ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 16 मार्च 2015

टूटी हड्डियाँ


   बहुत वर्ष पहले, अपने कॉलेज के दिनों में मैं अपने कॉलेज की फुटबॉल टीम में गोलकीपर हुआ करता था। मेरे लिए वह खेल कितना मनोरंजक हुआ करता था इस बात का संपूर्ण वर्णन यहाँ संभव नहीं है, लेकिन उस मनोरंजन के लिए मुझे एक कीमत चुकानी पड़ती थी - मुझे अपने आप को बार-बार खतरे में डालकर प्रतिद्वंदी टीम को गोल करने से रोकना होता था। उस मनोरंजन की कीमत मैं ने केवल तब ही नहीं चुकाई, मैं आज भी उस कीमत को चुकाता रहता हूँ; क्योंकि खेल के समय में मुझे गंभीर चोटें भी आईं - मेरी एक टाँग टूटी, कई पसलियाँ टूटीं, एक कंधा उतरा, तथा मेरे सिर की चोट के कारण दिमाग़ को अन्दरूनी धक्का भी लगा। आज भी, विशेषकर ठंड के दिनों में, उन टूटी हड्डियाँ की दुखन मुझे उस मनोरंजन के जोखिम तथा चोटों की याद दिलाती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के एक प्रमुख नायक दाऊद को भी अपने जीवन में कुछ टूटी हड्डियों का स्मरण शेष रह गया था, लेकिन उसकी चोटें शारीरिक नहीं आत्मिक थीं! बथशेबा के साथ व्यभिचार और फिर बथशेबा के पति को मरवा देने के नैतिक पतन के कारण दाऊद को परमेश्वर के अनुशासन की कठोरता को सहना पड़ा था। लेकिन उस अनुशासन में होकर निकलने से दाऊद के अन्दर अपने किए पर ग्लानि तथा पश्चताप आया और उसने पश्चातापी मन से परमेश्वर से प्रार्थना करी; उसकी प्रार्थना का एक वाक्य था, "मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वह मगन हो जाएं" (भजन 51:8)।

   परमेश्वर का दण्डात्मक अनुशासन इतना कठोर था कि उसकी पीड़ा दाऊद को टूटी हड्डियों की पीड़ा के समान प्रतीत हुई। लेकिन उस दुख भरी परिस्थिति में भी दाऊद ने परमेश्वर पर भरोसा किया कि अपने अनुग्रह में होकर वह ना केवल दाऊद के टूटेपन को ठीक करेगा वरन उसके आनन्द को भी लौटा कर दे देगा। हमारे पाप और पराजय की परिस्थिति में पड़े होने पर भी, हम मसीही विश्वासियों के लिए यह सांत्वना और आनन्द की बात है कि परमेश्वर का हमारे प्रति प्रेम कभी कम नहीं होता। परमेश्वर हम से पुत्रों के समान व्यवहार करता है, और हमारी भलाई के लिए जहाँ अनुशासित करना होता है वहाँ अनुशासित करता है और जहाँ हमें उभारने-उठाने की आवश्यकता होती हैं वहाँ उभारता-उठाता भी है। - बिल क्राउडर


परमेश्वर के अनुशासन का हाथ, उसके प्रेम का हाथ भी है।

क्योंकि प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है; और जिसे पुत्र बना लेता है, उसको कोड़े भी लगाता है। - इब्रानियों 12:6

बाइबल पाठ: भजन 51:1-13
Psalms 51:1 हे परमेश्वर, अपनी करूणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे। 
Psalms 51:2 मुझे भलीं भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर! 
Psalms 51:3 मैं तो अपने अपराधों को जानता हूं, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है। 
Psalms 51:4 मैं ने केवल तेरे ही विरुद्ध पाप किया, और जो तेरी दृष्टि में बुरा है, वही किया है, ताकि तू बोलने में धर्मी और न्याय करने में निष्कलंक ठहरे। 
Psalms 51:5 देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा। 
Psalms 51:6 देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा। 
Psalms 51:7 जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूंगा। 
Psalms 51:8 मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वह मगन हो जाएं। 
Psalms 51:9 अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल। 
Psalms 51:10 हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर। 
Psalms 51:11 मुझे अपने साम्हने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से अलग न कर। 
Psalms 51:12 अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल। 
Psalms 51:13 तब मैं अपराधियों को तेरा मार्ग सिखाऊंगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 28-29
  • मरकुस 14:54-72



