मेरे पति जब 18 वर्ष के थे तब उन्होंने कारों
की सफाई करने का व्यवसाय आरंभ किया था। उन्होंने एक गैराज को किराए पर लिया,
सहायकों को वेतन पर रखा, और विज्ञापन के लिए पर्चे छपवा कर बंटवाए। उनका यह
व्यवसाय चल निकला। उनका उद्देश्य था कि वे इस व्यवसाय को बेचकर उससे मिलने वाले धन
से अपनी कॉलेज की पढाई का खर्चा उठाएंगे। इसलिए जब एक ग्राहक ने व्यवसाय को खरीदने
में रुचि दिखाई तो वे बहुत प्रसन्न हुए। कुछ बातचीत और मोल-भाव के बाद ऐसा लगा कि यह
सौदा सफल हो जाएगा; परन्तु एन मौके पर आकर सौदा चूक गया। फिर इसके सात महीन बाद ही
व्यवसाय बेचने की उनकी योजना सफल हुई।
यदि हमारी योजनाओं के संबंध में परमेश्वर की
योजनाएं और पूर्ति के समय हमारी इच्छा के अनुसार नहीं होते हैं, तो निराश होना
स्वाभाविक होता है। हम परमेश्वर के वचन बाइबल में देखते हैं कि जब राजा दाऊद ने
परमेश्वर के मंदिर को बनवाना चाहा, तो उसका उद्देश्य सही था, उसका नेतृत्व सही था,
और उसके पास इसके लिए आवश्यक सभी संसाधन थी उपलब्ध थे। परन्तु परमेश्वर ने उसे
मंदिर बनावाने से मना किया, क्योंकि उसने युद्ध में बहुत से लोगों का खून बहाया था
(1 इतिहास 22:8)।
परमेश्वर की इस बात को सुनकर दाऊद क्रोधित हो
सकता था, खीज कर मुँह फुला सकता था, या फिर अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए
परमेश्वर की बात को अनदेखा कर के आगे बढ़ सकता था। परन्तु उसने ऐसा कुछ नहीं किया,
वरन दीनता से परमेश्वर के सामने झुक गया और कहा, “...हे यहोवा परमेश्वर! मैं
क्या हूँ?
और मेरा घराना क्या है? कि तू ने मुझे यहां तक
पहुंचाया है” (1 इतिहास 17:16)। इसके आगे दाऊद ने परमेश्वर
की आराधना की, और उसके प्रति अपने समर्पण और भक्ति की पुष्टि की। अपनी इच्छाओं से
अधिक, वह परमेश्वर के साथ अपने संबंध को महत्व एवँ मूल्य देता था।
हमारे लिए यह विचार करने की बात है कि हमारे
लिए किस का अधिक महत्व और कीमत है – हमारी अपनी इच्छाओं एवँ योजनाओं की पूर्ति
होने की, या परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम, समर्पण और आज्ञाकारिता की? – जेनिफर बेन्सन
शुल्ट
सच्ची
संतुष्टि परमेश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित होने से मिलती है।
हे
यहोवा,
मनुष्य क्या है कि तू उसकी सुधि लेता है, या
आदमी क्या है, कि तू उसकी कुछ चिन्ता करता है? – भजन 144:3
बाइबल
पाठ: 1 इतिहास 17:1-20
1
Chronicles 17:1 जब दाऊद अपने भवन में रहने लगा, तब दाऊद ने नातान नबी से कहा, देख, मैं तो देवदारु के बने हुए घर में रहता हूँ, परन्तु
यहोवा की वाचा का सन्दूक तम्बू में रहता है।
1
Chronicles 17:2 नातान ने दाऊद से कहा, जो कुछ
तेरे मन में हो उसे कर, क्योंकि परमेश्वर तेरे संग है।
1
Chronicles 17:3 उसी दिन रात को परमेश्वर का यह वचन नातान के पास
पहुंचा, जा कर मेरे दास दाऊद से कह,
1
Chronicles 17:4 यहोवा यों कहता है, कि मेरे
निवास के लिये तू घर बनवाने न पाएगा।
1
Chronicles 17:5 क्योंकि जिस दिन से मैं इस्राएलियों को मिस्र से ले
आया, आज के दिन तक मैं कभी घर में नहीं रहा; परन्तु एक तम्बू से दूसरे तम्बू को ओर एक निवास से दूसरे निवास को आया
जाया करता हूँ।
1
Chronicles 17:6 जहां जहां मैं ने सब इस्राएलियों के बीच आना जाना
किया, क्या मैं ने इस्राएल के न्यायियों में से जिन को मैं
ने अपनी प्रजा की चरवाही करने को ठहराया था, किसी से ऐसी बात
कभी कही, कि तुम लोगों ने मेरे लिये देवदारु का घर क्यों
नहीं बनवाया?
