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सोमवार, 21 अक्टूबर 2013

एक एक जन

   क्वेकर जॉन वूलमैन अमेरिका में एक मसीही प्रचारक थे जो स्थान स्थान पर जाकर मसीह यीशु का प्रचार करते थे। वे एक ऐसे व्यक्ति भी थे जिन्होंने उस समय के उपनिवेशी अमेरिका में रंग-भेद और दासत्व के अन्त के लिए अभियान चला रखा था। वे दासों के मालिकों से मिलते और उन्हें दास प्रथा के अन्तर्गत किसी मनुष्य को संपत्ति के समान रखने, बेचने और खरीदने में निहित अन्याय तथा अमानवीयता के बारे में समझाते। यद्यपि वुलमैन दास प्रथा को पूरी रीति से समाप्त तो नहीं कर सके लेकिन वे कई स्वामियों को मना सके कि वे दासों को मुक्त कर दें। उनकी यह सफलता व्यक्तिगत रीति से एक-एक जन से अनुनय करने के कारण थी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस द्वारा फिलेमौन को लिखी पत्री में भी हम व्यक्तिगत रीति से करे गए निवेदन का प्रभाव देखते हैं। फिलेमौन नामक व्यक्ति के पास ओनिसिमस नामक एक दास था, जो अपने स्वामी के पास से भाग निकला था। ओनिसिमस पौलुस के संपर्क में आया और पौलुस की सेवकाई द्वारा मसीही विश्वास में आ गया। अब पौलुस उसे वापस उसके स्वामी फिलेमौन के पास भेज रहा था, जिससे फिलेमौन और ओनेसिमुस के मतभेद दूर हो जाएं और वे प्रभु यीशु में मिलने वाली स्वतंत्रता और आनन्द के सहभागी हो जाएं। पौलुस ने फिलेमौन को लिखा: "क्योंकि क्या जाने वह तुझ से कुछ दिन तक के लिये इसी कारण अलग हुआ कि सदैव तेरे निकट रहे। परन्तु अब से दास की नाईं नहीं, वरन दास से भी उत्तम, अर्थात भाई के समान रहे जो शरीर में भी और विशेष कर प्रभु में भी मेरा प्रिय हो" (फिलेमौन 1:15-16)। हम यह तो नहीं जानते कि ओनेसिमुस दासत्व से मुक्त हो सका कि नहीं, परन्तु मसीह यीशु में लाए गए विश्वास के द्वारा अब उसका स्तर बदल गया था, उसके स्वामी के साथ उसका संबंध बदल गया था। अब मसीह यीशु में होकर वह अपने स्वामी का सहविश्वासी भाई था, उसी के समान मसीह यीशु का विश्वासी और मसीह यीशु की विश्वासी मण्डली का समान-स्तरीय सदस्य था। पौलुस भी व्यक्तिगत प्रयासों द्वारा ही संसार पर प्रभाव डाल रहा था।

   प्रभु यीशु मसीह में सेंत-मेंत मिलने वाली पापों की क्षमा तथा उद्धार, और सबको बिना किसी भेद-भाव के समान रूप से परमेश्वर की सन्तान होने का दर्जा मिलना जीवन को बदल देता है। पाप क्षमा तथा उद्धार का यह सुसमाचार जीवनों, संबंधों और परिस्थितियों को प्रभावित करने और बदलने की सामर्थ रखता है। शैतान इस बात को भली-भांति जानता है इसीलिए इस सुसमाचार और मसीही विश्वास के प्रचार में इतने रोड़े अटकाता है, और प्रचारकों पर अत्याचार लाता है। बूँद-बूँद से भी घड़ा भरता है; जॉन वुलमैन और पौलुस के समान ही मसीही विश्वास के सुसमाचार द्वारा संसार पर व्यक्तिगत सम्पर्क तथा अनुनय के द्वारा प्रभाव डालने वाले बनें। हर जन महत्वपूर्ण है; एक एक जन करके ही सही, संसार प्रभु यीशु और उद्धार को तो जानेगा। - डेनिस फिशर


किसी दूसरे के लिए आपके द्वारा हो सकने वाला सबसे भला कार्य है उसे सत्य से परिचित कराना।

परन्तु अब से दास की नाईं नहीं, वरन दास से भी उत्तम, अर्थात भाई के समान रहे जो शरीर में भी और विशेष कर प्रभु में भी मेरा प्रिय हो। - फिलेमौन1:16