रविवार, 15 मार्च 2015

दृष्टिकोण


   जब मेरी नज़र उस पर पड़ी, तब हम आईसक्रीम स्टोर में पंक्ति में खड़े थे। उसके चेहरे पर मारपीट की चोटों के अनेकों निशान थे, उसकी नाक भी टेढ़ी हो रखी थी; उसके कपड़े साफ तो थे लेकिन अस्त-व्यस्त थे। एक स्वाभाविक प्रतिक्रीया स्वरूप मैं अपने बच्चों और उसके बीच में होकर खड़ा हो गया तथा अपनी पीठ को दोनों के बीच की एक दीवार बना लिया। जब पहली बार उसने कुछ कहा तो मुझे स्पष्ट सुनाई नहीं दिया, इसलिए उत्तर में मैंने बस अपना सिर थोड़ा सा हिला भर दिया, मैं उसके साथ आँख मिलाकर बात नहीं कर पा रहा था। क्योंकि मेरी पत्नि मेरे साथ स्टोर में नहीं थी इसलिए उसने सोचा कि मैं अकेला ही बच्चों का पालन-पोषण कर रहा हूँ।

  फिर उसने बड़ी नम्र आवाज़ में कहा, "अकेले ही इन का पालन-पोषण करना कठिन होता है; है ना?" बात कहने के उसके अन्दाज़ में कुछ था जिसने मुझे मुड़कर उसे देखने पर मजबूर कर दिया। तब ही मेरा ध्यान उसके साथ खड़े उसके बच्चों की ओर गया, और फिर उसने बताया कि कैसे बहुत पहले उस की पत्नि उन्हें छोड़कर जा चुकी थी, और मैं उसकी बात सुनता रहा। उसके नम्र शब्द तथा व्यवहार उसके कठोर बाहरी स्वरूप की तुलना में विरोधात्मक थे। मैं एक बार फिर मैं अपनी पूर्व-धारणा एवं आँकलन के कारण दुखी हुआ; एक बार फिर मैंने बाहरी स्वरूप के अन्दर की वास्तविकता को नहीं देख पाने की गलती करी थी।

   प्रभु यीशु का प्रतिदिन ऐसे लोगों से सामना होता था जिनके बाहरी स्वरूप के कारण उनसे मुँह मोड़ लेना बड़ी स्वाभाविक बात होती, उदाहरणस्वरूप हमारे आज के परमेश्वर के वचन बाइबल के पाठ में उल्लेखित दुष्टात्माओं से ग्रसित व्यक्ति ही को लीजिए (मरकुस 5:1-20)! लेकिन प्रभु यीशु ने सदा ही मनुष्यों की भीतरी दशा पर ध्यान किया, उनकी आवश्यकताओं को पहचाना और फिर उसी के अनुसार उनके साथ व्यवहार किया, उनकी आवश्यकताओं को पूरा किया।

   प्रभु यीशु का दृष्टिकोण सदा ही प्रेम का दृष्टिकोण होता है; वह कभी हमारे पाप के दाग़ों, बिगड़े हुए स्वभाव और लड़खड़ाती हुई विश्वासयोग्यता के आधार पर हमारा आँकलन नहीं करता है। उसने जगत के सभी लोगों से प्रेम किया है, अपने बैरी और विरोधियों से भी; उसने सभी के लिए अपना बलिदान दिया है; उस में विश्वास द्वारा सेंत-मेंत मिलने वाले उद्धार का उसका प्रस्ताव सभी के लिए समान रूप से है। प्रभु करे कि हमारा दृष्टिकोण तथा व्यवहार हट और दंभ का नहीं वरन उसके दृष्टिकोण के समान प्रेम और क्षमा का हो। - रैन्डी किलगोर


