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बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

सौंप दिया


   मार्क ने दृढ़ता से कहा, "मैं परमेश्वर पर विश्वास नहीं करता हूँ और मैं नहीं जाऊँगा।" उसकी माँ एमी का गला एक बार फिर रुँध गया, और वह अपने आँसुओं को रोकने के प्रयास करने लगी। उसका बेटा एक प्रसन्न रहने वाले लड़के से खिसिया हुआ, बदमिज़ाज और असहयोगी युवक बन गया था। जीवन एक युद्ध भूमि थी और इतवार का दिन भयावह बन गया था क्योंकि मार्क अपने परिवार के साथ चर्च जाने से इन्कार करता था। अन्ततः उसके निराश माता-पिता ने एक सलाहकार की सहायता ली जिसने उन्हें समझाया: "मार्क को अपने विश्वास की यात्रा का आरंभ स्वयं ही करना होगा। आप उसे परमेश्वर के राज्य में जबरन नहीं धकेल सकते हैं। परमेश्वर को अपना काम करने के लिए समय और स्थान दीजिए। आप बस प्रार्थना और प्रतीक्षा करते रहें।"

   एमी ने प्रार्थना और प्रतीक्षा करना आरंभ कर दिया। एक दिन परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के जो शब्द उसने पढ़े थे, वे उसके मन में गूँजने लगे। उस खण्ड में प्रभु यीशु के चेले दुष्टात्मा से ग्रसित एक लड़के की सहायता करने में असमर्थ रहे थे, परन्तु प्रभु यीशु के पास उस समस्या का समाधान था। प्रभु यीशु ने कहा: "... उसे मेरे पास लाओ" (मरकुस 9:19)। एमी के मन में आया कि यदि प्रभु यीशु उस चरम स्थिति में भी उस लड़के की सहायाता कर सकते थे और उसे चँगा कर सकते थे, तो अवश्य ही वे उसके बेटे मार्क की भी सहायता कर सकते हैं। जब एमी को यह विचार आ रहे थे उस समय कमरे की खिड़की से सूरज की रौशनी फर्श के एक भाग पर पड़ रही थी, उसे चमकदार बना रही थी। एमी ने कल्पना की कि उस रौशनी में वह और मार्क प्रभु यीशु के साथ खड़े हैं। अपने मन में ही एमी ने अपने बेटे को उस प्रभु के हाथों में सौंप दिया, जो उसके बेटे से उससे भी अधिक प्रेम करता था, और उन दोनों को वहाँ पर छोड़ कर वह स्वयं उस रौश्नी के दायरे से पीछे हट गई। एमी की ओर से अब मार्क प्रभु यीशु के हवाले था।

   प्रतिदिन एमी खामोशी से मार्क को प्रभु यीशु के हाथों में सौंप देती है, उसके लिए प्रार्थना करती है, क्योंकि उसे विश्वास है कि प्रभु यीशु मार्क के बारे में, उसकी आवश्यकताओं के बारे में और मार्क की सहायता के लिए कब, क्या, कहाँ और कैसे करना है, यह प्रभु ही सबसे बेहतर जानता है। एमी जानती है कि अपने समय में, अपने तरीके से प्रभु उसके बेटे के लिए सर्वोत्त्म करेगा। - मेरियन स्ट्राउड


प्रार्थना विश्वास की आवाज़ है कि परमेश्वर जानता है और ध्यान रखता है।

इस कारण मैं इन दुखों को भी उठाता हूं, पर लजाता नहीं, क्योंकि मैं उसे जिस की मैं ने प्रतीति की है, जानता हूं; और मुझे निश्‍चय है, कि वह मेरी थाती की उस दिन तक रखवाली कर सकता है। - 2 तिमुथियुस 1:12

