ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 6 नवंबर 2016

रचना


   थोड़ा रुक कर एक सरपट दौड़ते घोड़े के बल, सुन्दरता और प्रताप के बारे में सोचिए - अपना सिर ऊँचा किए हुए, अयाल (गरदन के लंबे बाल) हवा में लहराती हुई, टाँगें परस्पर लयबद्ध तालमेल के साथ द्रुत गति से चलती हुई उसे गति, बल और स्वच्छानन्दता प्रदान करती हैं। घोड़ा परमेश्वर की अद्भुत रचना का कितना शानदार उदाहरण है। परमेश्वर ने घोड़े को केवल हमें विस्मित करने के लिए ही नहीं वरन मानव जाति के काम आने के लिए बनाया है (अय्युब 39)। यदि सही रीति से प्रशिक्षित हो तो घोड़ा हमारा निर्भीक साथी होता है; इसीलिए युद्ध भूमि में सैनिकों को गति और पूर्वाभास के साथ ले जाने के लिए घोड़ों का प्रयोग होता है (पद 24-25)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल से लिए गए आज के पाठ में यद्यपि परमेश्वर घोड़े के उदाहरण को अय्युब को अपनी सार्वभौमिकता के बारे में सिखाने के लिए प्रयोग कर रहा था, लेकिन हम इस पाठ से परमेश्वर द्वारा रचे गए संसार में हम मनुष्यों के महत्व के बारे में भी सीख सकते हैं। परमेश्वर ने ना केवल हमें अनेकों प्रकार के कार्य करने की क्षमता रखने वाली एक सुन्दर सृष्टि बनाया है, वरन उसने हमें अपने स्वरूप में सृजा है। एक घोड़े का बल और कीमत बहुत हो सकती है, परन्तु परमेश्वर के लिए हम मनुष्य अन्य सभी प्राणियों से बढ़कर, सबसे महत्वपूर्ण हैं। इसीलिए हमारे उद्धार के लिए उसने अपने एकलौते पुत्र प्रभु यीशु मसीह को हमारे पापों के लिए बलिदान होने भेजा।

   परमेश्वर ने हमें सभी प्राणियों से अनुपम रचा है क्योंकि वह हमारे साथ संगति रखना चाहता है, हमें अपने साथ अनन्तकाल तक रखना चाहता है। प्रकृति के प्राणियों की अद्भुत बातों तथा शोभा और प्रताप के लिए हम परमेश्वर की महिमा करते हैं, लेकिन साथ ही हम परमेश्वर की महिमा इसलिए भी करते हैं क्योंकि, जैसे दाऊद कहता है "मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं" (भजन 139:14); हम मनुष्य भी परमेश्वर की अनुपम और विलक्षण रचना हैं। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर द्वारा रचे गए समस्त प्राणियों में से 
केवल मनुष्य ही नई सृष्टि होने का अनुभव कर सकता है।

सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिसने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है। - 2 कुरिन्थियों 5:17-18

बाइबल पाठ: अय्युब 39:19-25
Job 39:19 क्या तू ने घोड़े को उसका बल दिया है? क्या तू ने उसकी गर्दन में फहराती हुई अयाल जमाई है? 
Job 39:20 क्या उसको टिड्डी की सी उछलने की शक्ति तू देता है? उसके फुंक्कारने का शब्द डरावना होता है। 
Job 39:21 वह तराई में टाप मारता है और अपने बल से हषिर्त रहता है, वह हथियारबन्दों का साम्हना करने को निकल पड़ता है। 
Job 39:22 वह डर की बात पर हंसता, और नहीं घबराता; और तलवार से पीछे नहीं हटता। 
Job 39:23 तर्कश और चमकता हुआ सांग ओर भाला उस पर खड़खड़ाता है। 
Job 39:24 वह रिस और क्रोध के मारे भूमि को निगलता है; जब नरसिंगे का शब्द सुनाई देता है तब वह रुकता नहीं। 
Job 39:25 जब जब नरसिंगा बजता तब तब वह हिन हिन करता है, और लड़ाई और अफसरों की ललकार और जय-जयकार को दूर से सूंघ लेता है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 37-39
  • इब्रानियों 3


