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शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2014

अवसर


   अपनी किशोरावस्था में मेरे बेटे स्टीव ने मुझ से एक प्रश्न पूछा: "पिताजी, यदि परमेश्वर सनातन से है तो सृष्टि को रचने से पूर्व वह क्या करता था?"

   परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है कि "आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की" (उत्पत्ति 1:1), तो उस ’आदि’ से पूर्व के अवर्णित, असीमित समय में परमेश्वर क्या कर रहा था? बाइबल हमें इस बारे में एक हलकी सी झलक देती है। हम देखते हैं कि प्रभु यीशु मसीह पृथ्वी की सृष्टि से पहले ही परमेश्वर के द्वारा महिमान्वित किया गया और परमेश्वर ने उससे प्रेम रखा (यूहन्ना 17:5, 24)। यह भी लिखा है कि सृष्टि की रचना से पहले "बुद्धि" थी, जिसका उद्गम परमेश्वर का चरित्र था। "बुद्धि" अपने बारे में नीतिवचन 8:23 में कहती है, "मैं सदा से वरन आदि ही से पृथ्वी की सृष्टि के पहिले ही से ठहराई गई हूं।"

   हम तीतुस की पत्री से जानने पाते हैं कि हम मनुष्यों के लिए अनन्त जीवन की आशा की योजना भी परमेश्वर ने सनातन से बना रखी थी "उस अनन्त जीवन की आशा पर, जिस की प्रतिज्ञा परमेश्वर ने जो झूठ बोल नहीं सकता सनातन से की है" (तीतुस 1:2)। बाइबल से हम यह भी ज्ञात होता है कि पृथ्वी की सृष्टि से पहले से ही परमेश्वर के द्वारा मसीह यीशु में होकर अनुग्रह द्वारा मनुष्य के उद्धार की योजना कार्यान्वित हो रही थी: "जिसने हमारा उद्धार किया, और पवित्र बुलाहट से बुलाया, और यह हमारे कामों के अनुसार नहीं; पर अपनी मनसा और उस अनुग्रह के अनुसार है जो मसीह यीशु में सनातन से हम पर हुआ है" (2 तिमुथियुस 1:9)। इसी प्रकार 

   इस पृथ्वी की सृष्टि से पहले ही परमेश्वर द्वारा किए गए कार्यों और बनाई गई योजनाओं की यह एक हलकी सी झलक हमें अपने प्रेमी परमेश्वर पिता की महानता, प्रताप और सामर्थ की हमारी कल्पना से भी बाहर विशालता का आभास करवाती है। कितना अद्भुत है वह परमेश्वर जो हमारे उद्धार के लिए अपनी सृष्टि में एक मानव रूप में सिमट कर आ गया और अन्य मनुष्यों से सब कुछ सहना स्वीकार किया, और आज भी सह रहा है, जिससे साधारण विश्वास और पापों से पश्चाताप के द्वारा हम मनुष्य उद्धार पा जाएं, उसकी सनतान बन जाएं, उसके साथ स्वर्ग में रहने के अधिकारी बन जाएं।

   यदि अभी भी आपने उस अद्भुत परमेश्वर के महान प्रेम को नहीं पहचाना है तो यह अवसर आपके लिए अभी भी उपलब्ध है - वह आपकी प्रतीक्षा में है। - डेव ब्रैनन


यह रचा गया संसार अनन्त में एक लघु अन्तराल मात्र है। - सर थौमस ब्राउन

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:1-31
Genesis 1:1 आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। 
Genesis 1:2 और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था। 
Genesis 1:3 तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया। 
Genesis 1:4 और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया। 
Genesis 1:5 और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया।
Genesis 1:6 फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए। 
Genesis 1:7 तब परमेश्वर ने एक अन्तर कर के उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया। 
Genesis 1:8 और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया।
Genesis 1:9 फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया। 
Genesis 1:10 और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
Genesis 1:11 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें; और वैसा ही हो गया। 
Genesis 1:12 तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
Genesis 1:13 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया।
Genesis 1:14 फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों। 
Genesis 1:15 और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देने वाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया। 
Genesis 1:16 तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया। 
Genesis 1:17 परमेश्वर ने उन को आकाश के अन्तर में इसलिये रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें, 
Genesis 1:18 तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अन्धियारे से अलग करें: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
Genesis 1:19 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार चौथा दिन हो गया।
Genesis 1:20 फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें। 
Genesis 1:21 इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़ने वाले पक्षियों की भी सृष्टि की: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
Genesis 1:22 और परमेश्वर ने यह कहके उनको आशीष दी, कि फूलो-फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें। 
Genesis 1:23 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पांचवां दिन हो गया। 
Genesis 1:24 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से एक एक जाति के जीवित प्राणी, अर्थात घरेलू पशु, और रेंगने वाले जन्तु, और पृथ्वी के वनपशु, जाति जाति के अनुसार उत्पन्न हों; और वैसा ही हो गया। 
Genesis 1:25 सो परमेश्वर ने पृथ्वी के जाति जाति के वन पशुओं को, और जाति जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगने वाले जन्तुओं को बनाया: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
Genesis 1:26 फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। 
Genesis 1:27 तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की। 
Genesis 1:28 और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो। 
Genesis 1:29 फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं: 
Genesis 1:30 और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया। 
Genesis 1:31 तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया।

