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मंगलवार, 21 मई 2013

सदा जवान


   हाल ही में मैंने एक सुन्दर, सफेद बालों वाली वृद्ध महिला को देखा, उसकी टी-शर्ट पर लिखा था, "मैं 80 की नहीं, 18 की ही हूँ; साथ में बस 62 का अनुभव है।" समाचार पत्रों के निधन एवं शोक सूचनाओं में छपी तस्वीरें और उनके नीचे लिखे वाक्य भी कभी कभी रोचक होते हैं; वहाँ एक नौजवान फौजी के मुस्कुराते हुए चेहरे की तस्वीर के नीचे लिखा मिलेगा "उम्र 92 वर्ष; देश के लिए दूसरे विश्व युद्ध में भाग लिया"। या किसी चमकती हुई आंखों वाली नवयुवती की तस्वीर के नीचे लिखा होगा, "89 वर्ष की जवान; आर्थिक मन्दी के काल में पली-बड़ी हुई।" इन सभी सन्देशों का अर्थ स्पष्ट है - "हम सदा ही ऐसे नहीं थे; कभी हम भी जवान थे।"

   अकसर जो एक लंबा जीवन जी चुके होते हैं वे अपने आप को घर-परिवार तथा समाज में हाशिए पर रखा हुआ अनुभव करते हैं, मानो कि अब उनका समय बीत गया है, उनकी उपयोगिता समाप्त हो गई है और अब बस समय पूरा होने का ही इंतिज़ार है। लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल हमें इससे अलग ही दृष्टिकोण देती है। भजन 92 हमें बताता है कि हम चाहे उम्र में कितने भी वृद्ध हों लेकिन हम फिर भी नए फलों से लदे जीवन व्यतीत कर सकते हैं। परमेश्वर के विश्वासी, सदा उपजाऊ रहने वाली तथा भली भांति सींची हुई भूमि के बगीचे में रोपे गए वृक्ष अर्थात परमेश्वर की संगति में रोपे गए हैं और "वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे" (भजन 92:14)। प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों से वायदा किया कि "मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है..." (यूहन्ना 15:5)।

   हाँ, एक अवस्था में आकर माँसपेशियाँ दुखने लगती हैं, जोड़ों में दर्द रहने लगता है, जीवन की गति कुछ शिथिल पड़ जाती है, लेकिन हर मसीही विश्वासी को परमेश्वर का यह आश्वासन है: "इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है" (2 कुरिन्थियों 4:16)। यदि हम परमेश्वर की संगति में बने रहे हैं तो हमारी शारीरिक अवस्था चाहे कितनी भी क्यों ना हो जाए, हम मन से सदा ’जवानी और उसके साथ कुछ वर्षों के अनुभव वाल’ ही रह सकते हैं; ऐसे अनुभव जो बहुमूल्य हैं, परमेश्वर की संगति से मिले हैं और हर उम्र के व्यक्ति के लिए लाभकारी हैं तथा जिनकी उपयोगिता हमें जवानों के समान ही उपयोगी और फलवन्त बनाए रखती है। - सिंडी हैस कैस्पर


विश्वासयोग्यता परमेश्वर की माँग है; फलवन्त जीवन उसका पुरुस्कार।

वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे - भजन 92:14

बाइबल पाठ: भजन 92
Psalms 92:1 यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना;
Psalms 92:2 प्रात:काल को तेरी करूणा, और प्रति रात तेरी सच्चाई का प्रचार करना,
Psalms 92:3 दस तार वाले बाजे और सारंगी पर, और वीणा पर गम्भीर स्वर से गाना भला है।
Psalms 92:4 क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपने काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूंगा।
Psalms 92:5 हे यहोवा, तेरे काम क्या ही बड़े हैं! तेरी कल्पनाएं बहुत गम्भीर हैं!
Psalms 92:6 पशु समान मनुष्य इस को नहीं समझता, और मूर्ख इसका विचार नहीं करता:
Psalms 92:7 कि दुष्ट जो घास की नाईं फूलते-फलते हैं, और सब अनर्थकारी जो प्रफुल्लित होते हैं, यह इसलिये होता है, कि वे सर्वदा के लिये नाश हो जाएं,
Psalms 92:8 परन्तु हे यहोवा, तू सदा विराजमान रहेगा।
Psalms 92:9 क्योंकि हे यहोवा, तेरे शत्रु, हां तेरे शत्रु नाश होंगे; सब अनर्थकारी तितर बितर होंगे।
Psalms 92:10 परन्तु मेरा सींग तू ने जंगली सांढ़ का सा ऊंचा किया है; मैं टटके तेल से चुपड़ा गया हूं।
Psalms 92:11 और मैं अपने द्रोहियों पर दृष्टि कर के, और उन कुकर्मियों का हाल मेरे विरुद्ध उठे थे, सुनकर सन्तुष्ट हुआ हूं।
Psalms 92:12 धर्मी लोग खजूर की नाईं फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाईं बढ़ते रहेंगे।
Psalms 92:13 वे यहोवा के भवन में रोपे जा कर, हमारे परमेश्वर के आंगनों में फूले फलेंगे।
Psalms 92:14 वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे,
Psalms 92:15 जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 13-15 
  • यूहन्ना 7:1-27


