ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 12 फ़रवरी 2017

फलदायी


   मेरा एक मित्र मोन्टाना प्रांत के मैदानों में स्थित एक फार्म में रहता है। उसके घर जाने वाला लंबा मार्ग सूखी और बंजर भूमि से होकर निकलता है। उसके घर के निकट आते समय अनेकों प्रकार की हरियाली और वनस्पति के भू-भागों को देखा जा सकता है जो आस-पास के उस सूखे और बंजर इलाके के सम्मुख एक तुलना प्रस्तुत करते हैं। इसका कारण है उसके घर के पास से बहने वाली एक नदी; उस नदी के किनारे उगने वाली वनस्पति सदा हरी-भरी बनी रहती है जबकि उस नदी से दूरी पर स्थित भूमि सूखी और बंजर रहती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में इसी बात को यिर्मयाह भविष्यद्वकता परमेश्वर पर विश्वास करने वालों पर लागू करके समझाता है कि विश्वास करने वाले जल के सोतों के पास उगने वाले वृक्ष के समान हैं जो सदा सींचा जाता है और  हरा रहता है। संसार के बहुत से लोग परमेश्वर से दूर रहने की कुम्हला देने वाली तपन और बंजर करने वाले अकाल के साथ जीवन जीना चुन लेते हैं, परन्तु जो परमेश्वर में विश्वास करते एवं विश्वास को बनाए रखते हैं वे सदा लहलहाते और फलदायी रहेंगे; अपने तथा दूसरों के लिए शांति एवं आशीष का कारण रहेंगे। परमेश्वर पर भरोसा रखने का अर्थ है उसकी जीवनदायक भलाई में अपने जड़ें जमा लेना, जहाँ से उसके प्रेम, देख-भाल और आशीष सदा हमारे जीवनों में प्रवाहित होती रहती है, हमें तर-ओ-ताज़ा करती रहती है, किसी भी विपरीत परिस्थिति में मुर्झाने या सूखने नहीं देती।

   आज पाप के कारण संसार का हाल चाहे जैसा भी हो, अन्ततः परमेश्वर सब कुछ ठीक एवं भला कर देगा। हम उस पर, उसकी योजनाओं, उसके तरीकों और उसके समय पर विश्वास बनाए रखें क्योंकि वह हमारी प्रत्येक हानि को हमारे लाभ के लिए प्रयोग करता है और हमारे हर दुःख द्वारा हमें परिपक्व बनाता है जिससे हम उसकी सामर्थ के द्वारा पाप के कारण सूखे और बंजर संसार में उसके लिए फलदायी हो सकें। - जो स्टोवैल


परमेश्वर की भलाई के सोते, प्रभु यीशु में अपनी जड़ें जमा लीजिए; 
और आपका जीवन सदा लहलहाता और फलदायी रहेगा।

क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है। - भजन 1:1-3

बाइबल पाठ: यिर्मयाह 17:1-8
Jeremiah 17:1 यहूदा का पाप लोहे की टांकी और हीरे की नोक से लिखा हुआ है; वह उनके हृदयरूपी पटिया और उनकी वेदियों के सींगों पर भी खुदा हुआ है। 
Jeremiah 17:2 उनकी वेदियां और अशेरा नाम देवियां जो हरे पेड़ों के पास और ऊंचे टीलों के ऊपर हैं, वे उनके लड़कों को भी स्मरण रहती हैं। 
Jeremiah 17:3 हे मेरे पर्वत, तू जो मैदान में है, तेरी धन-सम्पत्ति और भण्डार मैं तेरे पाप के कारण लुट जाने दूंगा, और तेरे पूजा के ऊंचे स्थान भी जो तेरे देश में पाए जाते हैं। 
Jeremiah 17:4 तू अपने ही दोष के कारण अपने उस भाग का अधिकारी न रहने पाएगा जो मैं ने तुझे दिया है, और मैं ऐसा करूंगा कि तू अनजाने देश में अपने शत्रुओं की सेवा करेगा, क्योंकि तू ने मेरे क्रोध की आग ऐसी भड़काई जो सर्वदा जलती रहेगी। 
Jeremiah 17:5 यहोवा यों कहता है, श्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है। 
Jeremiah 17:6 वह निर्जल देश के अधमूए पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तथा लोनछाई भूमि पर बसेगा। 
Jeremiah 17:7 धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिसने परमेश्वर को अपना आधार माना हो। 
Jeremiah 17:8 वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 13
  • मत्ती 26:26-50


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें