी को भी आप प्रभु के नाम से क्या दे सकते हैं - अपनी कार में सवारी, उसके लिये कोई काम, उसकी सहायता के लिये अपनी कोई वस्तु?

मसीही विश्वासी होने के नाते दूसरों की आवश्यक्ताओं की चिंता करना हमारी ज़िम्मेदारी है - "पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देखकर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्‍योंकर बना रह सकता है?" (१ यूहन्ना ३:१७)। प्रेम में होकर किये गए हमारे कार्य दिखाते हैं कि प्रभु यीशु हमारे हृदयों मे निवास करता है, और दुसरों की आवश्यक्ताओं में उनकी सहायता करना हमें उनके साथ सुसमाचार बांटने का अवसर प्रदान करता है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर हमें हमारी आवश्यक्ता की हर चीज़ देता है जिससे हम भी दुसरों की आवश्यक्ताओं में उनकी सहायता करें।

पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देखकर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्‍योंकर बना रह सकता है? - १ यूहन्ना ३:१७


बाइबल पाठ: १ यूहन्ना ३:१६-२०

हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उस ने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए, और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए।
पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देखकर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्‍योंकर बना रह सकता है?
हे बालको, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें।
इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं, और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उस विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे।
क्‍योंकि परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है, और सब कुछ जानता है।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह २०-२२
  • इफिसियों ६

रविवार, 3 अक्टूबर 2010

सही समझ

नक्शे बनाने वालों को गोलाकार धरती को सपाट नक्शे पर दिखाने के लिये विकृतियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि इस समस्या का कोई सिद्ध उपाय नहीं है, इसलिये कुछ नक्शों में ग्रीनलैंड औस्ट्रेलिया से बड़ा दिखता है।

मसीही विश्वासियों को भी ऐसे ही कुछ बातों में बिगड़े स्वरूपों का सामना करना पड़ता है। जब हम भौतिक संसार की सीमाओं में बंधे, आत्मिक बातों को समझने का प्रयास करते हैं तो हो सकता है कि हम छोटी बातों को बढ़ा-चढ़ा कर और प्रधान बातों के महत्व को कम आंक कर देखते हों।

नए नियम में बहुत बार लोकप्रीय उपदेशकों की शिक्षाओं को परमेश्वर के वचन की शिक्षा से अधिक महत्व देने की विकृत प्रवृति के बारे में सिखाया गया है। पौलुस प्रेरित ने बताया कि परमेश्वर की "आज्ञा का सारांश यह है, कि शुद्ध मन और अच्‍छे विवेक, और कपट रहित विश्वास से प्रेम उत्‍पन्न हो। इन को छोड़कर कितने लोग फिरकर बकवाद की ओर भटक गए हैं" ( १ तिमुथियुस १:५, ६)। सही उपदेश परमेश्वर के वचन को विकृत नहीं करता और न ही परमेश्वर की मण्डली में फूट डालता है। इसके विपरीत, सही शिक्षा द्वारा विश्वासियों की एकता बढ़ती है और मसीह की देह अर्थात मण्डली की उन्नति होती है, जिससे मण्डली का प्रत्येक सदस्य एक दुसरे की देख रेख करने (१ कुरिन्थियों १२:२५) और संसार में परमेश्वर के कार्य को बढ़ाने में उपयोगी होता है।

परमेश्वर को समझ पाने के सभी मानवीय प्रयास अपर्याप्त हैं और मानवीय समझ के सहारे परमेश्वर को समझना हमारी प्राथमिकताओं को बिगाड़ सकता है, हमें असमंजस में डाल सकता है और हमारी आत्मिक बातों की समझ को टेढ़ा कर सकता है। परमेश्वर के सत्य को विकृत करने से बचने के लिये हमें किसी मनुष्य की समझ पर नहीं वरन परमेश्वर ही पर आधारित रहना चाहिये - "इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्‍तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो" (१ कुरिन्थियों २:५)। उसका वायदा है कि "पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है, और उस को दी जाएगी" (याकूब १:५), "मुझ से प्रार्थना कर और मैं तेरी सुनकर तुझे बढ़ी-बड़ी और कठिन बातें बताऊंगा जिन्हें तू अभी नहीं समझता" (यर्मियाह ३३:३)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


