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गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

सामर्थ्य

 

          चौवन वर्ष की आयु में मैंने लंबी दूरी की दौड़ में भाग लेने का निर्णय लिया; और इस दौड़ के लिए मेरे दो उद्देश्य थे – एक था कि मैं दौड़ को पूरा कर सकूँ, और दूसरा था कि उसे पाँच घंटे के अन्दर पूरा कर सकूँ। मेरा यह कर पाना अद्भुत होता, यदि दौड़ के दूसरे 13.1 कि.मी. का भाग उतना ही अच्छे से पूरा होने पाता जितने अच्छे से पहला भाग पूरा हुआ था। दौड़ बहुत कठिन और थका देने वाली थी, और मैं जिस शक्ति की आशा रखे हुए था, वह मुझ में नहीं थी, और जब तक कि मैंने समापन रेखा को पार किया, मेरा दौड़ना एक पीड़ादायक चलने में बदल चुका था।

          केवल अपने पैरों से दौड़ने के लिए ही शक्ति की आवश्यकता नहीं होती है – जीवन की दौड़ के लिए भी सामर्थ्य चाहिए होता है। थकित और निढाल लोगों को भी परमेश्वर की सामर्थ्य की आवश्यकता होती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह 40:7 में उन लोगों के लिए दिलासा और प्रोत्साहन दिया गया है जिन्हें जीवन के मार्ग पर चलते रहने के लिए  सामर्थ्य की आवश्यकता महसूस हो रही है। बाइबल के शाश्वत शब्द, थके और निराश लोगों को स्मरण करवाते हैं कि प्रभु परमेश्वर हमारी दशा और परिस्थितियों से अनभिज्ञ अथवा उदासीन नहीं है (पद 27)। ये शब्द शान्ति और सांत्वना देते हैं, और हमें परमेश्वर की असीम सामर्थ्य तथा अथाह बुद्धि का स्मरण करवाते हैं (पद 28)।

          पद 29-31 में जिस शक्ति का वर्णन किया गया है, वह हमारे लिए बिलकुल उपयुक्त है। हम चाहे अपने परिवारों की देखभाल और उनके लिए प्रबंधन कर रहे हों, या किसी आर्थिक परेशानी अथवा शारीरिक दुर्बलता से जूझ रहे हों, या किन्हीं संबंधों या आत्मिक चुनौतियों के कारण निराश हों – परमेश्वर की अद्भुत सामर्थ्य हमारे लिए सदा उपलब्ध है – यदि हम प्रार्थना और परमेश्वर के वचन पर मनन करने में लगे रहने के द्वारा उसके समय और तरीके की धैर्य के साथ प्रतीक्षा करते हैं। - आर्थर जैक्सन

 

प्रभु मेरी दुर्बलता और थकान में मुझे अपनी सामर्थ्य से भर दे।


हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। - मत्ती 11:28

बाइबल पाठ: यशायाह 40:27-31

यशायाह 40:27 हे याकूब, तू क्यों कहता है, हे इस्राएल तू क्यों बोलता है, मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता?

यशायाह 40:28 क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का  सृजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है।

यशायाह 40:29 वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ्य देता है।

यशायाह 40:30 तरूण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं;

यशायाह 40:31 परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।

 

एक साल में बाइबल: 

  • 2 शमूएल 14-15
  • लूका 17:1-19

बुधवार, 21 अप्रैल 2021

सचेत और सतर्क

 

          मेरी परवरिश गर्म दक्षिणी शहरों में हुई थी, इसलिए जब में उत्तरी बर्फीले क्षेत्रों में रहने लगी, तो मुझे यह सीखने के लिए समय लगा कि लम्बे बर्फीले मौसम में किस प्रकार सावधानी के साथ गाड़ी चलानी होती है। मेरी पहली कठिन सर्दियों में मैं तीन बार बर्फ के टीलों में फँस गई। लेकिन कई वर्ष के अभ्यास के बाद, मैं बर्फीली स्थितियों में भी गाड़ी अच्छे से चला लेने में आश्वस्त अनुभव करने लगी – कुछ आवश्यकता से अधिक आश्वस्त हो गई। परिणामस्वरूप, मैं सतर्क रहने की उपेक्षा करने लगी, और एक दिन मेरी गाड़ी जमी हुई बर्फ पर फिसल गई और टेलीफोन के खम्भे से जा टकराई।

