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गुरुवार, 21 अगस्त 2014

शिक्षक


   इंटरनैट पर सोशल नेटवर्क बढ़ रहे हैं। ब्लॉग्स, ट्विटर, ई-मेल, वेब लिंक्स इत्यादि लोगों को आपस में संपर्क में लाने और रखने के अति प्रचलित माध्यम बन गए हैं। लोग, शारीरिक रूप से चाहे कितनी भी दूरी पर क्यों ना रहते हों, वे इन इंटरनैट पर उपलब्ध इन माध्यमों से परस्पर संपर्क कर सकते हैं, एक दूसरे से परामर्श ले-दे सकते हैं, एक दूसरे के साथ अपनी बात बाँट सकते हैं। ये माध्यम आत्मिक शिक्षाओं के प्रसार एवं प्रचार का भी सश्कत ज़रिया हैं।

   लेकिन इन सब बातों के लिए आमने-सामने मिलना और चर्चा करना भी अति मूल्यवान होता है। विशेषकर जब आत्मिक बातों में किसी परिपक्व विश्वासी के साथ चर्चा करने और मार्गदर्शन पाने की बात आती है, या कोई किसी का शिक्षक बनता है, तो यह प्रत्यक्ष भेंट एवं संवाद अच्छा रहता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम इसके अनेक उदाहरण पाते हैं: एलीशा ने एलिय्याह का अनुसरण किया (1 राजा 19:21), पौलुस ने तिमुथियुस को विश्वास में अपना सच्चा पुत्र मानकर उसका मार्गदर्शन और शिक्षण किया (1 तिमुथियुस 1:2)। पौलुस ने तिमुथियुस को यह भी निर्देश दिए कि जैसे उसने तिमुथियुस सिखाया है, वैसे ही वह भी अन्य लोगों को सिखाए, जो फिर औरों को सिखाएं और इस रीति से यह श्रंखला बनी रहे, बढ़ती रहे (2 तिमुथियुस 2:2)। मूसा ने माता-पिता को दायित्व दिया कि वे अपने बच्चों को परमेश्वर की शिक्षा सदा देते रहें, "और तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना" (व्यवस्थाविवरण 6:7)। हमारे सर्वोत्तम शिक्षक, प्रभु यीशु मसीह ने भी अपने बारह चेलों की नियुक्ति के द्वारा हमें सिखाया है कि शिक्षण कैसे किया जाए - व्यक्तिगत संपर्क तथा निर्देशन के द्वारा: "तब उसने बारह पुरूषों को नियुक्त किया, कि वे उसके साथ साथ रहें, और वह उन्हें भेजे, कि प्रचार करें" (मरकुस 3:14); और इसी कार्य को ऐसे ही आगे बढ़ाने के निर्देश अपने चेलों को दिए (मत्ती 28:18-20)।

   इन परिच्छेदों से हम देखते हैं कि विभिन्न परिस्थितियों में भी प्रत्यक्ष व्यक्तिगत संपर्क ही एक दूसरे को उभारने, सिखाने और आत्मिक जीवन में उन्नति करने का सर्वोत्तम माध्यम है: "जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है" (नीतिवचन 27:17)। जीवन यात्रा में ऐसे अनेक अवसर आते हैं जब हम एक समझदार एवं परिपक्व व्यक्तित्व से सीख सकते हैं, मार्गदर्शन ले सकते हैं; या ऐसे ही हम भी किसी के शिक्षक बन सकते हैं। इसीलिए परमेश्वर का वचन हमें निर्देश देता है कि एक दुसरे से मिलना ना छोड़ें, वरन इसमें बढ़ते जाएं (इब्रानियों 10:25)। - डेनिस फिशर


परमेश्वर हमें जहाँ ले जाना चाहता है, वहाँ पहुँचने के लिए हमें एक दूसरे के साथ की आवश्यकता है।

और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो। - इब्रानियों 10:25

बाइबल पाठ: मत्ती 28:18-20; 2 तिमुथियुस 2:1-2
Matthew 28:18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। 
Matthew 28:19 इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। 
Matthew 28:20 और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।