सही गलत की उचित पहचान करने के लिये हर बात को परमेश्वर के सत्य की ज्योति के सम्मुख लाईये।

इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्‍तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो। - १ कुरिन्थियों २:५


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों २:१-१६

और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया।
क्‍योंकि मैं ने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं।
और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथरता हुआ तुम्हारे साथ रहा।
और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं, परन्‍तु आत्मा और सामर्थ का प्रमाण था।
इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्‍तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो।
फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं: परन्‍तु इस संसार का और इस संसार के नाश होने वाले हाकिमों का ज्ञान नहीं।
परन्‍तु हम परमेश्वर का वह गुप्‍त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया।
जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्‍योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते।
परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखा, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ीं वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपनेके प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं।
परन्‍तु परमेश्वर ने उन को अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया, क्‍योंकि आत्मा सब बातें, वरन परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है।
मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता, केवल मनुष्य की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेवर का आत्मा।
परन्‍तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्‍तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं।
जिन को हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्‍तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिलाकर सुनाते हैं।
परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्‍योंकि वे उस की दृष्‍टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्‍हें जान सकता है क्‍योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है।
आत्मिक जन सब कुछ जांचता है, परन्‍तु वह आप किसी से जांचा नहीं जाता।
क्‍योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए परन्‍तु हम में मसीह का मन है।
एक साल में बाइबल:
  • यशायाह १७-१९
  • इफिसियों ५:१७-३३

शनिवार, 2 अक्टूबर 2010

मन का संगीत

अपनी पुस्तक "Musicophilia: Tales of Music and the Brain" में लेखक औलिवर ने मानसिक रोगों के उपचार में संगित के प्रभाव को पूरा एक अध्याय दिया है। औलिवर ने लिखा है कि उसने देखा है कि "एलज़्हाईमर्स रोग (जो स्मरण शक्ति को नष्ट करके रोगी को परिवार और समाज में रहते हुए भी सबसे अलग-थलग कर देता है), के काफी बढ़े लक्षणों वाले रोगियों के समूह को भी जब संगीत सुनाया गया तो बीते समय की उनकी यादें, जिन्हें वे भूल चुके थे, सजीव हो गईं। पुराना संगीत सुनकर, जैसे जैसे वे उसे पहचानने लगे, रोगियों के चेहरे के भाव बदलने लगते हैं और उनके चेहरे पर रौनक आने लगती है। फिर एक दो जन उस संगीत को बजते हुए संगीत के साथ गाने लगते हैं। उनको गाते देखकर और रोगी भी उनके साथ सम्मिलित होने लगते हैं और धीरे धीरे सारा समूह ही एक साथ गाने लगता है, जबकि इससे पहिले उनमें से कुछ बिलकुल मौन रहते थे।"

औलिवर के समान मैंने भी ऐसी ही प्रतिक्रिया एलज़्हाईमर्स रोगियों की देख-रेख करने वाले एक स्थान पर जहां मेरी सास रहती थीं, उनके लिये आयोजित करी जाने वाली इतवार की चर्च सभा में देखी है। शायद आपने भी कुछ ऐसा अपने किसी प्रीय जन के साथ अनुभव किया हो, जिनकी स्मरण शक्ति धुंधली पड़ गई हो और कोई गीत सुनकर उनके अन्दर से प्रतिक्रिया आरंभ हो जाती है।

पौलुस ने इफुसुस के मसीहियों को प्रोत्साहित किया कि "दाखरस से मतवाले न बनो, क्‍योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ। और आपस में भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्तन करते रहो" (इफिसियों ५:१८, १९)। ऐसे गीत जो परमेश्वर को महिमा देते हैं, मन की गहराईयों तक जाते हैं, जहां उनके अर्थ कभी लुप्त नहीं होते। ये स्तुति के गीत, उनमें व्याप्त कविता, लय और विचारों से भी बढ़कर मन एवं हृदय को स्वस्थ रखते हैं। - डेविड मैककैसलैंड