          सचेत और सतर्क रहने की बजाए, मैं असावधान होकर ‘स्वचालितसी होकर गाड़ी चलाने लग गई थी, और यह दुर्घटना हो गई। सौभाग्यवश किसी को चोट तो नहीं आई, लेकिन उस दिन मुझे एक महत्वपूर्ण शिक्षा मिल गई – मुझे एहसास हो गया कि आश्वस्त होकर सचेत न रहने का क्या परिणाम हो सकता है।

          हमारे आत्मिक जीवनों में भी हमें इसी प्रकार से सचेत और सतर्क रहना चाहिए। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पतरस मसीही विश्वासियों को सचेत करता है कि वे असावधान न हो जाएँ, वरन सचेत बने रहें (1 पतरस 5:8)। शैतान सदा सक्रिय रहता है कि हम मसीही विश्वासियों को हानि पहुँचाए; इसलिए हमें भी सचेत और सतर्क रहना है कि हम उसके प्रलोभनों में न फँस जाएँ और अपने विश्वास में दृढ़ होकर खड़े रहें (पद 9)।

          लेकिन यह कोई ऐसी बात नहीं है जिसे हमें अपनी ही शक्ति और योग्यता के द्वारा करना है। परमेश्वर ने हम से यह वायदा किया है कि वह सदा हमारे साथ बना रहेगा – हमारे दुखों और परेशानियों में भी, और हमें “सिद्ध, स्थिर और बलवंत” बनाएगा (पद 10)। उसकी सामर्थ्य और मार्गदर्शन के द्वारा हम सचेत और सतर्क बने रहना सीख सकते हैं, और शैतान की चालाकियों पर विजयी होकर परमेश्वर का अनुसरण कर सकते हैं। - एमी पीटरसन

 

प्रभु मुझे आलसी और लापरवाह होने से बचाकर, सचेत और सतर्क बनाए रखें।


कि शैतान का हम पर दांव न चले, क्योंकि हम उस की युक्तियों से अनजान नहीं। - 2 कुरिन्थियों 2:11

बाइबल पाठ: 1 पतरस 5:6-11

1 पतरस 5:6 इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए।

1 पतरस 5:7 और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है।

1 पतरस 5:8 सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गरजने वाले सिंह के समान इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।

1 पतरस 5:9 विश्वास में दृढ़ हो कर, और यह जान कर उसका सामना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं, ऐसे ही दुख भुगत रहे हैं।

1 पतरस 5:10 अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिसने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्‍त करेगा।

1 पतरस 5:11 उसी का साम्राज्य युगानुयुग रहे। आमीन।

 

एक साल में बाइबल: 

  • 2 शमूएल 12-13
  • लूका 16

मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

सचेत

 

          क्रिसमस की छुट्टियों में हमारा पूरा परिवार, हम पाँचों,रोम घूमने के लिए गए। मुझे नहीं पता कि मैंने कभी इतनी अधिक संख्या में लोगों को एक ही समय पर एक ही स्थान एकत्रित देखा होगा। हम भीड़ में से होकर रास्ता बनाते हुए रोम के विभिन्न दर्शनीय स्थलों को देखते जा रहे थे, और मैं अपने बच्चों को बारंबार सचेत होकर अपने आस-पास का ध्यान रखे रहने के लिए कह रहा था – वे यह ध्यान रखें कि कहाँ पर हैं, उनके आस-पास कौन है, और क्या हो रहा है। हम ऐसे समय में रहते हैं जब अपना इलाका हो या कहीं बाहर का, संसार अब सुरक्षित स्थान नहीं रह गया है। और मोबाइल फोन तथा इयर-फोन्स के उपयोग करते हुए चलने की आदत के कारण, बच्चे हों या वयस्क, बहुत बार उन्हें ध्यान ही नहीं रहता है कि वे कहाँ पर और किस के साथ हैं।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस ने फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में, फिलिप्पियों 1:9-11 में, उनसे सचेत होकर प्रार्थना करने को कहा। उनके लिए उसकी इच्छा थी कि वे निरंतर अपनी परिस्थिति से संबंधित कौन/क्या/कहाँ की पहचान में बढ़ते चले जाएँ। किन्तु पौलुस की यह इच्छा उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए नहीं, वरन एक महान उद्देश्य के संबंध में थी – परमेश्वर के पवित्र लोग मसीह के उस प्रेम के अच्छे भण्डारी बनें, जो उन्होंने प्रभु यीशु से पाया है। वे पहचान सकें कि “क्या सर्वोत्तम है”, “पवित्र एवं निर्दोष” जीवन जीएँ, और उन सदगुणों से भरपूर हो जाएँ जो केवल प्रभु यीशु से ही आ सकते हैं।