शनिवार, 5 नवंबर 2016

प्रार्थना


   परमेश्वर के वचन बाइबल का एक प्रमुख पात्र, याकूब, अपने बारे में बढ़चढ़कर सोचने वालों में से नहीं था; वह जानता था कि उसका जीवन उसके पाप के कारण बर्बाद था। वह अपने आप को प्रमेश्वर के अनुग्रह के लायक नहीं समझता थ। याकूब ने अपने भाई एसाव का पहिलौठा होने का जन्माधिकार धोखे से ले लिया था, और एसाव उस से इस बात के लिए घृणा करता था (उत्पत्ति 27), इसलिए याकूब को अपनी जान बचा कर भाग जाना पड़ा था। अब कई वर्षों के बाद उसका सामना फिर से एसाव से होने जा रहा था, और याकूब इस बात को लेकर बहुत घबराया हुआ था। अपनी इस विकट परिस्थिति में याकूब ने परमेश्वर से प्रार्थना करी: "...तेरे ऐसे ऐसे कामों में से मैं एक के भी योग्य तो नहीं हूं। मेरी विनती सुन कर मुझे मेरे भाई ऐसाव के हाथ से बचा..." (उत्पत्ति 32:10-11)।

   कैसा असंगत है याकूब द्वारा यहाँ इन दो बातों, "मैं तेरी करुणा के अयोग्य हूँ...", और, "मुझे बचा ले" का एक ही साथ उपयोग करना। लेकिन याकूब परमेश्वर की दया के लिए इस प्रकार प्रार्थना इसलिए कर सका, क्योंकि परमेश्वर से उसकी आशा अपनी किसी योग्यता पर नहीं वरन परमेश्वर के इस वायदे पर आधारित थी कि जो कोई भी पश्चातापी और दीन होकर अपने आप को परमेश्वर के चरणों पर रख देगा परमेश्वर उन्हें कभी निराश नहीं करेगा (भजन 51:17)। नम्रता और पश्चाताप ही परमेश्वर के हृदय तक पहुँचने की कुंजियाँ हैं। किसी ने कहा है कि प्रत्येक सांसारिक सहायता और सहारे से वंचित हो जाना ही परमेश्वर से सच्चे मन की प्रार्थना करवाता है। सच्ची प्रार्थना मन की गहराईयों से निकलती है; उस हृदय से निकलती है जो अपनी भ्रष्टता की गहराईयों को जानता है, जो मानता है कि सिवाय परमेश्वर के किसी और के पास उसकी स्थिति का निवारण नहीं है।

   ऐसी प्रार्थनाएं वे ही कर सकते हैं जो अपने पाप और शर्मनाक हालत के लिए पूरी तरह से कायल हो गए हैं, लेकिन साथ ही वे इस बात के लिए भी निश्चित हैं कि परमेश्वर दयालु और अनुग्रहकारी है, और वह उसके अनुग्रह के सर्वथा अयोग्य पापियों को भी प्रभु यीशु में होकर उन पर अनुग्रह करता है, प्रभु यीशु में उन्हें क्षमा कर देता है। जो प्रार्थना परमेश्वर को सबसे अच्छी लगती है वह है: "...हे परमेश्वर मुझ पापी पर दया कर" (लूका 18:13)। - डेविड रोपर