2 Timothy 2:1 इसलिये हे मेरे पुत्र, तू उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है, बलवन्‍त हो जा। 
2 Timothy 2:2 और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 9-12


बुधवार, 20 अगस्त 2014

ध्यान


   हम अकसर अपने मित्रों एवं सहकर्मियों से कुछ ना कुछ प्रशंसा या पुरुस्कार की आशा रखते हैं - पीठ पर शाबाशी की थपथपाहट, प्रशंसा के कुछ शब्द या ताली बजाना, कोई मेडल मिलना, इत्यादि। लेकिन प्रभु यीशु के अनुसार इनसे कहीं अधिक महत्वपूर्ण और बहुमूल्य पुरुस्कार हम मसीही विश्वासियों के लिए, इस पार्थिव जीवन के उपरांत स्वर्ग में प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह संभव है कि सबसे महत्वपूर्ण मानवीय कार्य गुप्त में किए जाएं और सिवाय परमेश्वर के उनके बारे में कोई भी ना जानता हो; क्योंकि हमारी वास्तविकता का आँकलन परमेश्वर से है, इसलिए हमारे वास्तविक पुरुस्कार भी परमेश्वर से ही हैं। संक्षेप में, प्रभु यीशु तथा परमेश्वर के वचन बाइबल का हम मसीही विश्वासियों के लिए सन्देश यह है कि हमें किसी मनुष्य के लिए नहीं वरन परमेश्वर के लिए जीना चाहिए (कुलुस्सियों 3:23-24)।

   प्रभु यीशु ने अपने चेलों को इसके बारे में समझाया कि पृथ्वी के अपने जीवन और कार्यों के द्वारा वे पृथ्वी के बाद के अपने जीवन के लिए "स्वर्ग में धन" एकत्रित कर रहे हैं (मत्ती 6:20), एक ऐसा बड़ा खज़ाना जो इस पृथ्वी पर होने वाले उनके किसी भी दुख-तकलीफ की बहुतायत से भरपाई कर देगा। परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड में उस आने वाले जीवन के बारे में कुछ संकेत मिलते हैं, लेकिन प्रभु यीशु ने इसके बारे में बहुत स्पष्ट शिक्षा दी है; वह जीवन एक ऐसे स्थान पर होगा जहाँ "...धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाईं चमकेंगे..." (मत्ती 13:43)।

   प्रभु यीशु के पृथ्वी के जीवन काल के समय के यहूदी लोग इस पार्थिव जीवन में ही, अपनी व्यक्तिगत सुख-समृद्धि एवं राजनैतिक सामर्थ को अपने प्रति परमेश्वर के समर्थन का चिन्ह मानते थे। लेकिन प्रभु यीशु ने अपनी इस शिक्षा के साथ उनका ध्यान इस पृथ्वी के जीवन की बजाए पृथ्वी के बाद के जीवन की ओर केंद्रित किया (मत्ती 6) तथा प्रयास किया कि वे इस पृथ्वी की सफलताओं को गौण परन्तु आने वाले जीवन के लिए सफल होने को महत्वपूर्ण माने, उस आने वाले जीवन में ही निवेश करें। प्रभु यीशु ने चिताया, इस संसार के जीवन की सफलताओं के मानकों को तो ज़ंग लग सकता है, कोई कीड़ा उन्हें खराब कर सकता है, चोर उन्हें चुरा सकता है (मत्ती 6:20), परन्तु स्वर्ग में एकत्रित धन के क्षय होने का कोई खतरा नहीं है, वह अनन्त काल के लिए हमारे नाम पर रखा हुआ है, और हमारे लिए उपलब्ध रहेगा।

   आज मेरा और आपका ध्यान किस पर है, हम किस के लिए कार्य कर रहे हैं - पार्थिव एवं नाश्मान समृद्धि, या फिर परमेश्वर तथा अनन्त काल की आशीष? - फिलिप यैन्सी


अनन्त काल के पुरुस्कार पृथ्वी पर मिलने वाली मान्यता पर निर्भर नहीं हैं।

और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो। क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो। - कुलुस्सियों 3:23-24