बाइबल पाठ: मरकुस 9:14-27
Mark 9:14 और जब वह चेलों के पास आया, तो देखा कि उन के चारों ओर बड़ी भीड़ लगी है और शास्त्री उन के साथ विवाद कर रहें हैं। 
Mark 9:15 और उसे देखते ही सब बहुत ही आश्चर्य करने लगे, और उस की ओर दौड़कर उसे नमस्‍कार किया। 
Mark 9:16 उसने उन से पूछा; तुम इन से क्या विवाद कर रहे हो? 
Mark 9:17 भीड़ में से एक ने उसे उत्तर दिया, कि हे गुरू, मैं अपने पुत्र को, जिस में गूंगी आत्मा समाई है, तेरे पास लाया था। 
Mark 9:18 जहां कहीं वह उसे पकड़ती है, वहीं पटक देती है: और वह मुंह में फेन भर लाता, और दांत पीसता, और सूखता जाता है: और मैं ने चेलों से कहा कि वे उसे निकाल दें परन्तु वह निकाल न सके। 
Mark 9:19 यह सुनकर उसने उन से उत्तर देके कहा: कि हे अविश्वासी लोगों, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा और कब तक तुम्हारी सहूंगा? उसे मेरे पास लाओ। 
Mark 9:20 तब वे उसे उसके पास ले आए: और जब उसने उसे देखा, तो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ा; और वह भूमि पर गिरा, और मुंह से फेन बहाते हुए लोटने लगा। 
Mark 9:21 उसने उसके पिता से पूछा; इस की यह दशा कब से है? 
Mark 9:22 उसने कहा, बचपन से: उसने इसे नाश करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिराया; परन्तु यदि तू कुछ कर सके, तो हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर। 
Mark 9:23 यीशु ने उस से कहा; यदि तू कर सकता है; यह क्या बात है, विश्वास करने वाले के लिये सब कुछ हो सकता है। 
Mark 9:24 बालक के पिता ने तुरन्त गिड़िगड़ाकर कहा; हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूं, मेरे अविश्वास का उपाय कर। 
Mark 9:25 जब यीशु ने देखा, कि लोग दौड़कर भीड़ लगा रहे हैं, तो उसने अशुद्ध आत्मा को यह कहकर डांटा, कि हे गूंगी और बहिरी आत्मा, मैं तुझे आज्ञा देता हूं, उस में से निकल आ, और उस में फिर कभी प्रवेश न कर। 
Mark 9:26 तब वह चिल्लाकर, और उसे बहुत मरोड़ कर, निकल आई; और बालक मरा हुआ सा हो गया, यहां तक कि बहुत लोग कहने लगे, कि वह मर गया। 
Mark 9:27 परन्तु यीशु ने उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया, और वह खड़ा हो गया।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 17-18
  • मत्ती 27:27-50


मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

प्रेम


   पुस्तक A General Theory of Love के लेखक लिखते हैं कि "जब भी ज्ञान और भावनाएं टकराते हैं, तो बहुधा हृदय की बात ही अधिक समझदारी वाली होती है।" उनका कहना है कि पहले माना जाता था कि मस्तिष्क को मन पर राज्य करना चाहिए, परन्तु विज्ञान अब पहचान रही है कि इसका विपरीत ही सही है; "जो हम हैं, और जो हम बन जाएंगे, कुछ सीमा तक इस बात पर निर्भर करता है कि हम किससे प्रेम रखते हैं।"

   जो परमेश्वर के वचन बाइबल से परिचित हैं वे जानते हैं कि इन लेखकों की यह बात कोई नई खोज नहीं है, वरन एक पुराना सत्य है। परमेश्वर ने जो सबसे महत्वपूर्ण आज्ञा अपने लोगों को दी उसमें मन का प्रमुख स्थान है: "तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना" (व्यवस्थाविवरण 6:5)। बाद में पुराने नियम में दी गई इस आज्ञा को उध्दत करते समय प्रभु यीशु ने इसमें ’बुद्धि’ को भी जोड़ दिया (मरकुस 12:30; लूका 10:27। जो वैज्ञनिक आज पता लगा रहे हैं उसे बाइबल सदा से ही सिखाती आई है।

