मैं अपनी पत्नि के साथ ब्रिटिश संग्रहालय को देखने गया; वहाँ भ्रमण करते हुए हम लंडन शहर में स्थित उस विशाल भवन में विद्यमान इतिहास तथा विरासत की महानता को देख कर बहुत प्रभावित हुए। वहाँ हमने ऐसे पुरातन अवशेष देखे जो हमारे अपने देश अमेरिका में पाई जाने वाली किसी भी वस्तु से सैंकड़ों वर्ष पहले के थे। यह सब देखकर मुझे बोध हुआ कि इतिहास का भाव रखना कितना महत्वपूर्ण है। इतिहास हमें दृष्टिकोण, संदर्भ और परिणामों का ऐसा लेखा-जोखा देता है जो हमें शिक्षा लेने तथा सही फैसले करने में सहायक होते हैं, क्योंकि जो हम से पहले हो कर गए हैं उनकी सफलताओं एवं असफलताओं का संपूर्ण ब्यौरा हमारे सामने खुला होता है।
प्रेरित पौलुस ने भी इतिहास से पाठ सीखने के महत्व को जाना और समझा। उसने अपने पाठकों को स्मरण दिलाया कि कैसे इस्त्राएली लोगों के द्वारा किए गए गलत निर्णय तथा परमेश्वर की योजनाओं पर अविश्वास ने उन्हें चालीस वर्ष की जंगल यात्रा करने पर बाध्य कर दिया था (गिनती 14)। इस घटना के संदर्भ में पौलुस ने कुरिन्थुस के विश्वासियों को चिताया, "परन्तु यें सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्टान्त की रीति पर थीं; और वे हमारी चेतावनी के लिये जो जगत के अन्तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं" (1 कुरिन्थियों 10:11)।
परमेश्वर ने हमें अपना वचन बाइबल इस लिए दिया है कि हम उस में होकर परमेश्वर को जानें तथा उस में दिए गए परमेश्वर के लोगों के इतिहास से अपने वर्तमान के लिए शिक्षा लें। बाइबल में दिए गए उदाहरण और शिक्षाएं हमें सचेत करती हैं कि हम अपनी प्रवृतियों में फंसकर वही गलतियाँ ना करें जो लोग पहले कर चुके हैं, और जिनके परिणाम हमारे लिए लिखे गए हैं, वरन उन से चेतावनी पाकर बुद्धिमता के साथ परमेश्वर को समर्पित तथा उसके प्रति विश्वास एवं आज्ञाकारिता का जीवन बिताएं।
प्रश्न यही है - क्या हम इतिहास से शिक्षा ले कर सही मार्ग चुनेंगे, अथवा हम से पहले के लोगों की उन्हीं गलतियों को दोहरा कर वैसे ही परिणामों के भागी बनेंगे? - बिल क्राउडर
हम से पहले के परमेश्वर के लोगों के जीवनों से बहुमूल्य शिक्षाएं ली जा सकती हैं - क्या हम ऐसा करते हैं?
यह बात आने वाली पीढ़ी के लिये लिखी जाएगी, और एक जाति जो सिरजी जाएगी वही याह की स्तुति करेगी। - भजन 102:18
बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 10:1-13
1 Corinthians 10:1 हे भाइयों, मैं नहीं चाहता, कि तुम इस बात से अज्ञात रहो, कि हमारे सब बाप दादे बादल के नीचे थे, और सब के सब समुद्र के बीच से पार हो गए।
1 Corinthians 10:2 और सब ने बादल में, और समुद्र में, मूसा का बपितिस्मा लिया।
1 Corinthians 10:3 और सब ने एक ही आत्मिक भोजन किया।
1 Corinthians 10:4 और सब ने एक ही आत्मिक जल पीया, क्योंकि वे उस आत्मिक चट्टान से पीते थे, जो उन के साथ-साथ चलती थी; और वह चट्टान मसीह था।
1 Corinthians 10:5 परन्तु परमेश्वर उन में के बहुतेरों से प्रसन्न न हुआ, इसलिये वे जंगल में ढेर हो गए।
1 Corinthians 10:6 ये बातें हमारे लिये दृष्टान्त ठहरी, कि जैसे उन्होंने लालच किया, वैसे हम बुरी वस्तुओं का लालच न करें।
1 Corinthians 10:7 और न तुम मूरत पूजने वाले बनों; जैसे कि उन में से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, कि लोग खाने-पीने बैठे, और खेलने-कूदने उठे।
1 Corinthians 10:8 और न हम व्यभिचार करें; जैसा उन में से कितनों ने किया: एक दिन में तेईस हजार मर गये ।
1 Corinthians 10:9 और न हम प्रभु को परखें; जैसा उन में से कितनों ने किया, और सांपों के द्वारा नाश किए गए।
1 Corinthians 10:10 और न तुम कुड़कुड़ाओ, जिस रीति से उन में से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करने वाले के द्वारा नाश किए गए।
1 Corinthians 10:11 परन्तु यें सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्टान्त की रीति पर थीं; और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं।
1 Corinthians 10:12 इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े।
1 Corinthians 10:13 तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको।
एक साल में बाइबल:
- अय्यूब 18-20
मेरे हिसाब से इतिहास मानव जाति में सुधार हो तभी लिखा जाता हैं ...गलती दुहराना फिर से उसी जगह पहुंचना है
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