बाइबल पाठ: फिलेमौन 1:12-21
Philemon 1:12 उसी को अर्थात जो मेरे हृदय का टुकड़ा है, मैं ने उसे तेरे पास लौटा दिया है। 
Philemon 1:13 उसे मैं अपने ही पास रखना चाहता था कि तेरी ओर से इस कैद में जो सुसमाचार के कारण है, मेरी सेवा करे। 
Philemon 1:14 पर मैं ने तेरी इच्छा बिना कुछ भी करना न चाहा कि तेरी यह कृपा दबाव से नहीं पर आनन्द से हो। 
Philemon 1:15 क्योंकि क्या जाने वह तुझ से कुछ दिन तक के लिये इसी कारण अलग हुआ कि सदैव तेरे निकट रहे। 
Philemon 1:16 परन्तु अब से दास की नाईं नहीं, वरन दास से भी उत्तम, अर्थात भाई के समान रहे जो शरीर में भी और विशेष कर प्रभु में भी मेरा प्रिय हो। 
Philemon 1:17 सो यदि तू मुझे सहभागी समझता है, तो उसे इस प्रकार ग्रहण कर जैसे मुझे। 
Philemon 1:18 और यदि उसने तेरी कुछ हानि की है, या उस पर तेरा कुछ आता है, तो मेरे नाम पर लिख ले। 
Philemon 1:19 मैं पौलुस अपने हाथ से लिखता हूं, कि मैं आप भर दूंगा; और इस के कहने की कुछ आवश्यकता नहीं, कि मेरा कर्ज जो तुझ पर है वह तू ही है। 
Philemon 1:20 हे भाई यह आनन्द मुझे प्रभु में तेरी ओर से मिले: मसीह में मेरे जी को हरा भरा कर दे। 
Philemon 1:21 मैं तेरे आज्ञाकारी होने का भरोसा रखकर, तुझे लिखता हूं और यह जानता हूं, कि जो कुछ मैं कहता हूं, तू उस से कहीं बढ़कर करेगा। 

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 62-64 
  • 1 तीमुथियुस 1


रविवार, 20 अक्टूबर 2013

संभालने वाला

   कठिन समयों में हमारा दृष्टिकोण बदल सकता है, इस बात को मुझे हाल में हुई एक वार्तालाप ने स्मरण दिलाया। मैं और मेरी पत्नि, एक हमारे ही समान दुखियारी माँ से बातचीत कर रहे थे; जैसा हमारे साथ हुआ था, वैसे ही उस महिला की बेटी की भी किशोरावस्था में अनायास ही, बिना किसी चेतावनी के मृत्यु हो गई थी। उस महिला ने हमें बताया कि उन्हें अपने बेटी की कमी बहुत खलती है, और उन्होंने परमेश्वर से कहा कि इस दुख के कारण उनको लगता है कि उनका परमेश्वर में विश्वास छूट ही चला है और वे उसे बस मानो ऊँगली के नाखूनों के सहारे ही थामे हुई हैं। तब उन्हें महसूस हुआ कि परमेश्वर उन्हें कह रहा है कि उसका संभालने वाला हाथ उन के साथ है और उसने उन्हें थामा हुआ है। वे निश्चिन्त होकर अपने आप को उसके संभालने वाले हाथों में छोड़ दें, परमेश्वर उन्हें थामे और उठाए रखेगा - यह दृष्टिकोण रखना कितना अधिक उत्तम और भला है।

   यह हमें स्मरण दिलाता है कि जब परेशानियाँ आएं और हमें लगे कि अब शायद हम परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास को और थामे नहीं रह सकते, तब भी हमारा विश्वास में बने रहना हमारी सामर्थ पर नहीं वरन परमेश्वर के सम्भालने वाले हाथ पर निर्भर है और उसका सहारा तथा उसकी सहायता उसके बच्चों के प्रति सदा बनी रहती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने कहा, "मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है; चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है" (भजन 37:23-24); तथा, "मेरा मन तेरे पीछे पीछे लगा चलता है; और मुझे तो तू अपने दाहिने हाथ से थाम रखता है" (भजन 63:8)।