          इस प्रकार का जीवन इस बात के प्रति सचेत बने रहने से आता है हमारे जीवन में परमेश्वर कौन है; क्या परमेश्वर पर हर बात के लिए हमारी निरंतर निर्भरता है, क्योंकि परमेश्वर इसी से प्रसन्न होता है; और हर परिस्थिति में सचेत रहते हुए उसके महान प्रेम को कहाँ पर व्यक्त और साझा कर सकते हैं। - जॉन ब्लेज़

 

हे पिता हमें सचेत करें, कि हम आपके प्रेम के सच्चे गवाह बनें।


क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए। और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा। - 2 कुरिन्थियों 5:14-15

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 1:3-11

फिलिप्पियों 1:3 मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं।

फिलिप्पियों 1:4 और जब कभी तुम सब के लिये बिनती करता हूं, तो सदा आनन्द के साथ बिनती करता हूं।

फिलिप्पियों 1:5 इसलिये, कि तुम पहिले दिन से ले कर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो।

फिलिप्पियों 1:6 और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा।

फिलिप्पियों 1:7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्योंकि तुम मेरे मन में आ बसे हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो।

फिलिप्पियों 1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति कर के तुम सब की लालसा करता हूं।

फिलिप्पियों 1:9 और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।

फिलिप्पियों 1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ।

फिलिप्पियों 1:11 और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्तुति होती रहे।

 

एक साल में बाइबल: 

  • 2 शमूएल 9-11
  • लूका 15:11-32

सोमवार, 19 अप्रैल 2021

अवर्णनीय प्रेम

 

          हमारी छोटी सी मसीही मण्डली के लोगों ने मेरे बेटे को, उसके छटे जन्मदिन पर उसे अनपेक्षित उपहार देने की योजना बनाई। मण्डली के लोगों ने जिस कमरे में उसके सन्डे स्कूल की क्लास होती थी, उस कमरे को गुबारों से सजाया और एक छोटी मेज़ पर उसके लिए केक को लाकर रख दिया। जब मेरे बेटे ने कमरे का दरवाज़ा खोला, तो अन्दर जमा सभी ने ऊँची आवाज़ में कहा “जन्मदिन मुबारक हो!”

          बाद में जब मैं बांटने के लिए केक को काट रही थी, तो मेरा बेटा मेरे पास आया और मुझ से फुसफुसाकर पूछने लगा, “मम्मी, यहाँ पर सभी लोग मुझ से इतना प्रेम क्यों करते हैं?” मेरे दिल में भी यही प्रश्न था। ये लोग तो हमें केवल छः महीनों से ही जानते थे, लेकिन हमारे साथ ऐसे व्यवहार करते थे मानो बहुत लम्बे समय के मित्र हों।

          मेरे बेटे के प्रति उनका प्रेम, हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम को प्रतिबिंबित करता था। हम नहीं समझ सकते हैं कि परमेश्वर हम से इतना प्रेम क्यों करता है; लेकिन वह न केवल करता है, वरन हमें अपना प्रेम बिना किसी कीमत के देता भी है। हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया है कि हम उसके प्रेम के योग्य हों, लेकिन फिर भी वह हम पर अपना प्रेम बहुतायत से उंडेलता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है, परमेश्वर प्रेम है” (1 यूहन्ना 4:8)। उसका प्रेम उसके व्यक्तित्व का एक भाग है।