   हम में से जो प्रभु यीशु के अनुयायी हैं वे इसके महत्व को पहचानते हैं कि वे किस से प्रेम रखते हैं। जब हम परमेश्वर की सबसे महान आज्ञा का पालन करते हैं और परमेश्वर को अपने प्रेम का विषय बना लेते हैं, तो हम इस बात के भी आश्वस्त हो जाते हैं कि अब हमारा उद्देश्य हमारी कल्पना तथा कुछ करने की हमारी अपनी क्षमता से भी कहीं अधिक बढ़कर है। जब परमेश्वर के प्रति लालसा हमारे मन पर राज्य करती है, तब हमारा मस्तिष्क उसकी सेवा करने के तरीकों पर केंद्रित रहता है, और हमारे कार्य पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य की बढ़ोतरी तथा स्वर्ग में उसकी महिमा के लिए होते हैं। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हर उस दिन को व्यर्थ गिनें जिसे आपने परमेश्वर से प्रेम करने में व्यतीत नहीं किया है। - ब्रदर लॉरेंस

और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे - व्यवस्थाविवरण 10:12 

बाइबल पाठ: मरकुस 12:28-34
Mark 12:28 और शास्‍त्रियों में से एक ने आकर उन्हें विवाद करते सुना, और यह जानकर कि उसने उन्हें अच्छी रीति से उत्तर दिया; उस से पूछा, सब से मुख्य आज्ञा कौन सी है? 
Mark 12:29 यीशु ने उसे उत्तर दिया, सब आज्ञाओं में से यह मुख्य है; हे इस्राएल सुन; प्रभु हमारा परमेश्वर एक ही प्रभु है। 
Mark 12:30 और तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना। 
Mark 12:31 और दूसरी यह है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना: इस से बड़ी और कोई आज्ञा नहीं। 
Mark 12:32 शास्त्री ने उस से कहा; हे गुरू, बहुत ठीक! तू ने सच कहा, कि वह एक ही है, और उसे छोड़ और कोई नहीं। 
Mark 12:33 और उस से सारे मन और सारी बुद्धि और सारे प्राण और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमों और बलिदानों से बढ़कर है। 
Mark 12:34 जब यीशु ने देखा कि उसने समझ से उत्तर दिया, तो उस से कहा; तू परमेश्वर के राज्य से दूर नहीं: और किसी को फिर उस से कुछ पूछने का साहस न हुआ।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 15-16
  • मत्ती 27:1-26


सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

वचन


   परमेश्वर का वचन हमारे पास अनेकों रुप में आता है, जैसे कि परमेश्वर के वचन बाइबल पर आधारित उपदेश, परमेश्वर की आराधना और स्तुति के लिए लिखे गए गीत, बाइबल अध्ययन समूहों में मिलने वाली शिक्षाओं और व्याख्याओं द्वारा, आध्यात्म और भक्ति लेखों द्वारा, इत्यादि; ये सभी माध्यम पवित्र-शास्त्र से हमारे लिए परमेश्वर की सच्चाईयों को लेकर आते हैं। लेकिन हम अपने व्यक्तिगत बाइबल पठन एवं अध्ययन की अवहेलना नहीं कर सकते हैं।

   हाल ही में मैंने बाइबल में पुराने नियम की पुस्तक व्यवस्थाविवरण तथा नए नियम की पुस्तक मत्ती 5-7 अध्याय में दिए प्रभु यीशु के पहाड़ी सन्देश का समानान्तर परिच्छेद-दर-परिच्छेद अध्ययन किया और इस ने मेरा हृदय छू लिया। बाइबल के इन दोनों ही खण्डों में हमारे विश्वास से संबंधित नियम भी पाए जाते हैं; व्यवस्थाविवरण 5:6-21 में दस आज्ञाएं दी गईं हैं तथा मत्ती 5:3-12 में प्रभु यीशु मसीह के धन्य वचन। व्यवस्थाविवरण हमें परमेश्वर द्वारा इस्त्राएल के साथ बाँधी गई उस पुरानी वाचा को दिखाता है जिसका पालन परमेश्वर अपने लोगों के जीवन में देखना चाहता था। मत्ती में प्रभु यीशु दिखाते हैं कि कैसे उन्होंने उस व्यवस्था को पूरा करके हमारे लिए नई वाचा के सिद्धांत स्थापित किए जो हमें व्यवस्था के बन्धन से मुक्त कर देते हैं।

