ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 27 अप्रैल 2019

सहज



      मैं जैमैका में एक छोटे चर्च में खड़ा था, और मैंने अपने सबसे उत्तम तरीके से वहाँ उपस्थित लोगों से, उनकी भाषा में कहा, “वा गवान जैमैका?” प्रतिक्रिया मेरी आशा से बेहतर थी, और उपस्थित लोगों की मुस्कुराहटों और तालियों ने मेरा स्वागत किया। वास्तव में मैंने उन की भाषा में एक बहुत सामान्य अभिन्दन, “कैसे हो जैमैका?” ही बोला था, परन्तु उनके लिए इसका तात्पर्य था कि “मैं आपसे आपकी भाषा में बोलने का प्रयास करना चाहता हूँ।” निःसंदेह मैं इससे अधिक उनकी भाषा बोलना नहीं जानता था, परन्तु मेरे इस प्रयास से उन तक पहुँचने के लिए एक द्वार खुल गया था।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि जब प्रेरित पौलुस अथेने के लोगों के सामने प्रभु यीशु मसीह के बारे में बताने के लिए खड़ा हुआ, तो उसने उन्हें अवगत करवा दिया कि वह उनकी संस्कृति को जानता था। पौलुस ने उनसे कहा कि उसने उनकी “अनजाने ईश्वर के लिए” बनाई गई वेदी को देखा था, और उसने उनके एक कवि का संदर्भ भी दिया। पौलुस द्वारा उन्हें सन्देश देने के बाद सब ने तो उसकी बात पर विश्वास नहीं किया, किन्तु कुछ ने कहा कि “यह बात हम तुझ से फिर कभी सुनेंगे” (प्रेरितों 17:32)।

      जब हम प्रभु यीशु तथा उनसे मिलने वाले उद्धार के संबंध में लोगों के साथ वार्तालाप करते हैं, तो पवित्रशास्त्र के पाठ हमें सिखाते हैं कि लोगों से संपर्क बनाने के लिए उनके समान भाषा सीखें (1 कुरिन्थियों 9:20-23 भी देखें)। जब हम औरों के जीवनों के हाल को जानेंगे, तो उनके साथ वह बाँटना अधिक सहज होगा जो परमेश्वर ने हमारे जीवनों में किया है। - डेव ब्रैनन


औरों को मसीह यीशु के विषय बताने से पहले 
उन्हें दिखाएँ कि आप उनकी कितनी परवाह करते हैं।

कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है। - रोमियों 10:9-10

बाइबल पाठ: प्रेरितों 17:22-32
Acts 17:22 तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा हो कर कहा; हे अथेने के लोगों मैं देखता हूं, कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े मानने वाले हो।
Acts 17:23 क्योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्‍तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं।
Acts 17:24 जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी हो कर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता।
Acts 17:25 न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है।
Acts 17:26 उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाईं हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्‍धा है।
Acts 17:27 कि वे परमेश्वर को ढूंढ़ें, कदाचित उसे टटोल कर पा जाएं तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं!
Acts 17:28 क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, कि हम तो उसी के वंश भी हैं।
Acts 17:29 सो परमेश्वर का वंश हो कर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्‍व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों।
Acts 17:30 इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी कर के, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है।
Acts 17:31 क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है।।
Acts 17:32 मरे हुओं के पुनरुत्थान की बात सुनकर कितने तो ठट्ठा करने लगे, और कितनों ने कहा, यह बात हम तुझ से फिर कभी सुनेंगे।

एक साल में बाइबल:  
  • 1 राजा 1-2
  • लूका 19:28-48



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें