जौनथन सफरन फोएर के लिखे एक उपन्यास का एक पात्र न्यू यॉर्क शहर में स्थित एम्पायर स्टेट बिल्डिंग के विष्य बातचीत करते हुए कहता है, "मैं इस इमारत को जानता हूँ क्योंकि मैं इस इमारत से प्रेम करता हूँ।"
इस वाक्य ने मुझे प्रेम और जानने के बीच के संबंध पर विचार करने को विवश किया। जब भी हम किसी चीज़ से प्रेम करते हैं, हम उसके बारे में सब कुछ जानना चाहते हैं। जब हम किसी स्थान से प्रेम करते हैं, हम उसके प्रत्येक इंच की खोज-बीन करना चाहते हैं। जब हम किसी व्यक्ति से प्रेम करते हैं तो हम उसके जीवन की सभी बातों का संपूर्ण विवरण जानना चाहते हैं - वह कहाँ से है, उसे क्या पसन्द है, वह कहाँ और किन बातों में समय बिताता है, उसके मित्र कौन हैं, वह किन बातों पर विश्वास रखता है, आदि। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो प्रेम तो चाहते हैं परन्तु यह नहीं चाहते कि कोई उन्हें जाने; उन्हें भय होता है कि यदि उनकी सारी बातें लोगों को मालूम पड़ गईं तो फिर लोग उनसे प्रेम नहीं करेंगे।
लेकिन परमेश्वर के साथ हमें इस बात को लेकर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर का प्रेम मनुष्यों के प्रेम से कहीं बढ़कर है: "परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा" (रोमियों 5:8)। ना केवल परमेश्वर ने प्रभु यीशु में होकर अपने प्रेम को हम पर प्रगट किया है, अपनी सृष्टि और अपने वचन बाइबल के द्वारा परमेश्वर अपने चरित्र और गुण भी हमपर प्रगट करता है। क्योंकि हमारी कमी-घटियों के बावजूद परमेश्वर हम से प्रेम करता है, हमारी अन्दर-बाहर की सारी दशा से भली-भांति अवगत होने के बावजूद वह हमारे साथ संबंध बनाना चाहता है, इसलिए किसी बात से डर कर उससे कुछ भी छुपाने की हमें कोई आवश्यकता नहीं है; हम निसंकोच होकर अपनी हर बात उसके सामने रख सकते हैं, खुले दिल से अपने पापों को भी उसके सामने मान सकते हैं क्योंकि वह तो उन्हें पहले से ही जानता है।
इसीलिए परमेश्वर को जानना उससे प्रेम करना है। - जूली ऐकैरमैन लिंक
इससे बढ़कर कोई दूसरा आनन्द नहीं कि हम जानें कि परमेश्वर हम से प्रेम करता है।
प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ। हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उसने हम से प्रेम किया। - 1 यूहन्ना 4:18-19
बाइबल पाठ: रोमियों 5:6-11
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे।
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Romans 5:9 सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे?
Romans 5:10 क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे?
Romans 5:11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 6-8
- 1 तिमुथियुस 5
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