   अपने सभी विश्वासियों को परमेश्वर ने ना केवल अपना वचन वरन अपना पवित्र आत्मा भी दिया है, जो उनके अन्दर निवास करता है, उन्हें उस वचन को सिखाता है, जीवन व्यतीत करने की सामर्थ और शिक्षा देता है, सदाचारिता एवं पवित्रता के लिए कायल करता है। पवित्र आत्मा के इस कार्य का परिणाम होता है हमारे जीवनों में समझदारी, पश्चाताप, नवीनिकरण और प्रभु यीशु में उन्नति। मसीही धर्मशास्त्री फिलिप स्पेनर ने लिखा: " परमेश्वर का वचन हमारे जितना अधिक निकट होगा, हम विश्वास में उतने ही अधिक दृढ़ और फलदायी होंगे।" आईए हम भजनकार के साथ प्रार्थना करें: "मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं" (भजन 119:18)। - डेव एग्नर


जब परमेश्वर का वचन हमारे अन्दर बसेगा तो वह हमारे जीवनों से प्रवाहित भी होगा।

परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा। वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से ले कर तुम्हें बताएगा। - यूहन्ना 16:13-14

बाइबल पाठ: भजन 119:17-24
Psalms 119:17 अपने दास का उपकार कर, कि मैं जीवित रहूं, और तेरे वचन पर चलता रहूं। 
Psalms 119:18 मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं। 
Psalms 119:19 मैं तो पृथ्वी पर परदेशी हूं; अपनी आज्ञाओं को मुझ से छिपाए न रख! 
Psalms 119:20 मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है। 
Psalms 119:21 तू ने अभिमानियों को, जो शापित हैं, घुड़का है, वे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटके हुए हैं। 
Psalms 119:22 मेरी नामधराई और अपमान दूर कर, क्योंकि मैं तेरी चितौनियों को पकड़े हूं। 
Psalms 119:23 हाकिम भी बैठे हुए आपास में मेरे विरुद्ध बातें करते थे, परन्तु तेरा दास तेरी विधियों पर ध्यान करता रहा। 
Psalms 119:24 तेरी चितौनियां मेरा सुखमूल और मेरे मन्त्री हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 14
  • मत्ती 26:51-75


रविवार, 12 फ़रवरी 2017

फलदायी


   मेरा एक मित्र मोन्टाना प्रांत के मैदानों में स्थित एक फार्म में रहता है। उसके घर जाने वाला लंबा मार्ग सूखी और बंजर भूमि से होकर निकलता है। उसके घर के निकट आते समय अनेकों प्रकार की हरियाली और वनस्पति के भू-भागों को देखा जा सकता है जो आस-पास के उस सूखे और बंजर इलाके के सम्मुख एक तुलना प्रस्तुत करते हैं। इसका कारण है उसके घर के पास से बहने वाली एक नदी; उस नदी के किनारे उगने वाली वनस्पति सदा हरी-भरी बनी रहती है जबकि उस नदी से दूरी पर स्थित भूमि सूखी और बंजर रहती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में इसी बात को यिर्मयाह भविष्यद्वकता परमेश्वर पर विश्वास करने वालों पर लागू करके समझाता है कि विश्वास करने वाले जल के सोतों के पास उगने वाले वृक्ष के समान हैं जो सदा सींचा जाता है और  हरा रहता है। संसार के बहुत से लोग परमेश्वर से दूर रहने की कुम्हला देने वाली तपन और बंजर करने वाले अकाल के साथ जीवन जीना चुन लेते हैं, परन्तु जो परमेश्वर में विश्वास करते एवं विश्वास को बनाए रखते हैं वे सदा लहलहाते और फलदायी रहेंगे; अपने तथा दूसरों के लिए शांति एवं आशीष का कारण रहेंगे। परमेश्वर पर भरोसा रखने का अर्थ है उसकी जीवनदायक भलाई में अपने जड़ें जमा लेना, जहाँ से उसके प्रेम, देख-भाल और आशीष सदा हमारे जीवनों में प्रवाहित होती रहती है, हमें तर-ओ-ताज़ा करती रहती है, किसी भी विपरीत परिस्थिति में मुर्झाने या सूखने नहीं देती।