महान परमेश्वर ही महान पापियों को क्षमा कर सकता है।

टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता। - भजन 51:17

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 32:3-12
Genesis 32:3 तब याकूब ने सेईर देश में, अर्थात एदोम देश में, अपने भाई ऐसाव के पास अपने आगे दूत भेज दिए। 
Genesis 32:4 और उसने उन्हें यह आज्ञा दी, कि मेरे प्रभु ऐसाव से यों कहना; कि तेरा दास याकूब तुझ से यों कहता है, कि मैं लाबान के यहां परदेशी हो कर अब तक रहा; 
Genesis 32:5 और मेरे पास गाय-बैल, गदहे, भेड़-बकरियां, और दास-दासियां है: सो मैं ने अपने प्रभु के पास इसलिये संदेशा भेजा है, कि तेरी अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो। 
Genesis 32:6 वे दूत याकूब के पास लौट के कहने लगे, हम तेरे भाई ऐसाव के पास गए थे, और वह भी तुझ से भेंट करने को चार सौ पुरूष संग लिये हुए चला आता है। 
Genesis 32:7 तब याकूब निपट डर गया, और संकट में पड़ा: और यह सोच कर, अपने संग वालों के, और भेड़-बकरियों, और गाय-बैलों, और ऊंटो के भी अलग अलग दो दल कर लिये, 
Genesis 32:8 कि यदि ऐसाव आकर पहिले दल को मारने लगे, तो दूसरा दल भाग कर बच जाएगा। 
Genesis 32:9 फिर याकूब ने कहा, हे यहोवा, हे मेरे दादा इब्राहीम के परमेश्वर, तू ने तो मुझ से कहा, कि अपने देश और जन्म भूमि में लौट जा, और मैं तेरी भलाई करूंगा: 
Genesis 32:10 तू ने जो जो काम अपनी करूणा और सच्चाई से अपने दास के साथ किए हैं, कि मैं जो अपनी छड़ी ही ले कर इस यरदन नदी के पार उतर आया, सो अब मेरे दो दल हो गए हैं, तेरे ऐसे ऐसे कामों में से मैं एक के भी योग्य तो नहीं हूं। 
Genesis 32:11 मेरी विनती सुन कर मुझे मेरे भाई ऐसाव के हाथ से बचा: मैं तो उस से डरता हूं, कहीं ऐसा ने हो कि वह आकर मुझे और मां समेत लड़कों को भी मार डाले। 
Genesis 32:12 तू ने तो कहा है, कि मैं निश्चय तेरी भलाई करूंगा, और तेरे वंश को समुद्र की बालू के किनकों के समान बहुत करूंगा, जो बहुतायत के मारे गिने नहीं जो सकते।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 34-36
  • इब्रानियों 2


शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

विदित या वास्तविक


   अकसर यह कहा जाता है कि "जो प्रत्यक्ष है वह वास्तविक है"। अमेरिका के निवासियों के लिए यह धारणा संभवतः 26 सितंबर 1960 के दिन सजीव हुई होगी, जब उस दिन राष्ट्रपति पद के दो उम्मीदवारों के मध्य होने वाली बहस का सर्वप्रथम राष्ट्रीय टेलिविज़न पर प्रसारण किया गया। टेलिविज़न कैमरा के सामने जॉन केनेडी शांत और नियंत्रण में नज़र आए किंतु रिचर्ड निक्सन बेचैन दिखाई दे रहे थे। जो विचार इससे लोगों के सामने आया वह था कि केनेडी अधिक मज़बूत नेता होंगे। इस प्रसारण ने ना केवल उस चुनाव को एक निर्णायक मोड़ दे दिया, वरन उसने अमेरिका की राजनीतिक प्रक्रीया को भी बदल दिया; विदित तथा प्रत्यक्ष होने का महत्व राजनीति का नियम बन गया।

   अकसर जो विदित होता है वह वास्तविक होता है, परन्तु हमेशा नहीं - विशेषकर परमेश्वर को लेकर हमारी धारणाओं के संबंध में। जब प्रभु यीशु और उनके चेले एक छोटी मछली पकड़ने वाली नाव में गलील की झील को पार कर रहे थे, तो अचानक आए एक तूफान से उनकी नाव डूबने को होने लगी। प्रभु यीशु नाव में सो रहे थे और तूफान देखकर चेले घबरा गए, उन्होंने बेचैन होकर उन्हें जगाया और उनसे कहा, "...हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं" (मरकुस 4:38)।

   उन चेलों का यह प्रश्न उन प्रश्नों के समान ही है जो मैंने अनेकों बार परमेश्वर से पूछे हैं; जब भी मुझे प्रतीत हुआ है कि परमेश्वर का किसी विपरीत परिस्थिति में मेरे पक्ष में हस्तेक्षेप ना करना इस बात का सूचक है कि उसे मेरी परवाह नहीं है। लेकिन वास्तविकता यही है कि मेरे लिए उसकी परवाह, मेरे देख पाने या जाँच अथवा नाप पाने से कहीं बढ़कर है। हमारा प्रभु परमेश्वर हमारी हर बात के प्रति गहरी परवाह रखता है; इसीलिए वह हमें कहता है, आश्वस्त करता है कि हम अपनी सभी चिंता उस पर डाल दें: "और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है" (1 पतरस 5:7), प्रत्येक परिस्थिति का निवारण उस पर छोड़ दें, क्योंकि वह हमारी भलाई ही की योजनाएं बनाता है, भलाई ही के लिए कार्य करता रहता है। चाहे यह विदित हो या ना हो पर वास्तविकता यही है। - बिल क्राउडर


चाहे हम परमेश्वर की प्रेम भरी उपस्थिति को महसूस ना भी करें, 
लेकिन उसकी प्रेम भरी देखभाल हमारे साथ सदा बनी रहती है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-41
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें, 
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़ कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं। 
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। 
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं? 
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया। 
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं? 
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 32-33
  • इब्रानियों 1


गुरुवार, 3 नवंबर 2016

निकट


   मिनी और जॉर्ज लेसी के सामने कुछ प्रश्न थे: "क्या यीशु मसीह काफी है? क्या उसके साथ हमारा संबंध हमें संभालने के लिए काफी है? क्या वह हमें जीने की इच्छा और कारण देने के लिए काफी है? क्या उसे हमारी कोई चिंता है?"

   अपनी मिशनरी सेवकाई के दौरान, 1904 में, लेसी दंपत्ति की सबसे छोटी बेटी बीमार पड़ी; और फिर एक के बाद एक, उनके पाँचों बच्चे बीमार होकर मर गए, उनमें से एक भी नए वर्ष को नहीं देखने पाया। अपनी मिशनरी संस्था को लिखे गए पत्रों में जॉर्ज लेसी ने अपने गहरे दुःख तथा अकेलेपन के संबंध में लिखा: "कभी कभी यह हमारे सहने के बाहर लगता है।" लेकिन साथ ही उसने यह भी लिखा, "हमारा प्रभु हमारे साथ है और अद्भुत रीति से हमारी सहायता भी कर रहा है।" अपने इस कठिन और सबसे अन्धकारपूर्ण समय में, उन्होंने पाया कि प्रभु यीशु उनके साथ, उनके निकट है और उनके साथ उसकी यह उपस्थिति उनके लिए काफी है।

   हम में से अनेकों ऐसे पलों का सामना करेंगे, जब हमारे मनों में प्रश्न उठेंगे कि क्या अब और आगे बढ़ पाना हमारे लिए संभव है। यदि हमारा स्वास्थ्य बिगड़ जाए, हमारी नौकरी जाती रहे, हमारे निकट संबंधी जाते रहें इत्यादि, तो क्या प्रभु परमेश्वर के साथ हमारा संबंध फिर भी हमें आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करने के लिए काफी है?

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने हमें परमेश्वर की उपस्थिति और विश्वासयोग्यता के बारे में स्मरण करवाया है (भजन 30)। जब भजनकार अत्याधिक निराशा में था, क्योंकि उसका अनुभव था कि परमेश्वर उसे सांत्वना और शांति देता है (पद 2-3) तो उसने पुकारा, "हे यहोवा, सुन, मुझ पर अनुग्रह कर; हे यहोवा, तू मेरा सहायक हो" (पद 10), और परमेश्वर ने उसकी सहायता करी (पद 11)। प्रभु यीशु मसीह के विश्वासियों को दृढ़ होकर डटे रहने के लिए आवश्यक सामर्थ की कभी घटी नहीं होगी; प्रभु परमेश्वर सदा हमारे निकट और साथ रहेगा। - रैंडी किलगोर


सर्वसामर्थी प्रभु प्रभु यीशु में विश्वास हमें हर परिस्थिति में 
दृढ़ होकर डटे रहने के लिए आवश्यक सामर्थ प्रदान करता है।

यहोवा मेरा बल और मेरी ढ़ाल है; उस पर भरोसा रखने से मेरे मन को सहायता मिली है; इसलिये मेरा हृदय प्रफुल्लित है; और मैं गीत गाकर उसका धन्यवाद करूंगा। - भजन 28:7