यदि आप प्रभु यीशु के दृष्टिकोण से देखेंगे तो आपको संसार ज़रूरतमंद नज़र आएगा।

...क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है। - 1 शमूएल 16:7

बाइबल पाठ: मरकुस 5:1-20
Mark 5:1 और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे। 
Mark 5:2 और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्त एक मनुष्य जिस में अशुद्ध आत्मा थी कब्रों से निकल कर उसे मिला। 
Mark 5:3 वह कब्रों में रहा करता था। और कोई उसे सांकलों से भी न बान्‍ध सकता था। 
Mark 5:4 क्योंकि वह बार बार बेडिय़ों और सांकलों से बान्‍धा गया था, पर उसने सांकलों को तोड़ दिया, और बेडिय़ों के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे, और कोई उसे वश में नहीं कर सकता था। 
Mark 5:5 वह लगातार रात-दिन कब्रों और पहाड़ों में चिल्लाता, और अपने को पत्थरों से घायल करता था। 
Mark 5:6 वह यीशु को दूर ही से देखकर दौड़ा, और उसे प्रणाम किया। 
Mark 5:7 और ऊंचे शब्द से चिल्लाकर कहा; हे यीशु, परमप्रधान परमेश्वर के पुत्र, मुझे तुझ से क्या काम? मैं तुझे परमेश्वर की शपथ देता हूं, कि मुझे पीड़ा न दे। 
Mark 5:8 क्योंकि उसने उस से कहा था, हे अशुद्ध आत्मा, इस मनुष्य में से निकल आ। 
Mark 5:9 उसने उस से पूछा; तेरा क्या नाम है? उसने उस से कहा; मेरा नाम सेना है; क्योंकि हम बहुत हैं। 
Mark 5:10 और उसने उस से बहुत बिनती की, हमें इस देश से बाहर न भेज। 
Mark 5:11 वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। 
Mark 5:12 और उन्होंने उस से बिनती कर के कहा, कि हमें उन सूअरों में भेज दे, कि हम उन के भीतर जाएं। 
Mark 5:13 सो उसने उन्हें आज्ञा दी और अशुद्ध आत्मा निकलकर सूअरों के भीतर पैठ गई और झुण्ड, जो कोई दो हजार का था, कड़ाडे पर से झपटकर झील में जा पड़ा, और डूब मरा।
Mark 5:14 और उन के चरवाहों ने भागकर नगर और गांवों में समाचार सुनाया। 
Mark 5:15 और जो हुआ था, लोग उसे देखने आए। और यीशु के पास आकर, वे उसको जिस में दुष्टात्माएं थीं, अर्थात जिस में सेना समाई थी, कपड़े पहिने और सचेत बैठे देखकर, डर गए। 
Mark 5:16 और देखने वालों ने उसका जिस में दुष्टात्माएं थीं, और सूअरों का पूरा हाल, उन को कह सुनाया। 
Mark 5:17 और वे उस से बिनती कर के कहने लगे, कि हमारे सिवानों से चला जा। 
Mark 5:18 और जब वह नाव पर चढ़ने लगा, तो वह जिस में पहिले दुष्टात्माएं थीं, उस से बिनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे। 
Mark 5:19 परन्तु उसने उसे आज्ञा न दी, और उस से कहा, अपने घर जा कर अपने लोगों को बता, कि तुझ पर दया कर के प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं। 
Mark 5:20 वह जा कर दिकपुलिस में इस बात का प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए; और सब अचम्भा करते थे।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 26-27
  • मरकुस 14:27-53



शनिवार, 14 मार्च 2015

पुनरावलोकन


   हवाई जहाज़ों में उड़ान संबंधी विवरण रिकॉर्ड करते रहने के लिए दो उपकरण लगे रहते हैं जिन्हें "ब्लैक-बॉक्स" कहा जाता है। एक में उड़ान के समय वायुयान के उपकरणों तथा कल-पुर्ज़ों के कार्य का विवरण रिकॉर्ड होता रहता है तथा दुसरे में उस वायुयान को उड़ाने वाले चालक दल की धरती पर स्थित हवाई-अड्डों में बैठे वायुयानों की उड़ान का नियंत्रण करने वाले लोगों के साथ होने वाली वार्तालाप रिकॉर्ड की जाती है। इन दोनों ब्लैक-बॉक्स को बहुत मज़बूत बनाया जाता है जिससे दुर्घटना के समय वे खराब ना हों; वे अत्याधिक गरम अथवा ठंडा तापमान सह सकते हैं तथा पानी में डूबे होने पर भी अपनी स्थिति की सूचना देते रहने के लिए ऊपर सतह तक संकेत भेजने के लिए उन में व्यवस्था होती है। यदि वायुयान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो इन बलैक-बॉकस को बड़े यत्न से ढूँढ़ कर उन में दर्ज सारे विवरण की बड़ी बारीकी से जाँच तथा विश्लेषण किया जाता है जिससे दुर्घटना के कारणों का पता लगाया जा सके और अन्य किसी वायुयान में वही गलती फिर ना हो इसका उपाय किया जा सके।

