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शुक्रवार, 29 मई 2015

शान्ति


   मेरी सहेली इलूइस जीवन की सामान्य बातों को चतुराई से अलग ही परिपेक्ष्य में ढाल देती है। एक दिन मैं ने उस से पूछा, "कहो, कैसी हो?" मुझे आशा थी कि वह इस प्रश्न का सामान्यतः दिया जाने वाला जाना-पहचाना उत्तर देगी, "ठीक हूँ"। किंतु उसने उत्तर दिया, "मुझे जाकर उसे जगाना है!" मैं यह सुनकर चकरा गई और उस से उसकी इस बाता का अर्थ पूछा। उसने बच्चों के समान चकित हुए कहा, "तुम अपनी बाइबल भी नहीं जानतीं?" फिर वह बोली, "जब प्रभु के चेलों के सामने संकट आया, तो वे प्रभु यीशु को जगाने गए थे ना; मुझे भी प्रभु को जगाने जाना है!"

   जब हम किसी परेशान कर देने वाली परिस्थिति में आ जाते हैं और उस से निकलने का कोई मार्ग सूझ नहीं पड़ता, तब हम क्या करते हैं? हो सकता है कि प्रभु के चेलों के समान हम भी प्रभु यीशु के पास जाते हैं (मरकुस 4:35-41)। लेकिन कभी कभी हम अपने ही प्रयासों से अपने आप को परिस्थिति से बाहर निकालने के प्रयास करते हुए, हमारी परिस्थिति के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति से बदला लेना चाहते हैं; या उसे बदनाम करने लगते हैं; या निराश और हताश होकर किसी कोने में दुबक कर बैठ जाते हैं।

   हमें प्रभु यीशु के चेलों से शिक्षा लेनी चाहिए, जो विकट परिस्थिति में अपनी एकमात्र आशा प्रभु यीशु के पास आए। हो सकता है कि प्रभु हमें तुरंत ही या हमारे सोचे तरीके से उस परिस्थिति से बाहर ना निकाले, किंतु यह ध्यान रखना कि हमारे संकट में वह हमारे साथ खड़ा है, सांत्वना देता है। हमें उसका धन्यवादी होना चाहिए कि वह सदा हमारे साथ बना रहता है और हमारे जीवन के तूफानों को भी कहता है, "शान्त रह, थम जा" (मरकुस 4:39)।

   इसलिए अपने जीवन के तूफानों में उसकी ओर देखें, उसे पुकारें, और वह अपनी शान्ती आपके जीवन में भर देगा। - जो स्टोवैल


जब जीवन में परेशानियों के तूफान भयभीत करें तो समाधान के लिए मसीह यीशु को अपना प्रथम विकल्प बनाएं।

प्रभु यीशु ने कहा: मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। -  यूहन्ना 14:27

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-41
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,। 
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं। 
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। 
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं? 
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया। 
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं? 
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 7-9
  • यूहन्ना 11:1-29



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