एक साल में बाइबल: 
  • मत्ती 16-19


गुरुवार, 16 अक्टूबर 2014

महान सुअवसर


   हाल ही में मैं पढ़ रहा था कि परमेश्वर के वचन बाइबल के सन्देश को लोग कितनी सरलता से बिगाड़ कर प्रस्तुत करते हैं - बस यह कहते हुए कि "बाइबल में लिखा है" उसके किसी भाग को लेकर उसकी व्याख्या सन्दर्भ से बाहर तथा अपनी धारणा के अनुसार कर दीजिए, सन्देश की सच्चाई बदल जाएगी। अनेक लोग के लिए पहले से ही बनाई गई अपनी धारणाओं के अनुसार अपनी बात के समर्थन के लिए इस प्रकार से बाइबल का दुरुपयोग करना आम बात है। कुछ लोग बाइबल को किसी बात के एक पहलू का समर्थन करने के लिए प्रयोग करते हैं तो कुछ अन्य लोग उसी बात का विरोध करने के लिए बाइबल का उपयोग करते हैं; दोनों ही अपनी बात प्रमाणित करने के लिए बाइबल में से ही पद उद्धरित करते हैं - लेकिन दोनों ही सही नहीं हो सकते। बाइबल से सही जानकारी पाने के लिए हर बात पर बाइबल की सभी शिक्षाओं को उनकी संपूर्णता में देखें तथा बाइबल पर अपनी धारणाएं ना थोपें, वरन उसे परमेश्वर की इच्छानुसार आप से बात करने दें।

   यह अनिवार्य है कि जब हम परमेश्वर के वचन बाइबल का उपयोग करते हैं तो हम ना तो जो उसमें कहा गया है उससे अधिक कुछ बोलें और ना ही उसकी किसी बात को घटा कर बताएं - जो जैसा है, वैसा ही कहें, ना अधिक और ना कम। यदि हम परमेश्वर के वचन को लापरवाही द्वारा गलत ढंग से प्रयोग करेंगे तो हम परमेश्वर की बात और चरित्र को गलत ढंग से प्रस्तुत करेंगे। इसीलिए प्रेरित पौलुस ने तिमुथियुस को लिखी अपनी पत्री में उसे सचेत किया कि, "अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो" (2 तिमुथियुस 2:15)। मसीह यीशु के लिए सेवकाई करने वालों को लज्जा से बचने तथा अपने प्रभु की प्रशंसा का पात्र बनने के लिए अनिवार्य है कि वे परमेश्वर के वचन को "ठीक रीति से काम में लाएं" अर्थात उसकी सही व्याख्या करें, ना उसमें कुछ जोड़ें और ना ही उस में से कुछ घटाएं। जब हम बिना किसी पूर्वधारणा को लिए, सच्चे समर्पित मन के साथ परमेश्वर के चरणों में बैठेंगे और उससे प्रार्थना करेंगे कि अपने वचन की समझ हमें दे और उसे हमें सिखाए तब वह ऐसा करेगा भी; क्योंकि यह वचन उसने हमारे लिए ही लिखवाया है और इस वचन को समझाने के लिए अपना पवित्र आत्मा हमें दिया है।

   अपने शब्दों तथा कर्मों के द्वारा हमारे पास अवसर रहते हैं कि हम परमेश्वर के इस अनमोल वचन को संसार के सामने ऐसा प्रस्तुत कर सकें जो वास्तव में परमेश्वर के सच्चे स्वरूप को दिखाता है; और मसीही विश्वासी के लिए यह अपने प्रभु को आदर देना का महान सुअवसर है; इसे व्यर्थ ना करें। - बिल क्राउडर


बाइबल परमेश्वर का वचन है; इसे सावधानी से प्रयोग करें।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए। - 2 तिमुथियुस 3:16-17