   हम मसीही विश्वासियों को भी अपने जीवन की बातों, विशेषतः गलतियों का पुनरावलोकन करते रहना चाहिए और परमेश्वर के वचन बाइबल से उन बातों से संबंधित सही शिक्षा लेते रहना चाहिए, अपने जीवनों को सुधारते रहना चाहिए। प्रेरित पौलुस ने मिस्त्र के दास्तव से निकलकर कनान देश में बसने जा रहे इस्त्राएलियों द्वारा करी गई गलतियों का कुरिन्थुस की मसीही मण्डली को लिखी अपनी पत्री में उल्लेख किया, और मण्डली के लोगों को चिताया, "परन्तु परमेश्वर उन में के बहुतेरों से प्रसन्न न हुआ, इसलिये वे जंगल में ढेर हो गए" (1 कुरिन्थियों 10:5)। पौलुस ने आगे कहा कि, "परन्तु यें सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्‍टान्‍त की रीति पर भी: और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्‍तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं" (1 कुरिन्थियों 10:11)।

   परमेश्वर ने अपना वचन अपनी प्रेरणा से हमारी भलाई के लिए लिखवाया है (2 तिमुथियुस 3:16-17) और परमेश्वर चाहता है कि हम उसके इस जीवित वचन की शिक्षाओं के अन्तर्गत अपने जीवनों तथा कार्यों का पुनरावलोकन करते रहें, अपने सुधार तथा परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलते रहने के लिए नियमित रूप से बाइबल का प्रयोग करते रहें। - सी. पी. हिया


परमेश्वर की चेतावनियाँ हमारे सुधार और सुरक्षा के लिए हैं, हमें दण्डित करने के लिए नहीं।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए। - 2 तिमुथियुस 3:16-17

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 10:1-11
1 Corinthians 10:1 हे भाइयों, मैं नहीं चाहता, कि तुम इस बात से अज्ञात रहो, कि हमारे सब बाप दादे बादल के नीचे थे, और सब के सब समुद्र के बीच से पार हो गए। 
1 Corinthians 10:2 और सब ने बादल में, और समुद्र में, मूसा का बपितिस्मा लिया। 
1 Corinthians 10:3 और सब ने एक ही आत्मिक भोजन किया। 
1 Corinthians 10:4 और सब ने एक ही आत्मिक जल पीया, क्योंकि वे उस आत्मिक चट्टान से पीते थे, जो उन के साथ-साथ चलती थी; और वह चट्टान मसीह था। 
1 Corinthians 10:5 परन्तु परमेश्वर उन में के बहुतेरों से प्रसन्न न हुआ, इसलिये वे जंगल में ढेर हो गए। 
1 Corinthians 10:6 ये बातें हमारे लिये दृष्‍टान्‍त ठहरीं, कि जैसे उन्होंने लालच किया, वैसे हम बुरी वस्‍तुओं का लालच न करें। 
1 Corinthians 10:7 और न तुम मूरत पूजने वाले बनों; जैसे कि उन में से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, कि लोग खाने-पीने बैठे, और खेलने-कूदने उठे। 
1 Corinthians 10:8 और न हम व्यभिचार करें; जैसा उन में से कितनों ने किया: एक दिन में तेईस हजार मर गये । 
1 Corinthians 10:9 और न हम प्रभु को परखें; जैसा उन में से कितनों ने किया, और सांपों के द्वारा नाश किए गए। 
1 Corinthians 10:10 और न हम कुड़कुड़ाएं, जिस रीति से उन में से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करने वाले के द्वारा नाश किए गए। 
1 Corinthians 10:11 परन्तु यें सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्‍टान्‍त की रीति पर भी: और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्‍तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 23-25
  • मरकुस 14:1-26



शुक्रवार, 13 मार्च 2015

जीवित साक्षी


   वॉचमैन नी को प्रभु यीशु मसीह में विश्वास रखने के कारण चीन में सन 1952 में पकड़ कर जेल में डाल दिया गया था, जहाँ उन्होंने अपना शेष जीवन व्यतीत किया। उस जेल की कोठरी में उन्होंने 30 मई 1972 को अपनी अन्तिम श्वास ली। जब उनकी भतीजी उनकी बची हुई चीज़ें लेने के लिए आई तो उसे जेल के एक पहरेदार ने काग़ज़ का एक टुकड़ा दिया जिस पर वॉचमैन नी ने अपने जीवन की यह साक्षी लिखी थी: "मसीह परमेश्वर का पुत्र है जो पापियों के छुटकारे के लिए मारा गया और तीसरे दिन मृतकों में से जी उठा। यह सृष्टि का सबसे बड़ा सत्य है। मैं इस लिए मर रहा हूँ क्योंकि मैं मसीह पर विश्वास रखता हूँ - वॉचमैन नी।"