   जब कठिन समयों में हम अपने विश्वास को अपने ही प्रयासों से थामे रहने तथा किसी ना किसी प्रकार परमेश्वर से लिपटे रहने के प्रयासों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि परमेश्वर द्वारा हमें सदा थामे रहने की प्रतिज्ञा को भूल बैठते हैं, तब हमें स्मरण रखना चाहिए कि हमारा विश्वास में स्थिर बने रहना हमारे ऊँगुली के नाखूनों की ताकत पर नहीं वरन परमेश्वर के संभालने वाले हाथ और हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम पर निर्भर है, और उसका वायदा है कि "...मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" (इब्रानियों 13:5)। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के हाथ द्वारा संभाले हुए से अधिक सुरक्षित और कोई नहीं है।

यहोवा सब गिरते हुओं को संभालता है, और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है। - भजन145:14

बाइबल पाठ: भजन 37:23-34
Psalms 37:23 मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है; 
Psalms 37:24 चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है।
Psalms 37:25 मैं लड़कपन से ले कर बुढ़ापे तक देखता आया हूं; परन्तु न तो कभी धर्मी को त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े मांगते देखा है। 
Psalms 37:26 वह तो दिन भर अनुग्रह कर कर के ऋण देता है, और उसके वंश पर आशीष फलती रहती है।
Psalms 37:27 बुराई को छोड़ भलाई कर; और तू सर्वदा बना रहेगा। 
Psalms 37:28 क्योंकि यहोवा न्याय से प्रीति रखता; और अपने भक्तों को न तजेगा। उनकी तो रक्षा सदा होती है, परन्तु दुष्टों का वंश काट डाला जाएगा। 
Psalms 37:29 धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।
Psalms 37:30 धर्मी अपने मुंह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है। 
Psalms 37:31 उसके परमेश्वर की व्यवस्था उसके हृदय में बनी रहती है, उसके पैर नहीं फिसलते।
Psalms 37:32 दुष्ट धर्मी की ताक में रहता है। और उसके मार डालने का यत्न करता है। 
Psalms 37:33 यहोवा उसको उसके हाथ में न छोड़ेगा, और जब उसका विचार किया जाए तब वह उसे दोषी न ठहराएगा।
Psalms 37:34 यहोवा की बाट जोहता रह, और उसके मार्ग पर बना रह, और वह तुझे बढ़ाकर पृथ्वी का अधिकारी कर देगा; जब दुष्ट काट डाले जाएंगे, तब तू देखेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 59-61 
  • 2 थिस्सुलुनीकियों 3


शनिवार, 19 अक्टूबर 2013

निवेश

   जेसन बॉन कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र था जब उसने गॉल्फ के एक खेल में विजयी शॉट मारकर दस लाख अमेरीकी डॉलर जीते। जब कि दूसरे लोग उस धन को उड़ा देते, जेसन ने एक योजनागत तरीके से उसका उपयोग किया। क्योंकि जेसन एक व्यवासायिक गोल्फ खिलाड़ी बनना चाहता था, उसने उस धन का निवेश और अधिक अच्छा गोल्फ खेल सकने का प्रशिक्षण पाने में किया। वह धन उसके भविष्य के लिए निवेश बना, ऐसा निवेश जिसने उसे बड़ा प्रतिफल दिया जब जेसन ने सन 2005 की पी.जी.ए. टूर प्रतियोगिता को जीत लिया। बजाए धन को तत्काल मौज मस्ती में उड़ा देने के, उस धन का भविष्य के लिए निवेश करना जेसन का एक बुद्धिमता पूर्ण निर्णय था।

   एक प्रकार से यही प्रभु यीशु भी हमें करने के लिए कहता है - बुद्धिमता से निवेश। परमेश्वर ने हमें समय, योग्यताएं और अवसर प्रदान किए हैं; इनका उपयोग करना उसने हमारे हाथों में छोड़ दिया है। अब यह हमारे लिए चुनौती है कि हम किस प्रकार से इन संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं - दीर्घ कालीन प्रतिफलों के निवेश के लिए या अल्प कालीन लाभ पाने के लिए। प्रभु यीशु ने मत्ती 6:20 में कहा, "परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं" - प्रभु यीशु आश्वस्त करता है कि ये ही वे सुरक्षित धन और निवेश हैं जो कभी नष्ट नहीं होंगे, जो हमारे लिए सदा लाभकारी रहेंगे।

   परमेश्वर द्वारा आपको सेंत-मेंत दिए गए संसाधनों पर विचार कीजिए: योग्यताएं, समय, अवसर, ज्ञान आदि - ये सब पार्थिव एवं सीमित तो हैं, लेकिन यदि इस पृथ्वी पर आप इनका निवेश अनन्त पर ध्यान केन्द्रित करके करेंगे, तो इन नाशमान बातों के प्रभाव अविनाशी होंगे। आपका लक्ष्य क्या है - केवल वर्तमान या अनन्त कालीन निवेश?