          परमेश्वर ने अपने प्रेम को हम पर उडेला है, और हम से अपेक्षा करता है कि हम भी औरों के प्रति ऐसे ही प्रेम दिखा सकें। प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो” (यूहन्ना 13:34-35)।

          हमारी छोटी सी मसीही मण्डली के लोग हमसे इसलिए प्रेम करते हैं क्योंकि उनमें परमेश्वर का प्रेम बसा हुआ है। वह प्रेम उनमें होकर चमकता है और प्रभु यीशु के अनुयायी होने की उनकी पहचान को स्पष्ट प्रकट करता है। हम परमेश्वर के प्रेम को पूरी तरह से समझ तो नहीं पाते हैं, परन्तु उसे औरों तक पहुँचा सकते हैं – उन्हें उसके बारे में बता सकते हैं, उन्हें उसका अनुभव करवा सकते हैं – उसके अवर्णनीय प्रेम के सजीव उदाहरण बनने के द्वारा। - कीला ओकोआ

 

क्योंकि परमेश्वर हम से प्रेम करता है, इसलिए हम भी औरों से प्रेम कर सकते हैं।


हे प्रियो, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है। - 1 यूहन्ना 4:7

बाइबल पाठ: यूहन्ना 13:31-35

यूहन्ना 13:31 जब वह बाहर चला गया तो यीशु ने कहा; अब मनुष्य पुत्र की महिमा हुई, और परमेश्वर की महिमा उस में हुई।

यूहन्ना 13:32 और परमेश्वर भी अपने में उस की महिमा करेगा, वरन तुरन्त करेगा।

यूहन्ना 13:33 हे बालकों, मैं और थोड़ी देर तुम्हारे पास हूं: फिर तुम मुझे ढूंढोगे, और जैसा मैं ने यहूदियों से कहा, कि जहां मैं जाता हूं, वहां तुम नहीं आ सकते वैसा ही मैं अब तुम से भी कहता हूं।

यूहन्ना 13:34 मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।

यूहन्ना 13:35 यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।

 

एक साल में बाइबल: 

  • 2 शमूएल 6-8
  • लूका 15:1-10

रविवार, 18 अप्रैल 2021

आशीषें

 

          हम दोपहर के भोजन के लिए एकत्रित हुए थे; मेरे मित्र जेफ़ ने भोजन के लिए प्रार्थना की, और कहा: “हे पिता, आपका धन्यवाद हो कि आप हमें अपनी हवा में साँस लेने देते हैं, और अपने भोजन पदार्थों में से खाने देते हैं।” जेफ़ हाल ही में नौकरी चले जाने के कारण बहुत कठिन परिस्थितियों से होकर निकला था; इसलिए उसके दिल से व्यक्त किए गए परमेश्वर में विश्वास, और इस बात के अंगीकार ने, कि सब कुछ परमेश्वर का है, और वही हमें यह सब उपयोग करने के लिए देता है, मेरे मन को बहुत गहराई से छूआ, मुझे द्रवित किया। मैं सोचने लगा, “क्या मैं वास्तव में इस बात को समझता और मानता हूँ कि मेरे जीवन की सबसे सामान्य वस्तुएँ भी, मेरे दैनिक जीवन की हर बात, असलियत में परमेश्वर ही की है, और वह अपनी कृपा में मुझे उन्हें प्रयोग करने दे रहा है।”

          परमेश्वर के वचन बाइबल में, जब राजा दाऊद ने मंदिर के निर्माण के लिए इस्राएल के लोगों से उनकी भेंटें स्वीकार कीं, तब उसने प्रार्थना की, मैं क्या हूँ? और मेरी प्रजा क्या है? कि हम को इस रीति से अपनी इच्छा से तुझे भेंट देने की शक्ति मिले? तुझी से तो सब कुछ मिलता है, और हम ने तेरे हाथ से पाकर तुझे दिया है” और आगे उसने यह भी कहा “और सब तेरा ही है” (1 इतिहास 29:14, 16)।