   प्रेरित पौलुस भी मसीह यीशु में अपने विश्वास के लिए मारा गया। अपनी म्रुत्यु से कुछ समय पहले, जेल में से, जहाँ वह मृत्यु दण्ड के दिए जाने की प्रतीक्षा में था, पौलुस ने कुछ पत्रियाँ लिखीं। अपनी अन्तिम पत्री में पौलुस ने अपने पाठकों से कहा, "यीशु मसीह को स्मरण रख, जो दाऊद के वंश से हुआ, और मरे हुओं में से जी उठा; और यह मेरे सुसमाचार के अनुसार है। जिस के लिये मैं कुकर्मी की नाईं दुख उठाता हूं, यहां तक कि कैद भी हूं; परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं" (2 तिमुथियुस 2:8-9)।

   संभव है कि हमें मसीह यीशु में विश्वास करने के कारण, उन लाखों लोगों के समान जो सदियों से अपने प्राण बलिदान करते आए हैं, अपने प्राणों की आहुति नहीं देनी पड़े, लेकिन फिर भी हम सभी मसीही विश्वासियों को प्रभु यीशु के लिए जीवित साक्षी होने के लिए बुलाया गया है। हमारे इस विश्वास के कारण हमारा अन्जाम जो भी हो, लेकिन हर समय और हर हाल में हमें परमेश्वर के प्रति धन्यवादी हृदय के साथ लोगों के सामने प्रभु यीशु में होकर मिली आशीषों का वर्णन रखना है, उन्हें प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार के बारे में बताना है। - डेनिस फिशर


होने दें कि आपके होंठ और जीवन दोनों ही मसीह यीशु का वर्णन करते रहें।

इसी कारण मैं ने सब से पहिले तुम्हें वही बात पहुंचा दी, जो मुझे पहुंची थी, कि पवित्र शास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया। और गाड़ा गया; और पवित्र शास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा। - 1 कुरिन्थियों 15:3-4

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 2:1-10
2 Timothy 2:1 इसलिये हे मेरे पुत्र, तू उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है, बलवन्‍त हो जा। 
2 Timothy 2:2 और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों। 
2 Timothy 2:3 मसीह यीशु के अच्‍छे योद्धा की नाईं मेरे साथ दुख उठा। 
2 Timothy 2:4 जब कोई योद्धा लड़ाई पर जाता है, तो इसलिये कि अपने भरती करने वाले को प्रसन्न करे, अपने आप को संसार के कामों में नहीं फंसाता 
2 Timothy 2:5 फिर अखाड़े में लड़ने वाला यदि विधि के अनुसार न लड़े तो मुकुट नहीं पाता। 
2 Timothy 2:6 जो गृहस्थ परिश्रम करता है, फल का अंश पहिले उसे मिलना चाहिए। 
2 Timothy 2:7 जो मैं कहता हूं, उस पर ध्यान दे और प्रभु तुझे सब बातों की समझ देगा। 
2 Timothy 2:8 यीशु मसीह को स्मरण रख, जो दाऊद के वंश से हुआ, और मरे हुओं में से जी उठा; और यह मेरे सुसमाचार के अनुसार है। 
2 Timothy 2:9 जिस के लिये मैं कुकर्मी की नाईं दुख उठाता हूं, यहां तक कि कैद भी हूं; परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं। 
2 Timothy 2:10 इस कारण मैं चुने हुए लोगों के लिये सब कुछ सहता हूं, कि वे भी उस उद्धार को जो मसीह यीशु में हैं अनन्त महिमा के साथ पाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 20-22
  • मरकुस 13:21-37



गुरुवार, 12 मार्च 2015

धन


   हम मनुष्यों के अन्दर एक धारणा है कि अधिक धन पा लेने से हम अपनी सभी समस्याओं का समाधान भी पा लेंगे। सन 2012 के आरंभ में 6.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर का विशाल ईनाम जीतने की लालसा में अमेरीकी लोगों ने 150 करोड़ डॉलर के लौटरी टिकिट खरीदे, यह जानते हुए भी कि ईनाम जीतने की संभावना का आंकड़ा 17.6 करोड़ में से 1 का था। लेकिन उस लौटरी के टिकिट को खरीदने के लिए लोग किराने की दुकानों, पेट्रोल पम्पों और कैफे आदि में जहाँ टिकिट बेचे जा रहे थे घंटों तक लंबी कतारों में खड़े रहे, इस आशा में कि वे धनवान हो जाएंगे।