   उस भविष्य में निवेश करें जो संसार के प्रत्येक जन के लिए अवश्यंभावी है, परमेश्वर के न्याय सिंहासन के सामने जिस भविष्य का सामना प्रत्येक को करना ही है। प्रभु यीशु के निर्देषों के अनुसार किया गया आपका निवेश ना केवल आपके अनन्त भविष्य को प्रभावित करेगा वरन प्रतिदिन के जीवन के प्रति आपके दृष्टिकोण को भी बदल देगा। - बिल क्राउडर


संसार के सबसे धनवान व्यक्ति वे ही हैं जिन्होंने स्वर्ग के लिए अपने जीवन निवेश किए हैं।

परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। - मत्ती 6:20

बाइबल पाठ: मत्ती 6:19-24
Matthew 6:19 अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। 
Matthew 6:20 परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। 
Matthew 6:21 क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।
Matthew 6:22 शरीर का दिया आंख है: इसलिये यदि तेरी आंख निर्मल हो, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला होगा। 
Matthew 6:23 परन्तु यदि तेरी आंख बुरी हो, तो तेरा सारा शरीर भी अन्धियारा होगा; इस कारण वह उजियाला जो तुझ में है यदि अन्धकार हो तो वह अन्धकार कैसा बड़ा होगा। 
Matthew 6:24 कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा; “तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते”।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 56-58 
  • 2 थिस्सुलुनीकियों 2


शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2013

सहानुभूति

   मेरा एक मित्र है जो अपने घर से ही कार्य करता है और उसने अपने घर के एक कमरे को अपना कार्यालय बना रखा है। एक शाम वह कुछ आवश्यक कार्य कर रहा था, उसकी 4 वर्षीय बेटी भी वहीं पर खेल रही थी। वह बच्ची कभी मेज़ की दराज़ खींचती और अन्दर के सामान को निकाल कर बाहर फैला देती, कभी भिन्न चिज़ों को इधर-उधर बिखेरती, उसके चारों ओर चक्कर लगाती और शोर मचाती रही। मेरा मित्र यह सब सहता रहा और चुपचाप अपना कार्य करता रहा।

   अचानक ही मेज़ की एक दराज़ बन्द करते हुए उस बच्ची की ऊँगली दब गई और वह चिल्लाकर रो पड़ी। मेरे मित्र ने खिसिए हुए स्वर में कहा, "बस! अब बहुत हो गया!" और उस बच्ची को उठाकर कमरे से बाहर ले गया और दरवाज़ा बन्द कर लिया। बाद में बच्ची की माँ ने बच्ची को अपने कमरे में रोते हुए पाया। माँ ने उससे पूछा, "क्या तुम्हारी ऊँगली अभी भी दुख रही है?" बच्ची ने रोते हुए उत्तर दिया, "नहीं"; माँ ने फिर पूछा, "तो फिर तुम रो क्यों रही हो?" बच्ची ने रोते हुए ही उत्तर दिया, "क्योंकि जब मेरी ऊँगली पर चोट आई तो पापा ने ’हाय’ नहीं कहा।"

   अनेक बार हमें बस इतना ही तो चाहिए होता है - कोई हमारी पीड़ा को समझे और हमसे दो शब्द सहानुभूति के कहे। कोई ऐसा जन जो करुणा और दया के साथ हमारी तकलीफों में हमारे साथ प्रतिक्रीया करे; जो हमारे लिए ’हाय’ कहने वाला हो। प्रभु यीशु में हमारे पास एक ऐसा जन है। प्रभु यीशु हमारी हर पीड़ा को समझता है, हम से सहानुभूति रखता है और हमसे इतना प्रेम रखता है कि हमारे पापों से छुड़ाए जाने के लिए उसने उन पापों को अपने ऊपर ले लिया और अपने प्राण बलिदान कर दिए जिससे हम पापों के दण्ड से बच जाएं और उद्धार पाएं।