   आज पाप के कारण संसार का हाल चाहे जैसा भी हो, अन्ततः परमेश्वर सब कुछ ठीक एवं भला कर देगा। हम उस पर, उसकी योजनाओं, उसके तरीकों और उसके समय पर विश्वास बनाए रखें क्योंकि वह हमारी प्रत्येक हानि को हमारे लाभ के लिए प्रयोग करता है और हमारे हर दुःख द्वारा हमें परिपक्व बनाता है जिससे हम उसकी सामर्थ के द्वारा पाप के कारण सूखे और बंजर संसार में उसके लिए फलदायी हो सकें। - जो स्टोवैल


परमेश्वर की भलाई के सोते, प्रभु यीशु में अपनी जड़ें जमा लीजिए; 
और आपका जीवन सदा लहलहाता और फलदायी रहेगा।

क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है। - भजन 1:1-3

बाइबल पाठ: यिर्मयाह 17:1-8
Jeremiah 17:1 यहूदा का पाप लोहे की टांकी और हीरे की नोक से लिखा हुआ है; वह उनके हृदयरूपी पटिया और उनकी वेदियों के सींगों पर भी खुदा हुआ है। 
Jeremiah 17:2 उनकी वेदियां और अशेरा नाम देवियां जो हरे पेड़ों के पास और ऊंचे टीलों के ऊपर हैं, वे उनके लड़कों को भी स्मरण रहती हैं। 
Jeremiah 17:3 हे मेरे पर्वत, तू जो मैदान में है, तेरी धन-सम्पत्ति और भण्डार मैं तेरे पाप के कारण लुट जाने दूंगा, और तेरे पूजा के ऊंचे स्थान भी जो तेरे देश में पाए जाते हैं। 
Jeremiah 17:4 तू अपने ही दोष के कारण अपने उस भाग का अधिकारी न रहने पाएगा जो मैं ने तुझे दिया है, और मैं ऐसा करूंगा कि तू अनजाने देश में अपने शत्रुओं की सेवा करेगा, क्योंकि तू ने मेरे क्रोध की आग ऐसी भड़काई जो सर्वदा जलती रहेगी। 
Jeremiah 17:5 यहोवा यों कहता है, श्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है। 
Jeremiah 17:6 वह निर्जल देश के अधमूए पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तथा लोनछाई भूमि पर बसेगा। 
Jeremiah 17:7 धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिसने परमेश्वर को अपना आधार माना हो। 
Jeremiah 17:8 वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 13
  • मत्ती 26:26-50


शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

जीवित


   क्या कोई मनुष्य वैधानिक रूप से मृत घोषित होने के पश्चात अधिकारिक रूप से जीवित हो सकता है? यह प्रश्न अंतर्राष्ट्रीय समाचार बन गया जब 25 वर्ष से लापता रहने वाला एक व्यक्ति सब के सामने आ गया। अपने लापता होने के समय वह बेरोज़गार था, नशे का आदि था और अपने बच्चों की देख-रेख के लिए जो पैसे उसे देने थे उसे बहुत लंबे समय से चुका नहीं पा रहा था; इसलिए उसने कहीं छुप जाने की सोची। लेकिन छुपने से बाहर आने के पश्चात उसे पता चला कि मृतकों में से लौट आना कितना कठिन है। जब वह व्यक्ति न्यायलय में गया कि उसे मृतक घोषित करने वाले फैसले को पलटवा ले, तो न्यायाधीश ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया क्योंकि वैधानिक रूप से ऐसे फैसले को तीन वर्ष के अन्दर ही चुनौती दी जा सकती थी, उसके बाद नहीं।