   किंतु परमेश्वर के वचन बाइबल में उल्लेखित एक व्यक्ति, आगूर का धन के संबंध में अलग ही दृष्टिकोण था; उसने परमेश्वर से प्रार्थना करी कि उसके मरने से पहले परमेश्वर उसके लिए दो बातों को कर के दे। पहली बात थी: "...व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख..." तथा दूसरी बात थी: "...मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर" (नीतिवचन 30:8)। आगूर समझ चुका था कि चिंता रहित जीवन व्यतीत करने की कुंजी है ईमानदारी; जब हमारे पास कुछ छुपाने को नहीं होगा तो हमारे पास किसी बात को लेकर भयभीत रहने के लिए भी कुछ नहीं होगा। आगूर यह भी जान चुका था कि अपनी हर आवश्यकता के लिए परमेश्वर पर भरोसा रखना एवं जो कुछ परमेश्वर प्रदान करे उसे कृतज्ञता के साथ स्वीकार करना ही सन्तुष्टि का स्त्रोत है क्योंकि परमेश्वर ही है जिसने सब कुछ बनाया है और वह ही सब का पालन करता है (नीतिवचन 30:4-5)।

   हमारा वस्तविक और स्थाई धन नाशमान सांसारिक नहीं वरन आत्मिक गुण ईमानदारी तथा संतुष्टि हैं, और ये सभी के लिए उपलब्ध हैं। जो कोई परमेश्वर पिता से इन के लिए निवेदन करता है, परमेश्वर अपने खज़ानों से उसे यह धन उपलब्ध करवा देता है। - डेविड मैक्कैसलैन्ड


असंतोष हमें निर्धन किंतु संतोष हमें धनवान बना देता है।

यहोवा यों कहता है, बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमण्ड न करे, न वीर अपनी वीरता पर, न धनी अपने धन पर घमण्ड करे; परन्तु जो घमण्ड करे वह इसी बात पर घमण्ड करे, कि वह मुझे जानता और समझता हे, कि मैं ही वह यहोवा हूँ, जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न रहता हूँ। - यिर्मियाह 9:23-24

बाइबल पाठ: नीतिवचन 30:1-9
Proverbs 30:1 याके के पुत्र आगूर के प्रभावशाली वचन। उस पुरूष ने ईतीएल और उक्काल से यह कहा, 
Proverbs 30:2 निश्चय मैं पशु सरीखा हूं, वरन मनुष्य कहलाने के योग्य भी नहीं; और मनुष्य की समझ मुझ में नहीं है। 
Proverbs 30:3 न मैं ने बुद्धि प्राप्त की है, और न परमपवित्र का ज्ञान मुझे मिला है। 
Proverbs 30:4 कौन स्वर्ग में चढ़ कर फिर उतर आया? किस ने वायु को अपनी मुट्ठी में बटोर रखा है? किस ने महासागर को अपने वस्त्र में बान्ध लिया है? किस ने पृथ्वी के सिवानों को ठहराया है? उसका नाम क्या है? और उसके पुत्र का नाम क्या है? यदि तू जानता हो तो बता! 
Proverbs 30:5 ईश्वर का एक एक वचन ताया हुआ है; वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है। 
Proverbs 30:6 उसके वचनों में कुछ मत बढ़ा, ऐसा न हो कि वह तुझे डांटे और तू झूठा ठहरे।
Proverbs 30:7 मैं ने तुझ से दो वर मांगे हैं, इसलिये मेरे मरने से पहिले उन्हें मुझे देने से मुंह न मोड़: 
Proverbs 30:8 अर्थात व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर। 
Proverbs 30:9 ऐसा न हो, कि जब मेरा पेट भर जाए, तब मैं इन्कार कर के कहूं कि यहोवा कौन है? वा अपना भाग खो कर चोरी करूं, और अपने परमेश्वर का नाम अनुचित रीति से लूं।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 17-19
  • मरकुस 13:1-20



बुधवार, 11 मार्च 2015

सदा धन्यवादी


   मेरी बेटी को मूँगफली से एलर्जी है। मूँगफली के प्रति उसके शरीर की संवेदनशीलता इतनी अधिक है कि मूँगफली का एक छोटा सा टुकड़ा भी उसकी जान के लिए खतरा हो जाता है। इस कारण हम किसी भी खाद्य-वस्तु को खरीदने से पहले उसमें विद्यमान वस्तुओं के बारे में बड़ी बारीकी से जाँच-पड़ताल करते हैं; हम यदि कहीं बाहर कुछ खाने जाते हैं तो पहले से ही फोन द्वारा वहाँ उपलब्ध खाने की वस्तुओं की जानकारी ले लेते हैं और सदा ही अपने साथ एलर्जी होने की स्थिति में जान बचाने के लिए तुरंत लगाए जाने वाले इंजेक्शैन से भरी एक सिरिंज लेकर चलते हैं। इन सारी सावधानियों के बावजूद मैं फिर भी अपनी बेटी के वर्तमान तथा भविष्य की सुरक्षा के बारे में चिंतित रहती हूँ।

