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गुरुवार, 27 अगस्त 2020

सेवा

 

         शिक्षा मनोवैज्ञानिक बेंजामिन ब्लूम ने जवान लोगों में प्रतिभा को विकसित करने पर शोध किया, और 120 उत्कृष्ट लोगों, जिनमें खिलाड़ी, कलाकार, विद्वान सम्मिलित थे, के बचपन का अध्ययन किया तो उसने पाया कि उन सभी में एक बात पाई जाती थी – उन्होंने अपने कार्य के लिए लम्बे समय तक कड़ा अभ्यास किया था।

         ब्लूम के शोध से यह संकेत मिलता है कि हमारे जीवन के किसी भी क्षेत्र में उन्नति करने के लिए हमें अनुशासित होना पड़ता है। परमेश्वर के साथ हमारे संबंध में भी एक आत्मिक अनुशासन की आवश्यकता होती है, और उसके साथ नियमित समय बिताना, उसके वचन के अध्ययन और प्रार्थना में, उसमें हमारे विश्वास को बनाए रखने का एक तरीका है।

         परमेश्वर के वचन बाइबल में दानिय्येल एक उत्तम उदाहरण है परमेश्वर के साथ अनुशासित संबंध को बनाए रखने वाले व्यक्ति का। अपने लड़कपन में ही दानिय्येल ने सोच-समझ कर और बुद्धिमानी के साथ निर्णय लेने आरंभ कर दिया था (1:8)। वह नियमित प्रार्थना करने वाला, और परमेश्वर को धन्यवाद करने वाला व्यक्ति भी था (6:10)। उसके बारंबार हर बात के लिए परमेश्वर और उसकी इच्छा का खोजी होने के द्वारा उसका जीवन ऐसा हो गया था कि उसके आस-पास के लोग परमेश्वर में उसके विश्वास को स्पष्ट देख सकते थे। दारा राजा ने तो उसे “जीवित परमेश्वर का दास” (पद 20) और दो बार “निरंतर” परमेश्वर की सेवा करने वाला कहा था (पद 16, 20)।

         दानिय्येल के समान हमें भी परमेश्वर को भली-भांति जानना बहुत आवश्यक है। यह कितनी दिलासा देने वाली बात है कि परमेश्वर हम में ऐसे कार्य करता है जिससे हम में उसके साथ समय बिताने की लालसा उत्पन्न हो सके (फिलिप्पियों 2:13)। इसलिए हम परमेश्वर के पास अनुशासित होकर नियमित आया करें, इस बात पर भरोसा रखते हुए कि उसके साथ बिताए गए समय के द्वारा हम में उसके प्रति प्रेम बढ़ता जाएगा, और हम अपने उद्धारकर्ता के ज्ञान और समझ में बढ़ते जाएँगे, जो फिर परमेश्वर के लिए हमारी सेवा को भी और उन्नत करता जाएगा। - कीला ओकोआ

 

परमेश्वर के साथ बिताया गया समय हमें बदल देता है।


क्योंकि परमेश्वर ही है, जिस न अपनी सुइच्‍छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है। - फिलिप्पियों 2:13

बाइबल पाठ: दानिय्येल 6:10-22

दानिय्येल 6:10 जब दानिय्येल को मालूम हुआ कि उस पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, तब वह अपने घर में गया जिसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियां यरूशलेम के सामने खुली रहती थीं, और अपनी रीति के अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के सामने घुटने टेक कर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा।

दानिय्येल 6:11 तब उन पुरुषों ने उतावली से आकर दानिय्येल को अपने परमेश्वर के सामने बिनती करते और गिड़गिड़ाते हुए पाया।

दानिय्येल 6:12 सो वे राजा के पास जा कर, उसकी राज-आज्ञा के विषय में उस से कहने लगे, हे राजा, क्या तू ने ऐसे आज्ञापत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया कि तीस दिन तक जो कोई तुझे छोड़ किसी मनुष्य या देवता से बिनती करेगा, वह सिंहों की माँद में डाल दिया जाएगा? राजा ने उत्तर दिया, हां, मादियों और फारसियों की अटल व्यवस्था के अनुसार यह बात स्थिर है।

दानिय्येल 6:13 तब उन्होंने राजा से कहा, यहूदी बंधुओं में से जो दानिय्येल है, उसने, हे राजा, न तो तेरी ओर कुछ ध्यान दिया, और न तेरे हस्ताक्षर किए हुए आज्ञापत्र की ओर; वह दिन में तीन बार बिनती किया करता है।