          पवित्र शास्त्र हमें बताता है कि हमारा अपनी जीविका कमाने और धन अर्जित करने की योग्यता भी हमें परमेश्वर ही देता है (व्यवस्थाविवरण 8:18)। इस बात को समझना और स्वीकार करना कि हमारे पास जो कुछ भी है वह सब परमेश्वर ही का है, उस ही के द्वारा हमें दिया गया है, हमारी सहायता करता है कि हम संसारकी वस्तुओं पर कम मन लगाएँ, उनके प्रति उदार बनें, और खुले मनों और हाथों के साथ जीवन जीएँ – जो कुछ हमें परमेश्वर से मिला है, उसे औरों के साथ भी खुले हाथों से बाँटें, क्योंकि परमेश्वर हमें प्रतिदिन खुले हाथों से देता है, न केवल सांसारिक आशीषें, वरन अपनी कृपा, करुणा, और दया भी।

          परमेश्वर बहुत उदारता तथा प्रेम से देता है – इतने प्रेम से कि उसने हम सभी लिए अपने इकलौते पुत्र को भी दे दिया (रोमियों 8:32)। क्योंकि हमें इतना कुछ, इतनी उदारता से दिया गया है, इसलिए उसकी इन सभी आशीषों के लिए हम कृतज्ञ मनों के साथ उसके सदा धन्यवादी बने रहें। - जेम्स बैंक्स

 

हमारे पास जो भी है, सब परमेश्वर ही का दिया हुआ है।


जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है। - मत्ती 5:45

बाइबल पाठ: 1 इतिहास 29:6-16

1 इतिहास 29:6 तब पितृों के घरानों के प्रधानों और इस्राएल के गोत्रों के हाकिमों और सहस्रपतियों और शतपतियों और राजा के काम के अधिकारियों ने अपनी अपनी इच्छा से,

1 इतिहास 29:7 परमेश्वर के भवन के काम के लिये पांच हजार किक्कार और दस हजार दर्कनोन सोना, दस हजार किक्कार चान्दी, अठारह हजार किक्कार पीतल, और एक लाख किक्कार लोहा दे दिया।

1 इतिहास 29:8 और जिनके पास मणि थे, उन्होंने उन्हें यहोवा के भवन के खजाने के लिये गेर्शोनी यहीएल के हाथ में दे दिया।

1 इतिहास 29:9 तब प्रजा के लोग आनन्दित हुए, क्योंकि हाकिमों ने प्रसन्न हो कर खरे मन और अपनी अपनी इच्छा से यहोवा के लिये भेंट दी थी; और दाऊद राजा बहुत ही आनन्दित हुआ।

1 इतिहास 29:10 तब दाऊद ने सारी सभा के सम्मुख यहोवा का धन्यवाद किया, और दाऊद ने कहा, हे यहोवा! हे हमारे मूल पुरुष इस्राएल के परमेश्वर! अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू धन्य है।

1 इतिहास 29:11 हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और वैभव, तेरा ही है; क्योंकि आकाश और पृथ्वी में जो कुछ है, वह तेरा ही है; हे यहोवा! राज्य तेरा है, और तू सभों के ऊपर मुख्य और महान ठहरा है।

1 इतिहास 29:12 धन और महिमा तेरी ओर से मिलती हैं, और तू सभों के ऊपर प्रभुता करता है। सामर्थ्य और पराक्रम तेरे ही हाथ में हैं, और सब लोगों को बढ़ाना और बल देना तेरे हाथ में है।

1 इतिहास 29:13 इसलिये अब हे हमारे परमेश्वर! हम तेरा धन्यवाद और तेरे महिमायुक्‍त नाम की स्तुति करते हैं।

1 इतिहास 29:14 मैं क्या हूँ? और मेरी प्रजा क्या है? कि हम को इस रीति से अपनी इच्छा से तुझे भेंट देने की शक्ति मिले? तुझी से तो सब कुछ मिलता है, और हम ने तेरे हाथ से पाकर तुझे दिया है।

1 इतिहास 29:15 तेरी दृष्टि में हम तो अपने सब पुरखाओं के समान पराए और परदेशी हैं; पृथ्वी पर हमारे दिन छाया के समान बीते जाते हैं, और हमारा कुछ ठिकाना नहीं।

1 इतिहास 29:16 हे हमारे परमेश्वर यहोवा! वह जो बड़ा संचय हम ने तेरे पवित्र नाम का एक भवन बनाने के लिये किया है, वह तेरे ही हाथ से हमें मिला था, और सब तेरा ही है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • 2 शमूएल 3-5
  • लूका 14:25-35

शनिवार, 17 अप्रैल 2021

प्रेम

 

          मेरा सबसे छोटा पोता अभी दो ही महीन का है, लेकिन फिर भी, मैं जब भी उसे देखने पाती हूँ, मुझे उस में कुछ नया दिखाई देते हैं। हाल ही में, जब मैं उसे दुलार से पुकार रही थी, तो उसने मेरी ओर देखा और मुसकुराया और मेरी आँखों में आँसू आ गए। शायद यह आँसू, उस आनन्द के थे, जो मेरे अपने बच्चों की पहली मुसकुराहट की यादों का था, जिसे मैंने बहुत वर्ष पहले देखा था, लेकिन फिर भी ऐसा लगता है मानो कल ही की बात थी। कुछ पल ऐसे ही होते हैं – जिनका वर्णन नहीं किया जा सकता है।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 103, दाऊद द्वारा लिखा गया परमेश्वर की स्तुति का एक गीत है, जो यह भी स्मरण करता है कि वे आनन्ददायक पल कितनी शीघ्र हमारे जीवनों से होकर निकल जाते हैं: “मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल के समान फूलता है, जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता” (पद 15-16)।

          किन्तु जीवन के अल्पकालीन होने को स्मरण करने के बावजूद, दाऊद ने फूलों को बढ़ने और खिलने के बारे में लिखा। यद्यपि प्रत्येक फूल बहुत शीघ्रता से बढ़ता है, खिलता है, अपनी सुगन्ध बिखेरता है, अपने रंग दिखाता है, और उसकी सुन्दरता उन पलों में बहुत आनन्द प्रदान करती है, और फिर वह जाता रहता है, भुला दिया जाता है – “और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है” (पद 16)। इसकी तुलना में हमें प्रभु से यह आश्वासन है कि “परन्तु यहोवा की करुणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती- पोतों पर भी प्रगट होता रहता है” (पद 17)।

          फूलों के समान हम भी कुछ पल के लिए खिलने और आनन्द देने वाले हो सकते हैं; लेकिन हम इस तथ्य से भी आनन्दित रह सकते हैं कि हमारे जीवन के पल कभी भुलाए नहीं जाते हैं। हमारे जीवनों के हर पल की हर बात परमेश्वर के पास सुरक्षित है; और उसका अनन्तकाल का प्रेम उसकी संतानों के साथ हमेशा बना रहता है। - एलिसन कीड़ा

 

परमेश्वर के लिए फूलने-फलने के लिए हमें जो भी चाहिए, वह हमें देता है।


तब यहोवा का भय मानने वालों ने आपस में बातें की, और यहोवा ध्यान धर कर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके सामने एक पुस्तक लिखी जाती थी। - मलाकी 3:16

बाइबल पाठ: भजन 103:13-22

भजन 103:13 जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है।

भजन 103:14 क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है।

भजन 103:15 मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल के समान फूलता है,

भजन 103:16 जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता, और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है।

भजन 103:17 परन्तु यहोवा की करुणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती- पोतों पर भी प्रगट होता रहता है,

भजन 103:18 अर्थात उन पर जो उसकी वाचा का पालन करते और उसके उपदेशों को स्मरण कर के उन पर चलते हैं।

भजन 103:19 यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है।

भजन 103:20 हे यहोवा के दूतों, तुम जो बड़े वीर हो, और उसके वचन के मानने से उसको पूरा करते हो उसको धन्य कहो!

भजन 103:21 हे यहोवा की सारी सेनाओं, हे उसके टहलुओ, तुम जो उसकी इच्छा पूरी करते हो, उसको धन्य कहो!

भजन 103:22 हे यहोवा की सारी सृष्टि, उसके राज्य के सब स्थानों में उसको धन्य कहो। हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह!

 

एक साल में बाइबल: 

  • 2 शमूएल 1-2
  • लूका 14:1-24


शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

सृष्टि

 

          मैं नैशनल जियोग्राफिक का एक वीडियो देख रही था, जिस में कैलिफोर्निया के निकट के समुद्र तट में चार हज़ार फीट गहराई में एक बहुत ही कम देखी जाने वाली जेली फिश को पानी की गहरी धाराओं के प्रवाह के साथ ‘नाचते हुए दिखाया गया था; उसका शरीर, पानी के कालेपन की तुलना में, चमकीले नीले, बैंगनी, और गुलाबी रंगों की विभिन्न छायाओं से चमक रहा था; और घंटे समान उसके शरीर से निकलने वाले अनेकों लचीले और चमकीले टेंटेकल्स उसके शरीर के प्रत्येक सपंदन के साथ थिरक रहे थे। उस अद्भुत वीडियो को देखते समय मैं विचार कर रही थी कि परमेश्वर ने जेलेटिन के समान इस सुन्दर जन्तु की सृष्टि कितनी अद्भुत रीति से की है; और न केवल उसकी, वरन उन् 2000 से भी अधिक प्रजातियों की जेली फिश की भी जिन्हें अक्तूबर 2017 तक वैज्ञानिक पहचान चुके थे।

          यद्यपि हम परमेश्वर को सृष्टिकर्ता स्वीकार करते हैं, फिर भी क्या हम कभी कुछ धीमे होकर परमेश्वर के वचन बाइबल के पहले अध्याय में प्रकट किए गए विलक्षण सच्चाइयों पर विचार करते हैं? हमारे विस्मयकारी परमेश्वर ने इस विविध प्रकार की रचनाओं से भरे संसार में अपनी ज्योति और जीवन को डाला है। उसने,इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया” (उत्पत्ति 1:21)। अभी तक वैज्ञानिक उसका और उन जीव-जंतुओं का, जो परमेश्वर ने बनाए हैं, केवल एक छोटा सा अंश ही जानने और समझने पाए हैं।

          न केवल जीव-जन्तु, वरन परमेश्वर ने प्रत्येक मनुष्य को भी एक अनुपम सृष्टि बनाया है, और सभी को अपने अपने अनुपम कार्य और जिम्मेदारियां सौंपी हैं (भजन 139:13–16)। परमेश्वर की विभिन्न रचनाओं का आनन्द लेते समय हम उसके प्रति अपनी कृतज्ञता और धन्यवाद भी अर्पित करें कि उसने हमें अपने स्वरूप में बनाया, हम में अपना श्वास फूंका, और हमें अपनी महिमा के लिए प्रयोग भी करता है। - सोहचील डिक्सन

 

प्रभु पिता, हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर, हमारी अद्भुत सृष्टि के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।


मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं। - भजन 139:14

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:1-21

उत्पत्ति 1:1 आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।

उत्पत्ति 1:2 और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था।

उत्पत्ति 1:3 तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया।

उत्पत्ति 1:4 और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया।

उत्पत्ति 1:5 और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया।

उत्पत्ति 1:6 फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।

उत्पत्ति 1:7 तब परमेश्वर ने एक अन्तर कर के उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया।

उत्पत्ति 1:8 और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया।

उत्पत्ति 1:9 फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया।

उत्पत्ति 1:10 और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

उत्पत्ति 1:11 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्हीं में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें; और वैसा ही हो गया।

उत्पत्ति 1:12 तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्हीं में होते हैं उगे; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

उत्पत्ति 1:13 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया।

उत्पत्ति 1:14 फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों।

उत्पत्ति 1:15 और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देने वाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया।

उत्पत्ति 1:16 तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया।

उत्पत्ति 1:17 परमेश्वर ने उन को आकाश के अन्तर में इसलिये रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें,

उत्पत्ति 1:18 तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अन्धियारे से अलग करें: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

उत्पत्ति 1:19 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार चौथा दिन हो गया।

उत्पत्ति 1:20 फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।

उत्पत्ति 1:21 इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़ने वाले पक्षियों की भी सृष्टि की: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • 1 शमूएल 30-31
  • लूका 13:23-35