   ऐसी अनिश्चित और खतरनाक स्थिति के लिए धन्यवादी होना कोई स्वाभाविक प्रतिक्रीया नहीं है; लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल मुझे चुनौती देती है: "हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है" (1 थिस्सलुनीकियों 5:18)। हम मसीही विश्वासियों के लिए बाइबल के इस निर्देश से बच निकलने का कोई मार्ग नहीं है। परमेश्वर चाहता है कि चाहे भविष्य अनिश्चित ही हो, चाहे दुख अत्याधिक हों, चाहे कमी-घटी से होकर निकल रहे हों, हम जो प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा परमेश्वर की सन्तान हो गए हैं, हम सभी परिस्थितियों में सदा ही परमेश्वर के प्रति धन्यवादी बने रहें।

   कठिनाईयों के समयों में धन्यवादी होना कठिन होता है, लेकिन असंभव नहीं है, जैसा बाइबल के अनेक नायकों के जीवन से हम देखते हैं। जब दानिय्येल भविष्यद्वक्ता का जीवन खतरे में था उसने तब भी परमेश्वर का धन्यवाद किया: "जब दानिय्येल को मालूम हुआ कि उस पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, तब वह अपने घर में गया जिसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियां यरूशलेम के सामने खुली रहती थीं, और अपनी रीति के अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के साम्हने घुटने टेक कर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा" (दानिय्येल 6:10)। योना नबी ने जल-जन्तु के पेट में पड़े होने पर भी धन्यवाद के साथ परमेश्वर को पुकारा: "परन्तु मैं ऊंचे शब्द से धन्यवाद कर के तुझे बलिदान चढ़ाऊंगा; जो मन्नत मैं ने मानी, उसको पूरी करूंगा। उद्धार यहोवा ही से होता है" (योना 2:9)। ये और उनके जैसे कई और परमेश्वर के लोग ऐसा इसलिए कर सके क्योंकि परमेश्वर ने अपने लोगों से हर परिस्थिति के द्वारा सदैव ही उनकी भलाई करते रहने की प्रतिज्ञा की है (रोमियों 8:28)।

   बाइबल में लिखे इन लोगों के जीवन परमेश्वर की इस प्रतिज्ञा की सच्चाई का प्रमाण तथा आज हमारे लिए परमेश्वर के प्रति सदा धन्यवादी बने रहने के प्रेरक हैं। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


हम प्रत्येक परिस्थिति में परमेश्वर का धन्यवाद कर सकते हैं क्योंकि वह हमें कभी अकेला नहीं छोड़ता।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28 

बाइबल पाठ: 1 थिस्सलुनीकियों 5:12-22
1 Thessalonians 5:12 और हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, कि जो तुम में परिश्रम करते हैं, और प्रभु में तुम्हारे अगुवे हैं, और तुम्हें शिक्षा देते हैं, उन्हें मानो। 
1 Thessalonians 5:13 और उन के काम के कारण प्रेम के साथ उन को बहुत ही आदर के योग्य समझो: आपस में मेल-मिलाप से रहो। 
1 Thessalonians 5:14 और हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, कि जो ठीक चाल नहीं चलते, उन को समझाओ, कायरों को ढाढ़स दो, निर्बलों को संभालो, सब की ओर सहनशीलता दिखाओ। 
1 Thessalonians 5:15 सावधान! कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्‍पर रहो आपस में और सब से भी भलाई ही की चेष्‍टा करो। 
1 Thessalonians 5:16 सदा आनन्‍दित रहो। 
1 Thessalonians 5:17 निरन्‍तर प्रार्थना में लगे रहो। 
1 Thessalonians 5:18 हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है। 
1 Thessalonians 5:19 आत्मा को न बुझाओ। 
1 Thessalonians 5:20 भविष्यद्वाणियों को तुच्‍छ न जानो। 
1 Thessalonians 5:21 सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो। 
1 Thessalonians 5:22 सब प्रकार की बुराई से बचे रहो।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 14-16
  • मरकुस 12:28-44



