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शनिवार, 17 नवंबर 2018

सेवा



      केरी बहुत प्रयास करती है कि उसे लोगों से प्रशंसा मिले। वह अधिकांश समय प्रसन्न रहने का व्यवहार करती है जिससे कि लोग उसके आनन्दित रहने के रवैये को देखें और उसकी तारीफ़ करें। कुछ लोग उसे समाज में औरों की सहायता करते हुए देख कर उसे सराहते हैं, परन्तु कभी-कभी जब वह अपने मन की बात को खुल कर कहती है तो वह स्वीकार करती है कि “मैं प्रभु से प्रेम तो करती हूँ, परन्तु कुछ बातों में मुझे लगता है कि मेरा जीवन एक दिखावे का जीवन है।” औरों को अच्छा दिखाई देने के उसके प्रयासों के पीछे उसके अन्दर की उसकी असुरक्षा की भावना है, और वह कहती है कि उसे लगने लगा है कि यह सब कर पाने की उसकी सामर्थ्य समाप्त होती जा रही है।

      हम सभी केरी के इस अनुभव के साथ संबंधित हो सकते हैं क्योंकि यह संभव नहीं है कि हमारे सभी उद्देश्य सदा ही सिद्ध भी हों। हम अपने प्रभु परमेश्वर से तथा औरों से भी प्रेम करते हैं, परन्तु मसीही जीवन जीने के लिए हमारे उद्देश्य औरों से महत्व और प्रशंसा पाने के साथ मिले हुए होते हैं।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम प्रभु यीशु की शिक्षाओं में देखते हैं कि उन्होंने औरों को दिखाने के लिए दान करने, प्रार्थनाएं करने और उपवास रखने वालों के विषय सिखाया था (मत्ती 6:1-18)। प्रभु ने अपने अनुयायियों को अपने पहाड़ी उपदेश में सिखाया के वे अपने दान गुप्त रखें, पिता परमेश्वर से एकांत में प्रार्थानाएं करें, और उपवास रखते समय उसे प्रकट न करें (पद 4, 6, 16)।

      अधिकाँशतः सेवा सामाजिक रीति से ही की जाती है, परन्तु सेवा को अप्रत्यक्ष रखकर करना हमें हमारे प्रति परमेश्वर की राय को समझने में सहायक होगा। प्रभु परमेश्वर, जिसने हमें अपने ही स्वरूप में सृजा है, हमें इतना महत्वपूर्ण मानता है कि उसने हमारे लिए अपने पुत्र को बलिदान कर दिया, और अपने प्रेम को प्रतिदिन हम पर प्रकट करता रहता है। - ऐनी सेटास


परमेश्वर को प्रसन्न करने की हमारी इच्छा, 
परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी होने का हमारा सर्वोच्च उद्देश्य होना चाहिए।

मैं यहोवा मन की खोजता और हृदय को जांचता हूँ ताकि प्रत्येक जन को उसकी चाल-चलन के अनुसार अर्थात उसके कामों का फल दूं। - यिर्मयाह 17:10

बाइबल पाठ: मत्ती 6:1-8
Matthew 6:1 सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे।
Matthew 6:2 इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके।
Matthew 6:3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए।
Matthew 6:4 ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matthew 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
Matthew 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matthew 6:7 प्रार्थना करते समय अन्यजातियों के समान बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी।
Matthew 6:8 सो तुम उनके समान न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यक्ता है।


एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 5-7
  • इब्रानियों 12