दानिय्येल 6:14 यह वचन सुनकर, राजा बहुत उदास हुआ, और दानिय्येल के बचाने के उपाय सोचने लगा; और सूर्य के अस्त होने तक उसके बचाने का यत्न करता रहा।

दानिय्येल 6:15 तब वे पुरुष राजा के पास उतावली से आकर कहने लगे, हे राजा, यह जान रख, कि मादियों और फारसियों में यह व्यवस्था है कि जो जो मनाही या आज्ञा राजा ठहराए, वह नहीं बदल सकती।

दानिय्येल 6:16 तब राजा ने आज्ञा दी, और दानिय्येल लाकर सिंहों की माँद में डाल दिया गया। उस समय राजा ने दानिय्येल से कहा, तेरा परमेश्वर जिसकी तू नित्य उपासना करता है, वही तुझे बचाए!

दानिय्येल 6:17 तब एक पत्थर लाकर उस गड़हे के मुंह पर रखा गया, और राजा ने उस पर अपनी अंगूठी से, और अपने प्रधानों की अंगूठियों से मुहर लगा दी कि दानिय्येल के विषय में कुछ बदलने ने पाए।

दानिय्येल 6:18 तब राजा अपने महल में चला गया, और उस रात को बिना भोजन पड़ा रहा; और उसके पास सुख विलास की कोई वस्तु नहीं पहुंचाई गई, और उसे नींद भी नहीं आई।

दानिय्येल 6:19 भोर को पौ फटते ही राजा उठा, और सिंहों के गड़हे की ओर फुर्ती से चला गया।

दानिय्येल 6:20 जब राजा गड़हे के निकट आया, तब शोक भरी वाणी से चिल्लाने लगा और दानिय्येल से कहा, हे दानिय्येल, हे जीवते परमेश्वर के दास, क्या तेरा परमेश्वर जिसकी तू नित्य उपासना करता है, तुझे सिंहों से बचा सका है?

दानिय्येल 6:21 तब दानिय्येल ने राजा से कहा, हे राजा, तू युग-युग जीवित रहे!

दानिय्येल 6:22 मेरे परमेश्वर ने अपना दूत भेज कर सिंहों के मुंह को ऐसा बन्द कर रखा कि उन्होंने मेरी कुछ भी हानि नहीं की; इसका कारण यह है, कि मैं उसके सामने निर्दोष पाया गया; और हे राजा, तेरे सम्मुख भी मैं ने कोई भूल नहीं की।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 120-122
  • 1 कुरिन्थियों 9

बुधवार, 26 अगस्त 2020

बढ़


         लोगों में सुलह करने विषय पर आयोजित एक वार्ता में एक बुद्धिमान भाग लेने वाले ने कहा कि हम “लोगों को समय में जमा न दिया करें,” अर्थात कुछ पुरानी बातों ही के द्वारा उन्हें सदा स्मरण न करते रहें। उसने समझाया कि यह हमारी प्रवृत्ति होती है कि हम लोगों द्वारा की गई गलतियों को स्मरण रखते हैं, और उन्हें कभी बदलने और उन गलतियों से आगे बढ़ने, सुधरने का अवसर ही नहीं देते हैं।

         हम परमेश्वर के वचन बाइबल में देखते हैं कि प्रभु यीशु के शिष्य पतरस के जीवन में अनेकों ऐसे अवसर आए थे जब परमेश्वर उसे ‘समय में जमा सकता था; परन्तु परमेश्वर ने ऐसा कभी नहीं किया। उस आवेशपूर्ण शिष्य पतरस ने प्रभु यीशु को भी “सुधारने” का प्रयास किया था, जिसके लिए उसे प्रभु यीशु से तीखी डांट भी खानी पड़ी थी (मत्ती 16:21-23)। वह प्रभु यीशु का इनकार करने के लिए भी विख्यात है (यूहन्ना 18:15-27); परन्तु प्रभु ने उसे फिर से बहाल भी कर दिया (21:15-19)। और फिर उसने एक बार चर्च में जातीय भेद-भाव को लाने में भी सहयोग दिया।