सोमवार, 20 मई 2013

नम्रता से ग्रहण करो


   परमेश्वर के वचन बाइबल के अपने अध्ययन में, याकूब की पत्री के पहले अध्याय को पढ़ते हुए, वहाँ लिखित एक वाक्याँश को पढ़कर मैं चौंक गया; जिस पद पर मैं पहुँचा था वह था: "इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है" (याकूब 1:21) और वाक्याँश था "उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है"। तुरंत मुझे वह निर्णय स्मरण हो आया जिस से मैं जूझ रहा था, और साथ ही यह विचार भी कि, "मुझे इस निर्णय के लिए कोई अन्य पुस्तक पढ़ने, किसी गोष्ठी या परिसंवाद में भाग लेकर सीखने, या किसी मित्र से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है। मुझे केवल वह करना है जो बाइबल मुझे इस विषय के बारे में सिखाती है।" याकूब ने प्रभु यीशु के अनुयायियों को लिखी इस पत्री में आगे यह भी लिखा: "परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं" (याकूब 1:22) और मैंने एहसास किया कि मेरा परमेश्वर के वचन को और अधिक तथा और गहराई से सीखने के प्रयास ही मेरे लिए परमेश्वर के वचन की शिक्षाओं की उपेक्षा के कारण बन गए थे; मैं उस जीवित वचन को मानने वाला बनने की बजाए केवल सीखने वाला ही बन कर रह गया था।

   बाइबल विद्वान डब्ल्यु. ई. वाईन ने, जो बाइबल में प्रयुक्त मूल यूनानी भाषा के शब्दों के अर्थों को समझाने के लिए विख्यात हैं, इन पदों में प्रयुक्त शब्द जिसका अनुवाद "ग्रहण करो" हुआ है, के बारे में लिखा है कि मूल भाषा में इस शब्द का तात्पर्य है, "भली-भांति जानते, विचारते और पूर्ण सहमति के साथ प्रदान की हुई वस्तु को ग्रहण करो या स्वीकार करो" और इस पद में याकूब इस सब के साथ एक सदगुण और जोड़ रहा है - नम्रता। एक नम्र मन परमेश्वर के साथ विवाद नहीं करता, ना ही उससे कोई झगड़ा करता है, वरन समर्पण के साथ उसकी सहर्ष मान लेता है। याकूब के कहने का तात्पर्य यह बना कि "अपने प्रति परमेश्वर की बातों और कार्यों का किसी रीति से कोई प्रतिरोध नहीं करो वरन उन्हें सहर्ष मान लो, स्वीकार कर लो क्योंकि परमेश्वर हर बात में हमारा भला ही चाहता है और हमारे लिए वही करता है जो हमारे लिए सर्वोत्तम है।"

   परमेश्वर अपना सामर्थी वचन हमारे हृदयों में इसलिए बोता है जिससे कि वह वचन हमारे लिए आत्मिक समझ-बूझ और सामर्थ का विश्वासयोग्य और बहुमूल्य स्त्रोत बन कर हमारा मार्गदर्शन करे। परमेश्वर के वचन की यह आशीष हमें तब प्राप्त होती है जब हम उसे नम्रता से ग्रहण करते और आदर से उसका पालन करते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


अपनी बाइबल प्रार्थनापूर्वक खोलें, ध्यान लगाकर उसे पढ़ें और आनन्द के साथ उसका पालन करें।

इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है। - याकूब 1:21

बाइबल पाठ: याकूब 1:13-22
James 1:13 जब किसी की परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है; क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है।
James 1:14 परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच कर, और फंस कर परीक्षा में पड़ता है।
James 1:15 फिर अभिलाषा गर्भवती हो कर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है।
James 1:16 हे मेरे प्रिय भाइयों, धोखा न खाओ।
James 1:17 क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।
James 1:18 उसने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्‍टि की हुई वस्‍तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों।
James 1:19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।
James 1:20 क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है।
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
James 1:22 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 10-12 
  • यूहन्ना 6:45-71



रविवार, 19 मई 2013

वापसी


   कगार से लौट के आने वालों की कहानीयाँ प्रेरणादायक होती हैं - लोग या कंपनियाँ जो बर्बादी की कगार तक पहुँच कर फिर सफलता की ओर लौट आए, उनके अनुभवों की कहानी से मिलने वाली शिक्षा हमारे जीवनों में भी उपयोगी सिद्ध हो सकती है। अमेरिका की फोर्ड मोटर कंपनी इसका एक उदाहरण है। 1940 के दशक में कंपनी के अधिकारियों ने आधुनिकीकरण की ओर कोई ध्यान नहीं दिया और उनके निर्णयों ने फोर्ड कंपनी को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। बात यहाँ तक पहुँच गई थी की उस समय चल रहे विश्व-युद्ध में उपयोग के लिए इस कंपनी में बन रहे सामान की आपूर्ति को बनाए रखने के लिए, सरकार इस कंपनी को अपने हाथों में ले लेने के लिए गंभीरता से विचार करने लगी। लेकिन ऐसा हो पाने से पहले ही हेनरी फोर्ड (द्वितीय) अपनी सैन्य कार्य-अवधि पूरी करके वापस आ गए और इस कंपनी की कमान संभाल ली। उनके नेतृत्व तथा निर्णयों से कंपनी की स्थिति बदलने लगी और कुछ ही समय में फोर्ड संसार की सबसे बड़ी कंपनीयों में से एक हो गई; बर्बादी के कगार से लौट कर सफलता की ऊँचाईयों को छूने वाली कंपनी।

   अपने व्यक्तिगत जीवनों में भी कभी कभी हमें वापसी के लिए ऐसे ही किसी अगुवे और सहारे की आवश्यकता होती है। कई बार हम गलत दिशा में चल निकलते हैं, अपने मार्ग से भटक जाते हैं, प्रलोभनों और लालच में या गलत संगति और सलाह में पड़कर बर्बादी के कगार पर पहुँच जाते हैं। समाचारों में ऐसे ही बर्बादी के कगार पर पहुँचे व्यक्तियों द्वारा आत्म-हत्या करने या प्रयास करने की घटनाएं आम सुनने-पढ़ने को मिलती हैं। उन गलत दिशाओं और दशाओं से पलटकर जीवन में वापसी की आवश्यकता कभी भी पड़ सकती है - मसीही विश्वासियों, प्रभु यीशु के अनुयायियों को भी! परमेश्वर के वचन बाइबल में इसका एक सजीव उदाहरण है प्रभु यीशु का एक शिष्य - पतरस।

   पतरस का जीवन मसीह यीशु के साथ चलने के बावजूद गलत निर्णयों से भरा पड़ा था जिनके कारण वह बर्बादी की कगार तक पहुँच गया था। एक बार अपने विश्वास की कमी के कारण वह लगभग पानी में डूब ही गया था, प्रभु यीशु को उसे हाथ थामकर निकालना पड़ा (मत्ती 14:30); जब उसने पहाड़ पर प्रभु यीशु को रुपान्तरित होकर मूसा और एल्लियाह के साथ वार्तालाप करते देखा, तो बिना सोचे समझे ही वह प्रभु को वहाँ मण्डप बनाने का सुझाव देने लगा, और परमेश्वर ने आकशवाणी में उसे प्रभु यीशु की मानने को कहा (मत्ती 17:1-5)। एक अन्य अवसर पर जब प्रभु अपने आते भविष्य के बारे में और अपने आने के उद्देश्य के बारे में शिष्यों को समझा रहे थे तो पतरस अपनी गर्मजोशी में, बिना प्रभु यीशु की बात को समझे, प्रभु यीशु को ही उसका कार्य ना करने की सलाह देने और उसे झिड़कने के लिए भी खड़ा हो गया, और प्रभु को बड़े कठोर शब्दों में उसे संबोधित करना पड़ा (मत्ती 16:22-23)। प्रभु यीशु के पकड़वाए जाने से कुछ पहले ही, प्रभु यीशु के उससे तीन बार आग्रह करने पर भी, पतरस ने प्रभु यीशु के साथ प्रार्थना में समय नहीं बिताया वरन सोता रहा। प्रभु के प्रति अपने प्रेम तथा समर्पण के बड़े बड़े दावे करने के बावजूद, जब प्रभु यीशु को पकड़ने के लिए लोग आए तो अन्य चेलों के समान ही पतरस भी प्रभु यीशु को अकेला छोड़कर भाग गया। प्रभु यीशु के प्रति उसके दावों और बातों के खोखलेपन का प्रत्यक्ष उदाहरण था एक छोटी दासी लड़की तथा अन्य विरोधियों के सामने पतरस का तीन बार प्रभु यीशु को जानने से भी इन्कार करना (मत्ती 26)। प्रभु यीशु के पुनरुत्थान के बाद भी पतरस द्वारा गलत निर्णयों की गाथा समाप्त नहीं हुई; प्रभु यीशु का अनुयायी बनने के बाद उसने अपना मछली पकड़ने का धंधा छोड़ दिया था, परन्तु प्रभु यीशु के पुनरुत्थान के बाद जीवते प्रभु यीशु के दर्शन पाने के बाद भी अब वह फिर अपने पुराने जीवन - मछली पकड़ने की ओर लौट गया, और उसकी देखा-देखी छः और शिष्य भी उसके साथ उसी पुराने जीवन की ओर लौट गए (यूहन्ना 21:2-7)।

   लेकिन यह पतरस की कहानी का अन्त नहीं है। पतरस ने चाहे प्रभु का इन्कार कर दिया हो, वापस अपने पुराने जीवन की ओर लौट गया हो, प्रभु यीशु ने पतरस को नहीं छोड़ा और ना ही उसके प्रति प्रभु यीशु का प्रेम कम हुआ। प्रभु ने फिर से उसके साथ धैर्य और सहिष्णुता दिखाई, तथा सबके सामने उससे प्रेम से व्यवहार करके फिर से उसे अपने लिए कार्य करने की ज़िम्मेदारी सौंप दी (यूहन्ना 21:15-17)। प्रभु यीशु के प्रेम और पवित्र आत्मा की सामर्थ से पतरस बर्बादी के कगार से लौट आया। पेन्तकुस्त के दिन जब लोग प्रभु के चेलों का ठठ्ठा कर रहे थे तो इसी पतरस ने उठकर उन्हें प्रबल रीति से संबोधित किया और प्रभु यीशु के बारे में बताया। उसके इस प्रचार में इतनी सामर्थ थी कि उसी समय 3000 लोगों ने अपने पापों से पश्चाताप किया और प्रभु यीशु की मण्डली में जुड़ गए। इसके बाद पतरस प्रभु के लिए बहुत प्रभावी और उपयोगी हुआ। प्रभु यीशु का प्रेम, अनुग्रह और क्षमा बर्बादी की कगार से पतरस की वापसी का आधार बने और उसे एक अति प्रभावी एवं उपयोगी व्यक्तित्व तथा आरंभिक मसीही मण्डली के अगुवों मे से एक प्रमुख अगुवा बना दिया।

   क्या आज आप जीवन और परिस्थितियों से निराश हैं, संघर्ष कर रहे हैं? समस्याओं का समाधान सूझ नहीं पड़ता? गलत निर्णयों ने बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है और संसार तथा संसार के लोग आताताई बनकर आप पर हावी होते जा रहे हैं? प्रभु यीशु की ओर अपना हाथ बढ़ाईए; वह आप का हाथ थाम कर आपको उभारने और आप को अपनी प्रेम भरी बाहों में सहारा तथा सहायता देने के लिए सदा तैयार है। प्रभु यीशु के अनुग्रह, प्रेम, दया, करुणा और क्षमा की सीमा मनुष्य के दुराचार तथा पतन की हर क्षमता से कहीं अधिक बढ़कर है। यदि पतरस वापसी कर सकता है और प्रभु से क्षमा एवं सामर्थ पा सकता है तो फिर ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं जो जीवन में पुनः वापसी ना कर सके, प्रभु यीशु से सामर्थ ना पा सके, और फिर से खड़ा होकर एक नया जीवन आरंभ ना कर सके। अपनी ओर मत देखिए, बस प्रभु यीशु पर भरोसा कीजिए, और उसे अपने जीवन में बुला लीजिए। - डेव ब्रैनन


बर्बादी से सफलता की ओर लौटने के लिए प्रभु यीशु का हाथ थाम लीजिए।

पतरस उन ग्यारह के साथ खड़ा हुआ और ऊंचे शब्द से कहने लगा, कि हे यहूदियो, और हे यरूशलेम के सब रहने वालों, यह जान लो और कान लगाकर मेरी बातें सुनो। - प्रेरितों 2:14

बाइबल पाठ: प्रेरितों 2:14-21, 37-42
Acts 2:14 पतरस उन ग्यारह के साथ खड़ा हुआ और ऊंचे शब्द से कहने लगा, कि हे यहूदियो, और हे यरूशलेम के सब रहने वालों, यह जान लो और कान लगाकर मेरी बातें सुनो।
Acts 2:15 जैसा तुम समझ रहे हो, ये नशे में नहीं, क्योंकि अभी तो पहर ही दिन चढ़ा है।
Acts 2:16 परन्तु यह वह बात है, जो योएल भविष्यद्वक्ता के द्वारा कही गई है।
Acts 2:17 कि परमेश्वर कहता है, कि अन्‍त के दिनों में ऐसा होगा, कि मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उंडेलूंगा और तुम्हारे बेटे और तुम्हारी बेटियां भविष्यद्वाणी करेंगी और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे, और तुम्हारे पुरिनए स्वप्न देखेंगे।
Acts 2:18 वरन मैं अपने दासों और अपनी दासियों पर भी उन दिनों में अपने आत्मा में से उंडेलूंगा, और वे भविष्यद्वाणी करेंगे।
Acts 2:19 और मैं ऊपर आकाश में अद्भुत काम, और नीचे धरती पर चिन्ह, अर्थात लोहू, और आग और धूएं का बादल दिखाऊंगा।
Acts 2:20 प्रभु के महान और प्रसिद्ध दिन के आने से पहिले सूर्य अन्‍धेरा और चान्‍द लोहू हो जाएगा।
Acts 2:21 और जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वही उद्धार पाएगा।
Acts 2:37 तब सुनने वालों के हृदय छिद गए, और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, कि हे भाइयो, हम क्या करें?
Acts 2:38 पतरस ने उन से कहा, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।
Acts 2:39 क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी सन्‍तानों, और उन सब दूर दूर के लोगों के लिये भी है जिन को प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।
Acts 2:40 उसने बहुत और बातों में भी गवाही दे देकर समझाया कि अपने आप को इस टेढ़ी जाति से बचाओ।
Acts 2:41 सो जिन्हों ने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उन में मिल गए।
Acts 2:42 और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 7-9 
  • यूहन्ना 6:22-44

शनिवार, 18 मई 2013

परिवर्तित


   थॉमस डिबैजियो नामक एक व्यक्ति को जब ज्ञात हुआ कि वह एलज़ाईमर्स रोग से संक्रमित हो चुका है, और यह रोग अभी अपने शुरुआती दौर में ही है तो उसने अपने स्मरण शक्ति के धीरे-धीरे खोते जाने को पुस्तकबद्ध करना आरंभ किया; उसका यह विवरण "Loosing My Mind" (अपना दिमाग खोते जाना) नामक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुआ। यह पुस्तक थॉमस की उस कष्टपूर्ण यात्रा का अभिलेख है जिसमें वह धीरे धीरे अपने भलि-भांति जाने-पहनचाने कार्यों, स्थानों, लोगों आदि सबको भूलता चला गया। एलज़ाईमर्स रोग एक लाइलाज रोग है जिसका रोगी धीरे धीरे अपनी स्मरण शक्ति खोता चला जाता है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति के मस्तिष्क में स्नायु कोषिकाएं धीरे धीरे क्षतिग्रस्त होती चली जाती हैं जिससे रोगी की स्मरण शक्ति क्षीण होती जाती है, वह उलझा या चक्राया हुआ रहने लगता है और उसके लिए समय-स्थान-व्यक्ति का बोध रखना असंभव हो जाता है। एक समय में पूर्ण रूप से चैतन्य और कार्यकारी व्यक्ति को धीरे धीरे अपने मित्रों और प्रीय जनों को भूलते हुए देखना, जाने-पहचाने स्थानों पर भी अनजान होकर घूमते हुए देखना, उसका कपड़े तक ठीक से ना पहन पाने से भी अनजान होते जाना आदि देखना बहुत कष्टदायक होता है; इस पीड़ा को और भी अधिक बढ़ा देती है यह मजबूरी कि अपने प्रीय जन की इस बद से बदतर होती स्थिति को हम बेबस होकर बस उसे देखते ही रह सकते हैं किंतु उसके लिए कुछ कर नहीं सकते। यह मृत्यु से पूर्व ही प्रीय जन को खो देने के समान है।

   स्मरण शक्ति की हानि अन्य कारणों से भी हो सकती है, जैसे किसी चोट अथवा गहरे सदमे के द्वारा। और हम में से जो वृद्धावस्था में जाते हैं उनके शरीरों और शरीर की क्षमताओं का क्षीण होना अवश्यंभावी है। लेकिन चाहे स्मरण शक्ति की हानि हो या शरीर के अन्य किसी अंग या क्षमता की, प्रत्येक मसीही विश्वासी के पास यह आशा है कि एक दिन वे बिलकुल सिद्ध, स्वस्थ और निरोग अवस्था में होंगे - जब पुनरुत्थान के समय वे अपनी महिमाय देह को पाएंगे (1 कुरिन्थियों 5:1-5)। इसके साथ ही स्वर्ग में वे अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु को भी देखेंगे जिसने उन्हें उद्धार देने के लिए अपने शरीर को यातना सहने के लिए दे दिया, उनके सन्ति अपमानजनक मृत्यु की पीड़ा सह ली और अनन्त काल के लिए अपने महिमाय शरीर में भी क्रूस की उस यातना के चिन्ह लिए हुए है (यूहन्ना 20:25; 1 कुरिन्थियों 13:12)।

   इस पृथ्वी पर हम शरीर और मन के रोगों से त्रस्त हो सकते हैं, हमारी देह क्षीण और अयोग्य हो सकती है; लेकिन उस स्वर्गीय देह में हम अपने प्रभु के समान ही होंगे, यह प्रभु यीशु का अपने प्रत्येक विश्वासी से वायदा है: "हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वह है" (1 यूहन्ना 3:2)।


पलक झपकते ही ... हम बदल जाएंगे! - प्रेरित पौलुस

क्योंकि अवश्य है, कि यह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले। और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया। - 1 कुरिन्थियों 15:53-54 

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 4:16 - 5:8
2 Corinthians 4:16 इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।
2 Corinthians 4:17 क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्‍लेश हमारे लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है।
2 Corinthians 4:18 और हम तो देखी हुई वस्‍तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्‍तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं।
2 Corinthians 5:1 क्योंकि हम जानते हैं, कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा, जो हाथों से बना हुआ घर नहीं परन्तु चिरस्थाई है।
2 Corinthians 5:2 इस में तो हम कराहते, और बड़ी लालसा रखते हैं; कि अपने स्‍वर्गीय घर को पहिन लें।
2 Corinthians 5:3 कि इस के पहिनने से हम नंगे न पाए जाएं।
2 Corinthians 5:4 और हम इस डेरे में रहते हुए बोझ से दबे कराहते रहते हैं; क्योंकि हम उतारना नहीं, वरन और पहिनना चाहते हैं, ताकि वह जो मरनहार है जीवन में डूब जाए।
2 Corinthians 5:5 और जिसने हमें इसी बात के लिये तैयार किया है वह परमेश्वर है, जिसने हमें बयाने में आत्मा भी दिया है।
2 Corinthians 5:6 सो हम सदा ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं और यह जानते हैं; कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं।
2 Corinthians 5:7 क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं।
2 Corinthians 5:8 इसलिये हम ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं, और देह से अलग हो कर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं।

एक साल में बाइबल: 

  • 1 इतिहास 4-6 
  • यूहन्ना 6:1-21




शुक्रवार, 17 मई 2013

प्रतिशोध का विकल्प


   एक इतवार को चर्च में सन्देश देते समय, एक पास्टर पर हमला हुआ और उसे मारा-पीटा गया। पास्टर ने प्रत्युत्तर में उस व्यक्ति को कुछ नहीं कहा, बस अपना सन्देश पूरा किया और फिर उस व्यक्ति के लिए प्रार्थना भी करी। बाद में वह हमलावर पकड़ा गया और उसे हिरासत में रखा गया। जब पास्टर को मालूम पड़ा तो वह पुलिस थाने में उससे मिलने भी गया और उसके लिए प्रार्थना कर के भी आया। संसार में दिखने वाले सामान्य व्यवहार की तुलना में, अपने प्रति अनादार तथा अत्याचार का अनूठा प्रत्युत्तर देने का यह एक अनुपम और आदर्श उदाहरण था।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर के लोगों को अपना बदला आप ना लेने की शिक्षा दी गई है। आत्म-रक्षा वर्जित नहीं है, किन्तु प्रतिशोध वर्जित है; पुराने नियम में भी और नए नियम में भी। बाइबल में लैव्यवस्था की पुस्तक इस्त्राएल, अर्थात परमेश्वर के लोगों को, परमेश्वर द्वारा दिए गए नियमों की पुस्तक है। इस पुस्तक में एक स्थान पर लिखा है: "अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर न रखना; अपने पड़ोसी को अवश्य डांटना; नहीं तो उसके पाप का भार तुझ को उठाना पड़ेगा। पलटा न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूं" (लैव्यवस्था 19:17-18)। एक अन्य स्थान पर परमेश्वर ने इस्त्राएल को निर्देश दिया कि "पलटा लेना और बदला देना मेरा ही काम है..." (व्यवस्थाविवरण 32:35)। नए नियम में भी प्रभु यीशु मसीह और उनके अनुयायियों की शिक्षाएं पलटा ना लेने और अपना न्याय परमेश्वर के हाथ में छोड़ देने के लिए ही थीं (मत्ती 5:38-45; रोमियों 12:17; 1 पतरस 3:9)।

   यद्यपि पुराने नियम में हम "जैसे को तैसा" के सिद्धांत के नियम भी पाते हैं (निर्गमन 21:23-25; व्यवस्थाविवरण 19:21), लेकिन ये नियम केवल इसलिए थे जिससे प्रत्येक आताताई उचित दण्ड का भागी हो और सब को सही न्याय मिले। ये नियम व्यक्तिगत रीति से बदला लेने के लिए नहीं थे; इन नियमों का उपयोग समाज के निर्धारित न्याय अधिकारीयों को ही करना था। उचित न्याय मिलना सब का अधिकार था, लेकिन न्याय करना या तो परमेश्वर या फिर परमेश्वर के निर्देषों के अनुसार नियुक्त किए गए न्यायियों का ही कार्य था। व्यक्तिगत प्रतिशोध की कोई अनुमति नहीं थी।