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 2:14-26
2 Timothy 2:14 इन बातों की सुधि उन्हें दिला, और प्रभु के साम्हने चिता दे, कि शब्‍दों पर तर्क-वितर्क न किया करें, जिन से कुछ लाभ नहीं होता; वरन सुनने वाले बिगड़ जाते हैं।
2 Timothy 2:15 अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो। 
2 Timothy 2:16 पर अशुद्ध बकवाद से बचा रह; क्योंकि ऐसे लोग और भी अभक्ति में बढ़ते जाएंगे। 
2 Timothy 2:17 और उन का वचन सड़े-घाव की नाईं फैलता जाएगा: हुमिनयुस और फिलेतुस उन्‍हीं में से हैं। 
2 Timothy 2:18 जो यह कह कर कि पुनरुत्थान हो चुका है सत्य से भटक गए हैं, और कितनों के विश्वास को उलट पुलट कर देते हैं। 
2 Timothy 2:19 तौभी परमेश्वर की पड़ी नेव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है, कि प्रभु अपनों को पहिचानता है; और जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे। 
2 Timothy 2:20 बड़े घर में न केवल सोने-चान्दी ही के, पर काठ और मिट्टी के बरतन भी होते हैं; कोई कोई आदर, और कोई कोई अनादर के लिये। 
2 Timothy 2:21 यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्‍वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा। 
2 Timothy 2:22 जवानी की अभिलाषाओं से भाग; और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर। 
2 Timothy 2:23 पर मूर्खता, और अविद्या के विवादों से अलग रह; क्योंकि तू जानता है, कि उन से झगड़े होते हैं। 
2 Timothy 2:24 और प्रभु के दास को झगड़ालू होना न चाहिए, पर सब के साथ कोमल और शिक्षा में निपुण, और सहनशील हो। 
2 Timothy 2:25 और विरोधियों को नम्रता से समझाए, क्या जाने परमेश्वर उन्हें मन फिराव का मन दे, कि वे भी सत्य को पहिचानें। 
2 Timothy 2:26 और इस के द्वारा उस की इच्छा पूरी करने के लिये सचेत हो कर शैतान के फंदे से छूट जाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • मत्ती 12-15


बुधवार, 15 अक्टूबर 2014

सहायक


   मैंने अनेक मसीही विश्वासियों को यह कहते हुए सुना है कि "मैं मरने से नहीं डरता क्योंकि मुझे पूर्ण विश्वास है कि मैं मरने के बाद स्वर्ग में होऊँगा; किंतु मुझे डर लगता है मरने की प्रक्रिया से!" हाँ, यह सही है कि मसीही विश्वासी होने के नाते हम अन्ततः स्वर्ग में होने की प्रतीक्षा में हैं लेकिन मरना हमें फिर भी भयभीत कर सकता है - इसे स्वीकार कर लेने में कोई शर्मिंदगी की बात नहीं है। मरने के साथ जुड़ी हुई पीड़ा से, प्रीय जनों से बिछुड़ने से, उन्हें अशक्त तथा दुखी कर देने से, पृथ्वी पर मिले अवसरों को बिसरा देने की जवाबदेही आदि से भयभीत होना स्वाभाविक बात है। लेकिन मसीही विश्वासियों के लिए जो मृत्यु के उस पार उनके लिए रखा है, वह उन्हें हिम्मत देता है, मृत्यु के भय को कम करता है।

   क्यों मसीही विश्वासियों को मृत्यु से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है? क्योंकि परमेश्वर का वचन बाइबल हमें आश्वस्त करती है कि जैसे मसीह यीशु मृतकों में से जिलाया गया, जो मसीह यीशु में विश्वास द्वारा अब मसीह यीशु में आ गए हैं वे भी वैसे ही जिलाए जाएंगे। प्रभु यीशु के पुनरुत्थान द्वारा मृत्यु उनके लिए निरस्त कर दी गई है, उसकी सामर्थ निषक्रीय कर दी गई है; इसीलिए प्रेरित पौलुस कुरिन्थुस के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में कहता है: "हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है। परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्‍त करता है" (1 कुरिन्थियों 15:56-57)।

   मृत्यु की प्रक्रीया तो हम मसीही विश्वासियों की सहायक है जो हमें अनन्त काल के लिए परमेश्वर की उपस्थिति तथा आनन्द में ले आती है। परमेश्वर से हमें यह आश्वासन है कि "चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में हो कर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है" (भजन 23:4)। यह शब्द चित्र प्रभु यीशु जो हमारे साथ रहता है के कार्य का है, वह सदा हमें शान्ति और सांत्वना देता है और अन्ततः जीवन के अन्धकार से निकालकर परमेश्वर के निवास स्थान में ले आता है। हमारा उद्धारकर्ता हमें कभी नहीं छोड़ता, सदा और हर परिस्थिति में हमारे साथ बना रहता है और हमारी अनन्त भलाई के लिए कार्यरत रहता है; वह हमारा सदा सहायक है। - एल्बर्ट ली


स्वर्ग की भोर के आगमन से पूर्व, मृत्यु जीवन का अन्तिम अंधकार है।

और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तक वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया। हे मृत्यु तेरी जय कहां रही? - 1 कुरिन्थियों 15:54-55