         यह अंतिम बात तब हुई जब पतरस ने, जो कैफा भी कहलाता था, अपने आप को गैर-यहूदियों से पृथक कर लिया था (गलातियों 2:11-12)। अभी हाल तक तो वह उनके साथ स्वतंत्र होकर मेल-जोल रखता था। फिर कुछ यहूदी आए, जो इस बात पर जोर देने लगे कि मसीही विश्वासियों के लिए भी खतना करवाना अनिवार्य है, और उनके आने पर पतरस अपने आप को खतना-रहित गैर-यहूदियों से पृथक रखने लग गया। यह मूसा की व्यवस्था की ओर लौटना था, और चर्च की एकता के लिए खतरे की घंटी का बजना था। तभी पौलुस भी वहाँ आया, और उसने पतरस के इस व्यवहार को सबके सामने चुनौती दी, और उसे “कपट” कहा (पद 13)। पौलुस द्वारा उठाए गए इस निर्भीक कदम के कारण, इस बात का समाधान हो गया। और इसके बाद पतरस ने परमेश्वर की सेवा उस मनोहर एक-मनता के साथ की, जो परमेश्वर हम से चाहता है।

         किसी को भी अपने बुरे समयों में ‘जम जाने या फंसे रह जाने की आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर के अनुग्रह में होकर हम एक दूसरे को गले लगा सकते हैं, एक दूसरे से सीख सकते हैं, और आवश्यक होने पर एक-दूसरे को सुधार भी सकते हैं, और इस प्रकार मसीह यीशु के प्रेम में साथ-साथ बढ़ सकते हैं। - टिम गुस्ताफसन

 

यदि हम किसी का सामना करें, तो हमारा एक ही उद्देश्य होना चाहिए

उसे पुनःस्थापित करना, न कि लज्जित करना। - चक स्विनडौल


हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो। -  गलातियों 6:1-2

 बाइबल पाठ: गलतियों 2:11-16

गलतियों 2:11 पर जब कैफा अन्‍ताकिया में आया तो मैं ने उसके मुंह पर उसका सामना किया, क्योंकि वह दोषी ठहरा था।

गलतियों 2:12 इसलिये कि याकूब की ओर से कितने लोगों के आने से पहिले वह अन्यजातियों के साथ खाया करता था, परन्तु जब वे आए, तो खतना किए हुए लोगों के डर के मारे उन से हट गया और किनारा करने लगा।

गलतियों 2:13 और उसके साथ शेष यहूदियों ने भी कपट किया, यहां तक कि बरनबास भी उन के कपट में पड़ गया।

गलतियों 2:14 पर जब मैं ने देखा, कि वे सुसमाचार की सच्चाई पर सीधी चाल नहीं चलते, तो मैं ने सब के सामने कैफा से कहा; कि जब तू यहूदी हो कर अन्यजातियों के समान चलता है, और यहूदियों के समान नहीं तो तू अन्यजातियों को यहूदियों के समान चलने को क्यों कहता है?

गलतियों 2:15 हम जो जन्म के यहूदी हैं, और पापी अन्यजातियों में से नहीं।

गलतियों 2:16 तौभी यह जानकर कि मनुष्य व्यवस्था के कामों से नहीं, पर केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहरता है, हम ने आप भी मसीह यीशु पर विश्वास किया, कि हम व्यवस्था के कामों से नहीं पर मसीह पर विश्वास करने से धर्मी ठहरें; इसलिये कि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी धर्मी न ठहरेगा।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 119:89-176
  • 1 कुरिन्थियों 8

मंगलवार, 25 अगस्त 2020

उदार


         हमारे चर्च के अगुवों ने, हमारे चर्च के इतिहास में जो कुछ परमेश्वर ने किया था, उसे दोहराने के पश्चात, चर्च समुदाय के सामने एक नए जिम को बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसके द्वारा वे हमारे समुदाय की सेवा और अच्छे से करने पाएँगे। उन अगुवों ने यह भी कहा कि उस निर्माण-कार्य के लिए धन दान करने के प्रतिज्ञा-पत्रों पर सबसे पहले वे लोग हस्ताक्षर करेंगे। इस आवश्यकता के लिए अपनी ओर से देने के लिए मैंने पहले तो मन मारकर प्रार्थना की, मैं नहीं चाहती थी कि हम पहले से ही जो चर्च को देने का निर्णय ले चुके थे, उससे अधिक कुछ दें। फिर भी मैंने तथा मेरे पति ने इस निर्माण कार्य के लिए प्रार्थना करने का फैसला लिया। परमेश्वर जो कुछ हमारे लिए करता आ रहा था, जो कुछ देता आ रहा था, उस सब को ध्यान में रखते हुए हमने प्रति माह कुछ देते रहने का निर्णय लिया। हमारे चर्च-परिवार द्वारा दी गई संयुक्त भेंटों ने उस नए भवन को बनाने के लिए आवश्यक धान-राशि को उपलब्ध करवा दिया।

