मैं और मेरी पत्नि एक दूसरे की कई बातों को बिलकुल समझ नहीं पाते हैं, लेकिन इससे हमारे संबंधों में कोई समस्या नहीं होती। जैसे कि, वह यह समझ नहीं पाती कि मैं कैसे घंटों बैठकर बेसबॉल की दो टीमों का मैच देखता रह सकता हूँ, जबकि मैं जानता हूँ कि उन दोनों में से कोई भी टीम प्रतियोगिता में आगे बढ़ने लायक नहीं है और ना ही बढ़ेगी; और मैं उसके बाज़ार जाने और खरीद्दारी करने के शौक को कदापि नहीं समझ पाता हूँ। लेकिन इन बातों के कारण हमारे आपसी प्रेम और ताल-मेल में कोई कमी नहीं होती।
किसी से बेहद प्रेम करने के लिए आवश्यक नहीं है कि हम उसे पूरी तरह से समझें। यह बात को समझ लेना हमारे लिए एक लाभकारी बात होगी, क्योंकि हम परमेश्वर की सभी बातों को कभी पूर्णतः समझ नहीं सकते, यद्यपि हम उससे प्रेम करते हैं और वह हम से।
अपनी सीमित बुद्धि और स्वार्थी दृष्टिकोण से हमें यह समझना कठिन होता है कि परमेश्वर ने जो किया वह क्यों किया या क्यों होने दिया। अपनी इन सीमाओं का बोध होते हुए भी कई लोग परमेश्वर की ओर से मुँह फेर लेते हैं क्योंकि वे किसी दुख या त्रासदी से आहत होते हैं और उस के लिए परमेश्वर को दोषी ठहराते हैं। वे समझते हैं कि किसी भी परिस्थिति के लिए उनकी सीमित बुद्धि और समझ परमेश्वर की असीमित बुद्धि, भविष्य ज्ञान और समझ से बेहतर है और जैसा वे लोग चाहते या सोचते हैं परमेश्वर को भी वैसा ही करना चाहिए।
ज़रा विचार कीजिए, यदि हम परमेश्वर को पूर्णतः समझ पाते, यदि वह हमारे लिए एक महिमित मनुष्य से अधिक और कुछ ना होता, जिसका ज्ञान और समझ एक चतुर मनुष्य के ज्ञान और समझ से अधिक नहीं है तो उसका गौरव, पराक्रम और उसका भय मानना कहां रहता? परमेश्वर को इतना महान मानने के पीछे एक कारण यह भी है कि हम उसे और उसके ज्ञान को समझ नहीं पाते हैं और उसे अपने ज्ञान और बुद्धि की सीमाओं में नहीं बांध पाते हैं।
परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस के विश्वासियों से पूछा, "क्योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए?" (१ कुरिन्थियों २:१६)। उत्तर स्पष्ट है कि परमेश्वर के मन को किसी ने नहीं जाना है। किंतु यह परमेश्वर की हमारे प्रति भलाई और प्रेम में कोई अंतर नहीं लाता है और ना ही यह हमारे उस में किए गए विश्वास में कोई कमी लाने का कारण होना चाहिए क्योंकि वह जो करता है हमारे भले ही के लिए करता है : "और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं" (रोमियों ८:२८)।
चाहे परमेश्वर की विधियां और कार्य हमारे लिए रहस्यमय ही रहें, लेकिन प्रभु यीशु में होकर प्रगट हुआ हमारे प्रति उसका प्रेम और हमारे प्रति उस की विश्वासयोग्यता अटल और अनन्त काल की हैं। - डेव ब्रैनन
परमेश्वर को पूरी तरह से समझ पाना हमारे लिए असंभव हो परन्तु उस की आराधना करना हमारे लिए अनिवार्य है।
प्राचीनकाल की बातें स्मरण करो जो आरम्भ ही से हैं; क्योंकि ईश्वर मैं ही हूं, दूसरा कोई नहीं, मैं ही परमेश्वर हूं और मेरे तुल्य कोई भी नहीं है। - यशायाह ४६:९
बाइबल पाठ: यशायाह ४६:८-११
Isa 46:8 हे अपराधियों, इस बात को स्मरण करो और ध्यान दो, इस पर फिर मन लगाओ।
Isa 46:9 प्राचीनकाल की बातें स्मरण करो जो आरम्भ ही से हैं; क्योंकि ईश्वर मैं ही हूं, दूसरा कोई नहीं, मैं ही परमेश्वर हूं और मेरे तुल्य कोई भी नहीं है।
Isa 46:10 मै तो अन्त की बात आदि से और प्राचीनकाल से उस बात को बताता आया हूं जो अब तक नहीं हुई। मैं कहता हूं, मेरी युक्ति स्थिर रहेगी और मैं अपनी इच्छा को पूरी करूंगा।
Isa 46:11 मैं पूर्व से एक उकाब पक्षी को अर्थात दूर देश से अपनी युक्ति के पूरा करने वाले पुरूष को बुलाता हूं। मैं ही ने यह बात कही है और उसे पूरी भी करूंगा; मैं ने यह विचार बान्धा है और उसे सफल भी करूंगा।
एक साल में बाइबल:
- भजन ८९-९०
- रोमियों १४
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