परमेश्वर के साथ लयबद्ध मन उसकी स्तुति गाये बिना रह नहीं सकता।

आपस में भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्तन करते रहो। - इफिसियों ५:१९


बाइबल पाठ: इफिसियों ५:१५-२१

इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो।
और अवसर को बहुमूल्य समझो, क्‍योंकि दिन बुरे हैं।
इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो, कि प्रभु की इच्‍छा क्‍या है,
और दाखरस से मतवाले न बनो, क्‍योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ।
और आपस में भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्तन करते रहो।
और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्वर पिता का धन्यवाद करते रहो।
और मसीह के भय से एक दूसरे के आधीन रहो।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह १४-१६
  • इफिसियों ५:१-१६

शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2010

आशा

हाथ में कुछ दाने लिये मैं दबे पांव अपने घर के पिछवाड़े में बने मछलियों के कुण्ड के पास गया, कि चुपके से मछलियों के पास पहुंच सकूं। या तो उन्होंने मेरा प्रतिबिंब पानी में देखा, या फिर मुझे जितना दबे पांव होना चाहिये था उतना नहीं हो सका, जैसे ही मैं कुण्ड के किनारे बनी बाड़ पर पहुंचा, १५ बड़ी मछलियां बड़ी उत्सुक्ता से, कुछ खाने को मिलने की आशा में अपने मुंह जल्दी जल्दी खोलते और बंद करते हुए मेरी ओर बढ़ीं।

मछलियों ने इतनी ज़ोर से फड़फड़ाना क्यों आरंभ किया? क्योंकि मेरी मौजूदगी ने ही उनके मस्तिष्क में प्रतिक्रिया आरंभ कर दी कि आने वाला कुछ खाने की वस्तु लेकर आया होगा, और वे उस खाने खि वस्तु की आशा में तेज़ी से किनारे के निकट पहुंचीं।

काश परमेश्वर की हमें भली वस्तुएं देने की इच्छा के प्रति भी हमारी ऐसे ही आशा की प्रतिक्रिया रहती - प्रतिक्रिया जो उसके साथ हमारे अनुभवओं और उसके स्वभाव के गहरे ज्ञान पर आधारित है।

मिशनरी विलियम केरी ने कहा था "परमेश्वर से महान वरदानों की आशा रखो, और परमेश्वर के लिये महान कार्य करते रहो।" जो कार्य परमेश्वर हमसे लेना चाहता है उसके लिये वह हमारी हर आवश्यक्ता पूरी भी करेगा, और वह हमें निमंत्रण देता है कि हम निर्भीक होकर उसके पास अपनी आवश्यक्ता के समय आएं और उसके अनुग्रह और दया का स्वाद चखें (इब्रानियों ४:१६)।

परमेश्वर की संतान होने पर जब हम विश्वास से जीते हैं तो हमें शान्त मनोभाव से, रोमांचित करने वाली ऐसी आशा भी रखनी चाहिये कि हमारा परमेश्वर पिता हमारे लिये समय और आवश्यक्ता के अनुसार हर वस्तु उपलब्ध कराएगा (मती ७:८-११)। - सिंडी हैस कैस्पर


आशा रहित प्रार्थना अविश्वास का गुप्त प्रतिरूप है।

सो जब तुम बुरे होकर, अपके बच्‍चों को अच्‍छी वस्‍तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को अच्‍छी वस्‍तुएं क्‍यों न देगा? - मती ७:११


बाइबल पाठ: मती ७:७-११

मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।
क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।
तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उस से रोटी मांगे, तो वह उसे पत्थर दे?
वा मछली मांगे, तो उसे सांप दे?
सो जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा?