   अब वह हमसे आशा रखता है कि जैसे वह हमारे प्रति अनुग्रहकारी और सहानुभूतिपूर्ण रहा, हम भी दूसरों के साथ ऐसा ही प्रेमपूर्ण व्यवहार दिखाएं और उनके दुखों में उन्हें शान्ति और सांत्वना देने वाले लोग हों। अपने उद्धारकर्ता के प्रति यह हम मसीही विश्वासियों का कर्तव्य है। - डेविड रोपर


हमारी परीक्षाओं के शोर को परमेश्वर की दिलासा की धीमी से आवाज़ भी शान्त कर देती है।

यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाला और अति करूणामय है। - भजन145:8

बाइबल पाठ: इफिसियों 5:1-10
Ephesians 5:1 इसलिये प्रिय, बालकों की नाईं परमेश्वर के सदृश बनो। 
Ephesians 5:2 और प्रेम में चलो; जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया; और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्‍ध के लिये परमेश्वर के आगे भेंट कर के बलिदान कर दिया। 
Ephesians 5:3 और जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार, और किसी प्रकार अशुद्ध काम, या लोभ की चर्चा तक न हो। 
Ephesians 5:4 और न निर्लज्ज़ता, न मूढ़ता की बातचीत की, न ठट्ठे की, क्योंकि ये बातें सोहती नहीं, वरन धन्यवाद ही सुना जाएं। 
Ephesians 5:5 क्योंकि तुम यह जानते हो, कि किसी व्यभिचारी, या अशुद्ध जन, या लोभी मनुष्य की, जो मूरत पूजने वाले के बराबर है, मसीह और परमेश्वर के राज्य में मीरास नहीं। 
Ephesians 5:6 कोई तुम्हें व्यर्थ बातों से धोखा न दे; क्योंकि इन ही कामों के कारण परमेश्वर का क्रोध आज्ञा ने मानने वालों पर भड़कता है। 
Ephesians 5:7 इसलिये तुम उन के सहभागी न हो। 
Ephesians 5:8 क्योंकि तुम तो पहले अन्धकार थे परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो, सो ज्योति की सन्तान की नाईं चलो। 
Ephesians 5:9 (क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धामिर्कता, और सत्य है)। 
Ephesians 5:10 और यह परखो, कि प्रभु को क्या भाता है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 53-55 
  • 2 थिस्सुलुनीकियों 1


गुरुवार, 17 अक्टूबर 2013

सदगुण

   न्यूयॉर्क के ब्रौंक्स इलाके के एक कॉलेज फुटबॉल प्रशिक्षक, क्लेटन हैन्ड्रिक-होम्स, ने मैरिटाईम कॉलेज की टीम को चरित्र के सदगुणों के साथ प्रशिक्षित किया। उन्होंने खिलाड़ियों की कमीज़ पर खिलाड़ियों के नाम के स्थान पर कुछ शब्द लिखवाए, जैसे परिवार, आदर, जवाबदेही, चरित्र आदि। प्रत्येक खेल से पहले क्लेटन अपनी टीम से कहते कि उन शब्दों से संबंधित सदगुण के सिद्धांतों के अनुसार खेल खेलें।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी प्रेरित पतरस ने कुछ मसीही सदगुणों की सूची दी (2 पतरस 1:5-7), जिसे मसीही विश्वासियों को अपने विश्वास के साथ जोड़ लेना चाहिए। सुची के सदगुण इस प्रकार हैं:
  • सदगुण - नेक आचरण से परिपूर्ण जीवन के साथ परमेश्वर के उद्देश्य पूरे करने के लिए।
  • समझ - परमेश्वर के वचन के अध्ययन द्वारा झूठी शिक्षाओं से बचे रहने की सूझ-बूझ।
  • संयम - परमेश्वर को अपने जीवन में इतना आदर देना कि हर प्रत्युत्तर परमेश्वर कि महिमा के लिए हो।
  • धीरज - परमेश्वर पर ऐसा भरोसा बनाए रखना कि प्रत्येक परिस्थिति में अन्ततः भलाई ही होने के आशावान बने रहें।
  • भक्ति - जीवन के प्रत्येक संबंध में परमेश्वर को आदर देना।
  • भाईचारा - मसीही सहविश्वासियों के प्रति स्नेहपूर्ण व्यवहार बनाए रखना।
  • प्रेम - दूसरों की भलाई के लिए त्याग का भाव रखना।