   आज हम मसीही विश्वासियों को भी अपने परमेश्वर पिता द्वारा दिए गए प्रेमपूर्ण व्यवहार के निर्देषों को अपने जीवन से जी कर दिखाना है। बजाए अत्याचार या अपमान के बदले में वही कड़ुवाहट वापस लौटाने के, अपने अन्दर बसने वाले परमेश्वर के पवित्र आत्मा की सामर्थ से तथा मसीह यीशु के नाम को आदर देने वाले भले विकलपों को अपने प्रत्युत्तर और व्यवहार में प्रदर्शित करना है। जहाँ तक बन पड़े, सब के साथ शान्ति से रहें (रोमियों 12:18) और आपसी विवादों को सुलझाने के लिए एक आत्मिक मध्यस्थ की सहायता लें तथा उसके आधीन रहें (1 कुरिन्थियों 6:1-6), और अपने न्याय को निर्धारित न्याय अधिकारीयों तथा सबसे बढ़कर उस सच्चे और निष्पक्ष न्यायी, अपने परमेश्वर पिता के हाथों में छोड़ दें। - मारविन विलियम्स


अन्तिम न्याय सच्चे और निष्पक्ष न्यायी परमेश्वर के हाथों में ही है।

हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा। - रोमियों 12:19

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 19:16-21; मत्ती 5:38-45
Deuteronomy 19:16 यदि कोई झूठी साक्षी देने वाला किसी के विरुद्ध यहोवा से फिर जाने की साक्षी देने को खड़ा हो,
Deuteronomy 19:17 तो वे दोनों मनुष्य, जिनके बीच ऐसा मुकद्दमा उठा हो, यहोवा के सम्मुख, अर्थात उन दिनों के याजकों और न्यायियों के साम्हने खड़े किए जाएं;
Deuteronomy 19:18 तब न्यायी भली भांति पूछपाछ करें, और यदि यह निर्णय पाए कि वह झूठा साक्षी है, और अपने भाई के विरुद्ध झूठी साक्षी दी है
Deuteronomy 19:19 तो अपने भाई की जैसी भी हानि करवाने की युक्ति उसने की हो वैसी ही तुम भी उसकी करना; इसी रीति से अपने बीच में से ऐसी बुराई को दूर करना।
Deuteronomy 19:20 और दूसरे लोग सुनकर डरेंगे, और आगे को तेरे बीच फिर ऐसा बुरा काम नहीं करेंगे।
Deuteronomy 19:21 और तू बिलकुल तरस न खाना; प्राण की सन्ती प्राण का, आंख की सन्ती आंख का, दांत की सन्ती दांत का, हाथ की सन्ती हाथ का, पांव की सन्ती पांव का दण्ड देना।
Matthew 5:38 तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था, कि आंख के बदले आंख, और दांत के बदले दांत।
Matthew 5:39 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि बुरे का सामना न करना; परन्तु जो कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, उस की ओर दूसरा भी फेर दे।
Matthew 5:40 और यदि कोई तुझ पर नालिश कर के तेरा कुरता लेना चाहे, तो उसे दोहर भी ले लेने दे।
Matthew 5:41 और जो कोई तुझे कोस भर बेगार में ले जाए तो उसके साथ दो कोस चला जा।
Matthew 5:42 जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे; और जो तुझ से उधार लेना चाहे, उस से मुंह न मोड़।
Matthew 5:43 तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर।
Matthew 5:44 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो।
Matthew 5:45 जिस से तुम अपने स्‍वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है।

एक साल में बाइबल: 

  • 1 इतिहास 1-3 
  • यूहन्ना 5:25-47



गुरुवार, 16 मई 2013

सही दृष्टिकोण


   क्या आपको कभी लगा कि जीवन न्यायी नहीं है? जो संसार के स्वामी तथा उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह में विश्वास नहीं करते और उसकी कोई परवाह भी नहीं करते, उनकी समृद्धि और सामर्थ देख कर हम मसीही विश्वासियों को कई बार कुण्ठित एवं निराश होना बहुत स्वभाविक लगता है। एक अविश्वासी व्यवसायी बेईमानी करता है लेकिन फिर भी बड़े ठेके और दौलत उसे मिलते हैं; एक ऐसा जन जो भोग-विलास का जीवन बिताता है, स्वस्थ बना रहता है - जबकि हमें या हमारे रिश्तेदारों को आर्थिक तथा स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से जूझते रहना पड़ता है, मानो हम ही दोषी और अयोग्य रहे हों और वे सब भले!

   यदि आप ने ऐसा अनुभव किया है या फिर कर रहे हैं तो आप अच्छी संगति में हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 73 का लेखक भी ऐसी ही भावना से होकर निकल रहा था; उसने दुराचारियों को फलते-फूलते देखा, और सोचने लगा कि "निश्चय, मैं ने अपने हृदय को व्यर्थ शुद्ध किया और अपने हाथों को निर्दोषता में धोया है;" (भजन 73:13)। लेकिन यह तब तक ही रहा, "जब तक कि मैं ने ईश्वर के पवित्र स्थान में जा कर उन लोगों के परिणाम को न सोचा" (भजन 73:17); जब उसने परमेश्वर की उपस्थिति में और परमेश्वर के दृष्टिकोण से उन दुराचारियों को देखा तो उसके विचार एकदम बदल गए और शेष भजन में उन लोगों के अन्त और परमेश्वर के लोगों की उत्तम स्थिति को पहचान कर वह परमेश्वर का धन्यवादी हो गया।

   जब हम परमेश्वर के साथ समय बिताते हैं और उसके दृष्टिकोण से परिस्थितियों और बातों का आंकलन करते हैं, तब हमारा जीवन और जीवन की परिस्थितियों के प्रति रवैया बिलकुल बदल जाता है। हम आज मसीही अविश्वासियों की समृद्धि को देख कर उनसे ईर्ष्या कर सकते हैं लेकिन अन्तिम न्याय के समय ऐसा नहीं रहेगा। यदि एक छोटी लड़ाई जीत कर भी पूरा युद्ध हार जाएं, तो उस छोटी जीत का क्या लाभ? संसार में कुछ समय की सुख-समृद्धि पाकर अनन्त जीवन कष्ट में बिताने के लिए खाली हाथ प्रवेश करें तो फिर क्या पाया और क्या कमाया? और फिर हमारा यह दुख उठाना व्यर्थ तो नहीं, परमेश्वर हमारी हर एक बात का हिसाब रख रहा है और स्वर्ग में हमारे लिए एक बड़ा प्रतिफल तैयार हो रहा है जिसका आनन्द हम अनन्त काल तक लेते रहेंगे।