बाइबल पाठ: भजन 30
Psalms 30:1 हे यहोवा मैं तुझे सराहूंगा, क्योंकि तू ने मुझे खींचकर निकाला है, और मेरे शत्रुओं को मुझ पर आनन्द करने नहीं दिया। 
Psalms 30:2 हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी और तू ने मुझे चंगा किया है। 
Psalms 30:3 हे यहोवा, तू ने मेरा प्राण अधोलोक में से निकाला है, तू ने मुझ को जीवित रखा और कब्र में पड़ने से बचाया है।
Psalms 30:4 हे यहोवा के भक्तों, उसका भजन गाओ, और जिस पवित्र नाम से उसका स्मरण होता है, उसका धन्यवाद करो। 
Psalms 30:5 क्योंकि उसका क्रोध, तो क्षण भर का होता है, परन्तु उसकी प्रसन्नता जीवन भर की होती है। कदाचित् रात को रोना पड़े, परन्तु सवेरे आनन्द पहुंचेगा।
Psalms 30:6 मैं ने तो अपने चैन के समय कहा था, कि मैं कभी नहीं टलने का। 
Psalms 30:7 हे यहोवा अपनी प्रसन्नता से तू ने मेरे पहाड़ को दृढ़ और स्थिर किया था; जब तू ने अपना मुख फेर लिया तब मैं घबरा गया।
Psalms 30:8 हे यहोवा मैं ने तुझी को पुकारा; और यहोवा से गिड़गिड़ाकर यह बिनती की, कि 
Psalms 30:9 जब मैं कब्र में चला जाऊंगा तब मेरे लोहू से क्या लाभ होगा? क्या मिट्टी तेरा धन्यवाद कर सकती है? क्या वह तेरी सच्चाई का प्रचार कर सकती है? 
Psalms 30:10 हे यहोवा, सुन, मुझ पर अनुग्रह कर; हे यहोवा, तू मेरा सहायक हो।
Psalms 30:11 तू ने मेरे लिये विलाप को नृत्य में बदल डाला, तू ने मेरा टाट उतरवाकर मेरी कमर में आनन्द का पटुका बान्धा है; 
Psalms 30:12 ताकि मेरी आत्मा तेरा भजन गाती रहे और कभी चुप न हो। हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैं सर्वदा तेरा धन्यवाद करता रहूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 30-31
  • फिलेमोन


बुधवार, 2 नवंबर 2016

हाथ


   मुझे अपने बचपन का एक खेल स्मरण है - सेब पकड़ना; इसके लिए खेलने वाले के हाथ पीछे करके बाँध दिए जाते थे और उसे अपने मुँह तथा दाँतों से एक धागे से बंधे और झूलते हुए सेब को पकड़ना होता था। झूलते हुए सेब को ऐसे पकड़ना बड़ा कठिन और खिसियाने वाला होता था। यह मुझे स्मरण दिलाता है कि हाथ हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं - हम उनकी सहायता से ही खाने पाते हैं, किसी का अभिनंदन करने पाते हैं, कुछ थामने पाते हैं, अपनी सुरक्षा करने पाते हैं। कहने का तातपर्य यह है कि जीवन के लिए जो भी आवश्यक है, वह करने के लिए हाथों की बहुत महत्वपूर्ण तथा आवश्यक भूमिका होती है।

   जब परमेश्वर के वचन बाइबल में मैं भजन 46:10 पढ़ता हूँ, तो इसे रोचक पाता हूँ कि यहाँ परमेश्वर कहता है कि "चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं"। मूल इब्रानी भाषा में प्रयुक्त जिस शब्द का अनुवाद यहाँ ’चुप’ हुआ है उसका अर्थ है ’संघर्ष बन्द करना’, या, यदि बिलकुल शब्दार्थ को लें तो ’हाथ बगल में रख लेना’। पहली नज़र में यह परामर्श बड़ा जोखिम भरा लगता है, क्योंकि किसी भी कठिन परिस्थिति में हमारी स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है उस परिस्थिति में अपना हाथ डालकर उसे अपने लाभ के लिए मोड़ देने का प्रयास करना। लेकिन यहाँ परमेश्वर हम से कह रहा है, "अपने हाथ हटा लो और केवल मुझे ही इस समस्या का निवारण कर लेने दो; और विश्वास रखो कि निवारण मैं ही दूँगा।"

   लेकिन सामान्यतः अपने हाथ पूर्णतया हटा कर परमेश्वर को पूरी स्वतंत्रता के साथ कार्य करने देने में हम अपने अन्दर असुरक्षित अनुभव करते हैं। किंतु यदि हम वास्तव में इस बात पर विश्वास रखते हैं कि, जैसा भजनकार इस भजन में लिखता है, "परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक" (भजन 46:1) और यह कि, "सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है" (भजन 46:7), तो हम हर परिस्थिति, परेशानी, समस्या में शांत होकर, अपने हाथ हटा कर परमेश्वर की देखभाल में विश्राम कर सकते हैं; सभी निवारण को उसके हाथों में छोड़ सकते हैं। - जो स्टोवैल


जब हम अपनी समस्याएं परमेश्वर के हाथों में सौंप देते हैं, 
तब वह अपनी शांति हमारे हृदयों में भर देता है।

प्रभु यहोवा, इस्राएल का पवित्र यों कहता है, लौट आने और शान्त रहने में तुम्हारा उद्धार है; शान्त रहते और भरोसा रखने में तुम्हारी वीरता है। परन्तु तुम ने ऐसा नहीं किया - यशायाह 30:15 

बाइबल पाठ: भजन 46
Psalms 46:1 परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। 
Psalms 46:2 इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं; 
Psalms 46:3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें।
Psalms 46:4 एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है। 
Psalms 46:5 परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है। 
Psalms 46:6 जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे; वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई। 
Psalms 46:7 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
Psalms 46:8 आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उसने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है। 
Psalms 46:9 वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है; वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है! 
Psalms 46:10 चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं! 
Psalms 46:11 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 27-29
  • तीतुस 3


मंगलवार, 1 नवंबर 2016

कलाकृति


   प्रत्येक पतझड़ ऋतु में हमारा शहर तीन सप्ताह के लिए एक कला-दीर्घा बन जाता है। संसार भर से लगभग 2000 कलाकार आकर अपनी कला की प्रदर्शनी संग्रहालयों, होटलों, पार्क, सड़क के किनारे, चर्च और नदियों में भी लगाते हैं। मुझे सबसे अधिक पसन्द आने वाली कलाकृतियों में से एक हैं पच्चिकारी विधि से बनी कलाकृतियाँ, जिसके लिए कलाकार छोटे-छोटे टुकड़ों को एकत्रित करके उनसे कलाकृति बनाते हैं। सन 2011 की ईनाम जीतने वाली कलाकृति थी 9 x 13 आकार की रंगीन काँच के टुकड़ों से बनी मिया टैवोनैट्टी का प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़े होने का चित्र। उस कलाकृति का निरीक्षण करते हुए मैंने उस कलाकार को कलाकृति बनाने की कहानी सुनाते हुए सुना कि कैसे उन काँच के टुकड़ों को सही आकार देने और उसके स्थान के लिए तैयार करते हुए उसने आप को कितनी बार काँच से घायल कर लिया था।

   उस हृदयविदारक घटना के खूबसरत चित्रिकरण को निहारते हुए मुझे वहाँ प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने के दृश्य से भी बढ़ कर कुछ नज़र आया - मैंने वहाँ प्रभु यीशु की देह, अर्थात उसके विश्वासियों की मण्डली को बनाया गया देखा। काँच के प्रत्येक टुकड़े में मैंने एक मसीही विश्वासी को देखा, जिसे मसीह यीशु ने उसके सही स्थान के लिए तराशकर तैयार किया था, जो अपने स्थान पर देह को पूर्ण कर रहा था, स्वयं सुन्दर दिख रहा था और देह को सुन्दर बना रहा था; और सभी टुकड़े एक साथ मिलकर एक संपूर्ण देह बना रहे थे (इफिसियों 2:16, 21)। कलाकृति बनाने के लिए कलाकार के प्रयासों की कहानी में मैंने प्रभु यीशु के घायल होने और अपना रक्त बहाने को देखा जिससे काँच के टुकड़ों में आपसी तालमेल और एक जुटता आ सके। उस पूर्ण कलाकृति में मैंने उस प्रेम को देखा जिसके अन्तर्गत दुःख और तकलीफ उठाकर, बलिदान देकर के यह कार्य पूर्ण किया जा सका।

   हम मसीही विश्वासी परमेश्वर के द्वारा मसीह यीशु में होकर बनाई गई कलाकृति के अंश हैं जो हमारे उद्धारकर्ता प्रभु परमेश्वर की महानता को दिखाती है; उसकी जो हमारे टूटे हुए और चुभने तथा आहत करने वाले जीवनों को लेकर अपनी समानता में ढालता है, हमारे द्वारा एक सुन्दर तथा उपयोगी निर्माण करता है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


प्रभु यीशु मसीह ने अपनी मण्डली को सुन्दर और बहुमूलय बनाने के लिए अपना सब कुछ दे दिया।