   लेकिन संसार के न्यायालय के लिए जो असाधारण निवेदन था, परमेश्वर के लिए वह सामान्य प्रतिदिन का काम है। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पौलुस प्रेरित द्वारा इफसुस की मसीही मण्डली को लिखी गई पत्री में पाते हैं कि जब हम अपने पाप की दशा में आत्मिक रूप से मरे हुए थे, परमेश्वर ने हमें मसीह यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा के द्वारा अपने अनुग्रह से जिलाया (इफिसियों 2:1, 5)। हमारा इस प्रकार मसीह यीशु में विश्वास द्वारा जिलाया जाना हमारे लिए तो आनन्द की बात है, परन्तु परमेश्वर के लिए बहुत दुःख की तथा एक बहुत बड़ी कीमत चुकाने की बात थी, क्योंकि पापों से हमें छुटकारा दिलाने के लिए परमेश्वर के पुत्र प्रभु यीशु मसीह को शरीर में आकर दुःख उठाने, मारे जाने, गाड़े जाने और फिर मृतकों में से जी उठने से होकर निकलना पड़ा।

   शारीरिक जीवन का प्रमाण दिखाना एक बात है, परन्तु हम मसीही विश्वासियों के सामने सदा चुनौती रहती है कि हम अपने आत्मिक जीवन के प्रमाण को संसार के लोगों के सामने रखें। मसीह यीशु में जीवित घोषित होने के पश्चात, हमें जीवित करने के इस असीम अनुग्रह और करुणा के लिए प्रभु परमेश्वर के प्रति सदा कृतज्ञ रहने चाहिए। - मार्ट डी हॉन


मसीह यीशु इसलिए मरा ताकि हम जीवित रह सकें।

और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा। - 2 कुरिन्थियों 5:15

बाइबल पाठ: इफिसियों 2:1-10
Ephesians 2:1 और उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे। 
Ephesians 2:2 जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है। 
Ephesians 2:3 इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्‍वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे। 
Ephesians 2:4 परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया। 
Ephesians 2:5 जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।) 
Ephesians 2:6 और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्‍वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया। 
Ephesians 2:7 कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए। 
Ephesians 2:8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। 
Ephesians 2:9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्‍ड करे। 
Ephesians 2:10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 11-12
  • मत्ती 26:1-25


शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017

मुलाकात


   हाल ही में अपने कार्य से सेवानिवृत हुए एक व्यक्ति से मेरे एक मित्र ने पूछा कि अब जब उसके पास सारा दिन करने के लिए कार्य नहीं है तो उसकी दिनचर्या क्या होती है? उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, "अब मैं अपने आप को एक मिलने वाला कहता हूँ। मैं अपने चर्च और समाज के लोगों के पास, जो अस्पताल में या सेवा-गृहों में हैं, या अकेले रहते हैं, या जिन्हें किसी ऐसे जन की आवश्यकता होती है जिसके साथ वे बात करके दिल हल्का कर सकें, उनसे मिलने जाता हूँ, उनके साथ प्रार्थना करता हूँ। और मुझे इससे आनन्द मिलता है।" मेरा मित्र उस व्यक्ति के स्पष्ट उद्देश्य और दूसरों की देखभाल करने की भावना से बहुत प्रभावित हुआ।

   अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने से कुछ दिन पहले प्रभु यीशु ने अपने चेलों को ज़रूरतमन्दों से मिलने जाने के महत्व को समझाने के लिए एक वृतांत सुनाया, जो परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती २25:31-46 में दर्ज है। प्रभु यीशु ने जगत के अन्त में सभी मनुष्यों के होने वाले न्याय के संदर्भ में बताया कि कैसे प्रभु परमेश्वर लोगों के जीवनों तथा कार्यों का आँकलन करेगा, और जिन्होंने उसके नाम में लोगों का ध्यान रखा, उनसे मिलने गए, उनकी सहायता की, उसे वह अपने साथ की गई भलाई गिनेगा और उन्हें पुरुस्कृत करेगा; इसकी तुलना में जिन्होंने लोगों की उनकी विपरीत परिस्थितियों में अवहेलना करी, उनकी सुधि लेने से, देखरेख करने से मूँह मोड़ा उसे प्रभु अपनी अवहेलना और अपने से मूँह मोड़ना मानेगा तथा उन्हें दण्ड देगा।

