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प्रसार और अनुवाद में अनुपम
प्रसार: किसी पुस्तक के बारे में यह सुनना कोई असामान्य बात नहीं है कि उसकी कुछ हज़ार या दसियों हज़ार प्रतियां बिक गई हैं, और वह सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों के सूची में सम्मिलित हो गई है। ऐसी पुस्तकों की संख्या बहुत कम है जिनकी लाखों या दसियों लाख प्रतियों की बिक्री हुई है; ऐसी पुस्तकें तो और भी कम हैं जिनकी बिक्री या वितरित हुई प्रतियों की संख्या करोड़ या करोड़ों में हो। ऐसे में यह भौंचक्का कर देने वाली बात है कि संसार के इतिहास में बाइबल ही एकमात्र ऐसी पुस्तक है जिसकी संसार भर में विभिन्न भाषाओं में बिक्री अथवा वितरित हुई प्रतियों की संख्या अरबों में है। छपाई के इतिहास के आरंभ होने से लेकर आज तक, बाइबल ही एकमात्र ऐसी पुस्तक है जो लगातार, बिना कभी भी किसी अन्य पुस्तक को स्थान दिए, संसार की सर्वाधिक बिकने तथा वितरित होने वाली पुस्तक रही है।
संसार भर में बाइबल को प्रकाशित करने वाली अनेकों संस्थाएं हैं; हर देश में बाइबल को प्रकाशित करने वाली अपनी संस्थाएं हैं। यूनाइटिड बाइबल सोसायटी, एक ऐसी संस्था है जो संसार भर में बाइबल प्रकाशन और वितरण का कार्य करती है; सारे संसार में उसकी शाखाएं और दफ्तर हैं। उनके सभी शाखाओं और दफ्तरों द्वारा 1998 में वितरित की गई बाइबलों की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने तब संसार भर में 208 लाख सम्पूर्ण बाइबल, तथा इसके अतिरिक्त 201 लाख नए या पुराने नियम की प्रतियाँ वितरित की थीं। यदि बाइबल के सभी स्वरूपों – सम्पूर्ण बाइबल, पुराना या नए नियम की प्रतियाँ, बाइबल के कुछ भाग जैसे कि बाइबल की कोई पुस्तक, बाइबल के कुछ अंश, या किसी विषय पर बाइबल के संकलित अंशों के लेख आदि की कुल गणना देखी जाए तो यह संख्या 5850 लाख पहुँच जाती है – और यह केवल यूनाइटिड बाइबल सोसायटीस द्वारा प्रकाशित तथा वितरित की गई बाइबल या उसके भाग अथवा अंश की संख्या है। यदि संसार भर में अन्य संस्थाओं द्वारा किए गए ऐसे ही वितरण के आँकड़े एकत्रित किए जाएं, और आज के समय तक के किए गए कार्य को देखा जाए, तो अनुमान लगाइए कि संख्या कहाँ पहुँचेगी। संसार के इतिहास में कोई अन्य पुस्तक नहीं है जो बाइबल के प्रकाशन अथवा वितरण के आँकड़ों के कहीं निकट भी आती है। यदि बाइबल और उसके भागों की संसार भर में इतनी माँग न होती, तो यह कार्य कैसे संभव होता; वह भी सारे संसार में, और छपाई के आरंभ से लेकर आज दिन तक, निरंतर? संसार भर में बाइबल, या बाइबल के भाग, या बाइबल के अंश ही सर्वाधिक पढ़े जाने वाले लेख हैं। विचार करने वाली बात है, बाइबल और उसके संदेश में कुछ तो विलक्षण तथा अनुपम होगा, कि उनकी इतनी माँग संसार भर में बनी हुई है।
अनुवाद: जैसे प्रभावशाली और विस्मित करने वाले बाइबल के प्रकाशन और वितरण के आँकड़े हैं, उसी के समान प्रभावशाली और विस्मित करने वाले बाइबल के अनुवादों से संबंधित आँकड़े भी हैं।
संसार भर में छपने वाली अधिकांश पुस्तकें अपनी मूल भाषा के अतिरिक्त किसी अन्य भाषा में अनुवाद ही नहीं होती हैं। जो अनुवाद भी होती हैं, वो अधिकांशतः दो या तीन भाषाओं में अनुवाद होती हैं। बहुत ही कम पुस्तकें हैं जो अपनी संपूर्णता या भागों में भी 10 से लेकर 20 विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हुई हैं। आज संसार की ज्ञात 6500 भाषाओं और बोलियों में से अधिकांश भाषाओं या बोलियों में बाइबल, या बाइबल का कोई भाग, अथवा अंश अनुवाद किया जा चुका है, और उसे प्रसारित किया गया है – छापे हुए स्वरूप में, अथवा औडियो रिकॉर्डिंग के रूप में; उन भाषाओं में भी जो केवल मौखिक हैं, जिनके लिखने के लिए कोई वर्णमाला तथा अक्षर नहीं हैं। जिन भाषाओं में केवल बाइबल के अंश हैं, उनमें बाइबल के भागों का अनुवाद ज़ारी है; और जिनमें अंश तथा भाग उपलब्ध हैं, उनमें सम्पूर्ण बाइबल का अनुवाद होना ज़ारी है। जैसे जैसे माँग बढ़ती जाती है, कार्य भी बढ़ता जाता है, और उपलब्ध हो जाने वाले अंश अथवा भाग या बाइबल वितरण के लिए उपयोग होते जाते हैं, वितरित होने लगते हैं। यदि यह कार्य औडियो रिकॉर्डिंग के रूप में है, तो उसे उसी स्वरूप में विभिन्न माध्यमों के द्वारा वितरित किया जाता है। कठिन प्रयासों और बाधाओं के बावजूद, संसार के सभी भू-भाग के लोगों के पास परमेश्वर का वचन, उनकी अपनी भाषा अथवा बोली में, उपलब्ध करवाया जा रहा है। अनेकों संस्थाएं संसार भर में इस कार्य में लगी हुई हैं; कुछ स्थानीय है, कुछ अंतर्राष्ट्रीय हैं; किन्तु सभी का यही प्रयास है कि संसार का कोई भू-भाग, कोई भाषा या बोली का समुदाय, उनकी अपनी भाषा में परमेश्वर के वचन से वंचित न रह जाए।
अब यह बाइबल के आलोचकों और विरोधियों के लिए विचार करने और उत्तर ढूँढने की बात है कि बाइबल और उसके संदेश में आखिर ऐसा क्या है जो सारे संसार के सभी इलाकों में लोगों को प्रेरित कर रहा है कि अनेकों बाधाओं, विरोध, और समस्याओं का सामना करते हुए भी, बाइबल में विश्वास करने वाले, उसे संसार के हर व्यक्ति, हर समुदाय तक पहुंचाने में लगे हुए हैं। संसार के इतिहास में क्या कोई अन्य ऐसा ग्रंथ अथवा पुस्तक है जिसका इतना व्यापक प्रसार एवं अनुवाद किया गया हो? बाइबल में कुछ तो होगा जो लोगों में उसके संदेश के लिए एक भूख, एक लालसा उत्पन्न कर रहा है; और जिनके पास बाइबल और उसका संदेश है, उन्हें किसी भी कीमत पर उस संदेश को सारे संसार के सभी लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित कर रहा है, और करवाता जा रहा है!
प्रभु यीशु मसीह ने जगत के अंत और सभी लोगों के न्याय के लिए जो चिह्न दिए थे (मत्ती 24 अध्याय), वे सभी पूरे होते जा रहे हैं; आज के विषय से संबंधित एक महत्वपूर्ण चिह्न है: “और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा” (मत्ती 24:14)। अब आप स्वयं देख लीजिए कि जगत अपने अंत और न्याय के कितना निकट खड़ा है।
यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु, मैं अपने पापों के लिए पश्चातापी हूँ, उनके लिए आप से क्षमा माँगता हूँ। मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मुझे और मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।” सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।
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Unique in its Circulation and Translations
Circulation: It is not uncommon to hear of a book that has sold a few thousand or even tens of thousands of copies, and has entered the list of best-selling books. But there are very few books that have sold lakhs of copies; much fewer are the books, whose number of copies sold or distributed is a million or in millions. Therefore, it is astonishing that the Bible is the only book in the history of the world whose number of copies sold or distributed in different languages across the world is in the billions. From the beginning of the history of printing to the present day, the Bible is the only book that has consistently, without ever giving this place to any other book, has consistently been ranked as the world's all-time best-selling, most read and distributed book.
There are many organizations publishing the Bible around the world. Every country has its own organizations that publishes the Bible. The United Bible Society is an organization that conducts Bible publication and distribution around the world; It has branches and offices all over the world. According to reports of Bibles distributed by all of their branches and offices in 1998, they had by then distributed 20.8 million complete Bibles around the world, plus an additional 20.1 million copies of the New or Old Testament. If the total count of all the forms of the Bible contents - the whole Bible, copies of the Old or of New Testament, parts of the Bible such as individual books of the Bible, or portions of the Bible, or compilation of articles written on a topic of the Bible, etc. is put together, then the number reaches 585 million – and this is only the number of Bibles or parts, or portions of the Bible published and distributed by one organization - the United Bible Societies. If we collect data on similar distributions done by other organizations around the world, and look at the work done to date, it is anybody’s guess where the numbers will reach. There is no other book in the history of the world that even comes anywhere close to the statistics of the publication or distribution of the Bible. How would this work be possible if the Bible and its parts have not continuously remained in demand, all the time, and all over the world, from the beginning of printing of books to the present day? The Bible, or parts of the Bible, or passages of the Bible, are the most widely read writings in the world. It is worth considering, that there must be something extraordinary and unique in the Bible and its message, that they remain in such demand around the world, all the time.
Translations: Just as the statistics on the publication and distribution of the Bible are impressive and astounding, similarly the statistics on translations of the Bible are as impressive and astonishing too.
Now it is a matter for critics and opponents of the Bible to ponder and find answers as to what is in the Bible and its message that is inspiring people in all regions of the world to face many obstacles, oppositions, and problems, but get hold of it in one form or the other. Why are Believers in the Bible engaged in trying to make it available to every person, every community in the world, even at the cost of their security and lives? Is there any other book, religious or secular, that in the history of the world has been so widely circulated and translated? There must be something in the Bible that is creating a hunger, a longing in the people for its message; And is inspiring those who have the Bible and its message, to spread that message to all the people of the whole world at any cost!
The signs given by the Lord Jesus Christ for the end of the world and the judgment of all people (Matthew 24), are all being fulfilled before our eyes. Amongst these signs, there is an important sign related to today's heading: “And this gospel of the kingdom will be preached in all the world as a witness to all the nations, and then the end will come” (Matthew 24:14). Now see for yourself how close the world stands to its end and justice. Are you ready to give the account of your life to the Lord?
If you have not yet accepted the discipleship of the Lord, make your decision in favor of the Lord Jesus now to ensure your eternal life and heavenly blessings. Where there is obedience to the Lord, where there is respect and obedience to His Word, there is also the blessing and protection of the Lord. Repenting of your sins, and asking the Lord Jesus for forgiveness of your sins, voluntarily and sincerely, surrendering yourself to Him - is the only way to salvation and heavenly life. You only have to say a short but sincere prayer to the Lord Jesus Christ willingly and with a penitent heart, and at the same time completely commit and submit your life to Him. You can also make this prayer and submission in words something like, “Lord Jesus, I am sorry for my sins and repent of them. I thank you for taking my sins upon yourself, paying for them through your life. Because of them you died on the cross in my place, were buried, and you rose again from the grave on the third day for my salvation, and today you are the living Lord God and have freely provided to me the forgiveness, and redemption from my sins, through faith in you. Please forgive my sins, take me under your care, and make me your disciple. I submit my life into your hands." Your one prayer from a sincere and committed heart will make your present and future life, in this world and in the hereafter, heavenly and blessed for eternity.
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