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ११-१३
  • इफिसियों ४

गुरुवार, 30 सितंबर 2010

प्रेम का माप

अक्तूबर २, १९५४ के दिन, जेम्स कौनवे ने, जो एक वायुसेना का अफसर था, बौस्टन हवाई अड्डे से उड़ान भरी, वह अपने विमान में विस्फोटक ले जा रहा था। उड़ान भरने के कुछ ही देर में उसके विमान में खराबी आ गई और विमान नीचे आने लगा। कौनवे के सामने कठिन चुनाव था, या तो विमान से कूद कर अपनी जान बचा ले, नहीं तो विमान को निकट की खाड़ी के जल में ले जा कर टकरा दे। यदि वह सव्यं कूद कर अपनी जान बचाता तो विमान नीचे आबादी वाले क्षेत्र में जा गिरता और बहुत से लोग मारे जाते, किंतु यदि खाड़ी के जल में विमान को टकराता तो उसे अपने प्राण गंवाने पड़ते। कौन्वे ने दूसरा विकल्प चुना और बहुतों के प्राण बचाने के लिये अपने प्राण दे दिये।

यूहन्ना १५:१३ में प्रभु यीशु मसीह ने कहा " इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।" स्वेच्छा से दुसरों के लिये यह सबसे बड़ा बलिदान देना एक ऐसे मन को दिखाता है जो अपनी आवश्यक्ताओं से अधिक दूसरों की आवश्यक्ताओं की चिंता करता है। किसी ने कहा है कि "प्रेम का माप इस में है कि वह दूसरों के लिये क्या कुछ त्यागने को तैयार रहता है।" परमेश्वर पिता ने हम से इतना प्रेम किया कि अपने पुत्र को हमारे लिये बलिदान कर दिया। प्रभु यीशु मसीह ने हम से इतना प्रेम किया कि हमारे पापों को अपने ऊपर ले कर, हमारी जगह दण्ड - मृत्यु दण्ड भोगने चला गया।

आपके लिये परमेश्वर के प्रेम का माप तो असीम है, प्रश्न यह है कि क्या आपने उस के प्रेम को व्यक्तिगत रूप से स्वीकार कर के अपनाया है या नहीं! - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु मसीह के क्रूस से अधिक स्पष्ट परमेश्वर के प्रेम का कोई और प्रमाण नहीं है।

इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। - यूहन्ना १५:१३


बाइबल पाठ:

जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।
यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्‍द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्‍द पूरा हो जाए।
मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्‍योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्‍या करता है: परन्‍तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्‍योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
तुम ने मुझे नहीं चुना परन्‍तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ९, १०
  • इफिसियों ३

बुधवार, 29 सितंबर 2010

मध्यस्थ की प्रार्थनाएं

अमेरिका में सांसद के रूप में शपथ लेने से कुछ देर पहले जौन एशक्रौफ्ट अपने परिवार और मित्रों के साथ प्रार्थना करने के लिये मिले। जब परिवार और मित्रगण प्रार्थना के लिये उनके चारों ओर एकत्रित होने लगे तो जौन ने अपने पिता को, जिस दीवान पर वे बैठे थे, उसपर से उठने का प्रयास करते हुए देखा। उठने में होने वाली उनकी परेशानी को देखते हुए जौन ने कहा, "पिताजी कोई बात नहीं, मेरे लिये प्रार्थना करने के लिये आपको खड़े होने की आवश्यक्ता नहीं है।" उनके पिता ने उत्तर दिया, "मैं खड़े होने के लिये यह परेशानी नहीं उठा रहा हूँ, मैं तो तुम्हारे लिये घुटनों पर आकर परमेश्वर से प्रार्थना करना चाहता हूँ।"

जौन के पिता के प्रयास की इस घटना ने मुझे स्मरण दिलाया कि कैसे कभी कभी किसी विश्वासी भाई के लिये प्रार्थना करने के लिये हमें ज़ोर और कष्ट के साथ प्रार्थना में मध्यस्थता करनी पड़ती है। कुलुस्सियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस याद दिलाता है कि कैसे इपफ्रास "...सदा तुम्हारे लिये प्रार्थनाओं में प्रयत्‍न करता है, ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की इच्‍छा पर स्थिर रहो" (कुलुस्सियों ४:१२)। मूल युनानी भाषा में प्रयुक्त जिस शब्द का अनुवाद ’प्रार्थनाओं में प्रयत्न’ किया गया है वह किसी कार्य को करने के लिये घोर व्यथा उठाने को व्यक्त करता है, जैसे प्राचीन यूनान में अखाड़े में योद्धा अपने प्रतिद्वंदी को हराने के लिये जी जान लगा देते थे, क्योंकि हार या जीत, उनके लिये जीवन या मृत्यु का फैसला होता था।