         हम आभारी हैं कि उसके बन जाने के बाद से परमेश्वर ने उस जिम को कैसे समुदाय के कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिए विभिन्न प्रकार से उपयोग किया है। इससे मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में एक अन्य उदार दानी – राजा दाऊद का ध्यान आता है। यद्यपि परमेश्वर ने उसे अपना मंदिर बनवाने के लिए नहीं चुना था, फिर भी दाऊद ने उसके पास उपलब्ध सभी संसाधनों को इस परियोजना में लगा दिया (1 इतिहास 29:1-5)। उसके अधीन कार्य करने वाले अगुवों,और उन लोगों ने भी जिनकी वे सेवा करते थे, उदारता से दिया (पद 6-9)। राजा ने स्वीकार किया कि उन्होंने जो कुछ भी दिया था, वह सब पहले उन्हें परमेश्वर ने दिया था – उसने जो सृष्टिकर्ता, पालनहार, और प्रत्येक वस्तु का स्वामी है (पद 10-16)।

         जब हम यह पहचान लेते हैं कि परमेश्वर ही सभी वस्तुओं का वास्तविक स्वामी है, तो फिर हमारे लिए उदारता, कृतज्ञता, और विश्वासयोग्यता के साथ औरों की भलाई के लिए देना सहज हो जाता है। और साथ ही हम यह भी विश्वास रख सकते हैं कि हमारी आवश्यकता के समय में परमेश्वर हमारे लिए प्रावधान करेगा, और अन्य लोगों की उदारता का हमारे लिए प्रयोग करेगा। - होकिटिल डिक्सन

 

परमेश्वर पहले देता है, और वह सबसे उदार देने वाले से भी कहीं अधिक दे देता है।


सो जैसे हर बात में अर्थात विश्वास, वचन, ज्ञान और सब प्रकार के यत्‍न में, और उस प्रेम में, जो हम से रखते हो, बढ़ते जाते हो, वैसे ही इस दान के काम में भी बढ़ते जाओ। - 2 कुरिन्थियों 8:7

बाइबल पाठ: 1 इतिहास 29:1-14

1 इतिहास 29:1 फिर राजा दाऊद ने सारी सभा से कहा, मेरा पुत्र सुलैमान सुकुमार लड़का है, और केवल उसी को परमेश्वर ने चुना है; काम तो भारी है, क्योंकि यह भवन मनुष्य के लिये नहीं, यहोवा परमेश्वर के लिये बनेगा।

1 इतिहास 29:2 मैं ने तो अपनी शक्ति भर, अपने परमेश्वर के भवन के निमित्त सोने की वस्तुओं के लिये सोना, चान्दी की वस्तुओं के लिये चान्दी, पीतल की वस्तुओं के लिये पीतल, लोहे की वस्तुओं के लिये लोहा, और लकड़ी की वस्तुओं के लिये लकड़ी, और सुलैमानी पत्थर, और जड़ने के योग्य मणि, और पच्ची के काम के लिये रंग रंग के नग, और सब भांति के मणि और बहुत संगमरमर इकट्ठा किया है।

1 इतिहास 29:3 फिर मेरा मन अपने परमेश्वर के भवन में लगा है, इस कारण जो कुछ मैं ने पवित्र भवन के लिये इकट्ठा किया है, उस सब से अधिक मैं अपना निज धन भी जो सोना चान्दी के रूप में मेरे पास है, अपने परमेश्वर के भवन के लिये दे देता हूँ।

1 इतिहास 29:4 अर्थात तीन हजार किक्कार ओपीर का सोना, और सात हजार किक्कार तपाई हुई चान्दी, जिस से कोठरियों की भीतें मढ़ी जाएं।

1 इतिहास 29:5 और सोने की वस्तुओं के लिये सोना, और चान्दी की वस्तुओं के लिये चान्दी, और कारीगरों से बनाने वाले सब प्रकार के काम के लिये मैं उसे देता हूँ। और कौन अपनी इच्छा से यहोवा के लिये अपने को अर्पण कर देता है?