   प्रभु के नाम में लोगों से मिलने जाने और उनकी सुधि लेने तथा सहायता करने के दो लाभार्थी हैं - वह व्यक्ति जिससे हम मुलाकात के लिए जाते हैं, और प्रभु यीशु। किसी व्यक्ति के पास सहायता और प्रोत्साहन के लिए जाना, सीधे-सीधे प्रभु परमेश्वर की सेवा करना है। क्या कोई ऐसा है जिससे आपकी मुलाकात उसके लिए प्रोत्साहन और सहायता हो सकती है? - डेविड मैक्कैसलैंड


करुणा का अर्थ है दूसरों की समस्याओं को समझना 
और लालसा के साथ उनकी सहायता करते रहना

जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना। यदि तेरे पास देने को कुछ हो, तो अपने पड़ोसी से न कहना कि जा कल फिर आना, कल मैं तुझे दूंगा। - नीतिवचन 3:27-28

बाइबल पाठ: मत्ती 25:31-46
Matthew 25:31 जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्ग दूत उसके साथ आएंगे तो वह अपनी महिमा के सिहांसन पर विराजमान होगा। 
Matthew 25:32 और सब जातियां उसके साम्हने इकट्ठी की जाएंगी; और जैसा चरवाहा भेड़ों को बकिरयों से अलग कर देता है, वैसा ही वह उन्हें एक दूसरे से अलग करेगा। 
Matthew 25:33 और वह भेड़ों को अपनी दाहिनी ओर और बकिरयों को बाईं और खड़ी करेगा। 
Matthew 25:34 तब राजा अपनी दाहिनी ओर वालों से कहेगा, हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है। 
Matthew 25:35 क्योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी पिलाया, मैं परदेशी था, तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया। 
Matthew 25:36 मैं नंगा था, तुम ने मुझे कपड़े पहिनाए; मैं बीमार था, तुम ने मेरी सुधि ली, मैं बन्‍दीगृह में था, तुम मुझ से मिलने आए। 
Matthew 25:37 तब धर्मी उसको उत्तर देंगे कि हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया? या प्यासा देखा, और पिलाया? 
Matthew 25:38 हम ने कब तुझे परदेशी देखा और अपने घर में ठहराया या नंगा देखा, और कपड़े पहिनाए? 
Matthew 25:39 हम ने कब तुझे बीमार या बन्‍दीगृह में देखा और तुझ से मिलने आए? 
Matthew 25:40 तब राजा उन्हें उत्तर देगा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया। 
Matthew 25:41 तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, हे श्रापित लोगो, मेरे साम्हने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है। 
Matthew 25:42 क्योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को नहीं दिया, मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी नहीं पिलाया। 
Matthew 25:43 मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में नहीं ठहराया; मैं नंगा था, और तुम ने मुझे कपड़े नहीं पहिनाए; बीमार और बन्‍दीगृह में था, और तुम ने मेरी सुधि न ली। 
Matthew 25:44 तब वे उत्तर देंगे, कि हे प्रभु, हम ने तुझे कब भूखा, या प्यासा, या परदेशी, या नंगा, या बीमार, या बन्‍दीगृह में देखा, और तेरी सेवा टहल न की? 
Matthew 25:45 तब वह उन्हें उत्तर देगा, मैं तुम से सच कहता हूं कि तुम ने जो इन छोटे से छोटों में से किसी एक के साथ नहीं किया, वह मेरे साथ भी नहीं किया। 
Matthew 25:46 और यह अनन्त दण्‍ड भोगेंगे परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 8-10
  • मत्ती 25:31-46


गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017

विवाह


   कॉलेज में उसकी ओर मेरा ध्यान सबसे पहले उसके पीले रेनकोट ने खींचा; और शीघ्र ही मैं सू नाम की उस लंबे भूरे बालों वाली आकर्षक नई विद्यार्थी में अधिकाधिक रुचि लेने लग गया। कुछ ही समय में मैंने साहस जुटा कर सू को रोका और हिचकिचाते हुए उससे पूछा कि क्या वह मेरे साथ मिलना और बातचीत करना चाहेगी। मुझे आशचर्य हुआ जब उसने तुरंत ही मेरे इस प्रस्ताव के लिए हाँ कह दिया।