हम मसीही विश्वासियों को चाहिए कि इन सदगुणों को अपने जीवन में ना केवल बनाए रखें वरन उन्हें बढ़ाते रहें और अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाए रखें। - ऐनी सेटास


सदगुणपूर्ण आचरण की कुँजी ईश्वरीय सदगुणों का सतत अभ्यास है।

क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है। - 2 पतरस 1:3

बाइबल पाठ: 2 पतरस 1:1-11
2 Peter 1:1 शमौन पतरस की और से जो यीशु मसीह का दास और प्रेरित है, उन लोगों के नाम जिन्होंने हमारे परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की धामिर्कता से हमारा सा बहुमूल्य विश्वास प्राप्त किया है। 
2 Peter 1:2 परमेश्वर के और हमारे प्रभु यीशु की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्‍ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए। 
2 Peter 1:3 क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है। 
2 Peter 1:4 जिन के द्वारा उसने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूट कर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्‍वभाव के समभागी हो जाओ। 
2 Peter 1:5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्‍न कर के, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ। 
2 Peter 1:6 और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति। 
2 Peter 1:7 और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ। 
2 Peter 1:8 क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी। 
2 Peter 1:9 और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्‍धा है, और धुन्‍धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुल कर शुद्ध होने को भूल बैठा है। 
2 Peter 1:10 इस कारण हे भाइयों, अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भांति यत्‍न करते जाओ, क्योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे। 
2 Peter 1:11 वरन इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 50-52 
  • 1 थिस्सुलुनीकियों 5


बुधवार, 16 अक्टूबर 2013

सफल

   प्रसिद्ध बास्केटबॉल प्रशिक्षक जौन वुडेन ने प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली टीम के लिए एक रोचक नियम बना रखा था; जब कभी कोई खिलाड़ी अंक बनाता तो उसे उस खिलाड़ी को धन्यवाद करना होता था जिसकी सहायता से अंक बनाने का अवसर उसे मिला। जब वे हाई-स्कूल में प्रशिक्षण दिया करते थे तो एक खिलाड़ी ने उनसे पूछा, "क्या ऐसा करने से खेल का बहुत समय व्यर्थ नहीं चला जाएगा?" उनका उत्तर था, "मैं तुम्हें हर बार खेल रोक कर उस खिलाड़ी के पास जाकर धन्यवाद करते रहने को नहीं कह रहा हूँ, केवल उसकी ओर देखकर अपना सिर हिलाकर उसकी सहायता के लिए आभारी होना ही काफी होगा।"

   बास्केटबॉल कोर्ट पर विजयी होने के लिए यह आवश्यक था कि सभी खिलाड़ी अपने आप को एक ही दल के अंग के रूप में देखें और इसी मनोवृति के साथ खेलें, ना कि स्वतंत्र खेलने वाले लोगों के झुंड जैसे। इसके लिए उनका एक दुसरे के साथ बन्धे रहना, एक दूसरे के प्रति धन्यवादी रहना बहुत आवश्यक था, तब ही वे एक साथ मिलकर एक दूसरे के पूरक होकर एक टीम के रूप में जीत सकते थे। जयवंत होने के लिए भिन्नता में एकता रखने की यह शिक्षा परमेश्वर के वचन बाइबल की शिक्षा पर आधारित है।

   प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस की मसीही मण्डली को समझाया कि वे सब मसीह यीशु में एक देह होकर कार्य करें। वे सब एक ही देह के भिन्न अंगों के समान हैं और सब एक साथ मिलकर ही देह की उन्नति और स्वास्थ्य का कारण हो सकते हैं। कोई भी एक अंग किसी अन्य से अधिक महत्वपूर्ण नहीं और ना ही कोई अंग किसी अन्य से गौण। प्रत्येक का देह में अपना विशिष्ट स्थान है, और प्रत्येक अपने कार्य के लिए देह के लिए आवश्यक है। यदि एक भी अंग ठीक से कार्य नहीं करेगा तो सारी देह पर इसका दुषप्रभाव आएगा।

