धोखे और छल-कपट की सच्ची घटनाएं कहानीयों से भी अधिक विस्मयकारी हो सकती हैं। एक समाचार पत्र में छपे समाचार के अनुसार एक महिला ने खरीददारी के बाद दुकानदार को १५०० डॉलर चुकाने के लिए १०लाख डॉलर का नकली नोट थमाया। पुलिस द्वारा पकड़े जाने और पूछ-ताछ करने पर उस महिला ने कहा कि वह अपने पूर्व-पति के द्वारा बहकायी गई, जो कि स्थान स्थान के सिक्के और नोट जमा करने का शौक रखता था और उसी ने उसे वह १०लाख डॉलर का नोट दिया था। यह भी उस महिला का एक बहाना ही था, क्योंकि यह मानना असंभव है कि जब सरकार ने इतनी बड़ी रकम का कोई नोट कभी ज़ारी ही नहीं किया तो उस महिला ने उस नोट को असली कैसे मान लिया, और १५०० की खरीददारी के लिए इतनी बड़ी रकम का नोट क्यों दिया?
यह एक अच्छा उदाहरण है कि लोग कैसे अपने अन्दर झूठ और धोखे को छुपाए रहते हैं और मौका पड़ने पर दूसरों को भी उसका शिकार बनाना चाहते हैं। परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल में यर्मियाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा लोगों को चिताया: "मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है?" (यर्मियाह १७:९)। यह चेतावनी कुछ लोगों के लिए नहीं थी, मानो केवल कुछ को ही धोखेबाज़ी की आदत हो; यह बात सभी के लिए थी - हर एक का मन इस असाध्य रोग से ग्रसित है और अपने अपने वक्त तथा अवसर के अनुसार सब के मन का यह रोग प्रकट होता रहता है। इसीलिए यर्मियाह आगे कहता है कि परमेश्वर लोगों के बाहरी स्वरूप एवं व्यवहार को नहीं वरन हर एक के मन को परखता और जांचता है और मन की दशा के अनुसार प्रतिफल देता है।
परमेश्वर का प्रेम और अनुग्रह इसी में है कि वह हमारे प्रति धैर्य रखता है, सहिषुण रहता है और हमारे मन की दशा के अनुसार यह प्रतिफल वह हमें तुरंत नहीं दे देता वरन हमें पश्चाताप करने और क्षमा मांगने का अवसर देता रहता है, क्योंकि समस्त संसार के लिए पापों की क्षमा और उद्धार का मार्ग उसने अपने पुत्र प्रभु यीशु के क्रूस पर बलिदान के द्वारा दे दिया है। वह संसार के हर एक जन के सामने किसी न किसी रूप में बार बार यह पश्चाताप और क्षमा का अवसर रखता है जिससे वे अपने पापों में बने रहकर उसके न्याय का सामना ना करने पाएं वरन उसके अनुग्रह का लाभ उठाकर अनन्त आशीष के जीवन को पा लें। उसके इस अनुग्रह को स्वीकार करना या अन्देखा करना, यह प्रत्येक व्यक्ति का अपना निर्णय है।
अपने मन पर नहीं परमेश्वर के अनुग्रह पर विश्वास करें; मन तो धोखेबाज़ है, केवल परमेश्वर ही भला और विश्वासयोग्य है, वह कभी आपको हानि में नहीं पड़ने देगा। - मार्ट डी हॉन
धोखे और विनाशकारी प्रवृतियों से भरे संसार में केवल भले और विश्वासयोग्य परमेश्वर पर विश्वास और उसकी आज्ञाकारिता ही सुरक्षित रहने का एकमात्र मार्ग है।
मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है? - यर्मियाह १७:९
बाइबल पाठ: यर्मियाह १७:५-११
Jeremiah17:5 यहोवा यों कहता है, श्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है।
Jeremiah17:6 वह निर्जल देश के अधमूए पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तथा लोनछाई भूमि पर बसेगा।
Jeremiah17:7 धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिसने परमेश्वर को अपना आधार माना हो।
Jeremiah17:8 वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।
Jeremiah17:9 मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है?
Jeremiah17:10 मैं यहोवा मन की खोजता और हृदय को जांचता हूँ ताकि प्रत्येक जन को उसकी चाल-चलन के अनुसार अर्थात उसके कामों का फल दूं।
Jeremiah17:11 जो अन्याय से धन बटोरता है वह उस तीतर के समान होता है जो दूसरी चिडिय़ा के दिए हुए अंडों को सेती है, उसकी आधी आयु में ही वह उस धन को छोड़ जाता है, और अन्त में वह मूढ़ ही ठहरता है।
एक साल में बाइबल:
- निर्गमन २७-२८
- मत्ती २१:१-२२
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (2-2-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!