1 इतिहास 29:6 तब पितृों के घरानों के प्रधानों और इस्राएल के गोत्रों के हाकिमों और सहस्रपतियों और शतपतियों और राजा के काम के अधिकारियों ने अपनी अपनी इच्छा से,

1 इतिहास 29:7 परमेश्वर के भवन के काम के लिये पांच हजार किक्कार और दस हजार दर्कनोन सोना, दस हजार किक्कार चान्दी, अठारह हजार किक्कार पीतल, और एक लाख किक्कार लोहा दे दिया।

1 इतिहास 29:8 और जिनके पास मणि थे, उन्होंने उन्हें यहोवा के भवन के खजाने के लिये गेर्शोनी यहीएल के हाथ में दे दिया।

1 इतिहास 29:9 तब प्रजा के लोग आनन्दित हुए, क्योंकि हाकिमों ने प्रसन्न हो कर खरे मन और अपनी अपनी इच्छा से यहोवा के लिये भेंट दी थी; और दाऊद राजा बहुत ही आनन्दित हुआ।

1 इतिहास 29:10 तब दाऊद ने सारी सभा के सम्मुख यहोवा का धन्यवाद किया, और दाऊद ने कहा, हे यहोवा! हे हमारे मूल पुरुष इस्राएल के परमेश्वर! अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू धन्य है।

1 इतिहास 29:11 हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और वैभव, तेरा ही है; क्योंकि आकाश और पृथ्वी में जो कुछ है, वह तेरा ही है; हे यहोवा! राज्य तेरा है, और तू सभों के ऊपर मुख्य और महान ठहरा है।

1 इतिहास 29:12 धन और महिमा तेरी ओर से मिलती हैं, और तू सभों के ऊपर प्रभुता करता है। सामर्थ्य और पराक्रम तेरे ही हाथ में हैं, और सब लोगों को बढ़ाना और बल देना तेरे हाथ में है।

1 इतिहास 29:13 इसलिये अब हे हमारे परमेश्वर! हम तेरा धन्यवाद और तेरे महिमायुक्त नाम की स्तुति करते हैं।

 1 इतिहास 29:14 मैं क्या हूँ? और मेरी प्रजा क्या है? कि हम को इस रीति से अपनी इच्छा से तुझे भेंट देने की शक्ति मिले? तुझी से तो सब कुछ मिलता है, और हम ने तेरे हाथ से पाकर तुझे दिया है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 119:1-88
  • 1 कुरिन्थियों 7:20-40

सोमवार, 24 अगस्त 2020

देखना


          मैं एक महिला के अंतिम संस्कार में मंच पर से प्रार्थना करने वालों के साथ खड़ी थी, मेरी दृष्टि एक पीतल की पट्टिका पर गई, जिसपर परमेश्वर के वचन बाइबल में से यूहन्ना 12:21 के कुछ शब्द लिखे थे: “श्रीमान, हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं।” मैंने सोचा यह कितना उपयुक्त है; हम जिस महिला के जीवन को आँसुओं और मुस्कानों के साथ स्मरण कर रहे थे उसमें हमने प्रभु यीशु को किस प्रकार से देखा था? उसे अपने जीवन में चुनौतियों और निराशाओं से जूझना पड़ा था, परन्तु उसने कभी मसीह यीशु में अपने विश्वास को नहीं छोड़ा। और क्योंकि परमेश्वर का आत्मा उसमें निवास करता था, इसलिए हम उसमें यीशु को देखने पाए।


          बाइबल में यूहन्ना रचित सुसमाचार में लिखा है कि यीशु के अंतिम दिनों में, उनके यरूशलेम में प्रवेश करने के  पश्चात (यूहन्ना 12:12-16) कुछ यूनानियों ने प्रभु के एक शिष्य फिलिप्पुस के पास आकर उससे कहा, श्रीमान, हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं” (पद 21)। हो सकता है कि उनमें प्रभु यीशु द्वारा किए गए आश्चर्यकर्मों और चंगाइयों को लेकर उत्सुकता रही हो; परन्तु क्योंकि वे यहूदी नहीं थे, इसलिए उन्हें मंदिर की भीतरी आँगन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। जब उनका यह निवेदन प्रभु यीशु को बताया गया, तो प्रभु ने कहा कि उसके महिमान्वित होने का समय आ गया था (पद 23)। इससे उसका अभिप्राय था कि वह बहुतों के पापों के लिए बलिदान होने जा रहा था। वह न केवल यहूदियों वरन गैर-यहूदियों (पद 20 के यूनानी) तक भी पहुँचने के अपने उद्देश्य को पूरा करेगा और अब वे सभी प्रभु यीशु को देखने पाएँगे।


          प्रभु यीशु ने अपनी मृत्यु, पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण के पश्चात, अपने कहे के अनुसार (यूहन्ना 14:16-17) विश्वासियों में निवास करने के लिए पवित्र आत्मा को भेजा। इस प्रकार से जब हम यीशु से प्रेम करते हैं और उसकी सेवा करते हैं, तो हम उसे अपने जीवनों में सक्रिय देखते हैं; और अद्भुत बात है कि और लोग भी प्रभु यीशु को देखने पाते हैं! – एमी बाउचर पाई

