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रविवार, 19 मार्च 2017

स्थान


   समय, घटनाओं, और लोगों के हज़ारों धागों से बुना गया होता है वह जिसे हम ’स्थान’ कहते हैं। वह केवल घर नहीं है, वरन उस से भी बढ़कर, ’स्थान’ वह है जहाँ निःस्वार्थ प्रेम में ढंपे हुए अपनापन, सुरक्षा तथा अर्थपूर्ण संबंध एक साथ होते हैं। ’स्थान’ हमारे मनों में गहराई से बसी अपनी यादों के द्वारा हमें आकर्षित करता है। चाहे वह ’स्थान’ सिद्ध ना भी हो, परन्तु हम पर उसका वश नाटकीय होता है और उसके प्रति हमारा आकर्षण चुम्बकीय।

   परमेश्वर का वचन बाइबल बहुधा स्थान के बारे में बात करती है। इसका एक उदाहरण हम नहेम्याह की यरुशलेम के पुनः बसाए जाने की लालसा में देखते हैं (नहेम्याह 1:3-4; 2:2)। इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि प्रभु यीशु ने भी हमें शान्ति और सांत्वना देने के लिए एक स्थान का उल्लेख किया है। प्रभु ने आरंभ किया, "तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो" (यूहन्ना 14:1) और फिर उसने इस विषय में आगे कहा, "मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं" (यूहन्ना 14:2)।

   उनके लिए जो किसी सांसारिक स्थान से आकर्षित और जुड़े हुए हैं, प्रभु की इस प्रतिज्ञा को समझना कठिन नहीं है, और वे सरलता से उस स्थान की बाट जोह सकते हैं जिसके बारे में प्रभु बात कर रहा था। और, उनके लिए जिनके स्थान शान्ति और सुरक्षा से जुड़े नहीं थे, प्रभु यीशु की प्रतिज्ञा है कि एक दिन वे उस स्थान में रहकर मधुर संगीत सुनेंगे, क्योंकि वे उसके साथ वहाँ निवास करेंगे।

   आपका संघर्ष चाहे कोई भी हो, आपकी मसीही विश्वास की जीवन यात्रा में चाहे कोई भी अस्थिरता हो, चाहे आपके कदम कहीं भी डगमगाएं, सदा यह स्मरण रखें कि आपके लिए प्रभु यीशु ने स्वर्ग में एक स्थान बना कर तैयार रखा हुआ है, ऐसा स्थान जो आपके लिए सर्वथा उपयुक्त है, और वह आपके साथ वहाँ अनन्तकाल तक निवास करेगा। यदि यह सत्य नहीं होता, तो प्रभु यीशु आपसे इसके बारे में कदापि नहीं कहता (यूहन्ना 14:3)। - रैंडी किल्गोर


पृथ्वी के हमारे घर की यादें आशा के साथ हमें हमारे स्वर्गीय घर की ओर प्रेरणा दें।

और यदि मैं जा कर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो। - यूहन्ना 14:3 

बाइबल पाठ: नहेम्याह 1
Nehemiah 1:1 हकल्याह के पुत्र नहेमायाह के वचन। बीसवें वर्ष के किसलवे नाम महीने में, जब मैं शूशन नाम राजगढ़ में रहता था, 
Nehemiah 1:2 तब हनानी नाम मेरा एक भाई और यहूदा से आए हुए कई एक पुरुष आए; तब मैं ने उन से उन बचे हुए यहूदियों के विषय जो बन्धुआई से छूट गए थे, और यरूशलेम के विष्य में पूछा। 
Nehemiah 1:3 उन्होंने मुझ से कहा, जो बचे हुए लोग बन्धुआई से छूटकर उस प्रान्त में रहते हैं, वे बड़ी दुर्दशा में पड़े हैं, और उनकी निन्दा होती है; क्योंकि यरूशलेम की शहरपनाह टूटी हुई, और उसके फाटक जले हुए हैं। 
Nehemiah 1:4 ये बातें सुनते ही मैं बैठकर रोने लगा और कितने दिन तक विलाप करता; और स्वर्ग के परमेश्वर के सम्मुख उपवास करता और यह कह कर प्रार्थना करता रहा। 
Nehemiah 1:5 हे स्वर्ग के परमेश्वर यहोवा, हे महान और भययोग्य ईश्वर! तू जो अपने प्रेम रखने वाले और आज्ञा मानने वाले के विष्य अपनी वाचा पालता और उन पर करुणा करता है; 
Nehemiah 1:6 तू कान लगाए और आंखें खोले रह, कि जो प्रार्थना मैं तेरा दास इस समय तेरे दास इस्राएलियों के लिये दिन रात करता रहता हूँ, उसे तू सुन ले। मैं इस्राएलियों के पापों को जो हम लोगों ने तेरे विरुद्ध किए हैं, मान लेता हूँ। मैं और मेरे पिता के घराने दोनों ने पाप किया है। 
Nehemiah 1:7 हम ने तेरे साम्हने बहुत बुराई की है, और जो आज्ञाएं, विधियां और नियम तू ने अपने दास मूसा को दिए थे, उन को हम ने नहीं माना। 
Nehemiah 1:8 उस वचन की सुधि ले, जो तू ने अपने दास मूसा से कहा था, कि यदि तुम लोग विश्वासघात करो, तो मैं तुम को देश देश के लोगों में तितर बितर करूंगा। 
Nehemiah 1:9 परन्तु यदि तुम मेरी ओर फिरो, और मेरी आज्ञाएं मानो, और उन पर चलो, तो चाहे तुम में से निकाले हुए लोग आकाश की छोर में भी हों, तौभी मैं उन को वहां से इकट्ठा कर के उस स्थान में पहुंचाऊंगा, जिसे मैं ने अपने नाम के निवास के लिये चुन लिया है। 
Nehemiah 1:10 अब वे तेरे दास और तेरी प्रजा के लोग हैं जिन को तू ने अपनी बड़ी सामर्थ और बलवन्त हाथ के द्वारा छुड़ा लिया है। 
Nehemiah 1:11 हे प्रभु बिनती यह है, कि तू अपने दास की प्रार्थना पर, और अपने उन दासों की प्रार्थना पर, जो तेरे नाम का भय मानना चाहते हैं, कान लगा, और आज अपने दास का काम सफल कर, और उस पुरुष को उस पर दयालु कर। (मैं तो राजा का पियाऊ था।)

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 1-3
  • मरकुस 16


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