   अब चार दशक से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी, मैं और सू कॉलेज में हमारी उस प्रथम अटपटी सी मुलाकात को स्मरण कर के हँसते हैं, और अचरज करते हैं कि कैसे परमेश्वर ने ओहायो प्रांत से आए एक शर्मीले लड़के, अर्थात मुझे, मिशिगन प्रांत से आई एक शर्मीली लड़की सू से मिलाया। इतने वर्षों में हम दोनों ने अपने परिवार को बनाने और उसकी परवरिश करने के लिए एक साथ अनेकों परिस्थितियों एवं कठिनाईयों का सामना किया है। हमने अपने चार बच्चों का पालन-पोषण भी एक साथ मिलकर किया और उनमें से एक के असमय आक्स्मिक देहांत के हृदय विदारक दुःख का सामना भी एक साथ मिलकर किया है। बड़ी और छोटी समस्याओं ने हमारे विश्वास को परखा है, परन्तु हम एक दूसरे के साथ बने रहे हैं। इन सब बातों का सामना करते हुए साथ बने रहने के लिए हम दोनों के एक दूसरे के प्रति स्थिर विश्वास एवं परस्पर समर्पण के दृढ़ निश्चय तथा हमारे प्रति परमेश्वर के अनुग्रह का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

   आज हम परमेश्वर की योजना में एक साथ होने और रहने के लिए आनन्दित हैं। परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल के आरंभ में ही परिवार के लिए, उत्पत्ति 2:24 में अपनी योजना दे दी थी - कि मनुष्य अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नि के साथ मिलकर रहे, वे एक तन होकर रहें। हम विवाह में परमेश्वर की इस अद्भुत योजना का आदर करते हैं और बाइबल में दिए परमेश्वर के निर्देशों के अनुसार उसे संभाल कर रखते तथा निभाते हैं, जिससे एक साथ एक अद्भुत आनन्द का जीवन व्यतीत कर सकें।

   विवाह को लेकर परमेश्वर की योजना सुन्दर है; इसलिए हम सभी विवाहित जोड़ों के लिए प्रार्थना करते हैं कि वे यह समझ तथा जान सकें कि परमेश्वर की आशीषों तथा मार्गदर्शन के साथ एक साथ मिलकर जीवन का आनन्द लेना कितना विलक्षण होता है। - डेव ब्रैनन


विवाहित जीवन परस्पर प्रेम, आदर और विश्वास के वातवरण में पनपता है।

विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और बिछौना निष्‍कलंक रहे; क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा। - इब्रानियों 13:4

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 2:18-25
Genesis 2:18 फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उस से मेल खाए। 
Genesis 2:19 और यहोवा परमेश्वर भूमि में से सब जाति के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखें, कि वह उनका क्या क्या नाम रखता है; और जिस जिस जीवित प्राणी का जो जो नाम आदम ने रखा वही उसका नाम हो गया। 
Genesis 2:20 सो आदम ने सब जाति के घरेलू पशुओं, और आकाश के पक्षियों, और सब जाति के बनैले पशुओं के नाम रखे; परन्तु आदम के लिये कोई ऐसा सहायक न मिला जो उस से मेल खा सके। 
Genesis 2:21 तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भारी नीन्द में डाल दिया, और जब वह सो गया तब उसने उसकी एक पसली निकाल कर उसकी सन्ती मांस भर दिया। 
Genesis 2:22 और यहोवा परमेश्वर ने उस पसली को जो उसने आदम में से निकाली थी, स्त्री बना दिया; और उसको आदम के पास ले आया। 
Genesis 2:23 और आदम ने कहा अब यह मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे मांस में का मांस है: सो इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है। 
Genesis 2:24 इस कारण पुरूष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक तन बने रहेंगे। 
Genesis 2:25 और आदम और उसकी पत्नी दोनो नंगे थे, पर लजाते न थे।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 6-7
  • मत्ती 25:1-30