1
Chronicles 17:7 सो अब तू मेरे दास दाऊद से ऐसा कह, कि सेनाओं का यहोवा यों कहता है, कि मैं ने तो तुझ
को भेड़शाला से और भेड़-बकरियों के पीछे पीछे फिरने से इस मनसा से बुला लिया,
कि तू मेरी प्रजा इस्राएल का प्रधान हो जाए;
1
Chronicles 17:8 और जहां कहीं तू आया और गया, वहां
मैं तेरे संग रहा, और तेरे सब शत्रुओं को तेरे साम्हने से
नष्ट किया है। अब मैं तेरे नाम को पृथ्वी के बड़े बड़े लोगों के नामों के समान
बड़ा कर दूंगा।
1
Chronicles 17:9 और मैं अपनी प्रजा इस्राएल के लिये एक स्थान
ठहराऊंगा, और उसको स्थिर करूंगा कि वह अपने ही स्थान में बसी
रहे और कभी चलायमान न हो; और कुटिल लोग उन को नाश न करने
पाएंगे, जैसे कि पहिले दिनों में करते थे;
1 Chronicles
17:10 उस समय भी जब मैं अपनी प्रजा इस्राएल के ऊपर न्यायी ठहराता था;
सो मैं तेरे सब शत्रुओं को दबा दूंगा। फिर मैं तुझे यह भी बताता हूँ,
कि यहोवा तेरा घर बनाये रखेगा।
1
Chronicles 17:11 जब तेरी आयु पूरी हो जायेगी और तुझे अपने पितरों
के संग जाना पड़ेगा, तब मैं तेरे बाद तेरे वंश को जो तेरे
पुत्रों में से होगा, खड़ा कर के उसके राज्य को स्थिर
करूंगा।
1
Chronicles 17:12 मेरे लिये एक घर वही बनाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूंगा।
1
Chronicles 17:13 मैं उसका पिता ठहरूंगा और वह मेरा पुत्र ठहरेगा;
और जैसे मैं ने अपनी करुणा उस पर से जो तुझ से पहिले था हटाई,
वैसे मैं उस पर से न हटाऊंगा,
1
Chronicles 17:14 वरन मैं उसको अपने घर और अपने राज्य में सदैव
स्थिर रखूंगा और उसकी राजगद्दी सदैव अटल रहेगी।
1
Chronicles 17:15 इन सब बातों और इस दर्शन के अनुसार नातान ने दाऊद
को समझा दिया।
1
Chronicles 17:16 तब दाऊद राजा भीतर जा कर यहोवा के सम्मुख बैठा,
और कहने लगा, हे यहोवा परमेश्वर! मैं क्या हूँ?
और मेरा घराना क्या है? कि तू ने मुझे यहां तक
पहुंचाया है?
1 Chronicles
17:17 और हे परमेश्वर! यह तेरी दृष्टि में छोटी सी बात हुई, क्योंकि तू ने अपने दास के घराने के विषय भविष्य के बहुत दिनों तक की
चर्चा की है, और हे यहोवा परमेश्वर! तू ने मुझे ऊंचे पद का
मनुष्य सा जाना है।
1
Chronicles 17:18 जो महिमा तेरे दास पर दिखाई गई है, उसके विषय दाऊद तुझ से और क्या कह सकता है? तू तो
अपने दास को जानता है।
1
Chronicles 17:19 हे यहोवा! तू ने अपने दास के निमित्त और अपने मन
के अनुसार यह बड़ा काम किया है, कि तेरा दास उसको जान ले।
1 Chronicles
17:20 हे यहोवा! जो कुछ हम ने अपने कानों से सुना है, उसके अनुसार तेरे तुल्य कोई नहीं, और न तुझे छोड़ और
कोई परमेश्वर है।
एक
साल में बाइबल:
- 1 शमूएल 7-9
- लूका 9:18-36
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