   भजन 73 के लेखक के समान ही हम भी अपने दृष्टिकोण को सही करें और परमेश्वर कि प्रशंसा और धन्यावाद करें कि वह ना केवल आते जीवन में हमारे साथ होगा, वरन इस जीवन में भी है और हर परिस्थिति, हर परेशानी में हमारे साथ बना रहता है। जीवन के अनुचित और अन्यायी प्रतीत होने वाले व्यवहार में भी यदि परमेश्वर हमारे साथ बना है और हमारा सहारा है तो फिर और किसी बात की आवश्यकता नहीं है। - जो स्टोवैल


परमेश्वर के साथ समय बिताने से सब बातों के प्रति दृष्टिकोण सही हो जाता है।

क्योंकि जब मैं दुष्टों का कुशल देखता था, तब उन घमण्डियों के विषय डाह करता था। - भजन 73:3 

बाइबल पाठ: भजन 73
Psalms 73:1 सचमुच इस्त्राएल के लिये अर्थात शुद्ध मन वालों के लिये परमेश्वर भला है।
Psalms 73:2 मेरे डग तो उखड़ना चाहते थे, मेरे डग फिसलने ही पर थे।
Psalms 73:3 क्योंकि जब मैं दुष्टों का कुशल देखता था, तब उन घमण्डियों के विषय डाह करता था।
Psalms 73:4 क्योंकि उनकी मृत्यु में वेदनाएं नहीं होतीं, परन्तु उनका बल अटूट रहता है।
Psalms 73:5 उन को दूसरे मनुष्यों की नाईं कष्ट नहीं होता; और और मनुष्यों के समान उन पर विपत्ति नहीं पड़ती।
Psalms 73:6 इस कारण अहंकार उनके गले का हार बना है; उनका ओढ़ना उपद्रव है।
Psalms 73:7 उनकी आंखें चर्बी से झलकती हैं, उनके मन की भवनाएं उमण्डती हैं।
Psalms 73:8 वे ठट्ठा मारते हैं, और दुष्टता से अन्धेर की बात बोलते हैं;
Psalms 73:9 वे डींग मारते हैं। वे मानों स्वर्ग में बैठे हुए बोलते हैं, और वे पृथ्वी में बोलते फिरते हैं।
Psalms 73:10 तौभी उसकी प्रजा इधर लौट आएगी, और उन को भरे हुए प्याले का जल मिलेगा।
Psalms 73:11 फिर वे कहते हैं, ईश्वर कैसे जानता है? क्या परमप्रधान को कुछ ज्ञान है?
Psalms 73:12 देखो, ये तो दुष्ट लोग हैं; तौभी सदा सुभागी रहकर, धन संपत्ति बटोरते रहते हैं।
Psalms 73:13 निश्चय, मैं ने अपने हृदय को व्यर्थ शुद्ध किया और अपने हाथों को निर्दोषता में धोया है;
Psalms 73:14 क्योंकि मैं दिन भर मार खाता आया हूं और प्रति भोर को मेरी ताड़ना होती आई है।
Psalms 73:15 यदि मैं ने कहा होता कि मैं ऐसा ही कहूंगा, तो देख मैं तेरे लड़कों की सन्तान के साथ क्रूरता का व्यवहार करता,
Psalms 73:16 जब मैं सोचने लगा कि इसे मैं कैसे समझूं, तो यह मेरी दृष्टि में अति कठिन समस्या थी,
Psalms 73:17 जब तक कि मैं ने ईश्वर के पवित्र स्थान में जा कर उन लोगों के परिणाम को न सोचा।
Psalms 73:18 निश्चय तू उन्हें फिसलने वाले स्थानों में रखता है; और गिराकर सत्यानाश कर देता है।
Psalms 73:19 अहा, वे क्षण भर में कैसे उजड़ गए हैं! वे मिट गए, वे घबराते घबराते नाश हो गए हैं।
Psalms 73:20 जैसे जागने हारा स्वप्न को तुच्छ जानता है, वैसे ही हे प्रभु जब तू उठेगा, तब उन को छाया सा समझ कर तुच्छ जानेगा।
Psalms 73:21 मेरा मन तो चिड़चिड़ा हो गया, मेरा अन्त:करण छिद गया था,
Psalms 73:22 मैं तो पशु सरीखा था, और समझता न था, मैं तेरे संग रह कर भी, पशु बन गया था।
Psalms 73:23 तौभी मैं निरन्तर तेरे संग ही था; तू ने मेरे दाहिने हाथ को पकड़ रखा।
Psalms 73:24 तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा कर के मुझ को अपने पास रखेगा।
Psalms 73:25 स्वर्ग में मेरा और कौन है? तेरे संग रहते हुए मैं पृथ्वी पर और कुछ नहीं चाहता।
Psalms 73:26 मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है।
Psalms 73:27 जो तुझ से दूर रहते हैं वे तो नाश होंगे; जो कोई तेरे विरुद्ध व्यभिचार करता है, उसको तू विनाश करता है।
Psalms 73:28 परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 24-25 
  • यूहन्ना 5:1-24