   क्या किसी चर्च मण्डली के पास्टर की, या किसी बाइबल अधय्यन की, या किसी अन्य मसीही कार्य योजना की सफलता केवल किसी एक व्यक्ति ही के कारण है? क्या उस प्रमुख दिखने वाले व्यक्ति के पीछे अन्य कई सहायक जन नहीं होते? क्या उनका योगदान इसलिए नज़रंदाज़ होना चाहिए क्योंकि वे प्रकट में सामने नहीं आए? चाहे टीम चर्च की हो, चाहे परिवार हो चाहे कोई संस्था, जब तक उसके सब लोग एक साथ मिलकर अपनी अपनी ज़िम्मेदारियों को भरसक नहीं निभाएंगे, सफलता तो दूर, सुचारू रीति से कार्य करना भी असंभव हो जाएगा।

   जौन वुडेन का नियम और प्रेरित पौलुस द्वारा कु्रिन्थुस की मण्डली को लिखे निर्देश दोनों एक ही सिद्धांत पर आधारित हैं - आगे बढ़ने के लिए हमें एक दुसरे की सहायता की आवश्यकता रहती है, कोई भी अकेले ही आगे नहीं बढ़ सकता, सफल नहीं हो सकता। परमेश्वर द्वारा प्रदान किए गए अपने वरदानों, गुणों और योग्यताओं को परमेश्वर की मण्डली की बढ़ोतरी के लिए, उसे मज़बूत बनाने के लिए और मण्डली से परमेश्वर के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मिलजुल कर प्रयोग करें। - सिंडी हैस कैस्पर


मसीह यीशु की देह अर्थात उसकी मण्डली में व्यर्थ अथवा महत्वहीन अंग कोई नहीं है।

इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं। - 1 कुरिन्थियों 12:14

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 12:12-26
1 Corinthians 12:12 क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है। 
1 Corinthians 12:13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्‍वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया। 
1 Corinthians 12:14 इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं। 
1 Corinthians 12:15 यदि पांव कहे कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:16 और यदि कान कहे; कि मैं आंख नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:17 यदि सारी देह आंख ही होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता? 
1 Corinthians 12:18 परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक कर के देह में रखा है। 
1 Corinthians 12:19 यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती? 
1 Corinthians 12:20 परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है। 
1 Corinthians 12:21 आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं। 
1 Corinthians 12:22 परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं। 
1 Corinthians 12:23 और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्‍ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं। 
1 Corinthians 12:24 फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो। 
1 Corinthians 12:25 ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्‍ता करें। 
1 Corinthians 12:26 इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 47-49 
  • 1 थिस्सुलुनीकियों 4


मंगलवार, 15 अक्टूबर 2013

कृतज्ञ एवं धन्यवादी

   डेव रैन्डल्ट वह व्यक्ति थे जिनके लिए मैं कह सकता हूँ कि उनके कारण मेरा जीवन ऐसा बदला जो फिर कभी वापस लौट नहीं सकता। डेव अक्टूबर 2010 में अपने प्रभु के पास, अपने स्वर्गीय घर चले गए। जब मैं कॉलेज के दिनों में प्रभु यीशु का नया अनुयायी ही था, तब मैं डेव के संपर्क में आया और तब से ही वे मेरे परामर्शदाता और मुझे उभारने, सिखाने वाले बन गए। उन्होंने ना केवल मुझे में अपने समय का निवेश किया, वरन मुझे मसीही सेवकाई में सीखने और बढ़ने के अवसर देकर मेरे लिए अपने ऊपर जोखिम भी आने दिया। डेव प्रभु की ओर से माध्यम थे कि मैं छात्रावस्था में ही प्रचार कर सकूँ और कॉलेज के संगीत दल के साथ यात्राएं कर सकूँ। परिणामस्वरूप उन्होंने मेरे जीवन को परमेश्वर के वचन का शिक्षक होने के लिए ढाला और तैयार किया। मैं प्रसन्न हूँ कि इन सब बातों के लिए मैं कई बार उन्हें धन्यवाद दे सका।

   जैसे मैं डेव के प्रति अपने जीवन में आए प्रभावों के लिए कृतज्ञ और धन्यवादी हूँ, प्रेरित पौलुस भी अपने सहकर्मी अक्वीला और प्रिसका के प्रति कृतज्ञ और धन्यवादी था, जो उसके साथ प्रभु यीशु की सेवा करते थे। पौलुस ने उनके विषय में लिखा, "उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं" (रोमियों 16:4)।