बाइबल पाठ: भजन 23
Psalms 23:1 यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी। 
Psalms 23:2 वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है; वह मुझे सुखदाई जल के झरने के पास ले चलता है; 
Psalms 23:3 वह मेरे जी में जी ले आता है। धर्म के मार्गो में वह अपने नाम के निमित्त मेरी अगुवाई करता है। 
Psalms 23:4 चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में हो कर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है।। 
Psalms 23:5 तू मेरे सताने वालों के साम्हने मेरे लिये मेज बिछाता है; तू ने मेरे सिर पर तेल मला है, मेरा कटोरा उमण्ड रहा है। 
Psalms 23:6 निश्चय भलाई और करूणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी; और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा वास करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • मत्ती 8-11


मंगलवार, 14 अक्टूबर 2014

दृढ़ नींव


   जब एक तूफान में मेरे घर के चारों के बाड़े का एक भाग गिर गया तो मेरी पहली प्रतिक्रीया उस व्यक्ति को दोषी ठहराने की थी जिसने कुछ माह पहले ही मेरे लिए वह बाड़ा लगाया था। लेकिन थोड़ा विचार करने के बाद मुझे स्पष्ट हो गया कि वास्तव में इसका दोषी मैं ही हूँ। जब बाड़ा बनकर पूरा होने के निकट था तब मैंने ही उस व्यक्ति को बाड़े की मज़बूती के लिए कौन्क्रीट में डाले गए चार नए दृढ़ खंबे लगाने से मना कर दिया था, यह कहकर कि नए खंबों की कोई आवश्यकता नहीं है, बाड़े को पुराने खंबों से ही बाँध दो, जब कि वे पुराने खंबे दृढ़ नींव वाले नहीं थे। जब तक तूफान नहीं आया, सब कुछ ठीक रहा, किन्तु तूफान आते ही बाड़े का वह भाग जो कमज़ोर नींव वाले खंबों के सहारे था स्थिर नहीं रह सका, टूट कर गिर गया।

   प्रभु यीशु ने एक दृष्टांत के द्वारा परमेश्वर के वचन और उसकी आज्ञाकारिता की दृढ़ नींव पर जीवन निर्माण करने के महत्व को समझाया। प्रभु ने कहा: "इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चट्टान पर डाली गई थी" (मत्ती 7:24-25)। यह घर आन्धी तथा बाढ़ का प्रहार इसलिए झेल सका और स्थिर खड़ा रह सका क्योंकि वह ना केवल चट्टान पर बना था, वरन साथ ही उसकी नींव भी दृढ़ डाली गयी थी।

   परमेश्वर का वचन वह चट्टान है और उसकी आज्ञाकारिता वह दृढ़ नींव है जो स्थिरता देते हैं। प्रभु यीशु के वचन को सुनना आवश्यक है, लेकिन जो वह अपने वचन के द्वारा हमें कहता और सिखाता है उसका पालन करे बिना हम जीवन के तूफानों में स्थिर खड़े नहीं रह पाएंगे; वह अति आवश्यक अडिग स्थिरता सुनने भर से नहीं वरन सुनने और मानने दोनों के सामूहिक प्रभाव से ही आती है। यदि आपने अभी तक मसीह यीशु के वचन पर विश्वास की चट्टान पर अपने जीवन का निर्माण आरंभ नहीं किया है तो आप अभी यह कर सकते हैं; जीवन के निर्माण को एक दृढ़ नींव अर्थात परमेश्वर के वचन की आज्ञाकारिता का आधार दें, और आप जीवन में आने वाले हर आन्धी-तूफान-बाढ़ में सदा स्थिर बने रहेंगे। - डेविड मैक्कैसलैण्ड


जब परिस्थितियाँ और विपत्तियाँ संसार को चूर कर रही होंगी, तब मसीह यीशु पर बनाए गए जीवन स्थिर खड़े मिलेंगे।

क्योंकि परमेश्वर के यहां व्यवस्था के सुनने वाले धर्मी नहीं, पर व्यवस्था पर चलने वाले धर्मी ठहराए जाएंगे। - रोमियों 2:13

बाइबल पाठ: मत्ती 7:21-29
Matthew 7:21 जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्‍वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। 
Matthew 7:22 उस दिन बहुतेरे मुझ से कहेंगे; हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए? 
Matthew 7:23 तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करने वालों, मेरे पास से चले जाओ। 
Matthew 7:24 इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। 
Matthew 7:25 और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चट्टान पर डाली गई थी। 
Matthew 7:26 परन्तु जो कोई मेरी ये बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता वह उस निर्बुद्धि मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिसने अपना घर बालू पर बनाया। 
Matthew 7:27 और मेंह बरसा, और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं और वह गिरकर सत्यानाश हो गया।
Matthew 7:28 जब यीशु ये बातें कह चुका, तो ऐसा हुआ कि भीड़ उसके उपदेश से चकित हुई। 
Matthew 7:29 क्योंकि वह उन के शास्‍त्रियों के समान नहीं परन्तु अधिकारी की नाईं उन्हें उपदेश देता था।

एक साल में बाइबल: 
  • मत्ती 5-7


सोमवार, 13 अक्टूबर 2014

फलवन्त बीज


   मिशेल कॉर्न महल की दीवारें हर साल सुन्दर दृश्यों से सजाई जाती हैं। वहाँ प्रदर्शित दृश्यों में उड़ती हुए पक्षी, घोड़ा गाड़ियों का काफिला, अमेरिका के मूल निवासियों के तंबू तथा गाँव के जीवन के अन्य दृश्य सम्मिलित होते हैं। प्रति वर्ष बदलते रहने वाले इन सभी दृश्यों में एक ही बात समान्य तथा अनोखी होती है - ये सभी दृश्य मक्की, तथा अन्य बीज एवं घास से बनाए जाते हैं। इन्हें हर साल बदलने की आवश्यकता इसलिए पड़ती है क्योंकि पक्षी इन बीजों को अपने स्थान में रहने नहीं देते, उन्हें वहाँ से निकालकर खा लेते हैं और चित्र खराब हो जाते हैं!

   प्रभु यीशु ने बीजों से संबंधित एक दृश्टांत सुनाया जिसके अर्थ में पक्षियों की भी भूमिका है। प्रभु यीशु ने कहा, "सुनो: देखो, एक बोनेवाला, बीज बोने के लिये निकला! और बोते समय कुछ तो मार्ग के किनारे गिरा और पक्षियों ने आकर उसे चुग लिया" (मरकुस 4:3-4); प्रभु ने फिर आगे बताया कि कुछ बीज पथरीली भूमि पर गिरा और कुछ झाड़ियों में गिरा, इसलिए उगा तो लेकिन फल नहीं ला सका (पद 5-7)। लेकिन कुछ अच्छी भूमि पर गिरा और बहुतायत से फल लाया (पद 8)।

   प्रभु यीशु ने इस दृश्टांत का अर्थ बताते हुए कहा: "जो मार्ग के किनारे के हैं जहां वचन बोया जाता है, ये वे हैं, कि जब उन्होंने सुना, तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उन में बोया गया था, उठा ले जाता है" (मरकुस 4:15)। जो बीज गहराई में अन्दर नहीं जाता वह पक्षियों द्वारा उठा लिया जाता है, अर्थात कार्यकारी होने के लिए वचन को मन की गहराई में जाना और जड़ पकड़ना अनिवार्य है, तब ही वह उगने तथा फलवन्त होने के योग्य होने पाएगा। शैतान परमेश्वर के वचन और सुसमाचार से घृणा करता है, उसका घोर विरोधी है, इसलिए वह वचन रूपी बीज को हृदय की गहराई में उतरने देने और जीवन में कार्यकारी होने में हर संभव बाधा डालता है। शैतान द्वारा डाली जाने वाली बाधाओं में से एक है लोगों को वचन के सम्बंध में निर्णय लेने में विलंब करवाना और उसे उन के मन से हटा देना।

   प्रभु यीशु में सारे संसार के लिए उपलब्ध पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को शैतान द्वारा इस प्रकार व्यर्थ किये जाने से बचाने के लिए, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि बोया गया वचन जड़ पकड़ सके, फलवन्त हो सके, परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह सुनने वाले लोगों के हृदयों को वचन ग्रहण करने के लिए तैयार करे, उन्हें सही निर्णय करने की समझ और सामर्थ दे। परन्तु जैसे उस दृष्टांत के बीज बोने वाले ने भूमि की दशा की परवाह किए बिना, अपना कार्य पूरा किया, वैसे ही हम मसीही विश्वासियों का भी कर्तव्य है कि हम परमेश्वर के वचन को सभी लोगों तक पहुँचाएं क्योंकि किसके मन की दशा कैसी है, हम यह नहीं जानते; परन्तु जब हम वफादारी से अपना काम करेंगे और बीज अर्थात परमेश्वर का वचन बोएंगे, तो परमेश्वर उसे लोगों के मन में फलवन्त भी करेगा। - डेनिस फिशर


बीज बोना हमारा कर्तव्य है, उसे फलवन्त करना परमेश्वर का कार्य।

और प्रचारक बिना क्योंकर सुनें? और यदि भेजे न जाएं, तो क्योंकर प्रचार करें? जैसा लिखा है, कि उन के पांव क्या ही सुहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं। सो विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है। - रोमियों 10:15,17   

बाइबल पाठ: मरकुस 4:1-9, 14-20
Mark 4:1 वह फिर झील के किनारे उपदेश देने लगा: और ऐसी बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई, कि वह झील में एक नाव पर चढ़कर बैठ गया और सारी भीड़ भूमि पर झील के किनारे खड़ी रही। 
Mark 4:2 और वह उन्हें दृष्‍टान्‍तों में बहुत सी बातें सिखाने लगो, और अपने उपदेश में उन से कहा। 
Mark 4:3 सुनो: देखो, एक बोनेवाला, बीज बोने के लिये निकला! 
Mark 4:4 और बोते समय कुछ तो मार्ग के किनारे गिरा और पक्षियों ने आकर उसे चुग लिया। 
Mark 4:5 और कुछ पत्थरीली भूमि पर गिरा जहां उसको बहुत मिट्टी न मिली, और गहरी मिट्टी न मिलने के कारण जल्द उग आया। 
Mark 4:6 और जब सूर्य निकला, तो जल गया, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गया। 
Mark 4:7 और कुछ तो झाड़ियों में गिरा, और झाड़ियों ने बढ़कर उसे दबा लिया, और वह फल न लाया। 
Mark 4:8 परन्तु कुछ अच्छी भूमि पर गिरा; और वह उगा, और बढ़कर फलवन्‍त हुआ; और कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा और कोई सौ गुणा फल लाया। 
Mark 4:9 और उसने कहा; जिस के पास सुनने के लिये कान हों वह सुन ले।
Mark 4:14 बोने वाला वचन बोता है। 
Mark 4:15 जो मार्ग के किनारे के हैं जहां वचन बोया जाता है, ये वे हैं, कि जब उन्होंने सुना, तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उन में बोया गया था, उठा ले जाता है। 
Mark 4:16 और वैसे ही जो पत्थरीली भूमि पर बोए जाते हैं, ये वे हैं, कि जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते हैं। 
Mark 4:17 परन्तु अपने भीतर जड़ न रखने के कारण वे थोड़े ही दिनों के लिये रहते हैं; इस के बाद जब वचन के कारण उन पर क्‍लेश या उपद्रव होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते हैं। 
Mark 4:18 और जो झाडियों में बोए गए ये वे हैं जिन्होंने वचन सुना। 
Mark 4:19 और संसार की चिन्‍ता, और धन का धोखा, और और वस्‍तुओं का लोभ उन में समाकर वचन को दबा देता है। और वह निष्‍फल रह जाता है। 
Mark 4:20 और जो अच्छी भूमि में बोए गए, ये वे हैं, जो वचन सुनकर ग्रहण करते और फल लाते हैं, कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा, और कोई सौ गुणा।

एक साल में बाइबल: 
  • मत्ती 1-4


रविवार, 12 अक्टूबर 2014

कार्यकारी


   हमारी शादी की पचासवीं सालगिरह पर मैं अपनी पत्नि के साथ नौर्वे के भ्रमण पर निकला। उत्तर की ओर अपनी यात्रा करते हुए हम अनेक नगरों और गाँवों से होकर निकले, वहाँ रुकते हुए उनमें घूमे और वहाँ के चर्च भवनों को भी देखा। उन में 12वीं सदी में बना एक चर्च ऐसा था जिसे हमारे गाइड ने बड़े गर्व के साथ "अभी तक कार्यकारी" बताया। मैंने उससे पूछा, "अभी तक कार्यकारी का क्या अर्थ है?" उसने समझाया कि जब नौर्वे के चर्च, शासन की आधीनता में चले गए थे तब प्रशासन की ओर से ही उनमें पास्टर नियुक्त किए जाते थे, और वे पास्टर कभी अपना कार्य नहीं करते थे वरन बस अपनी तनख्वाह लेते रहते थे, कोई सेवकाई के लिए नहीं आता था। लेकिन यह चर्च एक ऐसा चर्च था जिसमें लगभग 1000 वर्ष से परमेश्वर की आराधना और सेवकाई अविरल चल रही थी!

   यह सुनकर तुरंत ही मेरा ध्यान परमेश्वर के वचन में प्रकाशितवाक्य 2 तथा 3 अध्यायों में उल्लेखित उन साथ कलीसियाओं की ओर गया जिनसे प्रभु यीशु कहता है, "मैं तेरे काम जानता हूँ (2:2, 9, 13, 19; 3:1, 8, 15)।" साथ ही मुझे थिस्सुलुनीकिया का चर्च भी स्मरण आय जिसकी प्रशंसा प्रेरित पौलुस ने उनकी विश्वासयोग्यता के लिए करी (1 थिस्सुलुनीकियों 1:2-3)।

   मेरा ध्यान मेरे अपने घर पर स्थित चर्च की ओर भी गया जो पिछले 130 वर्ष से भी अधिक समय से विश्वासयोग्यता के साथ प्रभु यीशु का प्रचार, मण्डली के लोगों की देखभाल तथा वहाँ के समाज की सेवा कर रहा है। वह वास्तव में एक "कार्यकारी चर्च" है। यदि मसीही विश्वासी होने के नाते जिस चर्च के हम भाग हैं वह ऐसे ही प्रचार तथा सेवकाई करने वाला चर्च है तो हम कितने भाग्यशाली लोग हैं। - डेव एग्नर