इपफ्रास विश्वासियों के लिये ऐसे ही घोर प्रयास के साथ प्रार्थना करता था कि वे अपने उद्धारकर्ता के साथ चलने में परिपक्व और विश्वास में स्थिर हो जाएं, मध्यस्थ के रूप में वह परमेश्वर से उनके लिये आग्रह करता था कि उनके आत्मिक जीवन की बढ़ोतरी में आने वाली हर बाधा को परमेश्वर हटा दे। ऐसी प्रार्थनाएं करना, प्रार्थना करने वाले के जीवन में बहुत अनुशासन और एकाग्रता होने की मांग करता है।

क्या हम भी इपफ्रास के समान अपने सहविश्वासियों के लिये जी जान लगाकर परमेश्वर से मध्यस्थता करने को प्रयत्नशील होते हैं, जिससे परमेश्वर उनकी आवश्यक्ताओं को पूरा करे? - डेनिस फिशर


मध्यस्थ के रूप में प्रार्थना करने का जीवन गहन प्रयास का जीवन होता है।

इपफ्रास जो तुम में से है, और मसीह यीशु का दास है, तुम से नमस्‍कार कहता है और सदा तुम्हारे लिये प्रार्यनाओं में प्रयत्‍न करता है, ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की इच्‍छा पर स्थिर रहो। - कुलुस्सियों ४:१२


बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ४:१-१२
हे स्‍वामियों, अपने अपने दासों के साथ न्याय और ठीक ठीक व्यवहार करो, यह समझकर कि स्‍वर्ग में तुम्हारा भी एक स्‍वामी है।
प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उस में जागृत रहो।
और इस के साथ ही साथ हमारे लिये भी प्रार्थना करते रहो, कि परमेश्वर हमारे लिये वचन सुनाने का ऐसा द्वार खोल दे, कि हम मसीह के उस भेद का वर्णन कर सकें जिस के कारण मैं कैद में हूं।
और उसे ऐसा प्रगट करूं, जैसा मुझे करना उचित है।
अवसर को बहुमूल्य समझकर बाहरवालों के साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करो।
तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।
प्रिय भाई और विश्वासयोग्य सेवक, तुखिकुस जो प्रभु में मेरा सहकर्मी है, मेरी सब बातें तुम्हें बता देगा।
उसे मैं ने इसलिये तुम्हारे पास भेजा है, कि तुम्हें हमारी दशा मालूम हो जाए और वह तुम्हारे ह्रृदयों को शान्‍ति दे।
और उसके साथ उनेसिमुस को भी भेजा है जो विश्वासयोग्य और प्रिय भाई और तुम ही में से है, ये तुम्हें यहां की सारी बातें बता देंगे।
अरिस्‍तर्खुस जो मेरे साथ कैदी है, और मरकुस जो बरनबा का भाई लगता है। (जिस के विषय में तुम ने आज्ञा पाई थी कि यदि वह तुम्हारे पास आए, तो उस से अच्‍छी तरह व्यवहार करना।)
और यीशु जो यूस्‍तुस कहलाता है, तुम्हें नमस्‍कार कहते हैं। खतना किए हुए लोगों में से केवल ये ही परमेश्वर के राज्य के लिये मेरे सहकर्मी और मेरी शान्‍ति का कारण रहे हैं।
इपफ्रास जो तुम में से है, और मसीह यीशु का दास है, तुम से नमस्‍कार कहता है और सदा तुम्हारे लिये प्रार्थनाओं में प्रयत्‍न करता है, ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की इच्‍छा पर स्थिर रहो।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ७, ८
  • इफिसियों २