अपनी किशोरावस्था में मेरे बेटे स्टीव ने मुझ से एक प्रश्न पूछा: "पिताजी, यदि परमेश्वर सनातन से है तो सृष्टि को रचने से पूर्व वह क्या करता था?"
परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है कि "आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की" (उत्पत्ति 1:1), तो उस ’आदि’ से पूर्व के अवर्णित, असीमित समय में परमेश्वर क्या कर रहा था? बाइबल हमें इस बारे में एक हलकी सी झलक देती है। हम देखते हैं कि प्रभु यीशु मसीह पृथ्वी की सृष्टि से पहले ही परमेश्वर के द्वारा महिमान्वित किया गया और परमेश्वर ने उससे प्रेम रखा (यूहन्ना 17:5, 24)। यह भी लिखा है कि सृष्टि की रचना से पहले "बुद्धि" थी, जिसका उद्गम परमेश्वर का चरित्र था। "बुद्धि" अपने बारे में नीतिवचन 8:23 में कहती है, "मैं सदा से वरन आदि ही से पृथ्वी की सृष्टि के पहिले ही से ठहराई गई हूं।"
हम तीतुस की पत्री से जानने पाते हैं कि हम मनुष्यों के लिए अनन्त जीवन की आशा की योजना भी परमेश्वर ने सनातन से बना रखी थी "उस अनन्त जीवन की आशा पर, जिस की प्रतिज्ञा परमेश्वर ने जो झूठ बोल नहीं सकता सनातन से की है" (तीतुस 1:2)। बाइबल से हम यह भी ज्ञात होता है कि पृथ्वी की सृष्टि से पहले से ही परमेश्वर के द्वारा मसीह यीशु में होकर अनुग्रह द्वारा मनुष्य के उद्धार की योजना कार्यान्वित हो रही थी: "जिसने हमारा उद्धार किया, और पवित्र बुलाहट से बुलाया, और यह हमारे कामों के अनुसार नहीं; पर अपनी मनसा और उस अनुग्रह के अनुसार है जो मसीह यीशु में सनातन से हम पर हुआ है" (2 तिमुथियुस 1:9)। इसी प्रकार
इस पृथ्वी की सृष्टि से पहले ही परमेश्वर द्वारा किए गए कार्यों और बनाई गई योजनाओं की यह एक हलकी सी झलक हमें अपने प्रेमी परमेश्वर पिता की महानता, प्रताप और सामर्थ की हमारी कल्पना से भी बाहर विशालता का आभास करवाती है। कितना अद्भुत है वह परमेश्वर जो हमारे उद्धार के लिए अपनी सृष्टि में एक मानव रूप में सिमट कर आ गया और अन्य मनुष्यों से सब कुछ सहना स्वीकार किया, और आज भी सह रहा है, जिससे साधारण विश्वास और पापों से पश्चाताप के द्वारा हम मनुष्य उद्धार पा जाएं, उसकी सनतान बन जाएं, उसके साथ स्वर्ग में रहने के अधिकारी बन जाएं।
यदि अभी भी आपने उस अद्भुत परमेश्वर के महान प्रेम को नहीं पहचाना है तो यह अवसर आपके लिए अभी भी उपलब्ध है - वह आपकी प्रतीक्षा में है। - डेव ब्रैनन
यह रचा गया संसार अनन्त में एक लघु अन्तराल मात्र है। - सर थौमस ब्राउन
परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:1-31
Genesis 1:1 आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।
Genesis 1:2 और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था।
Genesis 1:3 तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया।
Genesis 1:4 और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया।
Genesis 1:5 और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया।
Genesis 1:6 फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।
Genesis 1:7 तब परमेश्वर ने एक अन्तर कर के उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:8 और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया।
Genesis 1:9 फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:10 और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
Genesis 1:11 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:12 तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
Genesis 1:13 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया।
Genesis 1:14 फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों।
Genesis 1:15 और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देने वाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:16 तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया।
Genesis 1:17 परमेश्वर ने उन को आकाश के अन्तर में इसलिये रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें,
Genesis 1:18 तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अन्धियारे से अलग करें: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
Genesis 1:19 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार चौथा दिन हो गया।
Genesis 1:20 फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।
Genesis 1:21 इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़ने वाले पक्षियों की भी सृष्टि की: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
Genesis 1:22 और परमेश्वर ने यह कहके उनको आशीष दी, कि फूलो-फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें।
Genesis 1:23 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पांचवां दिन हो गया।
Genesis 1:24 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से एक एक जाति के जीवित प्राणी, अर्थात घरेलू पशु, और रेंगने वाले जन्तु, और पृथ्वी के वनपशु, जाति जाति के अनुसार उत्पन्न हों; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:25 सो परमेश्वर ने पृथ्वी के जाति जाति के वन पशुओं को, और जाति जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगने वाले जन्तुओं को बनाया: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
Genesis 1:26 फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।
Genesis 1:27 तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की।
Genesis 1:28 और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो।
Genesis 1:29 फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं:
Genesis 1:30 और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:31 तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया।
एक साल में बाइबल:
- मत्ती 16-19
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