मसीह यीशु का चर्च एक जीवित देह है, उसके सभी अंग कार्यशील होने चाहिएं।

हम अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण करते और सदा तुम सब के विषय में परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं। और अपने परमेश्वर और पिता के साम्हने तुम्हारे विश्वास के काम, और प्रेम का परिश्रम, और हमारे प्रभु यीशु मसीह में आशा की धीरता को लगातार स्मरण करते हैं। - 1 थिस्सुलुनीकियों 1:2-3

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 2:1-7
Revelation 2:1 इफिसुस की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो सातों तारे अपने दाहिने हाथ में लिये हुए है, और सोने की सातों दीवटों के बीच में फिरता है, वह यह कहता है कि 
Revelation 2:2 मैं तेरे काम, और परिश्रम, और तेरा धीरज जानता हूं; और यह भी, कि तू बुरे लोगों को तो देख नहीं सकता; और जो अपने आप को प्रेरित कहते हैं, और हैं नहीं, उन्हें तू ने परख कर झूठा पाया। 
Revelation 2:3 और तू धीरज धरता है, और मेरे नाम के लिये दु:ख उठाते उठाते थका नहीं। 
Revelation 2:4 पर मुझे तेरे विरुद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है। 
Revelation 2:5 सो चेत कर, कि तू कहां से गिरा है, और मन फिरा और पहिले के समान काम कर; और यदि तू मन न फिराएगा, तो मैं तेरे पास आकर तेरी दीवट को उस स्थान से हटा दूंगा। 
Revelation 2:6 पर हां तुझ में यह बात तो है, कि तू नीकुलइयों के कामों से घृणा करता है,
Revelation 2:7 जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्वर के स्‍वर्गलोक में है, फल खाने को दूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • मलाकी 1-4


शनिवार, 11 अक्टूबर 2014

घबराहट या प्रार्थना


   एक 85 वर्षीय वृद्धा जो उस समय एक मठ में अकेली थी, लिफ्ट में 4 रात तथा 3 दिन तक फंसी रही। संयोग से उसके पास एक बर्तन में पानी, कुछ खाने का सामान और खाँसी की गोलियाँ थीं। उसने पहले तो लिफ्ट का दरवाज़ा खोलने और सेल-फोन का सिग्नल प्राप्त करने का असफल प्रयास किया, और फिर प्रार्थना में परमेश्वर की ओर मुड़ गई। बाद में उसने सी.एन.एन. को दिए साक्षात्कार में बताया, उसके सामने दो ही विकल्प थे, या तो वह परिस्थिति से घबरा कर कुछ उल्टा-सीधा करती या फिर प्रार्थना कर के शान्ति से रहती। अपनी विकट परिस्थिति में उसने परमेश्वर पर भरोसा रखा और अपने बचाए जाने की प्रतीक्षा शान्ति से करी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में यहूदियों के एक राजा आसा के पास भी यही विकल्प थे - घबराए या प्रार्थना करे (2 इतिहास 14)। आसा पर कुश (इतोपिया) देश के राजा ने दस लाख सैनिकों के साथ चढ़ाई करी थी। इस बड़े आक्रमण का सामना करने के लिए ना तो आसा ने किसी सैनिक रणनीति पर भरोसा किया और ना ही भयभीत होकर छिपने का प्रयास किया, वरन तुरंत ही वह प्रार्थना में परमेश्वर की ओर मुड़ गया। एक विनम्र किंतु प्रभावी प्रार्थना में आसा ने परमेश्वर पर अपनी संपूर्ण निर्भरता का अंगीकार किया, उससे सहायता मांगी, और परमेश्वर से विनती करी कि वो अपने नाम के निमित उन्हें बचाने का प्रयोजन करे (2 इतिहास 14:11)। परमेश्वर ने आसा की प्रार्थना सुनी और उसका उत्तर दिया, और आसा ने उस आक्रमण को विफल कर दिया, आक्रमणकारियों पर जयवन्त हुआ।

   हम सब के जीवन में ऐसी परिस्थितियाँ आ सकती हैं जब हम किसी कठिन परिस्थिति में पड़ जाएं, हमारे पास संसाधन कम हों, समस्याओं का एक बड़ा समूह हमें घेर ले, किसी परिस्थिति का कोई समाधान हमें सूझ ना पड़ रहा हो, इत्यादि। ऐसे समय घबराने और हड़बड़ी में कुछ उल्टा-सीधा करने के नहीं वरन प्रार्थना में परमेश्वर के पास आने के समय होने चाहिएं, क्योंकि परमेश्वर अपने लोगों के लिए, जो उस पर भरोसा रखते हैं, लड़ता है, उन्हें विजयी करता है। - मार्विन विलियम्स


