पिछले कुछ वर्षों में मैं एक-दो बार शरीर में पानी की कमी होने के कारण अस्वस्थ हुआ हूँ। जब भी मेरे शरीर में पानी की कमी हुई, मुझे चक्कर आने लगे, मैं ठीक से दिखने नहीं पा रहा था, मुझे समय स्थान और व्यक्ति को पहचान पाने में बहुत कठिनाई होने लगी, मैं स्पष्ट बोल भी नहीं पा रहा था। अपने उन कष्टदायक अनुभवों से मैंने सीख लिया कि पानी की उचित मात्रा शरीर में रहना कितना आवश्यक है; और मैं दोबारा उस अनुभव से कतई नहीं निकलना चाहता हूँ।
शरीर में पानी की कमी के इन अनुभवों ने मुझे प्रभु यीशु के एक निमंत्रण के बारे में नया मूल्यांकन दिया है; प्रभु यीशु ने मन्दिर में खड़े होकर सार्वजनिक निमंत्रण दिया: "फिर पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए" (यूहन्ना 7:37)। प्रभु द्वारा की गई यह घोषणा, जिस दिन वह करी गई उसके संदर्भ में, नाटकीय थी। यूहन्ना बताता है कि वह यहूदियों के एक बड़े पर्व का अन्तिम एवं मुख्य दिन था। जिस पर्व का यहाँ उल्लेख आया है वह यहूदियों के मिस्त्र की गुलामी से निकलकर वाचा किए हुए कनान देश तक पहुँचने की चालीस वर्षीय जंगल यात्रा को समरण करने का पर्व था। उस पर्व के अन्तिम एवं मुख्य दिन मन्दिर की सीढ़ियों पर जल प्रवाहित किया जाता था जो परमेश्वर द्वारा बियाबान और जंगल की यात्रा में भी उन इस्त्राएलियों को पानी उपलब्ध करवाते रहने को स्मरण करवाता था। उस जल प्रवाह करने के समय, प्रभु यीशु ने अपने आप को सभी के लिए अति आवश्यक जीवन का जल होना घोषित किया और निमंत्रण दिया कि जो प्यासा हो वह स्वेच्छा से आए और उससे जीवन जल भरपूरी से ले।
हमारे आत्मिक स्वास्थ्य और भलाई के लिए हमारा प्रभु यीशु पर ऐसे निर्भर रहना जैसे हम दैनिक जीवन में जल पर निर्भर रहते हैं अति आवश्यक है; अन्यथा आत्मिक जल की कमी के वैसे ही आत्मिक लक्षण हम में दिखने लगेंगे जैसे मैंने शारीरिक जल की कमी के कारण अनुभव किए थे। अपने अन्दर इस आत्मिक जल की मात्रा को बनाए रखने और आत्मिक प्यास को बुझाए रखने के लिए हमें प्रभु के साथ प्रार्थना में बातचीत करते रहना चाहिए, उसके वचन के अध्ययन के द्वारा उसके साथ संपर्क तथा संगति को बनाए रखना चाहिए और अपने प्रत्येक निर्णय में उसकी बुद्धिमता और मार्गदर्शन को प्राप्त करना चाहिए।
प्रभु यीशु से घनिष्ठता से जुड़े रहें, आपके आत्मा की प्यास को केवल वह ही बुझा सकता है। - जो स्टोवैल
जीवन जल की तरोताज़गी प्राप्त करने के लिए प्रभु यीशु के पास आएं, उसके साथ बने और चलते रहें।
क्योंकि मैं प्यासी भूमि पर जल और सूखी भूमि पर धाराएं बहाऊंगा; मैं तेरे वंश पर अपनी आत्मा और तेरी सन्तान पर अपनी आशीष उण्डेलूंगा। - यशायाह 44:3
बाइबल पाठ: यूहन्ना 7:37-39
John 7:37 फिर पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए।
John 7:38 जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र शास्त्र में आया है उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी।
John 7:39 उसने यह वचन उस आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करने वाले पाने पर थे; क्योंकि आत्मा अब तक न उतरा था; क्योंकि यीशु अब तक अपनी महिमा को न पहुंचा था।
एक साल में बाइबल:
- अय्युब 32-33
- प्रेरितों 14
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