 

हम प्रभु यीशु को उसके अनुयायियों के जीवनों में देखने पाते हैं।


जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो। - फिलिप्पियों 2:5


बाइबल पाठ: यूहन्ना 12:20-26

यूहन्ना 12:20 जो लोग उस पर्व में भजन करने आए थे उन में से कई यूनानी थे।

यूहन्ना 12:21 उन्होंने गलील के बैतसैदा के रहने वाले फिलिप्पुस के पास आकर उस से बिनती की, कि श्रीमान‍ हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं।

यूहन्ना 12:22 फिलिप्पुस ने आकर अन्द्रियास से कहा; तब अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने यीशु से कहा।

यूहन्ना 12:23 इस पर यीशु ने उन से कहा, वह समय आ गया है, कि मनुष्य के पुत्र कि महिमा हो।

यूहन्ना 12:24 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जब तक गेहूं का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है।

यूहन्ना 12:25 जो अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है; और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है; वह अनन्त जीवन के लिये उस की रक्षा करेगा।

यूहन्ना 12:26 यदि कोई मेरी सेवा करे, तो मेरे पीछे हो ले; और जहां मैं हूं वहां मेरा सेवक भी होगा; यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका आदर करेगा।

 

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 116-118
  • 1 कुरिन्थियों 7:1-19

रविवार, 23 अगस्त 2020

खुशी

 

          अकसर हम सुनते हैं कि खुशी अपनी इच्छा के अनुसार काम करने से मिलती है। परन्तु यह सत्य नहीं है। इस मानसिकता से केवल खोखलापन, चिंता, और दिल का दुःख ही मिलता है। कवि डब्ल्यू. एच. औडेन ने लोगों पर ध्यान किया जो विलासिता में अपने खालीपन को भरने का मार्ग तलाश रहे थे। उन्होंने उनके लिए लिखा “एक भुतहा जंगल में खोए हुए, / बच्चे जो रात से डरते हैं / जो न कभी प्रसन्न रहे और न भले।”


          परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार दाऊद हमारे भय और दुःख का उपाय लिखता है, मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया” (भजन 34:4)। खुशी कार्यों को परमेश्वर की कार्य-विधि के अनुसार करने में है, और यह ऐसा तथ्य है जिसे प्रतिदिन परखा जा सकता है। दाऊद ने आगे लिखा, जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की उन्होंने ज्योति पाई; और उनका मुंह कभी काला न होने पाया” (पद 5)। आप भी ऐसा ही कर के देखिए, और आप स्वयं समझ जाएँगे। जब वह कहता है, परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है” (पद 8), तब उसका यही तात्पर्य है।


          हम कहते हैं देखने ही से विश्वास होता है, हम संसार में बातों को इसी प्रकार से समझते हैं – मुझे प्रमाण दिखाओ और मैं विश्वास कर लूँगा। परमेश्वर इसे विपरीत कहता है, विश्वास करो तो देखने भी पाओगे। तभी वह कहता है “परखो, और तब तुम देख लोगे।”


          परमेश्वर के वचन पर विश्वास रखो। वह आप से जो भी करने के लिए कहे, उसे कर दें; और आप देखने पाएँगे। वह आपको सही कार्य करने का अनुग्रह देगा, तथा उससे बढ़कर भी देगा; वह अपने आप को ही आपको दे देगा। वही तो सारी भलाई का एकमात्र स्त्रोत है – और उसके साथ स्थाई खुशी भी मिलेगी। - डेविड एच. रोपर

 

खुशी सही कार्य ठीक से करने में है।


यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा। - भजन संहिता 37:4


बाइबल पाठ: भजन 34:1-14

भजन संहिता 34:1 मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी।

भजन संहिता 34:2 मैं यहोवा पर घमण्ड करूंगा; नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे।

भजन संहिता 34:3 मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें।

भजन संहिता 34:4 मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया।

भजन संहिता 34:5 जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की उन्होंने ज्योति पाई; और उनका मुंह कभी काला न होने पाया।

भजन संहिता 34:6 इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।

भजन संहिता 34:7 यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उन को बचाता है।

भजन संहिता 34:8 परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरुष जो उसकी शरण लेता है।

भजन संहिता 34:9 हे यहोवा के पवित्र लोगों, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती!