प्रार्थना परेशानी और घबराहट में शान्ति पाने का मार्ग है।

तब आसा ने अपने परमेश्वर यहोवा की यों दोहाई दी, कि हे यहोवा! जैसे तू सामथीं की सहायता कर सकता है, वैसे ही शक्तिहीन की भी; हे हमारे परमेश्वर यहोवा! हमारी सहायता कर, क्योंकि हमारा भरोसा तुझी पर है और तेरे नाम का भरोसा कर के हम इस भीड़ के विरुद्ध आए हैं। हे यहोवा, तू हमारा परमेश्वर है; मनुष्य तुझ पर प्रबल न होने पाएगा। - 2 इतिहास 14:11

बाइबल पाठ: 2 इतिहास 14:1-15
2 Chronicles 14:1 निदान अबिय्याह अपने पुरखाओं के संग सो गया, और उसको दाऊदपुर में मिट्टी दी गई; और उसका पुत्र आसा उसके स्थान पर राज्य करने लगा। इसके दिनों में दस वर्ष तक देश में चैन रहा। 
2 Chronicles 14:2 और आसा ने वही किया जो उसके परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में अच्छा और ठीक था। 
2 Chronicles 14:3 उसने तो पराई वेदियों को और ऊंचे स्थानों को दूर किया, और लाठों को तुड़वा डाला, और अशेरा नाम मूरतों को तोड़ डाला। 
2 Chronicles 14:4 और यहूदियों को आज्ञा दी कि अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की खोज करें और व्यवस्था और आज्ञा को मानों। 
2 Chronicles 14:5 और उसने ऊंचे स्थानों और सूर्य की प्रतिमाओं को यहूदा के सब नगरों में से दूर किया, और उसके साम्हने राज्य में चैन रहा। 
2 Chronicles 14:6 और उसने यहूदा में गढ़ वाले नगर बसाए, क्योंकि देश में चैन रहा। और उन बरसों में उसे किसी से लड़ाई न करनी पड़ी क्योंकि यहोवा ने उसे विश्राम दिया था। 
2 Chronicles 14:7 उसने यहूदियों से कहा, आओ हम इन नगरों को बसाएं और उनके चारों ओर शहरपनाह, गढ़ और फाटकों के पल्ले और बेड़े बनाएं; देश अब तक हमारे साम्हने पड़ा है, क्योंकि हम ने, अपने परमेश्वर यहोवा की खोज की है हमने उसकी खोज की और उसने हम को चारों ओर से विश्राम दिया है। तब उन्होंने उन नगरों को बसाया और कृतार्थ हुए। 
2 Chronicles 14:8 फिर आसा के पास ढाल और बछीं रखने वालों की एक सेना थी, अर्थात यहूदा में से तो तीन लाख पुरुष और बिन्यामीन में से फरी रखने वाले और धनुर्धारी दो लाख अस्सी हजार ये सब शूरवीर थे। 
2 Chronicles 14:9 और उनके विरुद्ध दस लाख पुरुषों की सेना और तीन सौ रथ लिये हुए जेरह नाम एक कूशी निकला और मारेशा तक आ गया। 
2 Chronicles 14:10 तब आसा उसका साम्हना करने को चला और मारेशा के निकट सापता नाम तराई में युद्ध की पांति बान्धी गई। 
2 Chronicles 14:11 तब आसा ने अपने परमेश्वर यहोवा की यों दोहाई दी, कि हे यहोवा! जैसे तू सामथीं की सहायता कर सकता है, वैसे ही शक्तिहीन की भी; हे हमारे परमेश्वर यहोवा! हमारी सहायता कर, क्योंकि हमारा भरोसा तुझी पर है और तेरे नाम का भरोसा कर के हम इस भीड़ के विरुद्ध आए हैं। हे यहोवा, तू हमारा परमेश्वर है; मनुष्य तुझ पर प्रबल न होने पाएगा। 
2 Chronicles 14:12 तब यहोवा ने कूशियों को आसा और यहूदियों के साम्हने मारा और कूशी भाग गए। 
2 Chronicles 14:13 और आसा और उसके संग के लोगों ने उनका पीछा गरार तक किया, और इतने कूशी मारे गए, कि वे फिर सिर न उठा सके क्योंकि वे यहोवा और उसकी सेना से हार गए, और यहूदी बहुत सा लूट ले गए। 
2 Chronicles 14:14 और उन्होंने गरार के आस पास के सब नगरों को मार लिया, क्योंकि यहोवा का भय उनके रहने वालों के मन में समा गया और उन्होंने उन नगरों को लूट लिया, क्योंकि उन में बहुत सा धन था। 
2 Chronicles 14:15 फिर पशु-शालाओं को जीत कर बहुत सी भेड़-बकरियां और ऊंट लूट कर यरूशलेम को लौटे।

एक साल में बाइबल: 
  • ज़कर्याह 11-14