बाइबल पाठ: मत्ती 6:1-4, 19-21
Matthew 6:1 सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे। 
Matthew 6:2 इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके। 
Matthew 6:3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए। 
Matthew 6:4 ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।

Matthew 6:19 अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। 
Matthew 6:20 परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। 
Matthew 6:21 क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • यिर्मयाह 6-8


मंगलवार, 19 अगस्त 2014

हेमन


   मुझे हेमन पर अचरज होता है। हेमन एक कवि था जिसने परमेश्वर के वचन बाइबल का भजन 88 लिखा था। उसके इस भजन में हम पाते हैं कि उसके लिए जीवन का अर्थ था क्लेष, इतना क्लेष कि वह दुख से तंग आ गया था! उस का विलाप था, "क्योंकि मेरा प्राण क्लेश में भरा हुआ है, और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुंचा है" (भजन 88:3)।

   जब हेमन ने पीछे मुड़कर देखा तो उसे अपना खराब स्वास्थ्य और दुर्भाग्य स्मरण हो आया। जब अपने चारों ओर देखा तो अपने को मुसीबत में पड़ा और तिरिस्कृत पाया। और जब ऊपर की ओर देखा तो कोई सांत्वना नहीं मिली। उसने शिकायत करी, मैं अकेला हूँ (पद 5), अंधकार में हूँ (पद 6), सताया हुआ हूँ (पद 7), त्यागा हुआ हूँ (पद 14) अधमुआ हूँ (पद 15)। उसे आशा की कोई किरण दिखाई नहीं दे रही थी और ना ही अपने दुख का कोई समाधान मिल रहा था।

   हेमन की इस ईमानदारी से मेरे मन को सांत्वना मिलती है। मुझे समझ नहीं आता कि वे कैसे मसीही विश्वासी हैं जो कभी संघर्ष नहीं करने का दावा करते हैं। मैं यह मान सकता हूँ कि एक संतुलन होना आवश्यक है; ऐसे जन के पास कोई नहीं रहना चाहेगा जो हर समय अपने दुखों के बारे में ही बताता रहे और रोता रहे, लेकिन मुझे यह जानकर सांत्वना मिलती है कि संघर्ष करने वाला मैं ही अकेला नहीं हूँ, मेरे समान ही अन्य लोगों को भी संघर्ष करना पड़ता है, और उनके अनुभव मेरे लिए मार्गदर्शन कर सकते हैं।

   लेकिन हेमन में इस स्पष्टवादिता से बढ़ कर भी कुछ और है जो और भी अधिक अनुसरण के योग्य है - परमेश्वर में उसका अटल, अविचिलित विश्वास। इतनी समस्याओं में होने के बावजूद हेमन परमेश्वर से लिपटा ही रहा, दिन रात उसी की दोहाई देता रहा (पद 1, 9, 13)। उसने प्रार्थना करना नहीं छोड़ा; उसने हार नहीं मानी। संभवतः हेमन ने उस समय एहसास नहीं किया, लेकिन उसने परमेश्वर की करुणा, विश्वासयोग्यता और धार्मिकता की गवाही भी दी (पद 11, 12)।

   मुझे हेमन जैसे लोग अच्छे लगते हैं। वे परमेश्वर में मेरे विश्वास को दृढ़ करते हैं और मुझे स्मरण दिलाते हैं कि मैं प्रार्थना करना कभी नहीं छोड़ूँ। - डेविड रोपर