भजन संहिता 34:10 जवान सिंहों तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं; परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होगी।

भजन संहिता 34:11 हे लड़कों, आओ, मेरी सुनो, मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊंगा।

भजन संहिता 34:12 वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता, और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे?

भजन संहिता 34:13 अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, और अपने मुंह की चौकसी कर कि उस से छल की बात न निकले।

भजन संहिता 34:14 बुराई को छोड़ और भलाई कर; मेल को ढूंढ और उसी का पीछा कर।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 113-115
  • 1 कुरिन्थियों 6

शनिवार, 22 अगस्त 2020

प्रेम


          मेरे नाती-पोते, जो अभी छोटे बच्चे हैं, उन्हें अपने आप को तैयार करना बहुत अच्छा लगता है, परन्तु वह बहुत गलतियां भी करते हैं। कभी वह अपने कमीज़ को उलटा पहन लेते हैं, तो कभी सबसे छोटी वाली अपनी जूतियाँ उलटी पहन लेती है। मुझे उनकी यह मासूमियत अच्छी लगती है, और उनकी गलतियाँ भी प्यारी लगती हैं।


          मुझे संसार को उनके दृष्टिकोण से देखना भी अच्छा लगता है। उनके लिए हर बात एक रोमांचक अनुभव है, चाहे वह किसी गिरे हुए पेड़ पर चलना हो, या किसी कछुए को धूप सकते हुए देखना हो, या किसी दमकल को घंटा बजाते हुए तेज़ी से जाते हुए देखना हो। परन्तु मैं यह भी जानती हूँ कि छोटे होने के बावजूद मेरे नाती-पोतों की मासूमियत निर्दोष नहीं है – उनके पास सोने का समय होने पर अपने बिस्तरों में न जाने के दर्जनों बहाने होते है; और वे एक दूसरे से अपनी पसंद के खिलौने छीन लेने में कोई देर नहीं करते हैं। लेकिन फिर भी मैं उन सब से बहुत प्रेम करती हूँ।


          परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर द्वारा रचे गए पहले मनुष्यों – आदम और हव्वा भी कई प्रकार से मेरे नाती-पोतों के समान थे। वे जब परमेश्वर के साथ पृथ्वी पर चलते फिरते थे, तो जो भी वे देखते थे वह सभी उनके लिए आश्चर्यजनक होती होगी। किन्तु एक दिन उन्होंने जानते-बूझते हुए अनाज्ञाकारिता की, और वर्जित वृक्ष के फल को खा लिया (उत्पत्ति 2:15-17; 3:6)। और इस अनाज्ञाकारिता के परिणामस्वरूप पाप ने संसार में प्रवेश किया और उन्होंने बहाने बनाना तथा औरों पर दोषारोपण करना आरंभ कर दिया (उत्पत्ति 3:8-13)।


          फिर भी परमेश्वर ने उनसे प्रेम करना नहीं छोड़ा, उसने उन्हें पहनने के वस्त्र दिए, जिसके लिए पशुओं का बलिदान देना पड़ा (3:21)। यह परमेश्वर द्वारा मनुष्य के पाप को ढाँपने के लिए बाद में प्रभु यीशु के बलिदान का प्रतीक था, जिसके द्वारा उसने सारे संसार के सभी मनुष्यों के लिए पापों की क्षमा और उद्धार का मार्ग तैयार करके दिया (यूहन्ना 3:16)। यह हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम का सूचक कि हमारे पापी स्वभाव के बावजूद परमेश्वर हमसे कितना प्रेम करता है। - एलिसन कीडा

 

प्रभु परमेश्वर हम से इतना प्रेम करता है 

कि उसने हमारे लिए अपने आप को बलिदान कर दिया।


क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16


बाइबल पाठ: उत्पत्ति 3:1-13

उत्पत्ति 3:1 यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उसने स्त्री से कहा, क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना?

उत्पत्ति 3:2 स्त्री ने सर्प से कहा, इस वाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं।

उत्पत्ति 3:3 पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।

उत्पत्ति 3:4 तब सर्प ने स्त्री से कहा, तुम निश्चय न मरोगे,

उत्पत्ति 3:5 वरन परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।

उत्पत्ति 3:6 सो जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने उस में से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया।

उत्पत्ति 3:7 तब उन दोनों की आंखे खुल गई, और उन को मालूम हुआ कि वे नंगे है; सो उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये।

उत्पत्ति 3:8 तब यहोवा परमेश्वर जो दिन के ठंडे समय वाटिका में फिरता था उसका शब्द उन को सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए।

उत्पत्ति 3:9 तब यहोवा परमेश्वर ने पुकार कर आदम से पूछा, तू कहां है?