   आपके जीवन में भी कई लोग होंगे जिन्होंने आपको उन्नति के अवसर देने के लिए अपने ऊपर जोखिम लिए होंगे, या जिन्होंने आत्मिक रीति से आपको प्रभावित किया होगा, आपको संवारा और बढ़ाया होगा। संभवतः कोई पास्टर, या मसीही सेवकाई के अगुवे, या कोई मित्रगण अथवा परिवारजन ने अपने आपको आपके जीवन में व्यय किया जिससे आप मसीह यीशु में अपनी जीवन यात्रा में बेहतर रीति से आगे बढ़ सकें। आपके सांसारिक जीवन में भी आगे बढ़ने और उन्नति करने, आपको उचित अवसर मिलने तथा उन अवसरों का योग्य रीति से प्रयोग करने के लिए आपको प्रोत्साहित करने में भी कई लोग सम्मिलित रहे होंगे। महत्वपूर्ण प्रश्न यह है, अवसर रहते क्या आपने उनके प्रति अपनी कृतज्ञता और धन्यवाद को उन पर प्रकट किया है?

   कौन कब जीवन का हिसाब देने के लिए बुला लिया जाएगा, कोई नहीं जानता। शायद कल आपके पास यह अवसर ना रहे। आज ही, अवसर रहते, अपने कृतज्ञ और धन्यवादी होने को उन लोगों पर प्रकट करें, जिन्होंने अपने जीवन आपके जीवन को संवारने में निवेश किए हैं। - बिल क्राउडर


जिन्होंने आपको बनाने में योगदान दिया है, उनके प्रति सदा कृतज्ञ एवं धन्यवादी रहें।

उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं। - रोमियों 16:4

बाइबल पाठ: रोमियों 16:1-16
Romans 16:1 मैं तुम से फीबे की, जो हमारी बहिन और किंख्रिया की कलीसिया की सेविका है, बिनती करता हूं। 
Romans 16:2 कि तुम जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए, उसे प्रभु में ग्रहण करो; और जिस किसी बात में उसको तुम से प्रयोजन हो, उस की सहायता करो; क्योंकि वह भी बहुतों की वरन मेरी भी उपकारिणी हुई है। 
Romans 16:3 प्रिसका और अक्विला को जो मसीह यीशु में मेरे सहकर्मी हैं, नमस्कार। 
Romans 16:4 उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं। 
Romans 16:5 और उस कलीसिया को भी नमस्कार जो उन के घर में है। मेरे प्रिय इपैनितुस को जो मसीह के लिये आसिया का पहिला फल है, नमस्कार। 
Romans 16:6 मरियम को जिसने तुम्हारे लिये बहुत परिश्रम किया, नमस्कार। 
Romans 16:7 ​अन्द्रुनीकुस और यूनियास को जो मेरे कुटम्बी हैं, और मेरे साथ कैद हुए थे, और प्रेरितों में नामी हैं, और मुझ से पहिले मसीह में हुए थे, नमस्कार। 
Romans 16:8 अम्पलियातुस को, जो प्रभु में मेरा प्रिय है, नमस्कार। 
Romans 16:9 उरबानुस को, जो मसीह में हमारा सहकर्मी है, और मेरे प्रिय इस्तखुस को नमस्कार। 
Romans 16:10 अपिल्लेस को जो मसीह में खरा निकला, नमस्कार। अरिस्तुबुलुस के घराने को नमस्कार। 
Romans 16:11 मेरे कुटुम्बी हेरोदियोन को नमस्कार। नरकिस्सुस के घराने के जो लोग प्रभु में हैं, उन को नमस्कार। 
Romans 16:12 त्रूफैना और त्रूफोसा को जो प्रभु में परिश्रम करती हैं, नमस्कार। प्रिया परसिस को जिसने प्रभु में बहुत परिश्रम किया, नमस्कार। 
Romans 16:13 रूफुस को जो प्रभु में चुना हुआ है, और उस की माता को जो मेरी भी है, दोनों को नमस्कार। 
Romans 16:14 असुंक्रितुस और फिलगोन और हिर्मास ओर पत्रुबास और हर्मेस और उन के साथ के भाइयों को नमस्कार। 
Romans 16:15 फिलुलुगुस और यूलिया और नेर्युस और उस की बहिन, और उलुम्पास और उन के साथ के सब पवित्र लोगों को नमस्कार।
Romans 16:16 आपस में पवित्र चुम्बन से नमस्कार करो तुम को मसीह की सारी कलीसियाओं की ओर से नमस्कार।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 45-46 
  • 1 थिस्सुलुनीकियों 3