प्रार्थना ही वह भूमि हैं जिसमें आशा सबसे अच्छी पनपती है।

परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह 40:31

बाइबल पाठ: भजन 88
Psalms 88:1 हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर यहोवा, मैं दिन को और रात को तेरे आगे चिल्लाता आया हूं। 
Psalms 88:2 मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचे, मेरे चिल्लाने की ओर कान लगा! 
Psalms 88:3 क्योंकि मेरा प्राण क्लेश में भरा हुआ है, और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुंचा है। 
Psalms 88:4 मैं कबर में पड़ने वालों में गिना गया हूं; मैं बलहीन पुरूष के समान हो गया हूं। 
Psalms 88:5 मैं मुर्दों के बीच छोड़ा गया हूं, और जो घात हो कर कबर में पड़े हैं, जिन को तू फिर स्मरण नहीं करता और वे तेरी सहायता रहित हैं, उनके समान मैं हो गया हूं। 
Psalms 88:6 तू ने मुझे गड़हे के तल ही में, अन्धेरे और गहिरे स्थान में रखा है। 
Psalms 88:7 तेरी जलजलाहट मुझी पर बनी हुई है, और तू ने अपने सब तरंगों से मुझे दु:ख दिया है; 
Psalms 88:8 तू ने मेरे पहिचान वालों को मुझ से दूर किया है; और मुझ को उनकी दृष्टि में घिनौना किया है। मैं बन्दी हूं और निकल नहीं सकता; 
Psalms 88:9 दु:ख भोगते भोगते मेरी आंखे धुन्धला गई। हे यहोवा मैं लगातार तुझे पुकारता और अपने हाथ तेरी ओर फैलाता आया हूं। 
Psalms 88:10 क्या तू मुर्दों के लिये अदभुत काम करेगा? क्या मरे लोग उठ कर तेरा धन्यवाद करेंगे? 
Psalms 88:11 क्या कबर में तेरी करूणा का, और विनाश की दशा में तेरी सच्चाई का वर्णन किया जाएगा? 
Psalms 88:12 क्या तेरे अदभुत काम अन्धकार में, वा तेरा धर्म विश्वासघात की दशा में जाना जाएगा? 
Psalms 88:13 परन्तु हे यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी है; और भोर को मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचेगी। 
Psalms 88:14 हे यहोवा, तू मुझ को क्यों छोड़ता है? तू अपना मुख मुझ से क्यों छिपाता रहता है? 
Psalms 88:15 मैं बचपन ही से दु:खी वरन अधमुआ हूं, तुझ से भय खाते मैं अति व्याकुल हो गया हूं। 
Psalms 88:16 तेरा क्रोध मुझ पर पड़ा है; उस भय से मैं मिट गया हूं। 
Psalms 88:17 वह दिन भर जल की नाईं मुझे घेरे रहता है; वह मेरे चारों ओर दिखाई देता है। 
Psalms 88:18 तू ने मित्र और भाईबन्धु दोनों को मुझ से दूर किया है; और मेरे जान-पहिचान वालों को अन्धकार में डाल दिया है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 3-5


सोमवार, 18 अगस्त 2014

दायित्व


   टेक्सस रेंजर बेसबॉल टीम के खिलाड़ी जोश हैमिलटन ने शराब और नशीले पदार्थों की लत पड़ जाने का सामना किया, और उससे निकल कर आया। इसलिए जब उसकी टीम ने अपनी श्रंखला में जीत प्राप्त करी तो उसे खेल के बाद होने वाली पार्टी के बारे में चिंता हुई, क्योंकि नशे की आदत से बाहर निकल कर सामान्य जीवन जीने का प्रयास करने वाले व्यक्ति के लिए शराब की बाढ़ में सम्मिलित होना अच्छा नहीं होता। लेकिन खेल के बाद की पार्टी में कुछ अनूठा और भला हो गया; उसके टीम के बाकी सदस्यों ने, उसकी स्थिति का ध्यान रखते हुए पार्टी में शराब रखी ही नहीं ताकि जोश हैमिलटन भी उस पार्टी में निसंकोच सम्मिलित हो सके। एक दूसरे के प्रति अपने दायित्व निभाने और दूसरों की आवश्यकताओं को अपनी आवश्यकताओं से ऊपर रखने का कैसा अद्भुत उदाहरण।

   प्रेरित पौलुस का भी यही तात्पर्य था जब उसने फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों से कहा कि वे दूसरों को अपने से बढ़ कर समझें (फिलिप्पियों 2:3-4)। मसीह यीशु में विश्वास लाने के द्वारा वे सब एक ही परिवार के अंग बन गए थे, एक दूसरे के साथ एक विशेष बन्धन में बंध गए थे। इसलिए एक दूसरे के प्रति उनके रवैये को इस बन्धन को व्यावाहरिक रीति से प्रगट करने वाला होना था: परस्पर प्रेम में एकता, एक दूसरे की सेवा, एक दूसरे की सहायता के द्वारा। इस प्रकार के व्यवहार के द्वारा ही हम मसीह यीशु के व्यवहार को सामान्य मसीही जीवन में दिखाने पाते हैं।