उत्पत्ति 3:10 उसने कहा, मैं तेरा शब्द बारी में सुन कर डर गया क्योंकि मैं नंगा था; इसलिये छिप गया।

उत्पत्ति 3:11 उसने कहा, किस ने तुझे चिताया कि तू नंगा है? जिस वृक्ष का फल खाने को मैं ने तुझे मना किया था, क्या तू ने उसका फल खाया है?

उत्पत्ति 3:12 आदम ने कहा जिस स्त्री को तू ने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैं ने खाया।

उत्पत्ति 3:13 तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, तू ने यह क्या किया है? स्त्री ने कहा, सर्प ने मुझे बहका दिया तब मैं ने खाया।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 110-112
  • 1 कुरिन्थियों 5

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

प्रार्थना

 

        अपने बचपन में जो सबसे पहली प्रार्थना मैंने सीखी थी, वह थी, “हे प्रभु अब मैं सोने जाता हूँ, और आप के हाथ में अपनी आत्मा रखवाली के लिए सौंपता हूँ ... । मुझे यह प्रार्थना मेरे माता-पिता ने सिखाई थी; जब मेरे बच्चे हुए, तो मैंने भी उन्हें यही प्रार्थना सिखाई। सोते समय अपनी आत्मा को सुरक्षित रखने के लिए प्रभु को सौंप देने से मुझे बहुत तसल्ली मिलती थी।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रार्थनाओं की पुस्तक भजन संहिता में भी एक ऐसी ही प्रार्थना लिखी हुई है “मैं अपनी आत्मा को तेरे ही हाथों में सौंप देता हूँ” (भजन 31:5)। कुछ बाइबल विद्वानों का मानना है कि यह प्रभु यीशु के दिनों में बच्चों को सिखाई जाने वाली एक प्रार्थना थी। आप इस प्रार्थना को प्रभु यीशु द्वारा क्रूस पर से कही गई अंतिम पुकार में पहचान सकते हैं। परन्तु प्रभु यीशु ने इसमें एक शब्द और जोड़ दिया था, पिता (लूका 23:46)। अपनी मृत्यु से कुछ ही क्षण पहले यह शब्द प्रयोग कर के प्रभु यीशु ने पिता परमेश्वर के साथ अपने घनिष्ठ संबंध को दिखाया। इससे पहले, अपने शिष्यों के साथ हुई अपनी अंतिम बात-चीत में, प्रभु यीशु ने उन शिष्यों को उसके तथा परमेश्वर पिता के साथ के उनके स्थाई निवास के विषय भी बताया था, “और यदि मैं जा कर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो” (यूहन्ना 14:3)।

        प्रभु यीशु क्रूस पर इसलिए बलिदान हुए ताकि हम परमेश्वर पिता के साथ अपने अद्भुत संबंध के अचरज में जीवन व्यतीत कर सकें। यह जानना कितना शान्तिदायक है कि हमारे प्रति प्रभु यीशु के प्रेम के कारण, जिसे उसने क्रूस पर दिए गए अपने बलिदान के द्वारा दिखाया, हम परमेश्वर के साथ उसकी संतान बनकर रह सकते हैं। हम बिना किसी भय के अपनी आँखें बन्द कर सकते हैं,क्योंकि हमारा स्वर्गीय पिता हमारी देखभाल करता है और उसने हम से प्रतिज्ञा की है कि वह अपने साथ अनन्त जीवन के लिए हमें संभाले रखेगा। - जेम्स बैंक्स

 

प्रभु यीशु में एक उज्ज्वल नई भोर हमारी प्रतीक्षा कर रही है।


परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12 -13


बाइबल पाठ: लूका 23:44-48

लू्का 23:44 और लगभग दो पहर से तीसरे पहर तक सारे देश में अन्धियारा छाया रहा।

लू्का 23:45 और सूर्य का उजियाला जाता रहा, और मन्दिर का परदा बीच में फट गया।

लू्का 23:46 और यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा; हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं: और यह कहकर प्राण छोड़ दिए।

लू्का 23:47 सूबेदार ने, जो कुछ हुआ था देखकर, परमेश्वर की बड़ाई की, और कहा; निश्चय यह मनुष्य धर्मी था।

लू्का 23:48 और भीड़ जो यह देखने को इकट्ठी हुई भी, इस घटना को, देखकर छाती- पीटती हुई लौट गई।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 107-109
  • 1 कुरिन्थियों 4