क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। - रोमियों 8:29

बाइबल पाठ: इफिसियों 2:10-22
Ephesians 2:10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया।
Ephesians 2:11 इस कारण स्मरण करो, कि तुम जो शारीरिक रीति से अन्यजाति हो, (और जो लोग शरीर में हाथ के किए हुए खतने से खतना वाले कहलाते हैं, वे तुम को खतना रहित कहते हैं)। 
Ephesians 2:12 तुम लोग उस समय मसीह से अलग और इस्‍त्राएल की प्रजा के पद से अलग किए हुए, और प्रतिज्ञा की वाचाओं के भागी न थे, और आशाहीन और जगत में ईश्वर रहित थे। 
Ephesians 2:13 पर अब तो मसीह यीशु में तुम जो पहिले दूर थे, मसीह के लोहू के द्वारा निकट हो गए हो। 
Ephesians 2:14 क्योंकि वही हमारा मेल है, जिसने दोनों को एक कर लिया: और अलग करने वाली दीवार को जो बीच में थी, ढा दिया। 
Ephesians 2:15 और अपने शरीर में बैर अर्थात वह व्यवस्था जिस की आज्ञाएं विधियों की रीति पर थीं, मिटा दिया, कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्पन्न कर के मेल करा दे। 
Ephesians 2:16 और क्रूस पर बैर को नाश कर के इस के द्वारा दोनों को एक देह बनाकर परमेश्वर से मिलाए। 
Ephesians 2:17 और उसने आकर तुम्हें जो दूर थे, और उन्हें जो निकट थे, दोनों को मेल-मिलाप का सुसमाचार सुनाया। 
Ephesians 2:18 क्योंकि उस ही के द्वारा हम दोनों की एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है। 
Ephesians 2:19 इसलिये तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे, परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्‍वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए। 
Ephesians 2:20 और प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नेव पर जिसके कोने का पत्थर मसीह यीशु आप ही है, बनाए गए हो। 
Ephesians 2:21 जिस में सारी रचना एक साथ मिलकर प्रभु में एक पवित्र मन्दिर बनती जाती है। 
Ephesians 2:22 जिस में तुम भी आत्मा के द्वारा परमेश्वर का निवास स्थान होने के लिये एक साथ बनाए जाते हो।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 24-26
  • तीतुस 2


सोमवार, 31 अक्टूबर 2016

प्रेम


   वर्षों पहले मैंने एक जवान से, जिसकी सगाई हो गई थी, पूछा, "तुम कैसे जानते हो कि तुम उससे प्रेम करते हो?" इस प्रश्न का उद्देश्य था कि वह आने वाली शादी के लिए अपने हृदय के उद्देश्यों को जान सके। कुछ देर विचार करने के पश्चात उस जवान ने उत्तर दिया, "मैं जानता हूँ कि मैं उससे प्रेम करता हूँ क्योंकि मैं अपना शेष जीवन उसे प्रसन्न रखने के लिए बिताना चाहता हूँ।" हमने उसके इस उत्तर के तात्पर्य के बारे में कुछ देर विचार-विमर्श किया और यह भी समझने का प्रयास किया कि अपने आप को प्रथम रखने की बजाए दूसरे के लिए निःस्वार्थ भाव से भला चाहने की कीमत क्या होती है। हम ने समझा कि सच्चे प्रेम का बलिदान के साथ बहुत गहरा संबंध है।

   यह बात परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई बुद्धिमता के समान है। परमेश्वर के वचन में विभिन्न प्रकार के प्रेम को बताने के लिए कई भिन्न शब्द प्रयुक्त हुए हैं। सर्वोच्च गुणवन्ता वाले प्रेम के लिए ’अगापे’ प्रयुक्त हुआ है; यह उस प्रेम को दिखाता है जो आत्म-बलिदान द्वारा प्रदर्शित और परिभाषित होता है। इस अगापे प्रेम का सर्वोत्तम उदाहरण है परमेश्वर पिता द्वारा हमारे प्रति किया गया प्रेम जिसके अन्तरगत उन्होंने हमारे लिए प्रभु यीशु मसीह को बलिदान होने के लिए दे दिया; परमेश्वर के लिए हम बहुत मूल्यवान हैं। प्रेरित पौलुस ने कहा, "परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा" (रोमियों 5:8)।

   यदि बलिदान प्रेम का सही माप है, तो मनुष्यों के लिए प्रभु यीशु के प्रेम से बढ़कर और कोई प्रेम हो नहीं सकता है: "क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए" (यूहन्ना 3:16)। - बिल क्राउडर


प्रेम का माप इससे है कि आप उसके लिए क्या कुछ दे देने के लिए तैयार हैं।

इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। - यूहन्ना 15:13

बाइबल पाठ: रोमियों 5:1-8
Romans 5:1 सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। 
Romans 5:2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें। 
Romans 5:3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज। 
Romans 5:4 ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है। 
Romans 5:5 और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है। 
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। 
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे। 
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 22-23
  • तीतुस 1