   जोश हैमिलटन की टीम के सदस्यों के समान, हम मसीही विश्वासियों का दायित्व है कि हम एक दूसरे के बोझ बाँटें; जब हम निस्वार्थ होकर अपने पड़ौसी से प्रेम रखते हैं, हम परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करते हैं। - मार्विन विलियम्स


मसीह के प्रति प्रेम, मसीह के समान व्यवहार से प्रगट होता है।

कोई अपनी ही भलाई को न ढूंढे, वरन औरों की। - 1 कुरिन्थियों 10:24 

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। 
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। 
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। 
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे। 
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। 
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। 
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। 
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। 
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। 
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। 
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 1-2


रविवार, 17 अगस्त 2014

वे देख रहे हैं


   व्यावासयिक फुटबॉल के एक खिलाड़ी की टीम पिछले कुछ स्पताहों से लगातार हारती चली जा रही थी। एक रिपोर्टर ने उस खिलाड़ी से पूछा कि जब उसकी टीम ऐसे हारती चली जा रही है, तो क्या है जो उसे प्रेरित करता है कि वह मेहनत से खेले और अपना सर्वोत्तम दे? उसने उत्तर दिया, "मेरे पिता मेरा खेल देखते हैं, मेरी माता मेरा खेल देखती हैं। इसलिए विश्वास रखो मैं खेल में अपना सर्वोत्तम ही दूँगा।" उस खिलाड़ी ने पहचाना था कि खेल में हार-जीत से भी बढ़कर कुछ है - लोग उसे देख रहे हैं, उसके खेल से उसका आँकलन कर रहे हैं, यह उसके लिए अपना सर्वोत्तम देने की प्रेरणा के लिए काफी था।

   प्रभु यीशु ने अपने पहाड़ी सन्देश के आरंभिक भाग में इसी सत्य को अपने चेलों के सामने रखा। हमें अपने जीवन इस एहसास के साथ व्यतीत करने चाहिएं कि लोग हमें देख रहे हैं, और हमारा जीवन उनके लिए हमारे परमेश्वर की गवाही हैं। प्रभु यीशु ने कहा, "उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें" (मत्ती 5:16)। हमारे जीवन का उजियाला कैसे चमकता है?
  • हमारी प्रतिदिन की परिस्थितियों और कार्यों में प्रभु यीशु के मन और चरित्र को प्रदर्शित करने के द्वारा।
  • जैसे प्रभु यीशु ने उपेक्षित और तिरिस्कृत लोगों के प्रति संवेदना एवं सहानुभूति दिखाई, वैसे ही हमारे भी ऐसों के प्रति यही भावना दिखाने के द्वारा।
  • प्रभु यीशु के समान ही अपने स्वर्गीय पिता परमेश्वर के नाम और प्रतिष्ठा के प्रति चिन्तित रहने के द्वारा।

   लोग तो हम मसीही विश्वासियों को देख ही रहे हैं; प्रश्न यह है कि उन्हें हम में दिखाई क्या दे रहा है? - बिल क्राउडर


अपनी ज्योति को चमकने दें - फिर चाहे आप कोने में जलने वाली मोमबत्ती हों, या पहाड़ी पर स्थित दीपस्तंभ!

पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिसने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो। - 1 पतरस 2:9

बाइबल पाठ: मत्ती 5:13-16
Matthew 5:13 तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्‍वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए। 
Matthew 5:14 तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। 
Matthew 5:15 और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। 
Matthew 5:16 उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 64-66


शनिवार, 16 अगस्त 2014

जुड़े हुए


   मेरी पत्नि घर पर अपने लैपटॉप कंप्यूटर पर कार्य कर रही थी; उसका ध्यान लैप्टॉप की बैट्री की दशा दिखाने वाले सूचक पर गया, जो दिखा रहा था कि बैट्री लगभग समाप्त हो चुकी थी और कंप्यूटर अब बस बन्द होने वाला था। उसे यह अटपटा लगा क्योंकि उसने लैपटॉप को बिजली के प्लग से जोड़ा था, इसलिए लैपटॉप को बैट्री पर नहीं घर की बिजली से चलना था। उसने लैपटॉप के तार का मुआयना किया तो पाया कि लैपटॉप का तार एक्स्टेन्शन तार में तो जुड़ा था, पर एक्स्टेन्शन का तार मेन सॉकेट प्लग से जुड़ा हुआ नहीं था, इस कारण लैपटॉप को घर की बिजली से कोई करंट नहीं मिल रहा था और वह बैट्री पर चलते हुए अब बस बन्द होने को था। यह देखकर उसने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और कहा, इसमें कहीं ना कहीं कोई आत्मिक सन्देश छिपा है।

   उसके यह कहने पर मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह नबी की पुस्तक से परमेश्वर की सामर्थ के संबंध में एक परिच्छेद स्मरण हो आया: यशायाह 40:27-31। इस परिच्छेद में यशायाह सच्चे और कभी ना समाप्त होने वाले ऊर्जा के स्त्रोत, परमेश्वर के विषय में बताता है, जिसमें से हमें सामर्थ प्राप्त करते रहना है। वह उन से, जिनकी सामर्थ क्षीण होती जा रही है कहता है कि वे परमेश्वर की बाट जोहें, उससे जुड़े रहें जिससे वे नया बल प्राप्त करते जाएं (पद 29-31)।

   प्रभु यीशु ने भी अपने चेलों से दाख की लता का उदाहरण देते हुए कहा कि वे लता की डालियों के समान, लता के तने अर्थात उससे सदा जुड़े रहें जिससे सदा उसकी सामर्थ उनमें प्रवाहित होती रहे (यूहन्ना 15:4-5)। प्रभु यीशु का यह कथन यशायाह द्वारा लिखित उपरोक्त परिच्छेद के अन्तिम भाग के समानन्तर ही है।

   जब कभी हम अपने आप को थका हुआ और व्यथित पाते हैं, तो यह जाँच लेना आवश्यक है कि क्या हम सामर्थ के अपने स्त्रोत से वास्तव में जुड़े हुए हैं कि नहीं। क्योंकि हमारी अपनी सामर्थ तो क्षणिक है, परन्तु परमेश्वर की सामर्थ कभी समाप्त नहीं होगी, हमारे जीवनों को सदा कार्यकारी बनाए रखेगी। - रैण्डी किलगोर


इस सृष्टि के सृजनहार में सामर्थ की कोई घटी नहीं है।

मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा। - यशायाह 41:10

बाइबल पाठ: यशायाह 40:27-31
Isaiah 40:27 हे याकूब, तू क्यों कहता है, हे इस्राएल तू क्यों बोलता है, मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता? 
Isaiah 40:28 क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है। 
Isaiah 40:29 वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। 
Isaiah 40:30 तरूण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं; 
Isaiah 40:31 परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 61-63


शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

इच्छाएं और योजनाएं


   सन 1960 में, जिस माध्यमिक स्कूल में मैं विद्यार्थी था, सभी विद्यार्थियों ने प्रतिभा से संबंधित एक प्रोजैक्ट में भाग लिया। कई दिनों तक हम परीक्षाएं देते रहे जो हमारे शैक्षिक विषयों के सम्बंध में हमारे रुझान को जाँचती थीं। इसके अतिरिक्त हम से कहा गया कि भविष्य को लेकर हम अपनी योजनाएं, इच्छाएं और आशाएं भी बताएं। इस प्रोजैक्ट में भाग लेने वाले केवल हम ही नहीं थे वरन इसमें सारे अमेरिका से 1300 स्कूल और 400,000 विद्यार्थी भाग ले रहे थे। यद्यपि हम में से कोई नहीं जानता था कि आगे चलकर हमारा जीवन क्या दिशा या मोड़ ले लेगा, तो भी हम अपनी सोच के अनुसार अपने भविष्य का विचार कर रहे थे, योजना बना रहे थे।

   यही बात परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक तरशीश के निवासी शाऊल के लिए भी सच थी। एक जवान व्यक्ति के रूप में उसके जीवन का लक्ष्य था मसीही विश्वासियों का नाश करना (प्रेरितों 7:58-8:3; गलतियों 1:13)। लेकिन यही घोर मसीह विरोधी शाऊल, प्रभु यीशु से एक ही साक्षात्कार के बाद, मसीह यीशु का अनुयायी और प्रेरित पौलुस बन गया और मसीही विश्वासियों को गिनती तथा विश्वास में बढ़ाने में पूरे जी-जान से सक्रीय हो गया। जब वह यरुशलेम की ओर जा रहा था, जहाँ वह जानता था कि उसे बन्दी बनाया जाएगा और बहुत कष्ट उठाने पड़ेंगे, उसने उसके कठिन भविष्य को लेकर चिंतित हो रहे अपने मित्रों से कहा, "परन्तु मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता: कि उसे प्रिय जानूं, वरन यह कि मैं अपनी दौड़ को, और उस सेवाकाई को पूरी करूं, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिये प्रभु यीशु से पाई है" (प्रेरितों 20:24)।

   जब हमारे जीवन का लक्ष्य परमेश्वर को महिमा देना होता है, तब परमेश्वर हमारे हर कदम पर हमारा मार्गदर्शन करता है और सुरक्षा देता है। हमारी इच्छाएं और योजनाएं जो भी हों, जब हम उन्हें परमेश्वर के हाथों में छोड़ देते हैं, तब हमारी हर बात का नियंत्रण, निर्धारण और परिणाम परमेश्वर की ओर से ही होता है, फिर हमें चाहे सफलता मिले या असफलता, सब हमारी भलाई के लिए ही होगा। - डेविड मैक्कैसलैंड


अपना मसीही जीवन वैसे ही जीते रहें जैसे उसे आरंभ किया था - मसीह यीशु पर विश्वास के साथ।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: प्रेरितों 20:16-24
Acts 20:16 क्योंकि पौलुस ने इफिसुस के पास से हो कर जाने की ठानी थी, कि कहीं ऐसा न हो, कि उसे आसिया में देर लगे; क्योंकि वह जल्दी करता था, कि यदि हो सके, तो उसे पिन्‍तेकुस का दिन यरूशलेम में कटे।
Acts 20:17 और उसने मीलेतुस से इफिसुस में कहला भेजा, और कलीसिया के प्राचीनों को बुलवाया। 
Acts 20:18 जब वे उस के पास आए, तो उन से कहा, तुम जानते हो, कि पहिले ही दिन से जब मैं आसिया में पहुंचा, मैं हर समय तुम्हारे साथ किस प्रकार रहा। 
Acts 20:19 अर्थात बड़ी दीनता से, और आंसू बहा बहाकर, और उन परीक्षाओं में जो यहूदियों के षडयन्‍त्र के कारण मुझ पर आ पड़ी; मैं प्रभु की सेवा करता ही रहा। 
Acts 20:20 और जो जो बातें तुम्हारे लाभ की थीं, उन को बताने और लोगों के साम्हने और घर घर सिखाने से कभी न झिझका। 
Acts 20:21 वरन यहूदियों और यूनानियों के साम्हने गवाही देता रहा, कि परमेश्वर की ओर मन फिराना, और हमारे प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करना चाहिए। 
Acts 20:22 और अब देखो, मैं आत्मा में बन्‍धा हुआ यरूशलेम को जाता हूं, और नहीं जानता, कि वहां मुझ पर क्या क्या बीतेगा 
Acts 20:23 केवल यह कि पवित्र आत्मा हर नगर में गवाही दे देकर मुझ से कहता है, कि बन्‍धन और क्‍लेश तेरे लिये तैयार हैं। 
Acts 20:24 परन्तु मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता: कि उसे प्रिय जानूं, वरन यह कि मैं अपनी दौड़ को, और उस सेवाकाई को पूरी करूं, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिये प्रभु यीशु से पाई है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 58-60