मंगलवार, 10 मार्च 2015

भेंट


   बात उस समय की है जब मैं एक छोटे से चर्च का पास्टर था; हम अचानक ही एक बड़े संकट में आ गए। हमें उस चर्च भवन को, लागू स्थानीय भवन सुरक्षा मानकों के अनुरूप करने के लिए भवन के नवीनिकरण की आज्ञा मिली, जिसे एक निर्धारित समय सीमा में किया जाना था, अन्यथा वह भवन हम से ले लिया जाता और हमारे पास आराधना के लिए कोई स्थान नहीं रह जाता। इस बड़े कार्य के लिए पर्याप्त धन हमारे पास नहीं था इसलिए चर्च के लोगों से भेंट और दान द्वारा आवश्यक धन को एकत्रित करने के लिए आहवाहन होने लगे। जो भेंट और दान आए उन में से एक ने हमारे चर्च के नेतृत्व करने वाले लोगों का ध्यान आकर्षित किया।

   एक व्रुद्ध महिला ने इस विशेष कार्य के लिए कई सौ डॉलर दान किए, और हम सब जानते थे कि इतना पैसा देना उसकी क्षमता के बाहर था। वास्तव में वो महिला इस पैसे को कई वर्षों से थोड़ा थोड़ा कर के जमा कर रही थी क्योंकि उसे घर के लिए एक अच्छा स्टोव खरीदना था, जबकि अभी तक वह एक छोटी सी हॉट-प्लेट पर ही खाना बनाने का कार्य कर रही थी। हम सब ने उस दान के लिए उसका बहुत धन्यवाद किया और वह पैसा उसे लौटाना चाहा, यह मानते हुए कि उसकी अपनी आवश्यकताएं चर्च की आवश्यकताओं से बढ़कर थीं। लेकिन उस ने पैसा वापस लेने से इन्कार कर दिया क्योंकि उसका मानना था कि चर्च की आवश्यकताएं उसके घर की आवश्यक्ताओं से अधिक महत्वपूर्ण थीं और उसके लिए स्टोव की बजाए यह अधिक आवश्यक था कि उसके परिवार के पास परमेश्वर की आराधना करने के लिए एक स्थान हो। हम सब उसके द्वारा अपनी सीमा से परे दी गई भेंट से स्तब्ध रह गए।

   जब प्रभु यीशु ने एक विधवा को मन्दिर की दान पेटी में दो दमड़ी, जो उस समय का सबसे छोटा सिक्का था, डालते देखा तो प्रभु ने भी उसकी दानवीरता के लिए उस विधवा की प्रशंसा करी (लूका 21:3-4)। क्यों? जितना उस ने दिया था उसके लिए नहीं, वरन इसलिए क्योंकि उसने जो कुछ उसके पास था, वह सब दे दिया था। इस तरह की भेंट देना ना केवल परमेश्वर को आदर देता है, वरन हमें परमेश्वर द्वारा सारे संसार के उद्धार तथा पापों की क्षमा के लिए दी गई उसकी सब से मूल्यवान भेंट - प्रभु यीशु मसीह की भी याद दिलाता है।

   परमेश्वर ने हमारे लिए अपना सर्वोत्तम न्योछावर कर दिया; उसकी इस भेंट का आदर करें और परमेश्वर के समान परमेश्वर के कार्य के लिए अपना सर्वोत्त्म भेंट में देना भी सीखें। - बिल क्राउडर


मन की कृतज्ञता एक उदार आत्मा द्वारा भी प्रदर्शित की जाती है।

परन्तु बात तो यह है, कि जो थोड़ा बोता है वह थोड़ा काटेगा भी; और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा। हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है। - 2 कुरिन्थियों 9:6-7

बाइबल पाठ: लूका 21:1-4
Luke 21:1 फिर उसने आंख उठा कर धनवानों को अपना अपना दान भण्‍डार में डालते देखा। 
Luke 21:2 और उसने एक कंगाल विधवा को भी उस में दो दमडिय़ां डालते देखा। 
Luke 21:3 तब उसने कहा; मैं तुम से सच कहता हूं कि इस कंगाल विधवा ने सब से बढ़कर डाला है। 
Luke 21:4 क्योंकि उन सब ने अपनी अपनी बढ़ती में से दान में कुछ डाला है, परन्तु इस ने अपनी घटी में से अपनी सारी जीविका डाल दी है।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 11-13
  • मरकुस 12:1-27