बुधवार, 15 मई 2013

सुनिश्चित कीजिए


एक पुस्तक जिसका शीर्षक है "UnChristian" (गैरमसीही) उन कारणों को बताती है जिनके कारण बहुत से ऐसे लोग जो प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास नहीं रखते, मसीह यीशु पर विश्वास रखने वालों से चिढ़ते हैं। दिए गए कारणों में प्रमुख है मसीही अविश्वासियों के प्रति मसीही विश्वासियों का व्यवहार। इस पुस्तक के लिए किए गए शोध में पाया गया कि मसीह यीशु पर विश्वास ना रखने वालों की दृष्टि में मसीही विश्वासी पाखण्डी, आलोचनात्मक एवं ऊँगुली उठाने वाले, कठोर, और अपने समान विश्वास ना रखने वालों के प्रति प्रेम या सहिषुण्ता ना दिखाने वाले होते हैं।

   मुझे पूरा विश्वास है कि मसीही विश्वासियों के प्रति यह दृष्टिकोण जैसे मुझे कतई पसन्द नहीं आया था, एक मसीही विश्वासी होने के नाते आपको भी यह पसन्द नहीं आएगा। लेकिन प्रश्न मेरी और आपकी पसन्द-नापसन्द का नहीं है; बहुत बार नापसन्द आने वाली बातें भी सत्य होती हैं, और हम मसीही विश्वासियों को सत्य का सच्चाई से सामना करना अवश्य है। प्रभु यीशु के शिष्य प्रेरित यूहन्ना ने अपनी लिखी पहली पत्री में कुछ सशक्त शब्दों का प्रयोग किया है। एक स्थान पर वह लिखता है: "देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना" (1 यूहन्ना 3:1)। परमेश्वर के साथ एक मसीही विश्वासी के संबंध के आधार को लिखने के बाद यूहन्ना आगे तीक्ष्ण तुलनात्मक अन्तर प्रस्तुत करता है: एक मसीही विश्वासी धार्मिकता से प्रेम करता है, पाप से बचकर रहता है, और अन्य लोगों के प्रति प्रेम में बने रहता है; इसकी तुलना में मसीह में अविश्वासी रहने वालों के जीवन में पाप करने और पाप में बने रहने की प्रवृति, एक दुसरे के प्रति भेद-भाव, तिरिस्कार और नफरत की भावनाएं रहती हैं, और वे अनन्त मृत्यु के भागी हैं।

   यूहन्ना ने बहुत चुभने वाले प्रबल शब्द प्रयोग करे हैं जिससे कि पढ़ने वाले पहचान सकें कि हम या तो प्रभु यीशु में होकर परमेश्वर की सन्तान हैं अन्यथा प्रभु यीशु से दूर रहकर, जानते बूझते हुए या अनजाने में, शैतान की आधीनता में रहने वाले लोग - बीच का या तीसरा कोई स्थान है ही नहीं। साथ ही यूहन्ना यह भी चिताता है कि केवल एक ही मानक है जो प्रमाणित करता है कि हम वास्तव में परमेश्वर की सन्तान हैं - प्रत्यक्ष व्यवहार और जीवन में सर्वविदित प्रेम (यूहन्ना 3:10, 18-19; 4:7-8)। यह नहीं हो सकता कि हम पाप का जीवन भी व्यतीत करें और परमेश्वर की सन्तान होने का दावा भी करें - हमारा प्रचार नहीं वरन हमारा चरित्र और व्यवहार, हमारा आचरण हमारी वास्तविकता को प्रगट करता है।

   आप यदि मसीही विश्वासी हैं तो यह सुनिश्चित करना भी आपका कर्तव्य है कि आपका जीवन और कार्य आपके शब्दों और आपके विश्वास का सजीव उदाहरण हों। अपने जीवन की गवाही से मसीह यीशु के लिए लोगों को ठोकर देने वाले नहीं वरन लोगों को आकर्षित करने वाले बनें। - डेव एग्नर



मसीह यीशु के अनुयायी होने की दो आवश्यकताएं हैं - पहला मसीह यीशु में विश्वास, दूसरा उस विश्वास के अनुरूप आचरण।

इसी से परमेश्वर की सन्तान, और शैतान की सन्तान जाने जाते हैं; जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता। - 1 यूहन्ना 3:10 

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 3:1-10,14-18
1 John 3:1 देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना।
1 John 3:2 हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वह है।
1 John 3:3 और जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है, जैसा वह पवित्र है।
1 John 3:4 जो कोई पाप करता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है; ओर पाप तो व्यवस्था का विरोध है।
1 John 3:5 और तुम जानते हो, कि वह इसलिये प्रगट हुआ, कि पापों को हर ले जाए; और उसके स्‍वभाव में पाप नहीं।
1 John 3:6 जो कोई उस में बना रहता है, वह पाप नहीं करता: जो कोई पाप करता है, उसने न तो उसे देखा है, और न उसको जाना है।
1 John 3:7 हे बालकों, किसी के भरमाने में न आना; जो धर्म के काम करता है, वही उस की नाईं धर्मी है।
1 John 3:8 जो कोई पाप करता है, वह शैतान की ओर से है, क्योंकि शैतान आरम्भ ही से पाप करता आया है: परमेश्वर का पुत्र इसलिये प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे।
1 John 3:9 जो कोई परमेश्वर से जन्मा है वह पाप नहीं करता; क्योंकि उसका बीज उस में बना रहता है: और वह पाप कर ही नहीं सकता, क्योंकि परमेश्वर से जन्मा है।
1 John 3:10 इसी से परमेश्वर की सन्तान, और शैतान की सन्तान जाने जाते हैं; जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता।
1 John 3:14 हम जानते हैं, कि हम मृत्यु से पार हो कर जीवन में पहुंचे हैं; क्योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं: जो प्रेम नहीं रखता, वह मृत्यु की दशा में रहता है।
1 John 3:15 जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह हत्यारा है; और तुम जानते हो, कि किसी हत्यारे में अनन्त जीवन नहीं रहता।
1 John 3:16 हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उसने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए।
1 John 3:17 पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देख कर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्योंकर बना रह सकता है?
1 John 3:18 हे बालकों, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 22-23 
  • यूहन्ना 4:31-54