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सोमवार, 9 जून 2014

सरल जीवन


   क्या अभिभावक अपने बच्चों को खुश रखने के लिए आवश्यकता से अधिक प्रयास कर रहे हैं? क्या उनके इस प्रयास का प्रतिकूल प्रभाव हो रहा है? ये वे प्रश्न हैं जिनके साथ लोरि गौटलिब के एक साक्षातकार का परिचय एवं आरंभ दिया गया। लोरि गौटलिब नाखुश जवान व्यक्तियों पर लिखे गए एक लेख की लेखिका हैं और उपरोक्त दोनों प्रश्नों के लिए उनके उत्तर हैं "हाँ"। उनका कहना है कि वे अभिभावक जो अपने बच्चों को जीवन में पराजय या निराशा का सामना करने से बचाए रखते हैं, वे अपने बच्चों को संसार का एक मिथ्या दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं तथा उन्हें व्यसक होने पर जीवन की कटु सच्चाईयों का सामना करने के लिए तैयार नहीं करने पाते हैं। जब उनके बच्चे बड़े होकर संसार की वास्तविकताओं का सामना करते हैं तो वे उन्हें समझने और सही प्रतिक्रीया देने में असमर्थ होते हैं और अपने आप को अन्दर से खाली और चिंताग्रस्त महसूस करते हैं।

   कुछ मसीही विश्वासी भी यह आशा रखते हैं कि परमेश्वर भी उनके लिए एक ऐसा ही पिता रहेगा जो उन्हें किसी भी निराशा या दुख में नहीं जाने देगा। लेकिन परमेश्वर ने ऐसा कोई आश्वासन कभी अपने लोगों को नहीं दिया है और ना ही वह ऐसा पिता है जो अपने बच्चों को यथार्त से अनभिज्ञ रखता है। परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है कि परमेश्वर अपने लोगों को अपने द्वारा निर्धारित सीमाओं में और अपनी निगरानी में दुखों और प्रतिकूल परिस्थितियों से होकर निकलने देता है (यशायाह 43:2; 1 थिस्सलुनीकियों 3:3)।

   यदि हम इस धारणा के साथ आरंभ करेंगे कि एक सरल जीवन हमें वास्तविक खुशी देगा, तो अपनी इस गलत धारणा को जीने और निभाने के प्रयास में हम थक जाएंगे। लेकिन जब हम इस सच्चाई का सामना करते हुए कि जीवन कठिन है जीवन जीएंगे तो हम अपने जीवन भली रीति और परमेश्वर की इच्छानुसार व्यतीत करने पाएंगे। सही दृष्टिकोण के साथ जीवन निर्वाह करना हमें कठिन समयों के लिए तैयार करता है।

   परमेश्वर का उद्देश्य हमें केवल खुश रखना ही नहीं वरन साथ ही पवित्र बनाना भी है (1 थिस्स्य्लुनीकियों 3:13)। जब हम पवित्र होंगे तो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलेंगे भी जिससे परमेश्वर की आशीषों और उसकी शांति को प्राप्त करके हम सन्तुष्टि और खुशी का जीवन भी बिताने पाएंगे। - जूली ऐकैरमैन लिंक


सन्तुष्ट वह है जिसने मीठे के साथ कड़ुवा भी स्वीकार करना सीख लिया है।

यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं। मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। - फिलिप्पियों 4:11-12

बाइबल पाठ: 1 थिस्सलुनीकियों 3:1-13
1 Thessalonians 3:1 इसलिये जब हम से और भी न रहा गया, तो हम ने यह ठहराया कि एथेन्‍स में अकेले रह जाएं। 
1 Thessalonians 3:2 और हम ने तीमुथियुस को जो मसीह के सुसमाचार में हमारा भाई, और परमेश्वर का सेवक है, इसलिये भेजा, कि वह तुम्हें स्थिर करे; और तुम्हारे विश्वास के विषय में तुम्हें समझाए। 
1 Thessalonians 3:3 कि कोई इन क्‍लेशों के कारण डगमगा न जाए; क्योंकि तुम आप जानते हो, कि हम इन ही के लिये ठहराए गए हैं। 
1 Thessalonians 3:4 क्योंकि पहिले भी, जब हम तुम्हारे यहां थे, तो तुम से कहा करते थे, कि हमें क्‍लेश उठाने पड़ेंगे, और ऐसा ही हुआ है, और तुम जानते भी हो। 
1 Thessalonians 3:5 इस कारण जब मुझ से और न रहा गया, तो तुम्हारे विश्वास का हाल जानने के लिये भेजा, कि कहीं ऐसा न हो, कि परीक्षा करने वाले ने तुम्हारी परीक्षा की हो, और हमारा परिश्रम व्यर्थ हो गया हो। 
1 Thessalonians 3:6 पर अभी तीमुथियुस ने जो तुम्हारे पास से हमारे यहां आकर तुम्हारे विश्वास और प्रेम का सुसमाचार सुनाया और इस बात को भी सुनाया, कि तुम सदा प्रेम के साथ हमें स्मरण करते हो, और हमारे देखने की लालसा रखते हो, जैसा हम भी तुम्हें देखने की। 
1 Thessalonians 3:7 इसलिये हे भाइयों, हम ने अपनी सारी सकेती और क्‍लेश में तुम्हारे विश्वास से तुम्हारे विषय में शान्‍ति पाई। 
1 Thessalonians 3:8 क्योंकि अब यदि तुम प्रभु में स्थिर रहो तो हम जीवित हैं। 
1 Thessalonians 3:9 और जैसा आनन्द हमें तुम्हारे कारण अपने परमेश्वर के साम्हने है, उसके बदले तुम्हारे विषय में हम किस रीति से परमेश्वर का धन्यवाद करें? 
1 Thessalonians 3:10 हम रात दिन बहुत ही प्रार्थना करते रहते हैं, कि तुम्हारा मुंह देखें, और तुम्हारे विश्वास की घटी पूरी करें।
1 Thessalonians 3:11 अब हमारा परमेश्वर और पिता आप ही और हमारा प्रभु यीशु, तुम्हारे यहां आने के लिये हमारी अगुवाई करे। 
1 Thessalonians 3:12 और प्रभु ऐसा करे, कि जैसा हम तुम से प्रेम रखते हैं; वैसा ही तुम्हारा प्रेम भी आपस में, और सब मनुष्यों के साथ बढ़े, और उन्नति करता जाए। 
1 Thessalonians 3:13 ताकि वह तुम्हारे मनों को ऐसा स्थिर करे, कि जब हमारा प्रभु यीशु अपने सब पवित्र लोगों के साथ आए, तो वे हमारे परमेश्वर और पिता के साम्हने पवित्रता में निर्दोष ठहरें।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 46-48


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