बहुत वर्ष पहले, अपने कॉलेज के दिनों में मैं अपने कॉलेज की फुटबॉल टीम में गोलकीपर हुआ करता था। मेरे लिए वह खेल कितना मनोरंजक हुआ करता था इस बात का संपूर्ण वर्णन यहाँ संभव नहीं है, लेकिन उस मनोरंजन के लिए मुझे एक कीमत चुकानी पड़ती थी - मुझे अपने आप को बार-बार खतरे में डालकर प्रतिद्वंदी टीम को गोल करने से रोकना होता था। उस मनोरंजन की कीमत मैं ने केवल तब ही नहीं चुकाई, मैं आज भी उस कीमत को चुकाता रहता हूँ; क्योंकि खेल के समय में मुझे गंभीर चोटें भी आईं - मेरी एक टाँग टूटी, कई पसलियाँ टूटीं, एक कंधा उतरा, तथा मेरे सिर की चोट के कारण दिमाग़ को अन्दरूनी धक्का भी लगा। आज भी, विशेषकर ठंड के दिनों में, उन टूटी हड्डियाँ की दुखन मुझे उस मनोरंजन के जोखिम तथा चोटों की याद दिलाती है।
परमेश्वर के वचन बाइबल के एक प्रमुख नायक दाऊद को भी अपने जीवन में कुछ टूटी हड्डियों का स्मरण शेष रह गया था, लेकिन उसकी चोटें शारीरिक नहीं आत्मिक थीं! बथशेबा के साथ व्यभिचार और फिर बथशेबा के पति को मरवा देने के नैतिक पतन के कारण दाऊद को परमेश्वर के अनुशासन की कठोरता को सहना पड़ा था। लेकिन उस अनुशासन में होकर निकलने से दाऊद के अन्दर अपने किए पर ग्लानि तथा पश्चताप आया और उसने पश्चातापी मन से परमेश्वर से प्रार्थना करी; उसकी प्रार्थना का एक वाक्य था, "मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वह मगन हो जाएं" (भजन 51:8)।
परमेश्वर का दण्डात्मक अनुशासन इतना कठोर था कि उसकी पीड़ा दाऊद को टूटी हड्डियों की पीड़ा के समान प्रतीत हुई। लेकिन उस दुख भरी परिस्थिति में भी दाऊद ने परमेश्वर पर भरोसा किया कि अपने अनुग्रह में होकर वह ना केवल दाऊद के टूटेपन को ठीक करेगा वरन उसके आनन्द को भी लौटा कर दे देगा। हमारे पाप और पराजय की परिस्थिति में पड़े होने पर भी, हम मसीही विश्वासियों के लिए यह सांत्वना और आनन्द की बात है कि परमेश्वर का हमारे प्रति प्रेम कभी कम नहीं होता। परमेश्वर हम से पुत्रों के समान व्यवहार करता है, और हमारी भलाई के लिए जहाँ अनुशासित करना होता है वहाँ अनुशासित करता है और जहाँ हमें उभारने-उठाने की आवश्यकता होती हैं वहाँ उभारता-उठाता भी है। - बिल क्राउडर
परमेश्वर के अनुशासन का हाथ, उसके प्रेम का हाथ भी है।
क्योंकि प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है; और जिसे पुत्र बना लेता है, उसको कोड़े भी लगाता है। - इब्रानियों 12:6
बाइबल पाठ: भजन 51:1-13
Psalms 51:1 हे परमेश्वर, अपनी करूणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे।
Psalms 51:2 मुझे भलीं भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर!
Psalms 51:3 मैं तो अपने अपराधों को जानता हूं, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है।
Psalms 51:4 मैं ने केवल तेरे ही विरुद्ध पाप किया, और जो तेरी दृष्टि में बुरा है, वही किया है, ताकि तू बोलने में धर्मी और न्याय करने में निष्कलंक ठहरे।
Psalms 51:5 देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा।
Psalms 51:6 देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा।
Psalms 51:7 जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूंगा।
Psalms 51:8 मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वह मगन हो जाएं।
Psalms 51:9 अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल।
Psalms 51:10 हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर।
Psalms 51:11 मुझे अपने साम्हने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से अलग न कर।
Psalms 51:12 अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल।
Psalms 51:13 तब मैं अपराधियों को तेरा मार्ग सिखाऊंगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे।
एक साल में बाइबल:
- व्यवस्थाविवरण 28-29
- मरकुस 14:54-72
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